यात्रा सुझाव Archives - Inditales श्रेष्ठ यात्रा ब्लॉग Sat, 10 Aug 2024 15:47:26 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.2 एक सुविधा संपन्न व्यवसायिक (Luxury Business) होटल से १० महत्वपूर्ण अपेक्षाएँ https://inditales.com/hindi/5-sitara-hotel-se-apekshayen/ https://inditales.com/hindi/5-sitara-hotel-se-apekshayen/#respond Wed, 29 Jan 2025 02:30:11 +0000 https://inditales.com/hindi/?p=3758

विश्वभर में अनेक कारणों से यात्राएँ की जाती हैं। इन यात्राओं का प्राचीनतम स्वरूप है, व्यवसाय के लिए यात्राएँ करना। जब आप प्राचीन विश्व के व्यापार के विषय में अध्ययन करेंगे तो पायेंगे कि अधिकतर व्यापार मार्गों की सेवाएँ उन व्यापारियों ने लीं थी जो विश्वभर में अपने उत्पाद का विनिमय(trade) करते थे। पुरातन काल […]

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विश्वभर में अनेक कारणों से यात्राएँ की जाती हैं। इन यात्राओं का प्राचीनतम स्वरूप है, व्यवसाय के लिए यात्राएँ करना। जब आप प्राचीन विश्व के व्यापार के विषय में अध्ययन करेंगे तो पायेंगे कि अधिकतर व्यापार मार्गों की सेवाएँ उन व्यापारियों ने लीं थी जो विश्वभर में अपने उत्पाद का विनिमय(trade) करते थे। पुरातन काल से लेकर २१वीं सदी तक के यात्रा उद्योग आंकड़ों में एक बड़ा भाग व्यापार संबंधी यात्राओं का रहा है। यद्यपि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में आनंद के लिए यात्राएं करना अधिक प्रचलित प्रतीत होता है जिसका कारण है, संचार माध्यमों(Social Media) में उपलब्ध भरपूर स्थान जहाँ वे अपने अनुभव सबसे बांटते हैं, तथापि व्यवसायिक यात्राएं (business travels) ही हैं जो व्यवसायिक परिप्रेक्ष्य एवं पर्यटन उद्योग(Travel Industry) का महत्वपूर्ण केंद्र बिंदु है।

अपने Corporate व्यवसाय काल में मेरी अधिकतर यात्राएँ व्यवसाय संबंधी ही होती थीं। इन यात्राओं में मुझे कभी कभी सप्ताहांत अवकाश के अवसर भी मिल जाते थे जिसमें मैं उस स्थान की विशेषताओं की खोज करने निकल पड़ती थी। मुझे जब भी कुछ समय मिलता, मैं वहाँ के इतिहास एवं संस्कृति के विषय में जानने का प्रयास अवश्य करती थी जिससे उस स्थान के विषय में विस्तृत जानकारी एकत्र करने के लिए पुनः वहाँ जाने की आकांक्षा भी उत्पन्न हो जाया करती थी। कालांतर में यात्रा संस्मरण लेखिका(Travel Blogger) बनने के पश्चात मेरी सभी मीडिया यात्राएँ व्यवसायिक यात्राएँ होती हैं जो पर्यटन उद्योग के संयोजन से आयोजित की जाती हैं।

व्यवसायिक यात्राओं एवं आनंद यात्राओं में बहुत भिन्नता होती हैं क्योंकि उनके ध्येय में भिन्नता होती है, उनकी आवश्यकताओं में भिन्नता होती है, इसलिए उनसे अपेक्षाओं में भी भिन्नता होती है। व्यवसायिक यात्राएँ अधिकतर अकेले अथवा सहकर्मियों के साथ की जाती हैं। उस यात्रा से किसी ध्येय की पूर्ती की अपेक्षा होती है। हमें व्यवसाय संबंधी बैठकें(business meetings) आयोजित करनी पड़ती हैं अथवा ऐसी बैठकों में भाग लेना पड़ता है। इसके पश्चात उन पर कार्य करना पड़ता है। अतः हमारी हमारे होटलों से विशेष सेवाओं की अपेक्षा होती है जो हमारे व्यवसायिक यात्रा आवश्यकताओं को पूरा कर सकें। कई ऐसे होटल हैं जो स्वयं को व्यवसायिक होटल(business hotel) के रूप में प्रस्तुत करते हैं। किन्तु उनमें अधिकतर होटल व्यवसायिक तथा अवकाश दोनों यात्रियों को सेवायें देते हैं।

व्यवसायिक यात्रियों के लिए सुविधा संपन्न व्यवसायिक होटल

किसी भी सुसंपन्न व्यवसायिक होटल से मेरी क्या अपेक्षाएं हैं?

त्वरित आगमन/प्रस्थान प्रक्रिया ( Quick Check-In / Check-Outs)

अधिकतर सुसंपन्न होटलों में मैंने देखा है कि उनकी आगमन औपचारिकता बड़ी ही धीमी गति से पूर्ण की जाती है। अनेक अवसरों पर आगमन स्थल(Check In Desk) पर सभी प्रक्रियाएं पूर्ण करने करते मेरे ४५-६० मिनट तक व्यतीत हो गए। हमें वहाँ पहुँच कर अपनी बैठकों अथवा सम्मेलनों में तुरंत पहुँचना होता है, जिसके लिए हमें अपने कक्ष में जाकर, बैठक के लिए सज्ज होकर तुरंत निकलने की आतुरता रहती है। उस समय जब होटल के कर्मचारी आगमन प्रक्रिया में विलम्ब करें अथवा हमारा सामान कक्ष में पहुंचाने में देरी करें तो चिढ़चिढ़ाहट हो जाती है।

होटल छोड़ते समय भी यही होता है। यदि सभी प्रक्रियाएं त्वरित गति से पूर्ण ना की जाएँ तो बहुत विलम्ब हो जाता है। व्यवसायिक यात्राओं में बहुधा हमारे पास समय की कमी रहती है। ऐसे में हम अपना एवं अपने नियुक्ता का मूल्यवान समय गँवा देते हैं।

यदि अवकाश में आनंद के लिए यात्रा की जा रही हो तो हमारी एक भिन्न मनःस्थिति होती है। तब कदाचित मैं यह विलम्ब सहन भी कर लूं। किन्तु व्यवसायिक यात्रा में यह समय का दुरुपयोग ही कहलायेगा।

विस्तृत स्वच्छ प्रकाशित मेज(Large Clean & Well-Lit Desk)

जब कोई होटल स्वयं को व्यवसायिक होटल के रूप में प्रस्तुत करता है तो उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि उनके कक्ष में एक बड़ा, स्वच्छ और पर्याप्त रूप से प्रकाशित मेज होना आवश्यक है। स्वच्छ से मेरा अभिप्राय धूल आदि नहीं है, वह तो वैसे भी नहीं होनी चाहिए। स्वच्छ से मेरा अभिप्राय है कि मेज पर अनावश्यक वस्तुएं नहीं होनी चाहिए, जैसे टोकरी, पुष्पगुच्छ आदि। मुझे मेज पर अपने लैपटॉप के साथ साथ अपने सभी इलेक्ट्रोनिक यंत्र रखने के लिए स्थान चाहिए होता है ताकि मैं उन्हें सुविधाजनक रूप से चार्ज कर सकूं तथा उन पर कार्य भी कर सकूं।

अपने व्यवसायिक यात्रा में सभी अनेक इलेक्ट्रोनिक उपकरण लेकर जाते हैं। इसलिए उन्हें चार्ज करने के लिए मेज के निकट बिजली के पर्याप्त खटके(charging points) भी होने आवश्यक हैं।

कई अवसरों पर हमें अपने कक्ष में बैठकर ही ऑनलाइन रूप से बैठक अथवा सम्मलेन में भी भाग लेना पड़ता है। इसके लिए हमारी मेज विडियो काल के लिए भी सज्ज होनी चाहिए। इसके लिए पर्याप्त प्रकाश आवश्यक है। अच्छी ध्वनिकी(acoustics) अपेक्षित है, अर्थात् कक्ष में हमारा स्वर गूंजना नहीं चाहिए। यदि मेज से ही कक्ष के बाहर Do Not Disturb का खटका दबा सकें तो उत्तम।

उच्च गति इन्टरनेट सेवा(Wi-Fi)

यदि होटल अत्यंत विस्तृत स्वरूप का है तो बहुधा दूर स्थित कक्षों में इन्टरनेट सुविधाओं के लिए कष्ट उठाना पड़ता है। कभी-कभार मोबाइल फोन का सिग्नल भी नहीं पहुँचता है। व्यवसायिक होटल में यह अत्यंत आवश्यक है कि प्रत्येक कक्ष में इन्टरनेट एवं मोबाइल फोन सेवायें उत्तम स्तर की हों। एक व्यवसायिक होटल में कक्ष स्तर पर Internet Router होना आवश्यक है। यह किसी भी व्यवसायिक यात्री की महत्वपूर्ण आवश्यकता है।

कभी कभी कुछ सामान्य होटलों में निम्न गति की इन्टरनेट सेवायें निःशुल्क उपलब्ध होती हैं तथा उच्च गति की सेवाओं के लिए अतिरिक्त शुल्क देना पड़ता है। किन्तु व्यवसायिक होटलों में उच्च गति की विश्वसनीय इन्टरनेट सेवायें स्वाभाविक रूप से सबके लिए उपलब्ध होनी चाहिए।

व्यक्तिगत बैठक क्षेत्र(Private Meeting Spaces

व्यवसायिक होटल में अनेक व्यक्तिगत सुविधासंपन्न बैठक कक्ष होने चाहिए जिनकी क्षमता २-३ लोगों से लेकर एक छोटे सम्मलेन कक्ष(conference rooms) तक होनी चाहिए। व्यवसायिक कारणों से यात्रा करने वाले यात्री सीमित समय का सदुपयोग करते हुए अधिक से अधिक लोगों से बैठकें करना चाहते हैं। इसीलिए भिन्न भिन्न समूहों के साथ एक ही स्थान पर क्रमवार बैठकों के आयोजन से समय का सदुपयोग हो सकता है। इसमें इन सुविधासंपन्न बैठक कक्षों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

यदि ऐसे बैठक कक्ष होटल के भीतर ही आसानी से उपलब्ध हो जाएँ तो इससे होटलों को भी लाभ होता है। वे अतिरिक्त शुल्क ले सकते हैं। साथ ही बैठक में सम्मिलित लोग जलपान आदि की भी सेवायें वहीं से लेना अधिक सुविधाजनक मानते हैं।

एकल व्यक्ति भोजन(Single Person Meals

मेरे जैसे अनेक व्यवसायिक यात्री हैं जो व्यवसाय के लिए अकेले यात्राएँ करते हैं। इसलिए बहुधा होटल कक्ष में ही भोजन करना चाहते हैं। किन्तु दिया गया भोजन बहुधा एक व्यक्ति की आवश्यकताओं से कहीं अधिक होता है। हम सदा इस दुविधा में होते हैं कि भोजन का अपव्यय ना हो, इसके लिए क्या किया जाए। इसलिए कई बार हम आवश्यकता से कम भोजन मंगाते हैं। व्यवसायिक बैठकों में एकाध बार हम होटल के स्वादिष्ट व्यंजनों के विस्तृत भोज का आनंद अवश्य ले सकते हैं किन्तु अधिकाँश दिनों में हम सादा पौष्टिक भोजन खाना चाहते हैं जैसा हम घरों में खाते हैं। अपनी यात्रा में अधिकतर समय मैं ऐसा सुपाच्य आहार चाहती हूँ जिसकी मात्रा भी एकल व्यक्ति के अनुरूप हो।

मैं समझती हूँ कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए भोजन की आवश्यक मात्रा भिन्न हो सकती है। पुरुषों की आवश्यक भोजन मात्रा बहुधा स्त्रियों की अपेक्षा अधिक होती है। मेरी अभिलाषा है कि ऐसे व्यवसायिक होटलों के भोजन कक्ष के संचालक अपनी रचनात्मकता एवं अभिनवता का सदुपयोग करते हुए ऐसी व्यंजन सूची तैयार करें जो सुपाच्य एवं पौष्टिक हों, साथ ही भोजन का अपव्यय ना हो। मैंने कई बार उनसे अनुरोध किया है कि वे भोजन की कम मात्रा भेजें, किन्तु वे सदा उनकी निर्धारित मात्रा ही भेजते हैं। उनका सदा एक ही उत्तर होता है, आपको जितना खाना हो आप खाईये, शेष छोड़ दीजिये। किन्तु मेरा कहना है कि हम सब को मिलकर भोजन का अपव्यय रोकना होगा।

इसके लिए होटल संगठनों को सकारात्मक भूमिका निभाते हुए यात्रियों की आवश्यकताओं को समझना चाहिए ताकि भोजन का सदुपयोग हो। वैसे भी भारतीय संस्कृति में अन्न को देवता माना जाता है जिसका अनादर हम नहीं कर सकते।

और पढ़ें: एक सुसंपन्न(Luxury) होटल से मेरी १३ अपेक्षाएं

परिधान पर इस्त्री करने की सुविधा(Ironing Services

यदि हमें होटल में अधिक समय रुकना है तभी हमें धोबी की सेवाओं की आवश्यकता पड़ती है। अन्यथा व्यापारिक यात्राओं में बहुधा हमारा पड़ाव २-३ दिवसों का होता है। किन्तु हमें अपने परिधानों पर इस्त्री करने की आवश्यकता पड़ती ही है क्योंकि पेटी अथवा बैग में रखने के कारण हमारे वस्त्रों की इस्त्री नष्ट हो जाती है।

अधिकतर व्यवसायिक होटलों के कक्ष में एक इस्त्री एवं इस्त्री करने की मेज दी जाती है। किन्तु मुझ जैसी महिला यात्रियों के लिए उस मेज को ऊँचे खूंटे से निकालकर खटके तक लाना तथा इस्त्री से अपने औपचारिक पहनावे पर इस्त्री करना किंचित कष्टकर हो जाता है। मैं तो यही चाहूंगी कि कोई अतिरिक्त शुल्क पर मेरे परिधान पर इस्त्री कर मुझे समय पर लाकर दे दे। यह मेरे समय एवं परिश्रम का सदुपयोग होगा।

पुनरावृत्त ग्राहकों का सम्मान(Value your Repeat Customers)

यदि कोई व्यवसायिक यात्री पुनः पुनः एक ही नगर की यात्रा करता है तो वह बहुधा एक ही क्षेत्र के एक चयनित होटल में रहना चाहता है। ऐसा करने से उसे अपने निवास से दूर एक दूसरे निवास का आभास होता है। किन्तु अधिकतर होटल की बुकिंग प्रक्रिया में ऐसे ग्राहकों की पुनरावृत्त तथा विश्वसनीय ग्राहक के रूप में कोई विशेष पहचान नहीं रखी जाती। होटल प्रबंधन ऐसे ग्राहकों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं की सूची रखकर उन्हें व्यक्तिगत सेवायें उपलब्ध करा सकते हैं। उनके द्वारा ऐसा करना ग्राहकों को भावविभोर कर देता है कि एक अपरिचित नगर में भी उनकी देखभाल करने वाला कोई है।

जैसे मैं कॉफी नहीं पीती तथा चाय में भी मुझे मसाला चाय ही भाती है। व्यवस्था कर्मचारियों को मुझे पुनः पुनः यह समझाना पड़ता है कि वे मेरे कक्ष में कॉफी के पूड़े ना रखे। उनके स्थान पर मुझे मसाला चाय के ही पूड़े दें। किन्तु वे कभी भी अपनी नियमित नियमावली से टस से मस नहीं होते। यदि ध्यान रखकर वे मेरे आने से पूर्व ही यह छोटा सा परिवर्तन मेरे कक्ष में करें तो मुझे अभिनंदित प्रतीत होगा तथा मेरे समय एवं उर्जा की बचत होगी।

अपने ग्राहक से प्रगाढ़ व्यवसायिक संबंध बनाने के लिए वे उनकी छोटी छोटी आवश्यकताओं को पूर्ण करते हुए, उन्हें अभिनंदित, मूल्यवान एवं घर जैसा अनुभव प्रदान कर सकते हैं। इसे कहेंगे सुअवसर का सोना करना। वर्तमान काल के तकनीकी युग की पारदर्शी परत को अपने एवं अपने विश्वसनीय ग्राहकों के मध्य स्थित भावनाओं को नष्ट ना करने दें।

व्यवसायिक यात्रियों के लिए पृथक तल(Separate Floor for Business Travelers)

यदि कोई होटल व्यवसायिक एवं अवकाश, दोनों  यात्रियों को सेवायें प्रदान करता है तो उन्हें पृथक पृथक तलों में कक्ष प्रदान किये जाने चाहिए। अवकाशीय यात्री आनंद के लिए यात्रा करते हैं। बहुधा उनके साथ उनके बच्चे भी होते हैं। वहीं व्यवसायिक यात्री अपने कक्ष में कार्यरत होते हैं जिसके लिए उन्हें शांतता की आवश्यकता होती है। अतः दोनों प्रकार के यात्री एक दूसरे की आवश्यकताओं व आनंद में बाधा ना डालें, इसके लिए उन्हें भिन्न भिन्न तलों में कक्ष उपलब्ध किये जाने चाहिए।

बाहर से आने वाले यात्रियों के लिए देशीय दूरभाष सुविधा(Phone for Inbound Travelers)

विदेश से आये यात्रियों को भारत आकर यहाँ का SIM Card लेना पड़ता है ताकि वे देशीय शुल्क पर लोगों को फोन कर सकें। किन्तु उन्हें भारत आकर नया SIM Card लेने के लिए बहुत समय एवं कई दस्तावेज लगते हैं। मुझे स्मरण है, सिंगापूर के एक होटल ने मुझे वहाँ पहुंचते ही सिंगापूर का एक सज्ज मोबाइल फोन दिया था जिसे मैं अपने सम्पूर्ण आतिथ्य काल में उपयोग कर सकती थी। वह मेरे लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुआ था। उसके द्वारा मैं स्थानीय शुल्क पर सिंगापूर में कहीं भी फोन कर सकती थी। साथ ही मेरा मोबाइल डाटा भी सक्रिय रहा। इसका शुल्क मेरे होटल शुल्क में ही सम्मिलित था।

मेरा विश्वास कीजिये, यह किसी भी होटल द्वारा अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों को प्रदत्त सर्वोत्तम सुविधाओं में से एक होता है। विदेश जाने पर यह सुविधा अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध होती है।

और पढ़ें: भारत में सर्वोत्तम सुविधा-संपन्न अनुभव

व्यवसायिक अवसरों का निर्माण(Create Business opportunities)

यदि आप केवल व्यवसायिक यात्रियों को सेवायें प्रदान करते हैं तो आप अपने होटल में ऐसे स्थलों की संरचना करें जहाँ आपके होटल के अतिथि एक दूसरे से भेंट कर सकें, अपने व्यवसायों के विषय में चर्चा कर सकें। जैसे एक छोटा सा पुस्तकालय, विश्राम कक्ष(lounge), छत पर भोजन व्यवस्था इत्यादि। कौन जाने, इससे कदाचित उनके लिए अनेक नवीन व्यवसायिक अवसर उत्पन्न हो जाएँ, जैसे Medici Effect

सर्वोत्तम व्यावसायिक होटल(How to Choose the Right Business Hotel?)

