चंडीगढ़ Archives - Inditales https://inditales.com/hindi/category/भारत/चंडीगढ़/ श्रेष्ठ यात्रा ब्लॉग Mon, 12 Jun 2023 05:10:27 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.2 ले कोर्बुसिएर केंद्र – चंडीगढ़ के सृजक को श्रद्धांजलि https://inditales.com/hindi/le-corbusier-center-chandigarh-heritage/ https://inditales.com/hindi/le-corbusier-center-chandigarh-heritage/#respond Wed, 28 Mar 2018 02:30:34 +0000 https://inditales.com/hindi/?p=594

ले कोर्बुसिएर केंद्र कहता है चंडीगढ़ नगर का आधुनिक इतिहास। चंडीगढ़ भारत का एकमात्र ऐसा शहर है जो पहले से ही एक आधुनिक राजधानी के रूप में योजनाबद्ध किया गया था। यह शहर भारत के प्रथम प्रधान मंत्री और फ्रेंच वास्तुकला के विद्वान ले कोर्बुसिएर के दृष्टिकोणों के आधार पर निर्मित किया गया था। यह […]

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ले कोर्बुसिएर केंद्र - चंडीगढ़
ले कोर्बुसिएर केंद्र – चंडीगढ़

ले कोर्बुसिएर केंद्र कहता है चंडीगढ़ नगर का आधुनिक इतिहास। चंडीगढ़ भारत का एकमात्र ऐसा शहर है जो पहले से ही एक आधुनिक राजधानी के रूप में योजनाबद्ध किया गया था। यह शहर भारत के प्रथम प्रधान मंत्री और फ्रेंच वास्तुकला के विद्वान ले कोर्बुसिएर के दृष्टिकोणों के आधार पर निर्मित किया गया था। यह मनुष्य के शरीर के अनुसार में बनाया गया है, जहां सिर के स्थान पर सरकारी कार्यालय, दिल की जगह पर बाज़ार, फेफड़ों की जगह पर हरे-भरे बगीचे और हाथ-पाँव के स्थान पर उद्योगिक क्षेत्र बसे हुए हैं और इनके बीच में से धमनियों और नसों के रूप में दौड़ती आड़ी-तिरछी सड़कें हैं।

इस शहर की हर सड़क सिर्फ सीधी ही जाती है, ना कोई मोड ना कोई घुमावदार रास्ता और यदि कोई मोड मिल भी जाए तो, या तो वह समकोण के आकार का होता है या फिर न्यूनकोण के आकार का। यह शहर आयताकार खंडों में विभाजित किया गया है जिन्हें फिर 4 समान भागों में विभाजित किया गया है। यह प्रत्येक भाग अपने आप में पर्याप्त है, जहां उनके खुद के बाज़ार और पाठशालाएं हैं। ध्यान से देखे तो, यह शहर सामंजस्यता के भाव से एक साथ वास करती विविध स्वतंत्र इकाइयों के समूह को दर्शाता है।

ले कोर्बुसिएर केंद्र – चंडीगढ़ शहर 

चंडीगढ़ नगर के नीचे कभी बसे सिन्धु घाटी सभ्यता का सुव्यवस्थित नगर
चंडीगढ़ नगर के नीचे कभी बसे सिन्धु घाटी सभ्यता का सुव्यवस्थित नगर

जिस इमारत में कभी ले कोर्बुसिएर का कार्यालय हुआ करता था आज वह विरासत केंद्र में परिवर्तित किया गया है, जो उन्हें और उनकी निर्मिति – चंडीगढ़ को समर्पित किया गया है। वहां पर मुझे बताया गया कि कुछ सालों पहले चंडीगढ़ के प्रशासन ने एक खास खोज जारी की थी जिसके द्वारा इस केंद्र के लिए धरोहर से जुड़े सभी उपलब्ध दस्तावेज़ और असबाब की वस्तुओं को संगठित किया जा रहा था।

ले कोर्बुसिएर केंद्र अब इस शहर और उसके निर्माता से जुड़ी विरासत का प्रमुख केंद्र बन गया है। यहां पर ले कोर्बुसिएर के जीवन तथा उस समय के दौर का दस्तावेजीकरण किया गया है। इसी प्रक्रिया के अंतर्गत इस शहर की निर्माण प्रक्रिया का भी दस्तावेजीकरण हुआ है। संयोगवश यहां पर एक सुंदर सा चित्र है जो दर्शाता है, कि किस प्रकार से यह शहर वास्तव में प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के शहरों का प्रतिरूप है, जहां की निर्माण योजना भी इसी प्रकार आयताकार खंडों जैसी थी। इस शहर के निर्माणकाल के दौरान यहां पर हुए उत्खनन से प्राप्त वस्तुओं से यह साफ पता चलता है कि यह क्षेत्र प्राचीन काल में सिंधु घाटी सभ्यता का भाग हुआ करता था।

ले कोर्बुसिएर एवं पंडित नेहरु
ले कोर्बुसिएर एवं पंडित नेहरु

देखा जाए तो, ले कोर्बुसिएर एक आधुनिक शहर का निर्माण करने के साथ-साथ, कभी इस भूमि पर बसे किसी प्राचीन शहर का भी अनुसरण रहे थे। यहां से उत्खनन द्वारा प्राप्त कुछ कलाकृतियाँ आप शहर के संग्रहालय में देख सकते हैं।

ले कोर्बुसिएर केंद्र का सभा कक्ष 

यह सभा कक्ष ठेठ चंडीगढ़ की शैली में बनी हुई इमारत है जो भूरे रंग की है। यहां के गलियारों की दीवारें अब ले कोर्बुसिएर के चित्रों से सजी हुई हैं, जिसके साथ वास्तुकला पर उनके प्रसिद्ध उद्धरण भी हैं। ये सभी बातें कहीं ना कहीं आपको, शहर की रूपरेखा बनाते वक्त उनके मन में चल रहे विचारों की ओर ले जाती हैं। उनका सभा कक्ष जहां पर नेहरू से उनकी मुलाकात हुई थी, भी वैसे का वैसा संरक्षित किया गया है।

ले कोर्बुसिएर केंद्र – जहाँ चंडीगढ़ की परियोजना बनी थी
ले कोर्बुसिएर केंद्र – जहाँ चंडीगढ़ की परियोजना बनी थी

यहां पर आज भी लकड़ी और चमड़े की बनी वही कुर्सियां मौजूद हैं, जो ले कोर्बुसिएर द्वारा इस्तेमाल की जाती थीं, जिनके बीच लकड़ी का एक बड़ा सा मेज खड़ा है। इस शहर के नए-पुराने चित्र तथा उसके स्थूल वर्णन अब यहां की दीवारों की शोभा बढ़ाते हुए नज़र आते हैं। यहां पर इस वास्तुकलाकर द्वारा प्रयुक्त नवार की खाट और लकड़ी के मेज भी हैं और साथ में इस शहर के संपन्न नक्शे का एक विशाल नमूना भी है।

विरासत के असबाब   

ले कोर्बुसिएर का जीवन और दर्शन
ले कोर्बुसिएर का जीवन और दर्शन

ले कोर्बुसिएर केंद्र पर रखी हुई लकड़ी की कुर्सियाँ देखते ही मुझे पंजाब विश्वविद्यालय के हॉस्टल की अपनी कुर्सी की याद आयी जो एकदम ऐसी ही दिखती थी। बाद में मेरे साथ आए हुए पर्यटन अधिकारी ने मुझे बताया कि असबाब की ये वस्तुएं वहीं से उपार्जित की गयी हैं। आगे जाते ही मुझे हमारे भौतिक विज्ञान के विभाग से प्राप्त की गयी एक खुर्सी दिखी, जिस पर शायद कभी मैं भी बैठी थी, लेकिन तब मुझे इस बात का अंदाज़ा भी नहीं था कि वह कुर्सी एक दिन शहर की विरासत का हिस्सा बन जाएगी।