अवस्थिति( Location)

किसी भी व्यवसायिक होटल के चुनाव में उसकी अवस्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। अधिकाँश महानगरों में यातायात संकुलन(traffic congestion) की बड़ी समस्या है, विशेषतः कार्यालयीन समय में(peak office hours)। अतः आपका होटल अपने कार्यालय अथवा अपने ग्राहक के कार्यालय के समीप होना चाहिए। इससे आपके बहुमूल्य समय का अपव्यय नहीं होगा।

यदि आपका कार्यक्षेत्र नगर से बहुत दूर स्थित है, जैसे बड़े कारखाने, तो उन कारखानों के समीप ही किसी होटल का चुनाव करें। वहीं, यदि आपको प्रातः शीघ्र अथवा रात्रि में विमान द्वारा यात्रा करनी हो तो विमानतल के समीप के किसी होटल का चयन उत्तम होगा।

वर्तमान तकनीकी युग में आप अपने होटल एवं अन्य सुविधाओं का चुनाव ऑनलाइन ही कर सकते हैं। यदि आपको स्थानीय परिवहन की आवश्यकता हो तो उसकी भी पूर्व जानकारी आप ऑनलाइन लेकर रख सकते हैं। यहाँ तक कि आप अपने वाहन अथवा टैक्सी की पूर्व बुकिंग भी कर सकते हैं। मुझे स्मरण है, एक अवसर पर मैं द्वारका के एक होटल में ठहरी थी जो नगर से केवल ४-५ किलोमीटर बाहर स्थित था। किन्तु मुझे स्थानीय परिवहन के लिए बहुत कष्ट उठाने पड़े थे, विशेषतः प्रातःकाल तथा संध्या के समय।

सेवायें एवं सुविधाएं(Services & Facilities)

एक व्यवसायिक यात्री होने के नाते होटल में उपलब्ध सभी सेवाओं एवं सुविधाओं की पूर्व जानकारी प्राप्त कर लें।

  • मेरे लिए विमानतल से होटल तक लाने-छोड़ने की सुविधा महत्वपूर्ण है। इसका शुल्क होटल के शुल्क में सम्मिलित होना चाहिए।
  • मुझे यात्रायें करना, उस स्थान के विषय में जानना, देखना अत्यंत भाता है। इसलिए मेरा यह प्रयास होता है कि कार्य के साथ साथ मैं उस नगर की कुछ विशेषताओं के भी दर्शन कर सकूँ। यदि आपका होटल स्थानीय भ्रमण की सुविधा प्रदान करता है अथवा उसके आयोजन में आपकी सहायता करता है तो यह मेरे अनुसार एक उत्तम सुविधा होती है।
  • कुछ स्वास्थ्यवर्धक सुविधाएं भी उपलब्ध होनी चाहिए। इसके लिए कुछ लोगों की Gym तथा तरणताल(swimming pool) की माँग होती है तो मेरे जैसे कुछ लोगों को योग कक्ष तथा पदयात्रा पथ चाहिए।
  • विश्वसनीय इन्टरनेट सुविधाएं
  • मित्रवत कर्मचारी जो आपकी आवश्यकताओं को सुनें व समझें।

आप अपने व्यवसायिक होटल से क्या अपेक्षा रखते हैं?

अनुवाद: मधुमिता ताम्हणे

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उत्तम स्वास्थ्य – एक सफल यात्रा का मूल मंत्र https://inditales.com/hindi/swasthya-evam-yatra-ka-santulan/ https://inditales.com/hindi/swasthya-evam-yatra-ka-santulan/#respond Wed, 30 Oct 2024 02:30:41 +0000 https://inditales.com/hindi/?p=3708

मैं यात्राएं करती हूँ तथा उन पर अपने संस्मरण लिख कर उन्हें प्रकाशित करती हूँ। अनेक लोग मुझसे प्रश्न करते हैं कि मैं यात्राएं करने हेतु मूल आवश्यक तत्व, धन कैसे अर्जित करती हूँ। उन के लिए मेरा उत्तर है कि यात्रा के लिए धन अवश्य आवश्यक है, किन्तु एक सफल यात्रा के लिए सर्वाधिक […]

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मैं यात्राएं करती हूँ तथा उन पर अपने संस्मरण लिख कर उन्हें प्रकाशित करती हूँ। अनेक लोग मुझसे प्रश्न करते हैं कि मैं यात्राएं करने हेतु मूल आवश्यक तत्व, धन कैसे अर्जित करती हूँ। उन के लिए मेरा उत्तर है कि यात्रा के लिए धन अवश्य आवश्यक है, किन्तु एक सफल यात्रा के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण तत्व है, उत्तम स्वास्थ्य। अनेक वर्षों से मैं उत्तम स्वास्थ्य की आवश्यकता पर यह संस्करण लिखना चाहती थी। अंततः मुझे इसका अवसर उस समय प्राप्त हुआ जब मैं अपने कार्यक्षेत्र से एक स्वास्थ्य विराम पर थी। उत्तम स्वास्थ्य पर संस्करण लिखने के लिए इससे उपयुक्त समय अन्य नहीं हो सकता था, जब मैं स्वयं स्वास्थ्य लाभ ले रही थी।

यात्रा और स्वास्थ्य
यात्रा और स्वास्थ्य

आप सब यह जानते ही हैं कि एक सफल व सुखमय यात्रा के लिए उत्तम स्वास्थ्य अत्यावश्यक है। इसके लिए हमें किन किन नियमों का पालन करना चाहिए, यहाँ उस पर चर्चा करेंगे।

इसके अतिरिक्त, एक यात्रा आपके स्वास्थ्य के लिए वरदान सिद्ध होगी अथवा अभिशाप, इस पर भी चिंतन व मनन अत्यंत आवश्यक है। यात्राओं में किन किन तथ्यों पर लक्ष्य केन्द्रित करने की आवश्यकता है, किन किन सावधानियों का पालन करना चाहिए, इस पर भी चर्चा आवश्यक है। यात्राएं वरदान अथवा अभिशाप कैसे बन जाती हैं, आईये इस पर कुछ प्रकाश डालते हैं।

यात्राएं स्वास्थ्यवर्धक होती हैं। यात्राएं हमारा तनाव कम करने में सहायक होती हैं। यात्राएं हमें अवसर प्रदान करती हैं कि हम प्रकृति के सानिध्य में आनंदमय क्षण व्यतीत कर सकें, अपने परिजनों, मित्र-बांधवों से भेंट कर सकें अथवा स्वयं को आध्यात्मिक, प्राकृतिक अथवा शांति के कुछ क्षण दे सकें। ये हमारी उर्जा को पुनर्जीवित कर देती है। यात्राएं हमारे मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी तो होती ही हैं, साथ ही ज्ञानवर्धक होती हैं।

यात्रा स्वास्थ्य – जीवन के दो परस्पर निर्भर व आवश्यक तत्व

कहावत है कि किसी भी तत्व की अत्यधिकता हानिकारक हो सकती है। यात्राएं भी उनमें से एक है। चाहे कार्य निमित्त यात्राएं हो अथवा आनंद, पारिवारिक हों अथवा एकल, यात्राएं अपने स्वास्थ्य पर सकारात्मक के साथ नकारात्मक प्रभाव भी डालती हैं।

शरीर पर यात्राओं का प्रभाव

अधिकतर यात्राएं शारीरिक क्रियाकलाप होते हैं। आप एक स्थान से दूसरे स्थान की दूरी पार करते हैं, एक तापमान को लांघकर दूसरे तापमान पर पहुंचते हैं, एक मौसम से दूसरे मौसम पर जाते हैं तथा एक ऊँचाई से दूसरी ऊँचाई में छलांग लगाते हैं। इनके अतिरिक्त खाने का स्वाद परिवर्तित होता है, घाट घाट के पेयजल में अंतर होता है, कभी कभी देश के बाहर जाने पर समय क्षेत्र में भी परिवर्तन आता है। देश के बाहर ही क्यों? देश के भीतर भी, भारत के पश्चिमी तट से उत्तर–पूर्वी क्षेत्रों में जाएँ तो भले ही घड़ी में समय समान हो, किन्तु दोनों क्षेत्रों के भौगोलिक समयचक्र में अंतर होता है। इन सब के कारण शारीरिक समयचक्र तो प्रभावित होता ही है, मानसिक स्तर पर भी संतुलन बनाए रखना आवश्यक हो जाता है।

आप अपने दैनिक नियमों में कितना भी अनुशासित हों तथा यात्राओं में भी उनका पालन करने का भरसक प्रयास करते हों, किन्तु यात्राएं प्रत्येक चरण में आपके अनुशासित जीवनशैली को चुनौती देती प्रतीत होती हैं। एक सामान्य यात्री के रूप में आप कितना ही आनंदमय, सुखकर अथवा विलास पूर्ण यात्रा कर लें, यात्राएं आपको अनेक प्रकार से थका देती हैं। मैं कुछ उदहारण देना चाहती हूँ,

अनिद्रा अथवा निद्रा में बाधाएं

प्रातः ४ बजे की हवाई उड़ान भरनी हो तो मध्य रात्रि लगभग २ बजे घर से निकलना पड़ता है, विमानतल में भिन्न भिन्न लम्बी कतारों में खड़े होना पड़ता है तथा हवाई जहाज में अपनी कुर्सी के सीमित स्थान से सामंजस्य साधना पड़ता है। रात्रि की स्वास्थ्यवर्धक निद्रा की बलि तो चढ़ गयी, दूसरे दिन भी यात्रा कार्यक्रमों के चलते रात्रि से पूर्व निद्रा पाना संभव नहीं होता है।

आप अनेक ऐसे गंतव्यों का भ्रमण करते हैं जो सूर्योदय दर्शन के लिए लोकप्रिय होते हैं। कुछ समुद्र तटीय अथवा ऊँचे पर्वतीय गंतव्यों को छोड़कर अधिकांशतः ऐसे स्थानों पर आपका आश्रय सूर्योदय दर्शन स्थल से दूर होता है। अतः सूर्योदय के दर्शन के लिए आपको प्रातः अतिशीघ्र होटल से निकलना पड़ता है। उस रात्रि की निद्रा भी भंग हो जाती है। मुझे स्मरण है, हम इंडोनेशिया के जावा प्रान्त में स्थित बोरोबुदूर मंदिर के दर्शन हेतु कि प्रातः ३ बजे होटल से बाहर निकल गए थे, ताकि प्रातः ४ बजे मंदिर पहुँच सकें। सीढ़ियों तक तो हम लगभग अन्धकार में चलते हुए ही पहुंचे थे। जब हमने सीढ़ियाँ चढ़नी आरम्भ की, हमें सूर्य की प्रथम किरण के दर्शन हुए। बोरोबुदूर मंदिर से सूर्योदय दर्शन अद्वितीय है, इसमें शंका नहीं है, किन्तु यह आनंद निद्रा की आहुति चाहता है।

यात्रा नियम का अर्थ है, कोई नियम नहीं! 

जब हम घर पर होते हैं, तब समय पर पौष्टिक भोजन करना हमारा प्राथमिक नियम होता है। यात्राएं आपके दैनिक दिनचर्या के लिए अत्यंत निष्ठुर हो सकती हैं। जब आप एक समय क्षेत्र से दूसरे समय क्षेत्र में जाते हैं, जैसे आप भारत से अमेरिका जाते हैं, तब कुछ दिवसों के लिए आपकी शारीरिक गतिविधियाँ भ्रमित हो जाती हैं।

अपने स्वयं के समय क्षेत्र में भी, यात्राओं के समय बहुधा समय पर भोजन करना संभव नहीं होता है। कभी आप दूर-सुदूर किसी स्थान का अवलोकन कर रहे हों जहां भोजन की सुविधाएं उपलब्ध ना हों अथवा प्रातः काल शीघ्र निकलकर कोई जंगल सफारी कर रहे हों, किसी अच्छे जलपान गृह तक पहुँचते पहुँचते आप भूख से व्याकुल हो सकते हैं। दूर-सुदूर स्थानों पर आप भोजन साथ ले जा सकते हैं, किन्तु जंगल सफारी में उसकी भी अनुमति नहीं होती है।

पैदल चलना – पर्यटन स्थलों की एक आवश्यकता

यात्राओं एवं दर्शनीय स्थलों के अवलोकन के लिए पैदल चलना अत्यंत आवश्यक होता है। आप चाहे कितनी ही विलास पूर्ण यात्रा कर लें अथवा कितने ही वैभव सम्पूर्ण अतिथिगृहों में आश्रय लें, विभिन्न पर्यटन गंतव्यों तक पहुँचने के लिए आपको कभी पैदल चलना पड़ेगा तो कभी चढ़ाई चढ़नी पड़ेगी। मैं जब जयपुर एवं आसपास के स्थलों के भ्रमण पर थी, मैंने अत्यंत सुखमय यात्रा की थी। स्थानीय भ्रमण के लिए मेरे पास चालक सहित एक सुविधाजनक कार भी थी। हम भरी दुपहरी में भानगढ़ दुर्ग पहुंचे थे। उस दुर्ग का विहंगम दृश्य प्राप्त करने के लिए हमें तपती दुपहरी में दुर्ग की सम्पूर्ण लम्बाई चलकर पार करनी पड़ी, तीव्र ढलान पर चढ़ना पडा तथा ऊँची ऊँची सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ी। कार तक वापिस पहुंचते तक मैंने उष्ण वातावरण में लगभग ३ किलोमीटर की दूरी पैदल पार की थी।

नेपाल में लुम्बिनी के दर्शन के समय मैं प्रातःकाल वहां पहुँची थी। सुखमय वातावरण देख मैंने सायकल रिक्शा भाड़े पर नहीं ली। यह मेरी भारी भूल सिद्ध हुई। लुम्बिनी बाग में प्रवेश करना आसान था किन्तु समूचे स्थल का अवलोकन करते हुए सम्पूर्ण दिवस व्यतीत हो गया था। होटल वापिस पहुंचते तक मैंने लगभग १९ किलोमीटर पैदल यात्रा कर ली थी। मेरे पैरों ने मेरा साथ लगभग छोड़ ही दिया था।

जॉर्डन में पेट्रा भ्रमण के समय प्राचीन गुलाबी नगरी के सपूर्ण अवलोकन के लिए मुझे १५ किलोमीटर चलना पड़ा था। वह भी तब, जब मैंने मठ तक की चढ़ाई खच्चर पर की थी। जी हां, कुछ स्थानों पर मैं ऊंट अथवा ऊंट गाड़ी की सवारी कर सकती थी किन्तु उससे इस अप्रतिम प्राचीन नगरी की सूक्ष्मताओं को पास से निहारने का अद्वितीय अवसर छूट जाता। बदूईन के मधुर संगीत का श्रवण संभव ना हो पाता।

लोकप्रिय पर्यटन गंतव्य प्रमुख नगरों से सुविधाजनक परिवहन साधनों के द्वारा जुड़े होते हैं। ऐसे पर्यटन स्थलों पर उत्तम पर्यटन संसाधन भी उपलब्ध होते हैं। किन्तु ऐसे स्थानों पर दूसरे प्रकार के उत्पीड़न होते हैं। जैसे, यदि आप ताजमहल का अवलोकन करना चाहते हैं तथा आप अतिविशिष्ट अतिथि हैं तो आपको किसी भी प्रकार के कष्ट का सामना नहीं करना पड़ेगा। अन्यथा, आपको लम्बी पंक्ति में खड़ा होना पड़ सकता है, भीड़ से जूझना पड़ सकता है तथा दूर तक पैदल चलना पड़ सकता है।

द्वारका के द्वारकाधीश मंदिर तक पहुँचने के लिए भी अनेक सुविधाजनक पर्याय उपलब्ध हैं। फिर भी आपको कुछ दूर पैदल चलना पड़ता है तथा चढ़ना-उतरना पड़ता है। अतः अपने स्वास्थ्य के अनुसार गंतव्य का चयन करें तथा यात्रा पर निकलने से पूर्व अपनी सहनशीलता को उसके अनुकूल बनाने के लिए अभ्यास करें।