बाद में जब मैंने विश्वविद्यालय के पुस्तकालय का छोटा सा दौरा किया तब मुझे पता चला कि वहां की सभी लकड़ी की कुर्सियों को वीभत्स सी दिखनेवाली प्लास्टिक की कुर्सियों से बदल दिया गया है। यह सब देखकर मेरे मन में अजीब से भाव उत्पन्न होने लगे, एक तरफ मुझे खुशी हो रही थी कि मैंने कभी विरासत से जुड़ी इन वस्तुओं का इस्तेमाल किया था, तो दूसरी ओर मुझे पुस्तकालय के असबाब की वर्तमान स्थिति पर जैसे दया आ रही थी।

केंद्र में प्रदर्शित चित्र और नक्शे  

खुला हाथ – चंडीगढ़ नगर का प्रतीक
खुला हाथ – चंडीगढ़ नगर का प्रतीक

ले कोर्बुसिएर केंद्र में प्रदर्शित चित्रों में आप कोर्बुसिएर को विविध मनःस्थितियों में देख सकते हैं, जैसे काम में लीन होते समय की तस्वीर, अपने आदर्श के साथ खींची गयी उनकी तस्वीर, सरोवर में नौकाविहार का आनंद लेते हुए ली गयी तस्वीर तथा माननीय अतिथियों से मुलाकात के समय खींची गयी तस्वीर।

मैं इस बात से बिलकुल अज्ञात थी कि इस शहर के नालों के मुखावरणों पर उसका नक्शा बना हुआ है। मेरे लिए यह एकदम नवीन और आश्चर्य की बात थी। यह नक्शा आप केंद्र में स्थित कई जगहों पर देख सकते हैं, जिसमें यहां की स्मारिका दुकान भी शामिल है। यहां पर विभिन्न पत्र प्रदर्शन के लिए रखे गए थे, जिन्हें पढ़ने के लिए आपको खूब सारे समय की जरूरत होती है। मुझे तो इन पत्रों की विषय वस्तु से अधिक, उनमें अपने दौर का वर्णन करते उन व्यक्तियों की लिखावट ज्यादा आकर्षक लगी। यहां पर चंडीगढ़ और उसकी वास्तुकला से संबंधित व्यंगचित्रों के संग्रह का भी प्रदर्शन किया गया है जो बहुत ही दिलचस्प है।

ले कोर्बुसिएर केंद्र पर प्रदर्शित वास्तुकलात्मक चित्र और हाथ के चित्र द्वारा दर्शाये गए विविध आकार, इस शहर के प्रति इन लोगों के अनुराग और उनके अभिमान को दर्शाते हैं। चंडीगढ़ में पले-बड़े होने के नाते में, मैं यह जरूर कहना चाहूंगी कि यहां का प्रत्येक व्यक्ति, अद्वितीय विशेषताओं से परिपूर्ण इस शहर प्रति बहुत गर्व महसूस करता है। लेकिन इस सब से अधिक उन्हें इस बात पर गर्व है कि उनका शहर भारत का सबसे साफ-सुथरा और हारा-भरा शहर है।

ले कोर्बुसिएर केंद्र के पर्यटक

ले कोर्बुसिएर केंद्र में स्थानीय लोगों या भारतीय पर्यटकों से ज्यादा फ्रेंच पर्यटक ही अधिक संख्या में आते हैं। मुझे लगता है कि यहां पर एक ऐसे गाइड की आवश्यकता है जो इस शहर के इतिहास, उसकी विरासत और वास्तुकला तथा उसके वास्तुकलाकर के बारे में गहराई से जानता हो और जो अपने ज्ञान को ध्यानपूर्वक यहां पर आनेवाले लोगों से बांटने के योग्य हो, जिससे कि आगंतुकों के अनुभव अविस्मरणीय हो जाए।

मैंने भारत के अन्य किसी भी शहर में ऐसी जगह नहीं देखी है, जहां पर उसके इतिहास का इतनी अच्छी तरह से दस्तावेजीकरण किया है।

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सुखना झील – चंडीगढ़ में स्थित एकमात्र जल स्तोत्र https://inditales.com/hindi/beautiful-sukhna-lake-chandigarh/ https://inditales.com/hindi/beautiful-sukhna-lake-chandigarh/#respond Wed, 14 Feb 2018 02:30:42 +0000 https://inditales.com/hindi/?p=606