धैर्य व सहनशक्ति

मैं यहाँ रोमांचक क्रीड़ाओं एवं क्रियाकलापों में आवश्यक धैर्य एवं सहनशक्ति की ओर संकेत नहीं कर रही हूँ। नवम्बर मास में जब मैंने ब्रिटिश कोलंबिया का भ्रमण किया था, उस समय ३० घंटों की समयावधि में मैं उष्ण प्रकृति के गोवा से हिमाच्छादित व्हिस्टलर पहुँच गयी थी। दूसरे ही दिवस मैं व्हिस्टलर में जिपलाइनिंग नामक क्रीड़ा कर रही थी जिसमें मुझे हिमाच्छादित पर्वतों के मध्य तथा शीत ऋतु में जमी हुई नदियों के ऊपर बंधे तार पर लटक कर नदी पार करनी थी। एक ओर मेरा शरीर इस तीव्र शीत वातावरण से अभ्यस्त हो ही रहा था, मैं हिमनदी के ऊपर तार से लटक रही थी।

किशोरावस्था एवं युवावस्था में हमारा शरीर उर्जावान एवं शक्ति से परिपूर्ण होता है। उसमें सहनशक्ति भी अधिक होती है। मैंने भी अपनी युवावस्था में अनेक रोमांचक यात्राएं की हैं। पर्याप्त निद्रा के बिना कई दिवसों तक भ्रमण किया है। किन्तु आयु के ४० वर्ष बीतने के पश्चात मैंने अपनी गति धीमी कर दी है। आयु के अनुसार मनःस्थिति एवं गंतव्यों के चयन में भी परिवर्तन आ जाता है। अब मुझे सुविधाजनक व सुखद विश्राम भाता है। किसी भी पर्यटन स्थल को पर्याप्त समय लेकर, सूक्ष्मता से व आत्मीयता की भावना से अवलोकन करना भाता है।

धीमी गति से पर्याप्त समय लेकर यात्रा करना सदैव सर्वोत्तम है। किन्तु सभी व्यवसाय के रूप में यात्राएं नहीं करते हैं। उनके पास पर्यटन स्थलों का सूक्ष्मता से अवलोकन करने के लिए पर्याप्त समय भी नहीं होता है। वे सिमित समयावधि में अनेक स्थलों का भ्रमण करते हैं। इसका उनके मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अतः अपने मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य के अनुसार भ्रमण की गति एवं क्रियाकलाप निश्चित करें। आप अधिक आनंद पायेंगे।

भोजन – क्या खाएं, क्या ना खाएं?

‘मुझे भिन्न भिन्न प्रकार का भोजन अत्यंत प्रिय है’, ऐसा कहना वर्तमान काल में आधुनिकता का प्रतीक माना जाता है। लोग अत्यंत गर्व से कहते हैं कि वे केवल खाने के लिए यात्राएं कर सकते हैं। इसके विपरीत, यात्राओं के समय मैं सादे भोजन को प्राथमिकता देती हूँ। इससे मेरा शरीर चपल रहता है तथा अपच इत्यादि की आशंका कम रहती है।

आप भिन्न भिन्न प्रकार का भोजन खाना चाहें अथवा सादा भोजन, नवीन स्थल, नवीन जल तथा नवीन प्रकार की भोजन शैली के लिए हमारी पाचन शक्ति को अभ्यस्त होने में समय लगता है। हमारी ड्रेस्डेन यात्रा के समय हमारे गुट में केवल मैं ही एकमात्र शाकाहारी थी। शाकाहारी होने के कारण मेरे भोजन को पनीर, चीस इत्यादि से सज्ज किया जा रहा था। अकस्मात् इतनी अधिक मात्रा में पनीर व चीज खाने के पश्चात मेरी पाचन प्रणाली ने हाथ खड़े कर दिए। मुझे विशेषतः पनीर व चीज इत्यादि से रहित भोजन के लिए आग्रह करना पड़ा था। भोजन अत्यंत स्वादिष्ट था, इसमें शंका कदापि नहीं है, किन्तु मेरी पाचन प्रणाली नियमित रूप से इतनी मात्रा में चीज पचाने के लिए अभ्यस्त नहीं थी। मैं यह नहीं कहना चाहती हूँ कि आप भिन्न भिन्न भोजन ना चखें। अवश्य चखें। आपकी पाचन प्रणाली भिन्न भिन्न भोजन पचाने के लिए सक्षम होती है किन्तु प्रत्येक की पाचन सीमा भिन्न होती है। अपनी पाचन प्रणाली के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए विभिन्न प्रयोग करें।

यदि आपकी यात्रा का मुख्य उद्देश्य ही उस क्षेत्र के खान-पान, वहाँ के व्यंजन व पाककला को जानना व उनका का आनंद उठाना है तो अपनी पाचन प्रणाली के स्वास्थ्य के प्रति सजग रह कर उन व्यंजनों का आस्वाद अवश्य लीजिये.

यात्रा – एक मानसिक क्रियाकलाप       

यात्रा केवल शारीरिक कार्यकलाप नहीं है। यात्राएं शारीरिक श्रम कम, मानसिक परिश्रम अधिक है, यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी। यह परिश्रम अपनी यात्रा को सीमित समयावधि में नियोजित करने से आरम्भ होता है। सम्पूर्ण योजना को निर्धारित समय एवं निधि के भीतर सिमित करते हुए पूर्व-नियोजन करना पड़ता है। यात्रा व भ्रमण के समय विभिन्न स्थलों का अवलोकन करना, उनकी सूक्षमताओं को ढूंढना, देखना, समझना, नवीन वातावरण में स्वयं को ढालने का प्रयास करना, उनका आनंद उठाना इत्यादि कार्यकलापों में भी मानसिक परिश्रम होता है। यहाँ तक कि दिवस भर के भ्रमण के पश्चात एक नवीन स्थान में रात्रि का विश्राम करना, यह सब आनंद के साथ साथ मानसिक थकान भी उत्पन्न करता है। कभी कभी भाषा की अनभिज्ञता, नवीन स्थल की अनकही असुरक्षितता व अनिश्चितता भी मन को थका सकती है। अतः, यात्रा से पूर्व शरीर के साथ साथ मन की भी पूर्व तैयारी आवश्यक है। इसके लिए अपने गंतव्य के सभी आयामों का सूक्ष्मता से अध्ययन करें. तत्पश्चात आवश्यकतानुसार पूर्व तैयारी कर यात्रा पर निकलें.

संस्करण के अंत में यह कह सकती हूँ कि यात्रा करने के लिए न्यूनतम आवश्यकता है, उत्तम शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य। यदि आपको मेरी यात्रा शैली के अनुसार यात्रा करना भाता है तो उत्तम स्वास्थ्य पाने के लिए यात्राओं को प्रेरणा स्त्रोत मानें। स्वयं को शारीरिक व मानसिक रूप से उर्जावान व स्वस्थ बनाएं ताकि आप यात्राओं में आती भिन्न भिन्न परिस्थितियों का सामना कर सकें तथा आनंद प्राप्त कर सकें।

स्वस्थ रहें! भरपूर यात्राएं करें!

अनुवाद: मधुमिता ताम्हणे

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प्राथमिक पर्वतारोहण प्रशिक्षण – पर्वत पर चढ़ना सीखें https://inditales.com/hindi/parvatarohan-prashikshan-ki-sampooran-jankari/ https://inditales.com/hindi/parvatarohan-prashikshan-ki-sampooran-jankari/#respond Wed, 29 May 2024 02:30:07 +0000 https://inditales.com/hindi/?p=3616

प्राथमिक पर्वतारोहण प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के अंतर्गत क्या क्या सिखाया जाता है? पर्वतारोहण सीखने के इच्छुक मेरे पाठक साथी मेरे अनुभव से कुछ लाभ ले सकते हैं। “जीवन या तो साहसपूर्ण रोमांचक कृत्यों से परिपूर्ण हो अथवा कुछ ना हो।” – हेलेन केलर पर्वतों की भव्य सुन्दरता प्रत्येक प्रकृति प्रेमी के लिए आनंद का स्त्रोत होती […]

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प्राथमिक पर्वतारोहण प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के अंतर्गत क्या क्या सिखाया जाता है? पर्वतारोहण सीखने के इच्छुक मेरे पाठक साथी मेरे अनुभव से कुछ लाभ ले सकते हैं।

“जीवन या तो साहसपूर्ण रोमांचक कृत्यों से परिपूर्ण हो अथवा कुछ ना हो।” – हेलेन केलर

पर्वतों की भव्य सुन्दरता प्रत्येक प्रकृति प्रेमी के लिए आनंद का स्त्रोत होती है। आधुनिक जनजीवन के प्रदूषणों से विरहित प्रकृति की रम्यता जो पर्वतीय क्षेत्रों में पायी जाती है वो हमारे जीवन में नवीन आशाओं एवं नवीन आयामों को जन्म देती हैं। गत कुछ वर्षों में हमने देखा है कि कई पर्वतारोहण प्रशिक्षण संस्थानों एवं पर्वतारोहण अभियानों के उद्भव से अब अनेक पर्वतारोहण प्रेमी ऊँचे पर्वतों की चढ़ाई कर रहे हैं।

कई पर्वतारोहण मार्ग ऐसे होते हैं जो पूर्णतः अथवा अंशतः यथोचित पर्वतारोहण तकनीक की जानकारी एवं प्रशिक्षण की अपेक्षा रखते हैं। ऐसे मार्गों पर पर्वतारोहण के लिए यह आवश्यक है कि पर्वतारोही को सभी आवश्यक पर्वतारोहण उपकरणों एवं दुर्गम ऊँचे क्षेत्रों में उत्तरजीविता कौशल व संघर्ष क्षमता का पूर्ण ज्ञान हो। कठिन पर्वत शिखरों पर चढ़ने के लिए आरंभिक मूलभूत प्रशिक्षण प्राप्त करना न्यूनतम आवश्यकता है। इसे प्राप्त करने के लिए प्राथमिक पर्वतारोहण पाठ्यक्रम (BMC- Basic Mounteineering Course) निश्चित ही प्रथम सोपान है।

प्राथमिक पर्वतारोहण प्रशिक्षण
प्राथमिक पर्वतारोहण प्रशिक्षण

मुझे पर्वत सदा से ही प्रिय रहे हैं तथा उन पर चढ़ना मुझे अत्यंत रोमांचित करता रहा है। महाराष्ट्र में सह्याद्री पर्वतश्रंखलाओं पर अनेक छोटे-बड़े  पर्वतारोहण अभियानों तथा विशाल हिमालय पर्वतश्रंखला पर कुछ ऊँचाई वाले रोहण अभियानों को सफलता पूर्वक पूर्ण करने के पश्चात मेरे मन में यह विचार कौंधा कि क्यों ना पर्वतारोहण की अपनी इस रूचि को एक स्तर अधिक उंचा किया जाए!

हिमाचल प्रदेश के मनाली नगर में स्थित अटल बिहारी बाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान एवं सम्बद्ध खेल (ABVIMAS) में २६ दिवसीय प्राथमिक पर्वतारोहण पाठ्यक्रम के लिए अक्टूबर २०२२ में मैंने अपना नामांकन पंजीकृत किया।

प्राथमिक पर्वतारोहण प्रशिक्षण पाठ्यक्रम

ऊँचे पर्वतों पर चढ़ने की अभिलाषा हो तो यह प्राथमिक पर्वतारोहण प्रशिक्षण एक दक्ष पर्वतारोहक बनने का प्रथम चरण है। यह आपको चट्टानों पर चढ़ने, चट्टानी एवं बर्फीली सतहों पर रोहण कौशल्य प्राप्त करने तथा  उत्तरजीविता कौशल व संघर्ष क्षमता प्राप्त करने में सहायता करता है। यह पाठ्यक्रम हिमनदों, ऊँची पर्वत श्रंखलाओं एवं प्रथमोपचार के विषय में मूलभूत जानकारी प्रदान करता है।

प्राथमिक पर्वतारोहण प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के अंतर्गत आपको वो सभी मूलभूत प्रशिक्षण दिए जायेंगे जिनकी जानकारी किसी भी पर्वतारोहण अभियान से पूर्व आपको होनी चाहिए। मौसम एवं जलवायु को समझना, मानचित्रों को पढ़ना, पर्वतारोहण से संबंधित सभी पारिभाषिक शब्द एवं चिन्ह, पर्वतारोहण उपकरणों एवं उनकी कार्यप्रणालियाँ, पर्वतों पर चढ़ना एवं पर्वतीय क्षेत्रों में चलना, पर्वतारोहण के लिए व्यक्तिगत आवश्यक सामान बांधना, ऐसे अनेक विषयों पर यहाँ प्रशिक्षण व जानकारी दी जाती है।

यदि किसी पर्वतारोहक को इस प्रकार के बाह्य क्रियाकलापों में अपना व्यवसाय करना हो अथवा ऊँचे पर्वतों पर पर्वतारोहण दल का नेतृत्व आदि करना हो तो उसे पर्वतारोहण में उच्च प्रशिक्षण प्राप्त करना होगा। यदि कोई यह सोचे कि प्राथमिक पर्वतारोहण प्रशिक्षण केवल मनोरंजन के लिए है, केवल रोमांच के लिए है अथवा पर्वतों की चढ़ाई आसान है तो वे अपने निर्णय पर पुनः विचार करें। यह एक अत्यंत गंभीर प्रशिक्षण है जिसमें आपकी पूर्ण श्रद्धा होनी चाहिए।

भारत में प्राथमिक पर्वतारोहण प्रशिक्षण कहाँ दिया जाता है?

भारत में कुछ सरकारी मान्यता प्राप्त पर्वतारोहण प्रशिक्षण संस्थान हैं जहाँ से आप प्राथमिक प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं। वे हैं:

  • नेहरु पर्वतारोहण संस्थान (Nehru Institute of Mountaineering, NIM), उत्तरकाशी, उत्तराखंड।
  • हिमालय पर्वतारोहण संस्थान (Himalayan Mountaineering Institute, HMI), दार्जीलिंग, पश्चिम बंगाल।
  • अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण एवं सम्बद्ध खेल संस्थान (Atal Bihari Vajpeyi Institute of Mountaineering and Allied Sports, ABVIMAS), मनाली हिमाचल प्रदेश।
  • राष्ट्रीय पर्वतारोहण एवं रोमांचक खेल संस्थान (National Institute of Mountaineering and Adventure Sports, NIMAS), दिरांग, अरुणांचल प्रदेश।
  • जवाहर पर्वतारोहण एवं शीतकालीन खेल संस्थान (Jawahar Institute of Mountaineering and Winter Sports), पहलगाम, जम्मू-कश्मीर।

नेहरु पर्वतारोहण संस्थान एवं हिमालय पर्वतारोहण संस्थान, भारत के प्रतिष्ठित व ख्यातिप्राप्त पर्वतारोहण प्रशिक्षण संस्थान हैं। मुझे बताया गया कि यहाँ प्रवेश प्राप्त करने के लिए प्रशिक्षणार्थियों की सूची इतनी लम्बी होती है कि प्रवेश प्राप्त करने के लिए २ वर्षों तक की प्रतीक्षा करनी पड़ जाती है। अन्य संस्थानों में प्रतीक्षा काल अपेक्षकृत कम है।

प्रशिक्षण शुल्क कितना है?

प्रत्येक पर्वतारोहण प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षण शुल्क भिन्न है। यह शुल्क १८,००० रुपयों से लेकर २३,००० रुपयों तक हो सकता है। यही शुल्क विदेशी प्रशिषणार्थियों के लिए भिन्न हैं। यदि आप को राष्ट्रीय कैडेट कोर NCC अथवा भारतीय सशस्त्र बालों से प्रायोजित किया गया है तो आपको वित्तीय छूट प्रदान की जायेगी अथवा प्रशिक्षण निशुल्क भी हो सकता है।

यह प्रशिक्षण कौन कौन प्राप्त कर सकते हैं?

जो भी व्यक्ति शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ है तथा उसकी आयु १६ से ४५ वर्ष के मध्य है, वह इस प्रशिक्षण के लिए आवेदन कर सकता है। कुछ संस्थानों में ऊपरी आयु सीमा ४० वर्ष भी होती है।

आवेदन कैसे करें?

उपरिक्त सभी संस्थानें ऑनलाइन विधि द्वारा आवेदन स्वीकार करते हैं। आप संस्थान में भेंट देकर भी वहीं इस पाठ्यक्रम के लिए अपना आवेदन भर सकते हैं। आवेदन पत्र के साथ आपका स्वास्थ्य प्रमाणपत्र आवश्यक है जो यह सिद्ध करता है कि आप इस पाठ्यक्रम के लिए योग्य हैं।

इस प्रशिक्षण के लिए कैसे तैयारी करें?