सुखना झील चंडीगढ़ शहर का एकमात्र प्रसिद्ध जल स्तोत्र है। एक आधुनिक शहर की परिसीमा के अंतर्गत अपने आगंतुकों को प्रकृति की प्रचुरता से सराबोर कराने वाली यह झील स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों की भी सबसे पसंदीदा जगह है। सुबह और शाम के समय आपको झील के किनारे स्थानीय लोग टहलते हुए नज़र आते […]

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सुखना झील - चंडीगढ़
सुखना झील – चंडीगढ़

सुखना झील चंडीगढ़ शहर का एकमात्र प्रसिद्ध जल स्तोत्र है। एक आधुनिक शहर की परिसीमा के अंतर्गत अपने आगंतुकों को प्रकृति की प्रचुरता से सराबोर कराने वाली यह झील स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों की भी सबसे पसंदीदा जगह है। सुबह और शाम के समय आपको झील के किनारे स्थानीय लोग टहलते हुए नज़र आते हैं, तो पूरे दिन यह जगह पर्यटकों से भरी होती है जो झील के पास बैठकर आस-पास की विविध गतिविधियों का आनंद लेते हुए दिखाई देते हैं।

आप सुखना झील पर नौकाविहार का आनंद ले सकते हैं, तो बैठे-बैठे इन नावों के पालों की सराहना भी कर सकते हैं। इसके अलावा आप यहां के सबसे प्राचीन वृक्ष के दर्शन कर सकते हैं, जो अब इस शहर का धरोहर वृक्ष बन गया है। आप स्मारिका दुकानों पर जाकर अपने मनपसंद वस्तुओं की खरीदी कर सकते हैं तथा यहां के प्रसिद्ध कॉफी शॉप की कॉफी का भी लुत्फ उठा सकते हैं।

सुखना झील – चंडीगढ़ में घूमने की जगहें   

सुखना झील के किनारे प्राचीन वृक्ष
सुखना झील के किनारे प्राचीन वृक्ष

इस झील की पृष्ठभूमि में खड़े शिवालिक पर्वत आपको इस बात का स्मरण कराते हैं, कि आप हिमालय की तलहटी में खड़े हैं। यहां पर झील के पीछे एक आर्द्रभूमि है, जहां पर आपको विभिन्न प्रकार के घुमंतू पक्षी दिखाई देते हैं।

हाल ही में इस झील के परिसर का थोड़ा विस्तार किया गया है, जिसके चलते उसके चारों ओर बनी पगडंडी लगभग 2.2 कि.मी. तक बढ़ गयी है, जिस पर हर निश्चित अंतर के बाद कुछ चिह्नांकन किए गए हैं। यहां पर टहलते हुए आपको झील के किनारे बैठी बहुत सारी युगल जोड़ियाँ आनंद लेती हुई नज़र आती हैं। इसके अलावा यहां पर बहुत सारे पर्यटक भी थे जो अपने सामान के साथ बैठे हुए यहां के मनमोहक पर्यावरण की प्रशंसा में पूर्ण रूप से डूबे हुए थे। और इन सबसे अलग यहां पर कुछ एकांतप्रिय व्यक्ति भी थे जो अपने ही विचारों में खोये हुए थे, जैसे उन्हें किसीके होने या ना होने से कोई फर्क नहीं पड़ता हो।

शांति उद्यान  
शांति उद्यान – चंडीगढ़
शांति उद्यान – चंडीगढ़

सुखना झील के परिसर में हाल ही में बनवाए गए इस शांति उद्यान की रचना बड़ी ही रमणीय है। इस बाग में ध्यान मुद्रा में बैठे बुद्ध की एक प्रतिमा है, जिसके चारों ओर वृत्ताकार सीढ़ियाँ बनवाई गयी हैं। मैं लगभग सुबह के 9 बजे वहां पर पहुंची थी, लेकिन उस समय पूरा बाग जैसे सुनसान था। यहां-वहां बस कुछ एक लोग नज़र आ रहे थे। बाद में मुझे पता चला कि यह बाग तो प्रातःकाल के समय लोगों से भरा होता है, जो योग और ध्यान करने हेतु यहां पर आते हैं। ऐसी स्थिति में भी यहां पर कोई शोर-गुल नहीं होता और यह जगह बिलकुल शांत होती है।