यह प्राथमिक पर्वतारोहण प्रशिक्षण भले ही एक मूलभूत पाठ्यक्रम है किन्तु शारीरिक स्वास्थ्य के सन्दर्भ में इस पाठ्यक्रम की आपसे अपेक्षाएं अत्यंत कठोर हैं। यह पाठ्यक्रम प्रत्येक दिवस आपकी शारीरिक शक्ति की नित नवीन परीक्षा लेगा तथा मानसिक स्तर पर विविध प्रकार के तनाव सहने की क्षमता को परखेगा।

पर्वतारोहण प्रशिक्षण संस्थान में प्रवेश से पूर्व ३ से ६ मास की पूर्व तैयारी करनी चाहिए। आप जितनी अधिक पूर्व तैयारी करेंगे, इस पाठ्यक्रम में उतना ही उत्तम आपका प्रशिक्षण होगा। दार्जिलिंग स्थित हिमालय पर्वतारोहण संस्थान यह पाठ्यक्रम आरम्भ करने से पूर्व १२ सप्ताह के कसरत की विस्तृत समयसारिणी प्रस्तावित करती है जो उनके वेबस्थल पर उपलब्ध है।

कृत्रिम दीवार पर पर्वतारोहण का प्रशिक्षण
कृत्रिम दीवार पर पर्वतारोहण का प्रशिक्षण

सम्पूर्ण पाठ्यक्रम की अवधि में प्रशिक्षकों की सूक्ष्म दृष्टि आप पर होती है जो आपके स्वास्थ्य एवं शक्ति का लेखा-जोखा रखते हैं। इस प्रशिक्षण में शारीरिक स्वास्थ्य का सतत मूल्यांकन किया जाता है। अतः इस पाठ्यक्रम में प्रवेश से पूर्व अपने शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य की गुणवत्ता भलीभांति जांच लें।

शारीरिक सहनशक्ति का स्तर उत्तम रखने के लिए ३० मिनटों में ५ किलोमीटर तक दौड़ने की क्षमता प्राप्त करना आवश्यक है। शारीरिक सहनशक्ति के साथ मांसपेशियों की आतंरिक शक्ति भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। पाठ्यक्रम काल में आपसे अपेक्षा की जायेगी कि आप अपना थैला, जो कि १५-२० किलो भारी होगा, आप स्वयं उठायें तथा सीधी ढलान पर घंटों चढ़ाई करें। शारीरिक सहनशक्ति का स्तर बढ़ाने के लिए आपको भारी सामान उठाकर चलना होगा।

प्राथमिक पर्वतारोहण प्रशिक्षण एवं पर्वतारोहण के लिए आवश्यक मानसिक सहनशक्ति

अंत में मैं आपको स्मरण करा दूं कि पर्वतारोहण प्रशिक्षण एवं पर्वतारोहण के लिए शारीरिक सहनशक्ति की माँग केवल ३०% होती है। मानसिक सहनशक्ति की आवश्यकता ७०% होती है। आप जितना भी अधिक प्रशिक्षण ले लें, इस पाठ्यक्रम में आपके धैर्य की परीक्षा अनवरत होती रहेगी। अनेक अवसरों पर आपके मस्तिष्क में इस पाठ्यक्रम को छोड़ देने के विचार उत्पन्न होंगे किन्तु सभी प्रकार की परिस्थितियों में अपना मानसिक संतुलन बनाएं रखें।

अपने अनुभव के विषय में कहूँ तो कितने ही दिवस ऐसे होते थे जब मुझे प्रातः उठने के लिए स्वयं की मनःस्थिति से संघर्ष करना पड़ता था। कई क्षण ऐसे होते थे जब मेरा सम्पूर्ण शरीर पीड़ाग्रस्त हो जाता था। अगली एक चट्टान चढ़ पाने की शक्ति शेष नहीं रहती थी अथवा अगला किलोमीटर चलने के लिए पैर धरती पर से उठते नहीं थे। अनेक अवसरों पर मैं स्वयं से प्रश्न करने लगता कि क्या मैंने इस पाठ्यक्रम में प्रवेश लेकर बड़ी चुक तो नहीं कर दी?

सौभाग्य से मेरे प्रशिक्षक को मेरी व्यथा का पूर्ण आभास था। उन्होंने मेरा उत्साहवर्धन किया। मुझे प्रेरित किया कि मैं अपनी सहनशक्ति की सीमाओं को अधिक विस्तृत करूँ। यदि मैंने यह प्राथमिक पर्वतारोहण प्रशिक्षण नहीं लिया होता तो मुझे यह कभी ज्ञात नहीं हो पाता कि मेरी शारीरिक एवं मानसिक सहनशक्ति की सीमा कितनी विस्तृत है। मैंने सीखा कि “हम अपनी सीमाएं स्वयं विकसित करते हैं तथा हम स्वयं के विषय में जितना आँकते हैं, हममें उससे कहीं अधिक सहनशक्ति होती है”।

प्राथमिक पर्वतारोहण प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के लिए क्या साथ ले जाएँ?

सभी प्रशिक्षण संस्थान पर्वतारोहण सम्बन्धी विविध उपकरण स्वयं उपलब्ध कराते करते हैं, जैसे पर्वतारोहण थैला, बर्फ को काटने वाली कुल्हाड़ी, बर्फ में उपयोगी बूट, जैकेट जैसे ऊनी वस्त्र, पात्र, रस्सी, सुरक्षा जाली, गोफन, हेलमेट, धातु कि कड़ियाँ, रिंग अथवा लूप, तेज वायु से सुरक्षा प्रदान करते वस्त्र, पीठ का थैला, शयन बस्ता, अस्तर, चटाई, टखने के लिए चमड़े का सुरक्षा कवच, काँटा आदि।

सभी पर्वतारोहण प्रशिक्षण संस्थान आपको उन वस्तुओं की सूची प्रदान करते हैं जिन्हें आपको अपने साथ ले जाना चाहिए। यह सूची आप उनके वेबस्थल पर देख सकते हैं। अपने अनुभव से मैं यहाँ कुछ वस्तुओं की ओर आपका ध्यान केन्द्रित करना चाहता हूँ:

  • वस्त्र – पर्वतारोहण प्रशिक्षण संस्थान के परिसर में अपने वस्त्र धोने के लिए आपके पास पर्याप्त समय रहेगा किन्तु पर्वतारोहण का प्रशिक्षण करते समय पर्वतों की ऊँचाई पर आपके पास वस्त्र धोने का समय कदापि नहीं होगा। अतः मेरा सुझाव है कि पर्वतारोहण करते समय अपने परिधान का एक अतिरिक्त जोड़ा अपने साथ रखें। पहने हुए वस्त्रों को भी पुनः धारण करना पड़ सकता है। अपने साथ टेलकम पाउडर तथा इत्र आदि रखें।
  • जुते – पर्वतारोहण के लिए भारी टिकाऊ पर्वतारोहण जूते आवश्यक हैं। जुते जलरोधी हों तो अतिउत्तम। प्रातः एवं संध्या कालीन शारीरिक प्रशिक्षण के लिए दौड़ाने वाले जूते रखें क्योंकि भारी पर्वतारोहण जूतों में दौड़ना कठिन होता है। संस्थान के भीतर धारण करने के लिए सुखद चप्पलें रखें। ठोस चट्टानों पर चढ़ाई के प्रशिक्षण के लिए चढ़ाई वाले जूते रखें। कुछ संस्थान ये जूते स्वयं उपलब्ध कराते हैं।
  • भोजन – संस्थान के भीतर भोजन की चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। किन्तु पर्वतों की ऊँचाई पर आप अपने साथ सूखे नाश्ते, सूखे मेवे आदि रखें।
  • औषधि – सभी संस्थानों के भीतर एक चिकित्सक तथा औषधियों की दुकान अवश्य होते हैं। किन्तु आप अपने स्वास्थ्य की आवश्यकताओं के अनुसार अपनी औषधियाँ साथ रखें।
  • इन सब के अतिरिक्त अन्य कुछ वस्तुएं भी हैं जिन्हें आपको अपने साथ रखना चाहिए – बैटरी चलित टॉर्च, मोबाइल फोन आदि चार्ज करने के लिए पॉवर बैंक (20000MAH), ओढ़नी अथवा पगड़ी का कपड़ा, साबुन, प्रसाधन सामग्री आदि।

अपना सामान बांधते समय यह ध्यान रखें कि आपको अपना सामान स्वयं उठाना है। पर्वतारोहण के समय भी अपना थैला स्वयं की पीठ पर ही लादना है। अतः सामान एकत्र करते समय किंचित कंजूसी बरतें। यद्यपि आपका सामान उठाने के लिए आपको कुली की सेवा उपलब्ध कराई जा सकती है तथापि ऐसा करने से आपके अंक काट लिए जाते हैं। पर्वतारोहण करते समय आप अतिरिक्त सामान अपने कक्ष में ही छोड़ दें।

प्राथमिक पर्वतारोहण प्रशिक्षण पाठ्यक्रम की समयसारिणी

यद्यपि प्राथमिक पर्वतारोहण प्रशिक्षण पाठ्यक्रम की वास्तविक अवधि विविध संस्थानों पर निर्भर है तथापि पाठ्यक्रम की औसतन अवधि २४-२८ दिवसों की होती है। इस अवधि को तीन भागों में बाँटा जाता है, चट्टान कौशल्य (rock craft), कोमल-हिम कौशल्य (snow craft) तथा ठोस हिमखंड कौशल्य (ice craft)।

हमारे दल में १४५ प्रशिक्षणणार्थी थे। सामान्यतः एक दल में ७०-८० सहभागी होते हैं किन्तु हमारा दल एक अपवाद था। हमारे दल में हमारे साथ राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC), सीमा सुरक्षा बल (BSF) तथा हिमाचल पोलिस के सदस्य भी सम्मिलित थे।

पर्वतारोहण प्रशिक्षण संस्थान में ठीक वैसे ही अनुशासन का पालन किया जाता है जैसा सशस्त्र बलों के संस्थानों में किया जाता है। किसी भी क्रियाकलाप के लिए निर्धारित समय पर पहुँचना अतिआवश्यक होता है। यदि एक मिनट की भी चूक हो जाए तो उसे अनुशासनहीनता माना जाता है तथा उसके लिए निर्धारित दंड दिया जाता है, जैसे दंड-बैठक लगाना पड़ता है।

पर्वतारोहण प्रशिक्षण पाठ्यक्रम – चट्टान कौशल्य (८-१० दिवस)

पाठ्यक्रम के प्रथम ८-१० दिवस संकुल के भीतर ही प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें भी प्रथम १-२ दिवस हमें पाठ्यक्रम का परिचय दिया जाता है तथा प्रशिक्षकों से हमारा परिचय कराया जाता है। प्रशिक्षणार्थियों को उनके उपकरण दिए जाते हैं जिनका प्रयोग वे पाठ्यक्रम की पूर्ण अवधि में करते हैं। उद्घाटन संभाषण होता है, संग्रहालय का भ्रमण कराया जाता है तथा पर्वतारोहण पर कई ज्ञानवर्धक चलचित्र दिखाए जाते हैं।

चट्टानों की चढ़ाई
चट्टानों की चढ़ाई

दल के सभी सहभागियों को छोटे छोटे गुटों में बाँटा जाता है जिन्हें रोप (Rope) कहा जाता है। प्रत्येक रोप का एक रोप प्रमुख (Rope Leader) होता है। सहभागियों के उपकरण वितरण का संचालन करना तथा प्रशिक्षक से संयोजन करना, ये रोप प्रमुख के उत्तरदायित्व हैं। सम्पूर्ण दल का भी एक प्रमुख अथवा वरिष्ठ होता है जो दैनिक क्रियाकलापों के लिए सभी प्रशिक्षणार्थियों का संयोजन करता है तथा पाठ्यक्रम के दैनन्दिनी आवश्यकताओं का नियोजन करता है।

चट्टान कौशल्य के अंतर्गत ऊँची चट्टानों पर चढ़ना, रस्सी द्वारा सीधी सपाट चट्टान पर चढ़ना, रस्सी पर लटक कर नदी पार करना, जुमर का प्रयोग कर चट्टान पर चढ़ना (jumaring) आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रत्येक संस्थान के समीप प्राकृतिक चट्टानें हैं जहाँ पर चट्टान कौशल्य के लिए प्रशिक्षणार्थियों को ले जाया जाता है।

दैनिक दिनचर्या

अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण एवं सम्बद्ध खेल संस्थान (ABVIMAS) में मेरा प्रत्येक दिवस प्रातः ६ बजे मेरे प्रथम क्रियाकलाप के साथ आरम्भ होता था। मेरा प्रथम क्रियाकलाप था, शारीरिक प्रशिक्षण व्यायाम। इसके अंतर्गत ५ किलोमीटर की दौड़ तथा शारीरिक व्यायाम होते हैं जिनके लिए डेढ़ घंटे का समय लगता था। इसके पश्चात हम प्रातःकालीन जलपान करते थे।

नदी पार करना
नदी पार करना

जलपान के पश्चात लगभग ८:३० बजे हम हमारे दैनिक बाह्य प्रशिक्षण के लिए संस्थान से बाहर चले जाते थे। चट्टान चढ़ाई का क्षेत्र हमारे संस्थान से लगभग ३० मिनट की दूरी पर था। प्रत्येक रोप के साथ उस रोप का एक समर्पित प्रशिक्षक रहता है जो उस रोप के सदस्यों को प्रशिक्षण देता है। दोपहर १-१:३० के मध्य हमारा प्रशिक्षण समाप्त होता था तथा २ बजे तक हम संस्थान वापिस पहुँच जाते थे।

दोपहर के भोजन के पश्चात कुछ क्षण विश्राम करते थे। प्रत्येक दिवस दोपहर ३:०० से ५:०० बजे तक विविध विषयों पर व्याख्यान होते थे। व्याख्यान के विषयों में मौसम एवं जलवायु की समझ, पर्वतारोहण शब्दावली, मूलभूत प्रथमोपचार, पर्वतीय क्षेत्रों के शिष्टाचार, हिम-स्खलन तथा विशालकाय हिमालय की विस्तृत समझ आदि सम्मिलित किये जाते हैं।

संध्या के समय पुनः शारीरिक व्यायाम कराये जाते हैं। बाधा दौड़ होती है जिसमें हमें अनेक बाधाओं को पार कर दौड़ना पड़ता है। इन बाधाओं में ऊँची भित्ति पर चढ़ना, कीचड़ में चलना आदि सम्मिलित हैं। सभी प्रशिक्षणार्थियों को इस प्रशिक्षण के कम से कम तीन चरणों में उत्तीर्ण होना अनिवार्य है।

बर्फ में चलने का प्रशिक्षण
बर्फ में चलने का प्रशिक्षण

बाधा दौड़ के पश्चात संध्या लगभग ७ बजे रस्सी सम्बंधित प्रशिक्षण सत्र होता था। इसमें हमें रस्सी के विभिन्न प्रयोग एवं भिन्न भिन्न प्रकार की गांठें बांधना सिखाया जाता था। रस्सी पर्वतारोहण का सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंग है। पर्वतारोहण में इसका प्रयोग सतत किया जाता है, चाहे रोहण हो अथवा अवरोहण। गाँठ बांधने की तकनीक पर हमारी दो परीक्षाएं भी ली गयीं।

रात्रि ८ से ९ बजे के मध्य हम रात्रि का भोजन करते थे। रात्रि १० बजे हमारे कक्षों की बिजली बंद कर दी जाती थी।

शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण

हमें हमारे लिए क्षण भर का भी समय नहीं मिल पाता था। हमारा सम्पूर्ण दिवस शारीरिक रूप से अत्यंत चुनौतीपूर्ण होता था। प्रत्येक गतिविधि के लिए सदा चौकस रहना पड़ता था। हमारे एक एक क्रियाकलापों पर प्रशिक्षकों की अखंड दृष्टि रहती थी। कोई भी गतिविधि छूट गयी अथवा हम ध्यान केन्द्रित रखने में चूक गए तो इसका प्रभाव हमारे मूल्यांकन पर पड़ सकता था।

एडम्स दिवस – प्रत्येक संस्थान चट्टान कौशल्य सत्र के मध्य सभी प्रशिक्षणार्थियों को एक दिवस छुट्टी प्रदान करती है। इसे एडम्स दिवस कहते हैं। इस दिन कोई भी पर्वतारोहण गतिविधि नहीं की जाती है। हम संस्थान के भीतर अथवा बाहर भ्रमण सकते हैं।

चट्टान कौशल्य सत्र के अंत में हमारी प्रायोगिक परिक्षा ली गयी जिसमें हमें एक प्राकृतिक चट्टान पर चढ़ना था। इस परीक्षा में ना केवल हमारा चट्टान कौशल्य जाँचा गया, अपितु प्रशिक्षक यह भी देख रहे थे कि हम चढ़ने, उतरने अथवा गिरने में सही तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं अथवा नहीं।

कोमल-हिम कौशल्य तथा ठोस हिमखंड कौशल्य (१२-१४ दिवस)

जब हम चट्टान कौशल्य का प्रशिक्षण ले रहे थे तब हमें लगा कि यह सम्पूर्ण सत्र का कठिनतम प्रशिक्षण होगा। हमने कदाचित कठिनतम शब्द को कम आँका था। हम नहीं जानते थे कि उससे भी कठिन प्रशिक्षण हमारी प्रतीक्षा कर रहा है जिसके समक्ष चट्टान कौशल्य प्रशिक्षण वास्तव में एक आनंद था।

कोमल-हिम कौशल्य तथा ठोस हिमखंड कौशल्य का प्रशिक्षण अधिक ऊँचाई के क्षेत्रों में, समुद्र सतह से लगभग १०,०००-११,००० फीट की ऊँचाई पर किया जाता है। प्रत्येक पर्वतारोहण संस्थान प्रशिक्षणार्थियों को अंतिम आधार शिविर (Basecamp) में पहुँचाने से पूर्व १-२ आधार शिविरों में स्थानांतरित करता है।

हम मनाली स्थित अपने पर्वतारोहण संस्थान से ८,५०० फीट की ऊँचाई पर स्थित सोलंग घाटी में लगे हमारे आधार शिविर में पहुंचे। सामान एवं उपकरणों से भरा १५-२० किलो का भारी थैला अपनी पीठ पर लादे हम अनवरत ४ घंटों तक चलते रहे। सोलंग घाटी पहुँचने के पश्चात हमें तम्बू खड़ा करने का प्रशिक्षण दिया गया। ऊँचाई की जलवायु से अभ्यस्त होने के लिए हमें आसपास पदभ्रमण पर ले जाया गया।

सोलंग घाटी से हम बकर्थाच पहुँचे जहाँ हमारा अंतिम आधार शिविर था। १०,५०० फीट की ऊँचाई पर स्थित इस शिविर तक पहुँचने में हमें ५ घंटों का समय लगा। ये दो दिवस हमारे प्रशिक्षण काल के कठिनतम दो दिवस थे। भारी भरकम थैला पीठ पर लाद कर हमने घंटों तक पदयात्रा की।

आधार शिविर

अंतिम आधार शिविर बकर्थाच पहुँचते ही चारों ओर स्थित पर्वत श्रंखलाओं को देख हमारी आँखें थक्क रह गयीं। सम्पूर्ण परिदृश्य ने हमें चकाचौंध कर दिया था। हमने वहीं पर अपना तम्बू खड़ा किया। यह तम्बू अब आगामी १० दिनों के लिए हमारा घर था।

पर्वतों का वास
पर्वतों का वास

कोमल-बर्फ तथा ठोस बर्फ पर पर्वतारोहण कौशल्य अर्जित करने के लिए हमें इनका प्रशिक्षण लेना था,

  • कोमल-बर्फ तथा ठोस बर्फ पर कैसे चलें
  • हिमखंड की सीधी ढलान पर कैसे चढ़ें
  • नीचे गिरने की स्थिति में स्वयं को कैसे रोकें
  • हिमनदों की जानकारी
  • किसी दुर्घटना की स्थिति में अपने सहयोगियों का बचाव कैसे करें
  • ऊँचाई पर बर्फ की कुल्हाड़ी, बर्फ के जूते, क्रेम्पोन आदि पर्वतारोहण उपकरणों का प्रयोग कैसे करें

हमें आनंद था कि ऊँचाई पर शारीरिक व्यायाम नहीं कराये जा रहे थे। हमारा दिवस प्रातः ८ बजे जलपान द्वारा आरम्भ होता थी। हम जलपान कर प्रातः ८:३० तक आधार शिविर से निकल जाते थे तथा लगभग ११,५०० फीट की ऊँचाई पर स्थित हमारे प्रशिक्षण क्षेत्र पर पहुँचते थे। हमारा प्रशिक्षण दोपहर २ बजे समाप्त होता था जिसके पश्चात हम थके-हारे ४ बजे, कभी कभी ५ बजे अपने आधार शिविर पर पहुँचते थे। आधार शिविर पर वापिस पहुँचने के पश्चात हम दोपहर का भोजन करते थे।

प्रत्येक दिवस संध्या के समय मुक्त आकाश के नीचे हमें विविध विषयों पर व्याख्यान दिए जाते थे। पर्वतारोहण बूट एवं क्रेम्पोन कैसे पहनें, स्ट्रेचर कैसे बनाएं, भिन्न भिन्न परिस्थियों में बचाव कार्य कैसे करें, विकट परिस्थिति में स्वयं को कैसे बचाएं, इन विषयों के साथ साथ हिमनदियों की जानकारी, हिम सतहों की जानकारी आदि पर व्याख्यान होते थे।

पर्वत पर ऊँचाई तथा बिना उपकरण रात्रि का अनुभव

कोमल-बर्फ तथा ठोस बर्फ पर पर्वतारोहण प्रशिक्षण के पश्चात हमें अब तक का सर्वाधिक दुर्गम कार्य करना था, पर्वत की ऊँचाई लांघना। हिमाच्छादित पर्वतों पर उच्च ऊँचाई वाले क्षेत्रों का अनुभव प्राप्त करने के लिए हम १०,५०० फीट पर स्थित अपने आधार शिविर से चार घंटे पर्वतारोहण करते हुए १४,५०० फीट की ऊँचाई तक पहुँच गए।

हमें अंतिम पड़ाव तक पहुँचने के लिए समय सीमा प्रदान की गयी थी। समय सीमा का पालन ना करने पर हमारे अंक काट लिए जायेंगे। इसमें एक परीक्षा यह होती है कि कम से कम समय में अधिक से अधिक ऊँचाई लांघने का प्रयास करने पर स्वास्थ्य पर विपरीत परिणाम पड़ सकता है। इस प्रयास में हमारे कुछ सहयोगी अचेत हो गए थे तथा उन्हें तुरंत नीचे ले जाना पड़ा था।

यहाँ एक अन्य परीक्षा हमारी प्रतीक्षा कर रही थी। हमें बिना किसी सहायता के सम्पूर्ण रात्रि मुक्त आकाश के नीचे व्यतीत करना था। हमें भोजन नहीं दिया गया तथा तम्बू अथवा शयन थैली का भी प्रयोग वर्जित था। कोमल-बर्फ तथा ठोस बर्फ पर पर्वतारोहण पाठ्यक्रम का यह एक प्रमुख प्रशिक्षण होता है। किसी भी पर्वतारोहण अभियान में वास्तव में इस प्रकार की परिस्थिति हमारे समक्ष उपस्थित हो सकती है। अतः हमें उस स्थिति के लिए सज्ज रहना चाहिए।

मुक्ताकाश में निद्रा

हमें तम्बू के बाहर खुले आकाश के नीचे सोने के लिए कहा गया। प्लास्टिक की कुछ चादरें दी गयीं। हम आसपास स्थित चट्टान अथवा वृक्ष की सहायता से अपना आश्रय बना सकते थे। भोजन की व्यवस्था भी हमें आसपास की प्रकृति से ही करनी थी। सौभाग्य से उन्होंने हमें कुछ सूखे मेवे तथा सूखे नाश्ते दे दिए थे। अन्यथा हमें भी बेयर ग्रिल्स बनकर प्रकृति में अपना भोजन ढूँढना पड़ता। इस कार्यकलाप का मुख्य उद्देश्य है, पर्वतों पर किसी भी विपरीत परिस्थिति में न्यूनतम उपकरणों एवं मूलभूत सुविधाओं के साथ स्वयं के बचाव का प्रशिक्षण।

हमारे सम्पूर्ण पाठ्यक्रम में मुक्ताकाश में बिना किसी सहायता के रात्रि व्यतीत करने का अनुभव सर्वाधिक आनंददायी था। यह अनुभव अत्यंत सुन्दर तथा सर्वाधिक स्मरणीय था। हमने लकड़ियाँ एकत्र कर आग जलाई तथा गाते-बतियाते आनंदोत्सव मनाया। हमें प्रसन्नता थी कि हमारा कष्टकारी उच्च ऊँचाई पर्वतारोहण प्रशिक्षण अब अंतिम चरण पर पहुँच चुका है। प्रातः उठकर हमें अपने प्रशिक्षण संस्थान के लिए प्रस्थान करना है।

प्रशिक्षण के अंत में हमें एक प्रायोगिक परीक्षा देनी पड़ती है जिसमें हमारे अब तक के पर्वतारोहण ज्ञान का परिक्षण किया जाता है। हमें विभिन्न पर्वतारोहण उपकरणों एवं उनके प्रयोग के विषय में पूछा गया। हमें हिमखंड पर चढ़ाई करने के विभिन्न तकनीकों का प्रदर्शन करने के लिए भी कहा गया।

लिखित परीक्षा – दो दिवस

कोमल-हिम कौशल्य तथा ठोस हिमखंड कौशल्य के प्रशिक्षणों के पश्चात हम अपने आधार शिविर वापिस आये। हम अत्यंत प्रसन्न थे कि हमने अपना प्रशिक्षण सफलता पूर्वक संपन्न किया है। हमने अपने सभी उपकरण वापिस किये जो हमें पर्वतारोहण प्रशिक्षण संस्थान ने प्रदान किये थे। प्रत्येक प्रशिक्षण संस्थान में एक लिखित परीक्षा होती है जिसमें प्रत्येक प्रशिक्षणकर्ता के सैद्धांतिक ज्ञान की परीक्षा ली जाती है।

सभी प्रकार की परीक्षाओं के अंकों का संयोजन कर पाठ्यक्रम के अंत में अंतिम मूल्यांकन किया जाता है। हमारे अंक लिखित एवं प्रायोगिक परीक्षाओं के अतिरिक्त सम्पूर्ण पाठ्यक्रम की अवधि में हमारे व्यवहार एवं आचरण पर भी निर्भर करते हैं। साथ ही हमने किन किन गतिविधियों में भाग लिया, हम शारीरिक रूप से कितने सक्षम थे, आदि तथ्य भी हमारे अंकों को प्रभावित करते हैं।

ग्रेड ‘A’ का अर्थ है कि हमने अडवांस पर्वतारोहण प्रशिक्षण के लिए पात्रता प्राप्त कर ली है। ग्रेड ‘B’ का अर्थ है कि हमने प्राथमिक प्रशिक्षण पूर्ण कर लिया है लेकिन अडवांस पर्वतारोहण प्रशिक्षण के लिए योग्य नहीं है। ग्रेड ‘C’ का अर्थ है कि हम पर्वतारोहण प्रशिक्षण में असफल रहे हैं।

समापन समारोह

सम्पूर्ण पाठ्यक्रम के सर्वाधिक रोमांचकारी क्षण समापन समारोह तथा अंतिम दिवस का अंतिम संबोधन थे। सभी को प्रमाण पत्र एवं पर्वतारोहण बिल्ले प्रदान किये गए। दल के सर्वोत्तम प्रतिभागी के लिए विशेष पुरस्कार था। जिस प्रतिभागी ने प्रशिक्षण क्षेत्र को स्वच्छ रखने में सर्वाधिक योगदान दिया उसे स्वच्छ हिमालय का पुरस्कार प्रदान किया गया। इस समारोह के अंत में सभी प्रतिभागियों ने गीतों एवं नृत्यों द्वारा आनंद व्यक्त किया।

प्राथमिक पर्वतारोहण प्रशिक्षण चुनौतीपूर्ण क्रियाकलाप है जो प्रत्येक चरण में आपकी परीक्षा लेता है। अनेक अवसरों पर ऐसा प्रतीत होता है कि सब कुछ छोड़कर घर वापिस चले जाएँ। प्रत्येक चरण में अपनी सहनशक्ति की सीमारेखाओं को बढ़ाना पड़ता है। मानसिक रूप से भी अत्यंत शक्तिशाली होना पड़ता है।

पर्वतारोहण के प्राथमिक चरण में प्राप्त इस अद्वितीय अनुभव को आप जीवन भर संजो कर रखेंगे। आपका यह अनुभव अविस्मरणीय होगा। इस प्रशिक्षण के लिए मैं आपको अनेक शुभकामनाएं देता हूँ। सम्पूर्ण प्रशिक्षण अवधि के प्रत्येक क्षण का आनंद उठाईये। ऐसे अनुभव जीवन में पुनः प्राप्त नहीं होते हैं।

यह राहुल जाजू द्वारा प्रदत्त एक अतिथि संस्करण है। संस्करण में प्रयुक्त सभी छायाचित्र भी उन्होंने ही प्रदान किये हैं। राहुल जाजू व्यवसाय से चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं तथा कोलकाता के निवासी हैं। एक बहुराष्ट्रीय निगम में ७ वर्ष कार्य करने के पश्चात उन्होंने अपने व्यवसाय से अल्प निवृत्ति ली है। कॉर्पोरेट व्यवसाय को छोड़कर अब वे यात्राएं करते हैं तथा जीवन को अनुभव करते हैं। वे एक उत्साही यात्री हैं। उन्हें समुद्रतटों से अधिक पर्वतीय क्षेत्र भाते हैं।                   

अनुवाद: मधुमिता ताम्हणे

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क्या महिलाओं के लिए यात्राएं सुरक्षित हैं? क्या भारत में अकेले यात्रा करना सुरक्षित है? क्या भारत में अकेले यात्रा करना महिला यात्रियों के लिए सुरक्षित है? क्या यह विश्व अकेले यात्रा करने के लिए सुरक्षित है? विशेषतः महिला यात्रियों के लिए? मैं एक यात्रा ब्लॉगर हूँ। यात्राएं करती रहती हूँ तथा उन पर यात्रा […]

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क्या महिलाओं के लिए यात्राएं सुरक्षित हैं?

क्या भारत में अकेले यात्रा करना सुरक्षित है?

क्या भारत में अकेले यात्रा करना महिला यात्रियों के लिए सुरक्षित है?

क्या यह विश्व अकेले यात्रा करने के लिए सुरक्षित है? विशेषतः महिला यात्रियों के लिए?

मैं एक यात्रा ब्लॉगर हूँ। यात्राएं करती रहती हूँ तथा उन पर यात्रा संस्करण लिखती हूँ। मैं बहुधा अकेले ही यात्रा करती हूँ। इसलिए मैं जब भी इस विषय में किसी से चर्चा करती हूँ या सार्वजनिक सभाओं को संबोधित करती हूँ, तब अनेक लोग मुझसे ऐसे प्रश्न अवश्य पूछते हैं। यह सामान्यतः दूसरा सर्वाधिक पूछा जाने वाला प्रश्न है।

सुरक्षित यात्रा अनुभव के लिए कुछ सुझाव
सुरक्षित यात्रा अनुभव के लिए कुछ सुझाव

सर्वाधिक पूछा जाने वाला प्रश्न है, आप यात्रा संस्करणों से अपनी जीविका कैसे अर्जित करती है? यदि आपको इस प्रश्न का उत्तर चाहिए तो इसमें गूगल आपकी सहायता कर सकता है। जहां तक यात्रा में सुरक्षितता का प्रश्न है, लोगों की विभिन्न धारणाएं हैं जो सामान्यतः उनके सांस्कृतिक परिवेश द्वारा निर्देशित होती हैं।

एकल महिला यात्रियों के लिए सुरक्षित यात्रा पर एक संगोष्ठी

मैंने हैदराबाद में महिलाओं के लिए आयोजित राष्ट्रीय शिखर सम्मलेन, २०१८ में ‘एकल महिला यात्रियों के लिए सुरक्षित यात्रा’ इस विषय पर एक व्याख्यान दिया था। उसी व्याख्यन को आपसे साझा कर रही हूँ।

सुरक्षा के विषय में मेरा यह कहना है कि यह विश्व उतना ही सुरक्षित अथवा असुरक्षित है जितना कि आपका स्वयं का गृहनगर। महिलाओं के प्रति अधिकतर अत्याचार अपरिचित वातावरण की तुलना में उनके अपने परिवेश में अधिक होते हैं। यदि आप आंकड़ों का विश्लेषण करें तो आप स्वयं को उन अपरिचितों के मध्य अधिक सुरक्षित अनुभव करेंगे जिनके पास सामान्य परिस्थितियों में आपको हानि पहुँचाने का कोई प्रयोजन नहीं है। किन्तु दंगों अथवा चरमपंथी गतिविधियों में कोई नियम लागू नहीं होता है।

आंकड़ों के आधार पर ऐसा कहने के पश्चात भी मैं यही कहूंगी कि सावधान व सतर्क रहना सदा ही उतम होता है। यहाँ मैं अपने अनुभव से आपके लिए कुछ व्यवहारिक सुझाव लाई हूँ जो यात्रा के समय आपको सुरक्षित रखने में सहायक हो सकते हैं।

०१  अपने परिवेश में समाहित हो जाएँ

आप जहां भी जाएँ, अपने आसपास के परिवेश से आप जितना अधिक भिन्न देखेंगे अथवा भिन्न कृत्य करेंगे, उतना ही अधिक आप लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करेंगे। उतना ही अधिक संकट के प्रति असुरक्षित होंगे। उतना ही अधिक आप असामाजिक तत्वों की दृष्टि में आयेंगे। जितना अधिक आप अपनी यात्रा गंतव्य एवं वहां के निवासियों के परिवेश में स्वयं को ढाल पायेंगे, उतनी ही आसानी से आप स्थानीय लोगों से जुड़ पायेंगे। यह आपको वहां की संस्कृति एवं परिवेश को समझने में भी सहायक होगा।

अपने गंतव्य के परिवेश में स्वयं को कैसे ढालें? सर्वप्रथम, दृष्टिगत रूप से उनके परिवेश में समाने की चेष्टा करें क्योंकि सर्व प्रथम किसी भी व्यक्ति का बाहरी रूप लोगों को आकर्षित करता है। जितना हो सके, स्थानिकों जैसे परिधानों को धारण करें। यदि वहां के परिधान अत्यंत क्षेत्रीय हैं तो आप ऐसे परिधान धारण करें जिन्हें वैश्विक रूप से मान्यता प्राप्त है।

जब भी आपको इस विषय में शंका हो तो आप ऐसे परिधान धारण करें जो आपको अधिक से अधिक ढंक सके। स्थानिकों के समान वस्त्र धारण करना उन्हें यह भी दर्शाता है कि आप उनके परिवेश में स्वयं को ढलने का प्रयास कर रहे हैं। चाहे वह केवल उस काल के लिए ही क्यों ना हो।

स्थानिकों में समाने के लिए दूसरा सुझाव यह है कि आप उनकी क्षेत्रीय भाषा के कुछ शब्द सीख लें। यह उनके भीतर आपके प्रति विश्वास जागृत करने में अत्यंत सहायक होता है। वे भले ही आपके उच्चारण पर हँसे, किन्तु उन्हें आपको देख अवश्य आनंद होगा कि आप उनकी संस्कृति को जानने का प्रयास कर रहे हैं।