खुले हाथ का अधिचिह्न     
खुले हाथ का अधिचिन्ह – चंडीगढ़ की प्रतीक
खुले हाथ का अधिचिन्ह – चंडीगढ़ की प्रतीक

सुखना झील के किनारे देखने लायक अनेक सुंदर-सुंदर पौधे हैं, जिनकी प्रशंसा करते आप नहीं थकते। लेकिन इन सब के अलावा यहां पर एक ऐसी बात है जो इन सबसे अधिक सुंदर है और वह है यहां की स्टील की बनी एक विशाल संरचना जिस पर शहर का अधिचिह्न यानी खुले हाथ का चिह्न बना हुआ, जो जाहिरा तौर पर घोषित करता है कि चंडीगढ़ एक शांतिप्रिय शहर है।

यहां की और एक बात जो मुझे सबसे अच्छी लगी वह है, यहां की सार्वजनिक संरचनाओं का अनुरक्षण जो कि भारत के अन्य भागों में दुर्लभ है। आप चाहें तो यहां से एक साइकल किराए पर लेकर पूरे शहर का दौरा कर सकते हैं। इससे एक बात तो साफ है कि मेरा चंडीगढ़ आज भी एक साइकल प्रेमी शहर है।

सुखना झील से जुड़ी कुछ यादें  
सुखना झील पर विचरण करते पक्षी
सुखना झील पर विचरण करते पक्षी

इस झील से मेरे बचपन की बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, जिन में से एक है सुखना झील पर हर साल आयोजित श्रम दान या लोक-सेवा का कार्यक्रम। सुखना झील एक कृत्रिम झील है जो इस शहर के निर्माण के साथ ही बनवाई गयी थी। इस झील में बहुत सारा गाद जमा होता था जिसे हर साल निकालना पड़ता था। इसलिए यहां पर हर साल श्रम दान का आयोजन किया जाता था।

उस समय विद्यार्थी के रूप में हम सभी हर साल वहां जाकर, झील के बीचों बीच खड़े होकर उसमें जमा हुआ गाद निकाला करते थे और सिर्फ हम ही नहीं बल्कि शहर के सभी लोग इस कार्य में अपना थोड़ा-बहुत योगदान जरूर देते थे। लोग बड़े गर्व से झील की सफाई में भाग लिया करते थे। जब तक श्रम दान का यह कार्यक्रम चलता था उस दौरान अखबार वाले रोज यहां पर आकर काम में लीन इन लोगों की तस्वीरें खींचकर उन्हें प्रकाशित करते थे। आज भी श्रम दान का यह कार्यक्रम मेरे लिए, सार्वजनिक जगह की देख-रेख हेतु जनता द्वारा किए गए योगदान का सबसे उत्तम उदाहरण है।

यहां के पर्यटन अधिकारी से मुझे पता चला कि श्रम दान की यह परंपरा अब बंद हो चुकी है, क्योंकि, झील के विस्तारिकरण के बाद अब गाद का जमना काफी नियंत्रण में है। और जो थोड़े-बहुत रखरखाव की आवश्यकता होती है वह यंत्रणों द्वारा पूर्ण की जाती है। उनका यह भी कहना था कि अब के जमाने में हमारी युवा पीढ़ी भी ऐसे कड़े परिश्रम वाले काम करना ज्यादा पसंद नहीं करती।

तो अब जब भी कभी आप चंडीगढ़ जाए तो मंत्रमुग्ध करनेवाले इस झील के दर्शन जरूर कीजिये।

और पढ़ें – नेक चाँद का रॉक गार्डन

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नेक चंद का रॉक गार्डन – चंडीगढ़ के पर्यटन स्थल https://inditales.com/hindi/rock-garden-chandigarh-nek-chand-hindi/ https://inditales.com/hindi/rock-garden-chandigarh-nek-chand-hindi/#comments Wed, 26 Apr 2017 02:30:26 +0000 https://inditales.com/hindi/?p=223

नेक चंद का रॉक गार्डन चंडीगढ़ की सबसे खूबसूरत और प्रसिद्ध जगह है। मैं बचपन में बहुत बार वहां पर जा चुकी हूँ। बाद में विद्यार्थी जीवन के दौरान पाठशाला में आयोजित की जाने वाली पिकनिक के समय भी बहुत बार वहां पर जाना होता रहा। लेकिन इस बार मैं लगभग 10 सालों बाद इस […]

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नेक चंद का रॉक गार्डन - चंडीगढ़ नेक चंद का रॉक गार्डन चंडीगढ़ की सबसे खूबसूरत और प्रसिद्ध जगह है। मैं बचपन में बहुत बार वहां पर जा चुकी हूँ। बाद में विद्यार्थी जीवन के दौरान पाठशाला में आयोजित की जाने वाली पिकनिक के समय भी बहुत बार वहां पर जाना होता रहा। लेकिन इस बार मैं लगभग 10 सालों बाद इस गार्डन में गयी हूँ। यह ऐसी जगह है जो इस शहर के लोकाचार को परिभाषित करती है। टूटी हुई कटलरी और कंगन, फेंके हुए इलैक्ट्रिकल पार्ट्स और बेकार टाइल्स, ड्रम और सीमेंट की थैलियाँ, जैसी अनेक बेकार और अनचाही वस्तुओं को विविध प्रकार की कलाकृतियों का रूप देकर उन्हें कला के माध्यम से नया जीवन देकर अमर बनाने का यह बहुत ही अच्छा तरीका है। और अब यह कलात्मक शैली शहर में हर जगह पर, जैसे स्मृतिचिह्नों की दुकानों में और यहां के भित्ति चित्रों में भी धीरे-धीरे दिखाई देने लगी है। यह शैली इतनी तेज़ गति से फैलती जा रही है, कि वह इस शहर में उगती हुई आधुनिकता का रूप बनकर सामने आ रही है।

कभी- कभी इस शहर की स्वच्छता को देखकर लगता है जैसे, यहां पर बेकार और अनचाही वस्तुओं को भी सम्मान से देखा जाता है, जिसके कारण ही उन्हें कलाकृतियों की वस्तुओं में ढाल दिया जाता है। एक तरफ से शहर में स्वच्छता बनाए रखने का यह बढ़िया तरीका है। मैं इस गार्डन में सुबह-सुबह गयी थी और जब मैं वहां पहुंची तो वहां पर मुझे कुछ कर्मी दिखे जो उस गार्डन के परिसर की साफ-सफाई कर रहे थे, जो पहले से ही काफी स्वच्छ दिखाई दे रहा था। इस बात से हम अंदाज़ा लगा सकते हैं कि यहां पर स्वच्छता को कितना महत्व दिया जाता है।

चंडीगढ़ का रॉक गार्डन

टूटे कप प्लेट से बनी मानव कृतियाँ – रॉक गार्डन, चंडीगढ़
टूटे कप प्लेट से बनी मानव कृतियाँ – रॉक गार्डन, चंडीगढ़

पिछले दस सालों में रॉक गार्डन के पहले दो चरणों में कुछ खास बदलाव नहीं हुए हैं। जैसे ही आप इस गार्डन में प्रवेश करते हैं, पीपों के ढेर से बनी दिवार के सामने खड़ा, बड़े-बड़े पत्थरों के ढेर पर भित्ति चित्र की भांति बनाया गया सूचना पट्ट आपका स्वागत करता है। जो इस गार्डन से जुड़ी मूल जानकारी प्रदान करता है। यहां की बहुत सारी बातें ऐसी थी जिन्हें देखकर मेरी पुरानी यादें ताज़ा हो गयी, जब मैं यहां पर अपने परिवार या दोस्तों के साथ आया करती थी। यहां की पत्थरों से बनाई गयी पतली सी गलियाँ, मिट्टी के घड़ों को एक के उपर एक ऐसे रखकर बनाई गयी आकर्षक सी संरचना, अनचाहे टाइल्स से बनी दीवारें, सीमेंट से बनी मूर्तियों के विविध प्रकार और वहां के पतले से छोटे-छोटे दरवाजे सब कुछ वैसा ही था।