०२ आदर – सुरक्षित यात्रा का एक आपका सर्वोत्तम अस्त्र

आदर तथा सम्मान जादू के समान कार्य करता है। आप जितना आदर व सम्मान दूसरों को देंगे, आप भी उतना ही अधिक आदर व सम्मान पायेंगे। अनेक अवसरों पर ऐसा देखा गया है कि जब शहरी परिवेश से पर्यटक ग्रामीण परिवेश में जाते हैं अथवा विकसित देशों के पर्यटक विकासशील देशों की यात्रा करते हैं तब उनकी भावभंगिमाएं असम्मानजनक हो जाती हैं। आप चाहे जितना मृदु भाषी हो जाएँ, यदि आपकी भावनाएं सकारात्मक ना हों तो आपके हावभाव उनके प्रति आदर व सम्मान का भाव व्यक्त नहीं कर पायेंगे। आपकी यह प्रवृत्ति उनकी दृष्टि में आपको शंका के घेरे में ले आयेंगीं।

मेरे व्यक्तिगत अनुभव के अनुसार, यदि मैं स्थानिकों के प्रति आदर का भाव व्यक्त करूँ तो मैं एक प्रकार से उनके भीतर की संभावित नकारात्मक उर्जा से स्वयं को अवरुद्ध कर रही हूँ।

अनेक अवसरों में मेरे वाहन चालक ही मेरे सर्वोत्तम परिदर्शक (गाइड) सिद्ध हुए। जबकि उनका कार्य केवल वाहन चलाना होता था। ऐसा करने की प्रेरणा उन्हें तभी मिल सकती है जब हम गंतव्य के विषय में उनकी जानकारी का सम्मान करें। उनके साथ आदर का व्यवहार करें।

०३  अपने अंतर्मन की सुनें

आप मानें या ना माने, हमारा अंतर्मन हमें आने वाले संकट का संकेत देता है। उसकी उपेक्षा ना करें, भले ही आपको कुछ ऐसा कार्यकलाप छोड़ना पड़े जिसकी आपको तीव्र अभिलाषा हो। मुझे स्मरण है, मैं कुरुक्षेत्र के ज्योतिसर में दृश्य व ध्वनी कार्यक्रम देखना चाहती थी। जब मैं अपनी एक सखी के संग वहां पहुँची, हमें भीतर से यह तीव्र आभास हुआ कि हमें वहां से तुरंत चले जाना चाहिए। वहां हमारे अतिरिक्त कोई नहीं था तथा वहां का वातावरण भयावह प्रतीत हो रहा था। कार्यक्रम ना देख पाने के कारण हम निराश हो रहे थे किन्तु इसके पश्चात भी हम वापिस अपने होटल आ गए।

आप को जब भी अपने आसपास के वातावरण में अथवा किसी से व्यवहार करते हुए तनाव का तनिक भी आभास हो तो वहां से तुरंत चले जाईये तथा स्वयं को सुरक्षित कीजिये। अन्य आवश्यक औपचारिकताएं अपने घर अथवा होटल पहुँच कर पूर्ण की जा सकती हैं।

०४ संध्याकाल के कार्यक्रमों का सुनियोजन

मैं अपने सभी कार्यक्रम सदा दिन के उजाले में पूर्ण करना चाहती हूँ। मैं प्रातः शीघ्र उठकर अपने भ्रमण कार्यक्रमों का आरम्भ कर देती हूँ। संध्या के पश्चात में इतनी थक जाती हूँ कि विश्रामगृह से बाहर नहीं निकलती। विशेषतः जब मैं अकेले यात्रा पर जाती हूँ तब इसका विशेष रूप से पालन करती हूँ। मैं यह मानती हूँ कि अन्धकार में नकारात्मक उर्जायें अपनी चरम सीमा पर होती हैं। इसीलिए जब तक मेरे साथ कोई विश्वसनीय व्यक्ति अथवा समूह ना हो, मैं अन्धकार के पश्चात मैं होटल में ही रहती हूँ।

मैं यह नहीं कहती कि आप प्रत्येक संध्या के पश्चात कक्ष के भीतर ही रहें, किन्तु गंतव्य के अनुसार विचारपूर्वक भ्रमण का सुनियोजन करें।

मदिरा उतनी ही जितनी आप सहन कर सकें

यह मेरा क्षेत्र नहीं है क्योंकि मैं मदिरा का सेवन नहीं करती हूँ। इसीलिए मुझे यह स्पष्टतः ज्ञात है कि इस विषय में कुछ कहना मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है।

किन्तु मैं यह भी देख रही हूँ कि इन दिनों अनेक नवयुवतियां एकल महिला यात्रियों से प्रेरणा लेकर भ्रमण कर रही हैं। किन्तु वे अपरात्रि मदिरा का आनंद लेने को भी इस भ्रमण का भाग मानती हैं।

यह एक काल्पनिक विवेचना है। ऐसे विचारों एवं विचारकों से दूरी बनाएं। वे स्वयं वास्तव में ऐसा ना भी करते हों, किसी निहित लाभ के चलते वे केवल एक काल्पनिक विश्व आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हों। ऐसे लेखक एक काल्पनिक संकल्पना को कथेतर साहित्य के रूप में आपके समक्ष प्रस्तुत करते हैं। अतः सोच समझ कर अपने निर्णय लें।

०५ अपने ठहरने का स्थान ध्यानपूर्वक चुनें

मेरी एकल यात्राओं में मैं यह सुनिश्चित करती हूँ कि मेरे ठहरने का स्थान, मेरा होटल अथवा विश्रामगृह किसी केंद्रीय स्थान पर हो, सार्वजनिक परिवहन के साधनों तथा अन्य आवश्यक सुविधाओं के समीप हो। ऐसे स्थान बहुधा भीड़भाड़ भरे होते हैं तथा यात्रियों एवं पर्यटकों की ओर सहज होते हैं।

इनके अतिरिक्त ऐसे स्थानों पर पर्यटकों के लिए आवश्यक सभी साधन तथा सुविधाएँ होती हैं। हाँ, यदि आप घर से दूर शांत वातावरण में कुछ दिवस आनंद से व्यतीत करना चाहते हों तो यह सबसे सही समाधान ना हो। किन्तु जब आप अकेले यात्रा कर रहे हों तो मेरे इस सुझाव से आपके समय एवं धन की बचत तो होगी ही, साथ ही आपकी व्यग्रता भी दूर होगी।

यदि मुझे कभी छुट्टियों में शांत स्थान पर कुछ समय आनंद से व्यतीत करने की इच्छा हो तो मैं बहुधा उच्च स्तर के होटलों में ठहरती हूँ जहां सुरक्षा की व्यवस्था एवं अन्य साधन उपलब्ध करना उन होटलों का अन्तर्निहित वैशिष्ट्य होता है। शुल्क में निहित उत्तरदायित्व होता है.

एक आदर्श विश्व में हम कहीं भी कुछ भी करने के लिए स्वतन्त्र हैं। यह आपका चुनाव है कि आप ऐसे विश्व की कल्पना के साकार होने तक की प्रतीक्षा करें या इसी विश्व के अनुसार स्वयं को ढालें ताकि आपकी यात्रा सुरक्षित एवं सुखमय हो। आपकी यात्रा का आनंद भी कम ना हो। मुझे दूसरा सुझाव स्वीकार्य है।

अनुवाद: मधुमिता ताम्हणे

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१० सर्वोत्तम व्यवसाय जो देश विदेश घुमाएं https://inditales.com/hindi/best-professions-to-travel-the-world/ https://inditales.com/hindi/best-professions-to-travel-the-world/#comments Wed, 08 Aug 2018 02:30:41 +0000 https://inditales.com/hindi/?p=848

चूंकि यात्रा संस्मरण लिखना मेरा व्यवसाय है, हर दिन मुझे कई सन्देश प्राप्त होते हैं, जहां प्रेषक मुझसे इस व्यवसाय में सफलता के सुझाव एवं परामर्श पूछे जाते हैं। मैं कभी कभी सोच में पड़ जाती हूँ कि ये प्रेषक क्या वास्तव में यात्रा संस्मरण लिखने में रूचि रखते हैं? निश्चित रूप से नहीं कह […]

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चूंकि यात्रा संस्मरण लिखना मेरा व्यवसाय है, हर दिन मुझे कई सन्देश प्राप्त होते हैं, जहां प्रेषक मुझसे इस व्यवसाय में सफलता के सुझाव एवं परामर्श पूछे जाते हैं। मैं कभी कभी सोच में पड़ जाती हूँ कि ये प्रेषक क्या वास्तव में यात्रा संस्मरण लिखने में रूचि रखते हैं? निश्चित रूप से नहीं कह सकती। क्या वो कम खर्चे में देश-विदेश भ्रमण करने की चाह रखते हैं। ऐसा पूर्णतया संभव है।

दुनिया घुमाते व्यवसाय
दुनिया घुमाते व्यवसाय

जहां तक यात्रा संस्मरण लिखना व उसे अपना व्यवसाय बनाने का प्रश्न है, इस सम्बन्ध में कई साहित्य व पुस्तकें उपलब्ध हैं। मेरी विशेषज्ञता उनसे परे नहीं है। एक बार गूगल कीजिये और आपको सैंकड़ों लेख मिल जायेंगे जो आपको घुमाते घूमते पैसे कमाने के उपाय बताएँगे। इस संस्मरण में चलिए देखते हैं वो दुनिया घुमाते व्यवसाय जो आय के साथ साथ आपको देश-विदेश भ्रमण का अवसर प्रदान कर सकते हैं।

विश्व भ्रमण हेतु यात्रा संस्मरण लिखना ही केवल एकमात्र व्यवसाय नहीं है जो दुनिया घुमाता है। ऐसे कई व्यवसाय संभव हैं जो आपको देश-विदेश भ्रमण का व्यापक अवसर प्रदान कर सकते हैं। मेरी दृष्टी से १० सर्वोत्तम व्यावसायिक अभियान जो आपको भ्रमण के साथ साथ धनार्जन का भी सुअवसर प्रदान करते हैं, इस प्रकार हैं-

१० सर्वोत्तम दुनिया घुमाते व्यवसाय

प्रदर्शन कला एवं कलाकार

हेमा मालिनी - भरतनाट्यम प्रस्तुति
हेमा मालिनी – भरतनाट्यम प्रस्तुति

यदि आप गायन, नृत्य, नाटक, चित्रकारी एवं शिल्पकारी जैसी कला में निपुण हैं तो आपकी कला आपको देश-विदेश का भ्रमण करा सकती है। अब तक जितने कलाकारों से मिलने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ, उन सब ने विश्व भर में अत्यधिक भ्रमण किया है। देश-विदेश के कोने कोने में उन्हें अपनी कला का प्रदर्शन करने का सुअवसर मिला है। हाँ, यह अवश्य है की इसके लिए आपका अपनी कला में विश्व स्तर पर निपुण होना अतिआवश्यक है।

यदि कला प्रदर्शन एवं भ्रमण, दोनों में आपकी रूचि हो तो यह देश-विदेश भ्रमण का उत्तम उपाय है। आप अपनी कला को देश-विदेश के कोने कोने में पहुंचाकर, लोगों का मनोरंजन कर धनार्जन कर सकते हैं। बदले में आपकी कला आपको देश-विदेश का भ्रमण कराएगी।

कुछ अन्य व्यवसायों में निपुणता भी आपको इन कलाकारों के साथ देश-विदेश भ्रमण का सुअवसर प्रदान कर सकते हैं, जैसे साज-श्रृंगार कला, प्रदर्शन प्रबंधन, सहयोगी सम्बद्ध कला इत्यादि में दक्षता।

खेल – दुनिया घुमाते व्यवसाय

देश-विदेश के कुछ महत्त्वपूर्ण खेलों के कुछ महत्वपूर्ण खिलाड़ियों की जीवन शैलियों से आप सब भली भांति अवगत हैं। केवल ये ही नहीं, एक औसतन खिलाड़ी भी खेलने, और यहाँ तक कि, खेलों में निपुणता प्राप्त करने को भी अनेक स्थलों का भ्रमण करते हैं।

विद्यालय में शिक्षण ग्रहण करते हुए मैं टेबल टेनिस का भी प्रशिक्षण प्राप्त कर रही थी। प्रतियोगिताओं में भाग लेने हेतु मैंने भी कई स्थानों का भ्रमण किया था। वर्तमान में मेरे कई मित्र अपने बच्चों को, खेल को व्यवसाय बनाने में सहायता कर रहे हैं। उनसे ज्यादा भ्रमण करते मैंने किसी को नहीं देखा। प्रशिक्षण के आरंभिक काल में आपका सम्पूर्ण घ्यान खेल में निपुणता प्राप्त करने की ओर ही होना चाहिए। खेलजगत में अपनी निपुणता प्रमाणित करने के उपरांत आपको स्वाभाविक ही देश-विदेश का भ्रमण कर प्रतियोगिताओं में भाग लेने का संयोग प्राप्त होगा।

इस विषय में मेरी यह सलाह है कि आप सफल खिलाड़ियों की जीवनियाँ अवश्य पढ़ें। उनके जीवन के संघर्ष एवं कठिनाइयाँ आपको आगे बढ़ने की प्रेरणा अवश्य देंगी। प्रेरणा हेतु आप ‘लॉरेन वीसबर्जर’ द्वारा लिखित काल्पनिक लेख ‘दी सिंगल गेम’ भी पढ़ें।

विमानसेवा कर्मीदल

विमान कर्मीदल - दुनिया घुमाते व्यवसाय
विमान कर्मीदल – दुनिया घुमाते व्यवसाय

उपरोक्त उपशीर्षक से ही स्पष्ट है कि इस दुनिया घुमाते व्यवसाय के अंतर्गत देश-विदेश का भ्रमण निहित है। वेतन के साथ साथ नवीन स्थलों का अनुभव, वह भी बिना किसी खर्चे के! विमानसेवा कर्मीदल के सदस्यों के लिए तो वीसा की भी विशेष व्यवस्था रहती है। सीमित समय सीमा के लिए ही सही, पर कुछ देशों में बिना वीसा के भी प्रवेश की अनुमति विमानसेवा कर्मी को उपलब्ध है। परन्तु ज्यादातर विमान इकाइयों में विमानसेवा कर्मियों के वीसा की समय सीमा अत्यंत सीमित होती है।

इसी तरह के विशेषाधिकार यात्री जहाज एवं व्यापारिक जहाज के कर्मियों को भी उपलब्ध होते हैं।

राजनीति – दुनिया घुमाते व्यवसाय

यदि आप दूरदर्शन खोलकर, उसमें देश-विदेश का समाचार देखें और देश-विदेश के राजनीतिज्ञों का हालचाल जानना चाहें, तो आपको ज्ञात होगा कि मंत्रियों और नेताओं से अधिक कदाचित ही कोई भ्रमण करता होगा। आपके क्षेत्र, जिला, प्रदेश, देश अथवा विदेश के कई नेता व मंत्री अपने क्षेत्र का दौरा करने के लिए अत्यधिक भ्रमण करते हैं। उन्हें कहीं चर्चा में भाग लेने, किसी उदघाटन, अथवा चुनाव प्रचार हेतु कई बार भ्रमण करना पड़ता है।

राजनीति भी दुनिया घुमती है
राजनीति भी दुनिया घुमती है

अपने क्षेत्र की समस्याओं को जानने उन्हें क्षेत्र के कोने कोने में जाकर जनता से भेंट करना पड़ता है। हालांकि ज्यादातर नेता चुनाव के समय ही दर्शन देते हैं। उन्हें क्षेत्र की समस्याओं का निवारण करने हेतु अथवा अन्य नेताओं से औपचारिक भेंट करने के लिए भी भ्रमण की आवश्यकता होती है। कई बार नेता किसी विशेष अभियान हेतु जनादेश एकत्र करने भी देश का भ्रमण करते हैं। हम माने या न माने, राजनीतिज्ञों को अपने क्षेत्र और देश विदेश जाना जी पड़ता है। कभी वोट मांगने तो कभी जनता का प्रतिनिधित्व करने, कभी सांठ गाँठ करने तो कभी चंदा इकठ्ठा करने।

एक यात्रा लेखक के रूप में आज की तिथि में किसी से इर्ष्या होती है तो वो हैं हमारे प्रधान मंत्री जी, जिन्हें देश विदेश घूमने का इतना अवसर मिलता है।

अतिथी सत्कार

आप होटल प्रबंधन का अध्ययन कर, होटल, अतिथिगृह, तारांकित होटल, रिसोर्ट इत्यादि में नौकरी के अवसर प्राप्त कर सकते हैं। आपका अभ्यास एवं अनुभव जितना प्रचुर होगा, उतने उत्तम स्थानों पर आपको कार्य करने का संयोग प्राप्त होगा। कई होटल चेन्स देश-विदेश के कई स्थानों में विद्यमान होते हैं। यहाँ कर्मियों का निरंतर स्थानान्तरण होता रहता है। अन्यथा आप स्वयं भी क्रमशः उत्तमोत्तम होटलों में नवीन कार्य ढूंढ सकते हैं। इस तरह आपको देश-विदेश के भ्रमण, नवीन आश्रयों को देखने एवं कई तरह के लोगों से भेंट करने का संयोग प्राप्त होगा।

हालांकि इस दुनिया घुमाते व्यवसाय में उपयुक्त उत्तम अभ्यास, प्रचुर अनुभव, कड़ी मेहनत एवं हंसमुख व्यक्तित्व की आवश्यकता है। फिर आप उत्तम जीवन शैली एवं नवीन स्थलों का आनंद उठा सकते हैं।

शिक्षा क्षेत्र

शिक्षा, यह शब्द सुनते ही केवल दो ही भ्रमण मन में उभरते हैं। घर से कक्षा एवं कक्षा से घर। है ना? वह चाहे विद्यार्थी हो अथवा शिक्षक, परन्तु यह तथ्य उन पर लागू होता है जो सामान्य जीवन में प्रसन्न हैं। यदि आप उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं, अनुसंधान कार्य में योगदान करना चाहते हैं अथवा अपना शोध एवं अनुभव शिक्षाविदों में बांटना चाहते हैं तो आपके लिए भ्रमण संयोग अवश्य हो सकता है। नवीनतम ज्ञानार्जन करने, सम्मेलनों में भाग लेने, व्याख्यान देने अथवा विभिन्न विश्वविद्यालयों में अध्ययन करने हेतु आपको भ्रमण करने का अवसर मिल सकता है।

शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत कर्मियों को लम्बी छुट्टी का भी सौभाग्य प्राप्त होता है जहां वे स्वेच्छानुसार निजी भ्रमण का आनंद ले सकते हैं।

गाड़ी चालक

यदि आपको सड़कों पर गाड़ी चलाना पसंद हो तो यह व्यवसाय आपको विभिन्न स्थलों का भ्रमण करा सकता है। यदि आप मालवाहक गाड़ी चलाते हैं तो आप पसंदीदा जगहों पर लघु विराम लेकर उस स्थान का आनंद उठा सकते हैं। हालाँकि यह गंतव्य पहुँचने के समय सीमा के भीतर सीमित रहना चाहिए।

मुझे सड़क यात्रा पसंद है। परन्तु वर्तमान में महिलाओं को सड़क यात्रा में कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उनमें मुख्य है शौचालय सुविधाओं की कमी। तथापि विश्वभर में महिलाओं में शनैः शनैः यह व्यवसाय लोकप्रिय हो रहा है।
यह दुनिया घुमाता व्यवसाय ठाठ-बाट विहीन हो सकता है। सामाजिक परिवेशों में यह व्यवसाय शायद आपको बहुत सम्मान न दिला पाए पर जब दुनिया जब दुनियस देखने की लगन हो तो समाज की परवाह किसे है।

फौज – दुनिया घुमाते व्यवसाय

सैन्य बल में सेवा - दुनिया घुमने एक अनोखा साधन
सैन्य बल में सेवा – दुनिया घुमने एक अनोखा साधन

इस वीरता एवं देशभक्ति से परिपूर्ण व्यवसाय में स्थानान्तरण एवं तैनाती नियमित तौर पर होती रहती है। कभी कभी  तो स्थानान्तरण हरियाली एवं प्राकृतिक सुन्दरता से भरपूर ऐसे ऐसे स्थलों पर होता है जो सामान्य जनता के बाध्य से बाहर होता है। देश के कोने कोने से आये हुए फौजियों के बीच रेक कर आपके अनुभव में दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि हो सकती है। कभी कभी कुछ उच्चतर पदों पर कार्यरत अधिकारियों को विदेश भ्रमण का भी अवसर प्राप्त होता है।

भारत भ्रमण कर भारत को जानने का इससे उपयुक्त पथ कोई दूसरा नहीं। अभिमान एवं आदर से परिपूर्ण यह व्यवसाय देशसेवा एवं व्यवसाय के साथ साथ प्रकृति का आनंद भी प्रदान करता है।

फैशन जगत के व्यवसाय

फैशन विशेषज्ञ - दुनिया भर से प्रेरणा लीजिये
फैशन विशेषज्ञ – दुनिया भर से प्रेरणा लीजिये

फैशन एक विश्वव्यापी कला है। डिजिटल माध्यमों से इसकी पकड़ और मजबूत हो गयी है। यह ऐसी कला है जिस पर भिन्न भिन्न कालों एवं स्थलों का प्रभाव निरंतर पड़ता रहता है। ज्यादातर विशेषज्ञ विश्वस्तरीय इकाइयों से जुड़ना पसंद करते हैं। उच्चस्तरीय कल्पना से बने अतिविशिष्ट वेशभूषा एवं साजसज्जा भले ही पश्चिमी देशों ज्यादा लोकप्रिय हों, पर उनका निर्माण ज्यादातर पूर्वी देशों में होता है। संभवतः इसका कारण कारीगरों की निपुणता, उपलब्धता एवं रोजगार की मांग हो। तथापि इसका अर्थ है कि इस उद्योग में संलग्न उद्यमियों को भ्रमण करना अनिवार्य है।

मैंने अनुभव किया है कि इस उद्योग से सम्बंधित कारीगरों, विक्रेताओं एवं वितरकों को देश-विदेश के भ्रमण का अवसर अक्सर प्राप्त होता है। साथ ही फैशन के अनुरूप स्वयं को ढाल कर आकर्षक दिखने का भी सौभाग्य प्राप्त होता है।

प्रधानमन्त्री के पश्चात वे दूसरे महानुभाव जिनके भ्रमण से मुझे इर्ष्या होती है, वे हैं, फैशनविद् वेंडल रोड्रिग्स

छायाकार

छायाकारों की सनक होती है जगह जगह जाकर मनपसंद छायाचित्र खींचना। छायाचित्रों एवं छायाकारों की भिन्न भिन्न शैलियां हो सकती हैं। पत्रकारिता के लेख हेतु छायाकार घटनास्थल का निरिक्षण करने भ्रमण करते हैं। फैशन सम्बंधित छायाकार सुन्दर प्राकृतिक परिप्रेक्ष्य में छायाचित्र खींचने मनोरम स्थलों का भ्रमण करते है।

फोटोग्राफी या छाया चित्रण
फोटोग्राफी या छाया चित्रण

आजकल गंतव्य विवाह या डेस्टिनेशन वेडिंग का प्रचलन है, जहां सम्पूर्ण विवाह समारोह किसी मनोरम आधुनिक स्थल पर आयोजित किया जाता है। स्पष्टतः विवाह समारोह के छायाचित्रिकरण हेतु छायाकारों को भी इन मनोरम स्थलों के भ्रमण का संयोग प्राप्त होता है। इसी तरह प्रकृति एवं पशु-पक्षियों के चित्रीकरण हेतु इन्हें जंगलों एवं संरक्षित बगीचों का भ्रमण करना पड़ता है। अंततः यात्रा संस्मरण लिखने हेतु भी छायाकारों को भिन्न भिन्न पर्यटन स्थलों की यात्रा करनी पड़ती है। इन सब के लिए उन्हें पारिश्रमिक प्राप्त होता है वह अलग!

और पढ़े – यात्रा फोटोग्राफी के लिए कौनसा कैमरा उपयुक्त है?

आज तो सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी अच्छे कैमरे का मालिक होता है। उन सब से ऊपर उठकर छायाचित्रिकरण में महारत प्राप्त करना आसान नहीं। तथापि, यदि आपके छायाचित्र सामान्य से कहीं अधिक सटीक व उत्तम हैं तो सम्पूर्ण धरती आपके समक्ष प्रस्तुत है।

कुछ अन्य दुनिया घुमाते व्यवसाय

मैं सॉफ्टवेर के व्यवसायीयों को भी उपरोक्त सूची में सम्मिलित करना चाहती थी क्योंकि किसी काल में इस व्यवसाय के तहत मैंने बहुत भ्रमण किया था। परन्तु वर्तमान में संगणक एवं वेबजाल के माध्यम से इस व्यवसाय में बहुत विकास हुआ है। अतः इस व्यवसाय में भ्रमण अब उतना नहीं होता है।

विक्री एवं विपणन व्यवसाय में ग्राहक से भेंट हेतु भ्रमण करना पड़ता है। तथापि वर्तमान में दूरसंचार के माध्यमों ने बहुत विकास किया है। अतः इससे विपणन सम्बन्धी भ्रमण में भी कमी आई है।

भूवैज्ञानिक भी अपने अनुसंधान हेतु भ्रमण करते हैं। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का भ्रमण तो अद्वितीय है। परन्तु बहुत कम वैज्ञानिकों को इस संयोग की आवश्यकता होती है।

भ्रमण खर्चा उठाने हेतु उपव्यवसाय

• भ्रमण के समय, अतिरिक्त समय में आप आसपास के लोगों को भाषा का ज्ञान दे सकते हैं। जैसे गाँव में अंग्रेजी शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा इत्यादि से थोड़ी अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं।
• परिदर्शक बन कर साथियों को सम्बंधित जानकारी प्रदान कर सकते हैं।
• विशिष्ठ खेलों में महारत हासिल कर उसका प्रशिक्षण दे सकते हैं।
• पर्यटकों की भीड़ बढ़ने पर होटल अथवा उपहारग्रह में कार्य कर उनका हाथ बंटा सकते हैं।

इन व्यवसायों के अतिरिक्तयदि कोई व्यवसाय आपके ध्यान में आये तो मुझे सूचित कीजिये। मैं उसे इस सूची में अवश्य शामिल करना चाहूंगी।

अनुवाद: मधुमिता ताम्हणे

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कोलकाता के उपहार – बंगाल के १० सर्वोत्तम स्मृतिचिन्ह https://inditales.com/hindi/best-kolkata-souvenirs-shopping-list/ https://inditales.com/hindi/best-kolkata-souvenirs-shopping-list/#comments Wed, 25 Oct 2017 02:30:37 +0000 https://inditales.com/hindi/?p=483

कोलकाता के स्मृतिचिन्ह से मुझे पुराने चलचित्रों का स्मरण हो आया जहां नायक अथवा नायक के पिता को कई बार कोलकाता जाते दिखाया जाता था और आशा की जाती थी कि वह वहां से परिवार के हर सदस्य हेतु उपहार खरीद कर लाये। बंगाल सम्पूर्ण विश्व में कई आकर्षक भेंट वस्तुएं व स्वादिष्ट मिष्ठान हेतु […]

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कोलकाता के उपहार
कोलकाता के उपहार

कोलकाता के स्मृतिचिन्ह से मुझे पुराने चलचित्रों का स्मरण हो आया जहां नायक अथवा नायक के पिता को कई बार कोलकाता जाते दिखाया जाता था और आशा की जाती थी कि वह वहां से परिवार के हर सदस्य हेतु उपहार खरीद कर लाये। बंगाल सम्पूर्ण विश्व में कई आकर्षक भेंट वस्तुएं व स्वादिष्ट मिष्ठान हेतु प्रसिद्ध है। मैंने कई बार बंगाल की यात्रा की। जहां एक ओर मुझे बिश्नुपुर स्थित टेराकोटा मंदिर बहुत पसंद आये, वहीं दोआर अथवा डुआर के जंगल बहुत लुभावने प्रतीत हुए। वहां खाए भिन्न भिन्न मिष्टान्नों का स्मरण होते ही अभी भी मुंह में पानी आ जाता है। बंगाल की हर यात्रा में कोलकाता के विषय में नवीन जानकारी प्राप्त होती है। मेरे पास कोलकाता के कई स्मृतिचिन्ह हैं जिनमें कुछ मैंने अपनी बंगाल यात्रा के समय खरीदा था व कुछ मित्रजनों और परिवारजनों ने उपहार स्वरुप मुझे दिए हैं। मुझे कोलकाता की विशेषताओं व यहाँ उपलब्ध विशेष वस्तुओं को बारीकी से जानने का अवसर प्राप्त हुआ है। इसलिए अपने अनुभव को इस संस्मरण में संकलित कर, १० सर्वोत्तम भेंट वस्तुएं अंकित कर रही हूँ।

कोलकाता के १० सर्वोत्तम भेंट वस्तुओं की खरीददारी

शंख से बनी चूड़ियाँ

शंख से बनी चूड़ियाँ - कोलकाता का शुभ उपहार
शंख से बनी चूड़ियाँ – कोलकाता का शुभ उपहार

इस सूची का आरम्भ शुभ वस्तु से करते हुए, कौंच अथवा शंख पर की गयी कारीगरी व उससे बनी वस्तुओं का उल्लेख करना चाहती हूँ। बिश्नुपुर की गलियों में शंख पर की गयी नक्काशी को बारीकी से देखने का अवसर हमें प्राप्त हुआ। कलाकार शंख को कोमलता से हाथ में पकड़ कर उस पर आकृतियाँ गढ़ते हैं। देवों के चित्रों की नक्काशी युक्त श्वेत शंख बहुत सुन्दर व शोभायमान प्रतीत होते हैं। घर के मंदिर की शोभा बढ़ाने हेतु यह एक सुन्दर व शुभ वस्तु सिद्ध होगी। इसी तरह शंख से बनी चूड़ियों पर भी उत्कृष्ट नक्काशी की जाती है। पारंपरिक रूप से इन चूड़ियों द्वारा बंगाल की सौभाग्यवती स्त्रियाँ अपना श्रृंगार पूर्ण करती हैं। आधुनिक समाज में हर स्त्री इन चूड़ियों को अपने साजश्रृंगार का हिस्सा बनाने की इच्छा रखती है। इसलिए आप ये चूड़ियाँ स्वयं अथवा आपके परिवार की महिलाओं हेतु खरीदकर उन्हें भेंट कर सकते हैं।

शंख से बनी चूड़ियों की कुछ और विशेषताओं का उल्लेख करना चाहती हूँ। कुछ चूड़ियों पर घोड़ों की छोटी छोटी नक्काशी की जाती है। यह बांकुरा जिले के पंचमुढ़ा ग्राम में बनाए जाने वाले टेराकोटा अर्थात् लाल पकी मिट्टी के घोड़ों को समर्पित है। यह चूड़ियाँ पूर्णतः गोलाकार नहीं होती क्योंकि इन्हें प्राकृतिक शंखों को काटकर बनाया जाता है। अनियमित आकार की चूड़ियों पर की गयी उत्तम कारीगरी का उत्कृष्ट नमूना है यह चूड़ियाँ।

टेराकोटा कलाकृतियाँ

बंगाल की मिट्टी से बने गणपति
बंगाल की मिट्टी से बने गणपति

टेराकोटा अर्थात् लाल पकी मिट्टी बंगाल का मूलभूत अंग है। बंगाल की धरती पर पत्थरों का अभाव है। इसलिए यहाँ के प्राचीन मंदिर भी टेराकोटा की पट्टियों से सुसज्जित हैं। परन्तु इन मंदिरों के दर्शन हेतु बंगाल के भीतरी भागों की यात्रा आवश्यक है। कोलकाता में ही उपलब्ध, टेराकोटा से बने कुछ रोचक व चित्तरंजक वस्तुएं जो आप खरीद सकते हैं वह हैं-

बांकुरा घोड़े

बांकुरा जिले में सर्वत्र उपलब्ध यह टेराकोटा से बने बांकुरा घोड़ों की विशेषता है उनके नोकदार लंबे कान। यह हर आकार में उपलब्ध हैं। अपने घर के प्रवेशद्वार के दोनों ओर रखे यह रक्षक भांति प्रतीत होते हैं। उसी तरह बैठक कक्ष में रखे गए यह घोड़े आपको बंगाल का स्मरण कराते रहेंगे। यह बंगाल की एक उत्कृष्ट स्मृतिचिन्ह है।

घोड़ों के अलावा टेराकोटा द्वारा गणेश की विभिन्न संगीत वाद्य बजाते हुए मूर्तियाँ भी बहुत मनभावनी हैं। मैंने इन मूर्तियों का एक सम्पूर्ण संग्रह खरीदा था। वह अब मेरे पुस्तकालय में सुसज्जित है और संभवतः हर आपदाओं से हमारी रक्षा कर रही है।

टेराकोटा के आभूषण

बंगाल के कलाकारों ने टेराकोटा से छोटे छोटे आभूषण भी बनाने आरम्भ किये हैं। विभिन्न चटक रंगों में रंगे इन आभूषणों को देख सहसा विशवास नहीं होता कि यह टेराकोटा से बनी हैं। मैंने अपने लिए टेराकोटा से बने झुमके खरीदे। यथोचित मूल्य में उपलब्ध यह छोटे छोटे आभूषण ले जाने में आसान व हलके वजन के हैं। यह आपके परिवार की बेटियों हेतु सर्वोत्तम भेंट होंगी।

स्त्रियों की सर्वप्रिय साड़ियाँ

बंगाल के साडी बुनकर
बंगाल के साडी बुनकर

यूँ तो बंगाल में साड़ियों के इतने प्रकार विक्री हेतु उपलब्ध है कि किसी का भी मन डोल सकता है। परन्तु यह साड़ियाँ आपको कही भी मिल जायेंगीं। बंगाल आ कर केवल बंगाली साड़ियों पर ही ध्यान केन्द्रित करना उपयुक्त होगा। यहाँ की कुछ प्रसिद्ध बंगाली साड़ियाँ हैं-

तांत की साड़ियाँ

बंगाल में स्त्रियाँ ज्यादातर जो साड़ियाँ पहनती हैं वह बहुत महीन कपड़े पर चौड़ी किनार की तांत साड़ियाँ हैं। सूती, महीन किन्तु कड़क साड़ियाँ बंगाल के बुनकरों की कला का सजीव नमूना है। पारंपरिक तौर पर यह साड़ियाँ हलके रंग में बनाई जाती हैं जिन पर गहरे चटक रंग केवल बूटी व किनार पर उपयोग किये जाते हैं। परंपरा व आधुनिकता के मिश्रण से अब रंगों व नमूनों की कोई सीमा नहीं रही। ढाका, तांगेल और मुर्शिदाबाद तांत साड़ियों के लिए प्रसिद्ध है। बंगाल में सर्वत्र उपलब्ध इन साड़ियों को अच्छे दाम व गुणवत्ता के लिए स्थानीय बाजार से खरीदें।