बेकार ट्यूब लाइट्स से बनाई गयी दीवार के सामने खड़ी, टूटे हुए कप और तश्तरियों से बनाई गयी मॉडल्स की सेना आपका ध्यान अपनी ओर खिचती है। तथा टूटे हुए काँच के कंगनों से बनाई गयी गुड़िया आपको उनके निर्माता की सादगी और उनकी अप्रतिम प्रतिभा के बारे में सोचने के लिए मजबूर करती हैं। वैसे तो ये दिखने में बहुत साधारण सी लगती हैं, जैसे कि कोई भी छोटा बच्चा उन्हें आसानी से बना सकता हो। लेकिन अगर ध्यान से देखा जाए तो इन्हें बनाने में कड़ी मेहनत, लगन और धैर्य की बहुत जरूरत होती है।

टूटे घड़ों से बने छज्जे – रॉक गार्डन, चंडीगढ़
टूटे घड़ों से बने छज्जे – रॉक गार्डन, चंडीगढ़

इस गार्डन की दीवारों के उपर छोटी-छोटी संरचनाएं हैं, जो अपनी जगह से बाहर झाँकती हुई नज़र आती हैं। यह गार्डन बाहरी दुनिया से बिलकुल अलग है। इसकी अनोखी रचना आगंतुकों को अपनी दुनिया में समा लेती है। इस गार्डन के रख-रखाव को देखकर लगता है, जैसे आप किसी गाँव में आए हैं, जहां के रास्ते बेतरतीब से हैं और कहीं पर भी आपको खुली और सपाट सी जमीन नहीं दिखती। इन सब के बीचो-बीच एक कुंआ भी है जिसे देखकर लगता है कि, कोई अभी-अभी वहां से पानी भरकर गया हो। यहां के पेचीदा से रास्ते पहली बार आए हुए आगंतुकों के लिए हमेशा आश्चर्य से भरे होते हैं। लेकिन जब आप दूसरी बार वहां जाते हैं तो आप वहां पर अपनी पसंदीदा और परिचित सी जगह ढूंढने लगते हैं।

रॉक गार्डन का तीसरा चरण

चंडीगढ़ के रॉक गार्डन का तीसरा चरण
चंडीगढ़ के रॉक गार्डन का तीसरा चरण

रॉक गार्डन का तीसरा चरण यहां का नवीनतम भाग है, जो यहां का सार्वजनिक क्षेत्र है। इस विशाल क्षेत्र में सार्वजनिक समारोहों का आयोजन होता है, तथा बड़े-बड़े घरेलू समारोह, जैसे शादियों का भी आयोजन किया जाता है। यहां पर टूटे हुए टाइल्स से बने हुए भित्ति चित्र से सुसज्जित मंच है, जो इस क्षेत्र के एक कोने में स्थित है। दूसरे कोने में बड़े-बड़े मेहराबों से लटकते हुए झूले स्थित हैं। इस गार्डन के पृष्ठ भाग की दीवार के पास ही खंबों से बनाया गया एक गलियारा है, जिसमें एक मछलीघर भी है, जो उसे और भी आकर्षक बनाता है। रॉक गार्डन का यह भाग सच में बहुत व्यापक है और यह पूरा क्षेत्र बोहेमियान कला से सुसज्जित है। मुझे यहां के भित्ति चित्र बहुत ही सुंदर और आकर्षक लगे। यहां पर तीज का त्योहार बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता, जो कि चंडीगढ़ का प्रसिद्ध त्योहार है। यह सब देखने के बाद मुझे कहीं ना कहीं लगा कि क्यों भारतीय उद्योग परिसंघ (सी.आय.आय.) ने इस जगह को एक उत्तम यात्रा सम्मेलन के तौर पर नहीं चुना। मैं चंडीगढ़ में सी.आय.आय. के निमंत्रण पर पर्यटन महोत्सव पर अपने विचार रखने गयी थी।

नेक चंद – चंडीगढ़ के रॉक गार्डन के निर्माता

नए चरण का ऑडिटोरियम – रॉक गार्डन, चंडीगढ़
नए चरण का ऑडिटोरियम – रॉक गार्डन, चंडीगढ़

चंडीगढ़ के रॉक गार्डन के निर्माता नेक चंद जी की कहानी भी इस गार्डन की तरह बहुत ही दिलचस्प है। नेक चंद जी मूलतः पाकिस्तान के हैं और भारत-पाक विभाजन के समय वे भारत में आए थे। वे स्वयं ही मलबे से छोटे-छोटे टुकड़े एकत्रित करके उन्हें विविध प्रकार के आकार देने का काम किया करते थे। धीरे-धीरे यह बात फैलती गयी और जब तक लोगों को उनकी कला और कलाकृतियों के बारे में पता चला, तब तक वे 2000 से भी अधिक मूर्तियाँ बना चुके थे। यह सिर्फ चंडीगढ़ में ही हो सकता है, कि यहां का प्रशासन किसी व्यक्ति के कार्य के ज्यादा महत्व देकर, उसकी प्रतिभा को पहचाने तथा उनके द्वारा बनाए गए गार्डन को शहर के महत्वपूर्ण स्थल के रूप में अपनाए और उसे एक नयी पहचान दे। 1976 में इस गार्डन का आधिकारिक तौर पर उद्घाटन होने के बाद यह रॉक गार्डन धीरे शीरे अपनी प्रगति और विकास की ओर बढ़ता रहा। वह नए-नए प्रकार की कलाकृतियों का निर्माण करता गया। धीरे-धीरे यह स्थानीय लोगों और पर्यटकों की पसंदीदा जगह बन गयी। इसका फैलाव भी धीरे- धीरे बढ़ता गया, जैसे कि यहां पर एक झरना बनाया गया तथा विभिन्न समारोहों के आयोजन के लिए एक खास जगह भी बनवाई गयी।

नेक चंद जी की बहुत सी रचनाएँ अब दुनिया भर के प्रमुख संग्रहालयों का भाग बन गयी हैं। जिस छोटी सी कुटिया से उन्होंने रॉक गार्डन की यात्रा शुरू की थी वह आज भी वैसी ही है। नेक चंद जी को भारत सरकार द्वारा बहुत सारे पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया है। आज भी जब मैं उस गार्डन में गयी थी, तो उनसे मेरी मुलाक़ात नहीं हो पायी। लेकिन मेरी यही आशा है कि कभी मुझे उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलने का मौका मिले।

पर्यावरण हितैषी गार्डन

बिजली के सामान से बनी दीवारें – रॉक गार्डन, चंडीगढ़
बिजली के सामान से बनी दीवारें – रॉक गार्डन, चंडीगढ़

इस गार्डन में एक सूचना पट्ट लगाया गया है, जो आपको बताता है कि यह गार्डन पूर्ण रूप से पर्यावरण के अनुकूल बनवाया गया है। यहां पर बारिश के पानी का संचयन करने की सुविधा भी है। इसके अलावा यहां पर बहने वाले झरनों के लिए भी रिसाइकल किए हुए पानी का इस्तेमाल किया जाता है।

यह सब देखकर मुझे लगा कि भारत में पहले सबकुछ पर्यावरण के अनुकूल ही हुआ करता था। लेकिन धीरे-धीरे मनुष्य अपनी तृष्णा पूर्ति के लिए इस पर्यावरण का नाश करता गया। जिसके कारण आज हमे समझदारी से पर्यावरण हितैषी बनने पर मजबूर किया जाता है।

चंडीगढ़ का रॉक गार्डन बहुत ही सुंदर और अप्रतिम है। अगर आपने अभी तक यह जगह नहीं देखी है, तो कभी यहां पर जरूर जाइए।

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