बालुचरी अथवा स्वर्णचरी साड़ियाँ

कहा जाता है कि हर बालुचरी साडी एक कहानी कहती है। बांकुरा के बुनकर मंदिरों की दीवारों पर बनी नक्काशियों को इन कच्ची रेशम से बनी साड़ियों के पल्लू व किनारों पर हुबहू उतारते हैं। राधा कृष्ण की सुन्दर मुद्राएँ, महाभारत युद्ध के समय अर्जुन को ज्ञान देते कृष्ण, सखियों संग झूला झूलती राधा इत्यादि कई पौराणिक कथाओं पर आधारित आकृतियाँ आप इन साड़ियों पर देख सकते हैं। कच्चे रेशम के रंग में बनी बालुचरी साड़ियों में बुनाई का धागा रेशमी व स्वर्णचरी साड़ियों में बुनाई धागा सोने की जरी का होता है। आप अपने पसंद की कहानी कहती यह साड़ियाँ, अपने पसंदीदा रंगों व नमूनों में खरीद सकतें हैं।

कांथा साड़ियाँ

कांथा, गाँव की स्त्रियों द्वारा किया जाने वाला कढ़ाई का एक प्रकार है। पारंपरिक रूप से कोमल धोती व साड़ियों पर की जाने वाली इस कढ़ाई में सम्पूर्ण कपड़े पर सादे टाँके की कढ़ाई की जाती है। सादे टसर रेशम पर रंगीन धागों से बनाए गए पारंपरिक नमूने इन साड़ियों को अनमोल रूप प्रदान करते हैं।

सोलापीठ (भारतीय काग) के हस्तशिल्प

सोलापीठ में गढ़ा हाथी
सोलापीठ में गढ़ा हाथी – लगता है न हाथीदांत से बना

शोला अथवा सोला एक पौधा है जो बंगाल के आर्द्र भूमि के दलदल में उगता है। इसके तने के भीतरी भाग को सुखाया जाय तब यह दुधिया सफ़ेद रंग का मुलायम व अत्यंत हल्का पदार्थ बनता है। इसे सोलापीठ अथवा भारतीय काग कहते है। यह देवी देवताओं की प्रतिमाओं को सजाने हेतु व वर-वधु के मुकुट इत्यादि बनाने हेतु उपयोग में लाया जाता है। आजकल कारीगर इससे कई सजावटी वस्तुएं भी बनाने लगे हैं। यह थर्मोकोल की तरह दिखने वाला, परन्तु प्राकृतिक पदार्थ है जो लचीलापन, संरचना, चमक व झिर्झिरापन में उससे कई गुना उत्तम है।

आपने दुर्गापूजा के समय कालीबाड़ी की दुर्गा प्रतिमा का चेहरा, मुकुट व अन्य सजावट एक श्वेत पदार्थ द्वारा बने देखे होंगे। यही सोलापीठ है। माला गूंथने वाले मालाकारी ही सोलापीठ पर नक्काशी करते हैं। सोलापीठ पर नक्काशी कर अन्य सजावटी वस्तुएं भी बनायी जाती हैं।

मैंने यहाँ से एक नक्काशीदार, सोला से बना हाथी खरीदा था। दूर से देखने पर यह हाथी दांत से बना प्रतीत होता है।

मेरी आशा है आप सोलाशिल्प की खरीददारी अवश्य करेंगे। यह इस कला को जीवित रखने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

बंगाली मिठाइयाँ

संदेष - बंगाल का मीठा उपहार
संदेष – बंगाल का मीठा उपहार

कुछ बंगाली मिठाइयां यूँ तो देश के लगभग हर मिठाई की दुकानों में उपलब्ध हैं। रसगुल्ला, या रोशोगुल्ला जैसे की मेरे बंगाली मित्र कहते हैं, चमचम, सन्देश इत्यादि इनमें मुख्य हैं। पर इन मिठाइयों जो स्वाद बंगाल में होता है वह अद्भुत है। केवल सन्देश के ही इतने प्रकार देख आप दंग रह जायेंगे। ज्यादातर बंगाली मिठाइयां तली हुई नहीं होती, इसलिए इन्हें बिना शंका खाया जा सकता है। पाती शाप्ता भी एक मिष्टान्न है जिसे बनाना मैंने एक बंगाली परिजन से सीखा। ताड़ शर्करा से बना नोलेन गुड़ इन मिठाइयों की मूल सामग्री है।

मिष्टी दोई के बारे में आप सब जानते होंगे। भारत के कोने कोने में इसे स्वाद लेकर खाया जाता है। दही का इतना स्वादिष्ट व मीठा रूप किसी बंगाली के ही मष्तिष्क की उपज हो सकती है।

इन मिठाइयों का भरपूर स्वाद आप अपनी बंगाल यात्रा में ले सकते हैं। परन्तु केवल सन्देश ही अपने साथ वापिस ले आने की सलाह देना चाहूंगी क्योंकि यह अपेक्षाकृत सूखा व ले जाने में आसान है। यह जल्दी बासी भी नहीं होगा।

डोकरा शिल्प

डोकरा शिल्प - कोलकाता के उपहार
डोकरा शिल्प में मेरे गणपति

डोकरा शिल्प एक ऐसी कला है जिसे बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में सामान तरीके से बनाया जाता है। इन प्रदेशों के नाम पढ़ कर आप को ज्ञात हो चुका होगा कि यह उन्ही स्थानों पर प्रचलित है जहां आदिवासी जनसँख्या का प्रमाण ज्यादा है। मूल शिल्प सामान होते हुए भी इनमें प्रदेश के अनुसार बदलाव देखा जाता है। हर प्रदेश अपनी विशेषता इस शिल्प कला को प्रदान करता है। प्रचलित वस्तुएं जिन पर यह शिल्पकारी की जाती है वह है सुन्दर गुडियां, रोजमर्रा की वस्तुएं जैसे कलम रखने हेतु पात्र, आदिवासी जनजीवन का उल्लेख करतीं पट्टिका इत्यादि।

बंगाल यात्रा में मैंने आपने लिए डोकरा पद्धति से बने छोटे आभूषण इत्यादि खरीदे। उनमें मेरी पसंदीदा वस्तुएं हैं गणेश झुमके व गले के हार का लटकन। झुमके का नमूना पारंपरिक होते हुए भी, लटकन का नमूना आधुनिक है।

इन छोटी छोटी कांसे की वस्तुओं से आप अपने घर की सम्पूर्ण सजावट कर सकते हैं। यह आपको विश्व की सबसे प्राचीन धातु शिल्पकारी पद्धति का स्मरण कराते रहेंगे।

दार्जिलिंग चाय

दार्जीलिंग के चाय बागान
दार्जीलिंग के चाय बागान

जब आप दार्जिलिंग के पहाड़ों से गुजरें, आपको अपने चारों ओर अद्भुत दृश्य दिखाई देगा। चाय के बागानों से भरी पहाड़ियों की ढलानें मन मोह लेती हैं। कहते हैं कि जैसे जैसे ऊंचाई बढ़ती है, चाय की पत्तियों के स्वाद में वृधि होती है। शायद ये पत्तियाँ इन पहाड़ों की हवा से ताजगी सोख कर हमारे चाय की प्याली तक लाती हैं।

दार्जिलिंग चाय विश्व भर में प्रसिद्ध है। आप यहाँ से मनपसंद चाय खरीद सकते हैं, जैसे पहली खेप, दूसरी खेप, काली, हरी, अथवा विशेष स्वाद में घुली हुई चाय इत्यादि।

दार्जिलिंग की यात्रा के समय मैंने यहाँ से पुदीने के स्वाद सहित चाय खरीदी थी। ऐसे संस्मरण लिखते समय मेरी नींद भगाने हेतु अतिउपयुक्त साबित होती है यह चाय।

कोलकाता व दर्जिलिंग में कई उच्चस्तरीय दुकानें हैं जो आकर्षक डिब्बों में चाय उपलब्ध कराते हैं। यह डिब्बे भेंट स्वरुप ले जाने व देने में सुविधाजनक व अनोखे सिद्ध होते हैं।

कालीघाट की चित्रकारी

कालीघाट की चित्रकारी - कोलकाता के उपहार
कालीघाट की चित्रकारी

कोलकाता के काली मंदिर के आसपास के इलाके में कालीघाट चित्रकारी ने जन्म लिया। इसलिए इसका नाम भी कालीघाट चित्रकारी पड़ गया। इस कला का मुख्य उद्देश्य था कालीघाट मन्दिर के दर्शनार्थियों को यहाँ की स्मृतिचिन्ह उपलब्ध कराना। इसलिए कालीघाट चित्रकारी मुख्यतः देवी काली और अन्य हिन्दू देवी देवता व रामायण और महाभारत महाकाव्य के दृश्यों पर आधारित होती है। कालान्तर में इन कलाकारों ने आधुनिक विषयों पर भी चित्रकारी करना आरम्भ कर दिया।
राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय” के परोक्ष गलियारे से आप कुछ उत्कृष्ट कालीघाट चित्रकारियों की जानकारी प्राप्त कर सकते है।

कालीघाट चित्रकारी पद्धति की और जानकारी आप “उत्सवपीडिया” से प्राप्त कर सकते हैं।

इन्टरनेट पर भी इन चित्रकारियों के क्रय हेतु कई सुविधायें उपलब्ध हैं। वे ज्यादातर मूल प्रतियों के पुनर्मुद्रण होते हैं। इसलिए मेरी सलाह होगी कि आप चित्रों की मूल प्रति कोलकाता से ही खरीदें। मौलिक स्थल से इस स्मृतिचिन्ह को पाने की संतुष्टि और आनंद अद्वितीय है।

जूट से बनी वस्तुएं

जूट से बने कोलकाता के उपहार
जूट से बने कोलकाता के उपहार

बंगाल जूट की उद्योगनगरी है। जूट से बनी कई वस्तुएं, जैसे रस्सी और जूट के बोरे इत्यादि, यहीं बनाए जाते हैं। दिल छोटा ना कीजिये, यह वस्तुएं किसी भी दृष्टिकोण से स्मृतिचिन्ह नहीं हो सकते। कुछ कलाकार जूट का इस्तेमाल कर खूबसूरत और रोजमर्रा हेतु उपयोगी वस्तुएं भी बनाने लगे हैं। सामान लाने योग्य जूट की सुन्दर थैलियाँ, बटुए, पानी की बोतल व खाने के डिब्बे हेतु जूट की थैलियाँ, मेजपोश इत्यादि कई वस्तुएं कोलकाता व बंगाल के अन्य स्थानों से खरीद सकते हैं।

जूट की छोटी छोटी थैलियाँ भेंट वस्तु रखने योग्य उपयुक्त होती हैं। इन्हें पुनः पुनः उपयोग में लाया जा सकता है।

पुतुल गुड़िया

पुतुल - माटी की गुडिया - कोलकाता के उपहार
पुतुल – माटी की गुडिया

संस्कृत शब्द पुत्तालिका अर्थात् पुतली का अपभ्रंश शब्द है पुतुल। बंगाल के कलाकार मिट्टी की छोटी छोटी गुड़िया बना कर उसे चटक रंगों से रंगते हैं। सर्वप्रथम मैंने इन्हें बिशनुपुर के एक कलाकार के निवासस्थान में देखा था। यह गुड़ियाएं दबाकर ढलाने की पद्धति से बनाए जाते हैं। कई बार गुडिया के विभिन्न भागों को अलग अलग ढाल कर, तत्पश्चात उन्हें जोड़ा जाता है।

मेरा अनुमान है कि यह गुड़ियाएं, पुतली प्रदर्शन के मनोरंजन हेतु उपयोग में लाये जाते थे। यह छोटे व ले जाने में सुविधाजनक होने के कारण बंगाल की मिट्टी से बनी उत्तम स्मृतिचिन्ह होगी।

भारत को अनेकता में एकता का देश कहा जाता है। क्या किसी और देश में आपको इतनी विभिन्नता, रंग व कला का ऐसा अद्भुत संगम दिखाई देगा?

तो आपकी मनपसंद स्मृतिचिन्ह कौन कौन से हैं।

हिंदी अनुवाद: मधुमिता ताम्हणे

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ट्रैवल फोटोग्राफी : DSLR या पॉइंट अँड शूट कैमरा ? https://inditales.com/hindi/travel-photography-dslr-vs-point-and-shoot/ https://inditales.com/hindi/travel-photography-dslr-vs-point-and-shoot/#respond Wed, 30 Aug 2017 02:30:47 +0000 https://inditales.com/hindi/?p=351

मेरे जीवन में में ट्रैवल फोटोग्राफी का आगमन बहुत बाद में हुआ। मुझे तो बचपन से ही फोटोग्राफी का बहुत शौक था। मेरे एक ताऊजी थे, जिनके पास दुनिया भर के नवीनतम कैमरा हुआ करते थे, और उनके फोटोशूट के लिए हमेशा मैं ही उनकी मॉडल हुआ करती थी। कैमरों से मेरा परिचय उन्हीं के […]

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यात्रा के लिए कैमरा कैसे चुनें - ट्रैवल फोटोग्राफी
यात्रा के लिए कैमरा कैसे चुनें – ट्रैवल फोटोग्राफी

मेरे जीवन में में ट्रैवल फोटोग्राफी का आगमन बहुत बाद में हुआ। मुझे तो बचपन से ही फोटोग्राफी का बहुत शौक था। मेरे एक ताऊजी थे, जिनके पास दुनिया भर के नवीनतम कैमरा हुआ करते थे, और उनके फोटोशूट के लिए हमेशा मैं ही उनकी मॉडल हुआ करती थी। कैमरों से मेरा परिचय उन्हीं के जरिये हुआ था। आगे चलकर जब मैंने काम करना और पैसे कमाना शुरू किया तो मैंने अपनी पहली कमाई से अपने लिए एक याशिका कैमरा खरीद लिया, यह 1995 की बात है। उसके बाद यू.के. में 2003 के दौरान मैंने 2 मेगा पिक्सेल वाला निकॉन डिजिटल कैमरा खरीदा, जो काफी अच्छा-खासा चल रहा था। इसके बाद 2006 में ह्यूस्टन में मैंने 7 मेगा पिक्सेल वाला सोनी का कैमरा खरीदा, जो आज भी मेरा पसंदीदा कैमरा है। यात्रा लेखन के चलते, आवश्यकता हुई एक द्स्ल्र कैमरे की तो मैंने निकॉन D7000 चुना जिसके बारे में मैं आज भी नयी-नयी बातें सीख रही हूँ। यह कैमरा मैंने 2011 में हैदराबाद में लिया था।

याशिका - मेरा पहला कैमरा
याशिका – मेरा पहला कैमरा

वैसे दोस्तों की सलाह पर मैंने DSLR कैमरा ले तो लिया, लेकिन 4 सालों तक उसे अपने साथ लेकर घूमने के बाद मैंने फिर से पॉइंट अँड शूट वाले कैमरा को चुनना ही ठीक समझा। इसलिए मैंने निकॉन P600 लिया जो गोवा में खरीदा गया था। जब से मैंने पॉइंट अँड शूट वाले कैमरा का इस्तेमाल करना शुरू किया था, तब से लेकर अब तक इन कैमरों में बहुत सारे सुधार हुए हैं, जो आपकी फोटोग्राफी को और भी खास बनाते हैं। सामान्य तौर पर मुझे आज भी अपना निकॉन D7000 बहुत पसंद है, लेकिन ट्रैवल फोटोग्राफी के लिए मैं अपने नए निकॉन P600 को ही अधिक प्रयोग करती हूँ। और इसके पीछे भी कुछ खास कारण हैं।

ट्रैवल फोटोग्राफी – यात्रा या फोटोग्राफी

ट्रैवल फोटोग्राफी को तब तक फोटोग्राफी नहीं कहा जा सकता जब तक कि आपकी यात्रा का मूल उद्देश ही फोटोग्राफी न हो। जब आप किसी यात्रा पर जाते हैं, तो एक यात्री के रूप में आपका ज़्यादातर समय यात्रा संबंधी कार्यक्रमों में ही गुजर जाता है। ऐसे में आपको फोटोग्राफी के लिए अधिक समय नहीं मिल पाता और आपको कुछ ही महत्वपूर्ण तस्वीरों के साथ लौटना पड़ता है। यात्रा के दौरान खींची गयी ये तस्वीरें मेरे यात्रा वृत्तांतों को परिपूर्ण करने में सहायक होती हैं। मेरे लिए यात्रा करना, ब्लॉगिंग और फोटोग्राफी से भी पहले आता है।

फोटोग्राफी के लिए सही समय 

मैं बहुत से स्मारकों और संग्रहालयों में जाती रहती हूँ, जो दिन के समय ही खुले होते हैं। यानी ऐसे में मुझे फोटोग्राफी करने का अच्छा और सही समय नहीं मिल पाता और मैं अपने मन मुताबिक तस्वीरें नहीं खींच पाती। कभी रोशनी साथ नहीं देती तो कभी समय का साथ नहीं मिल पाता। आम तौर पर ऐसी जगहों पर सवेरे-सवेरे या फिर शाम को देर से जाने की अनुमति भी नहीं होती, जिससे कि आप एकांत में उन नज़ारों के साथ फोटोग्राफी का मजा ले सके। इसके अलावा रास्ते में भी आपको ऐसे बहुत से परिदृश्य और नज़ारे मिलते हैं जो वाकई में बहुत सुंदर होते हैं और आपके कैमरे में कैद होना चाहते हैं। लेकिन जैसा कि मैंने कहा था हर बार समय और रोशनी आपका साथ दे ये जरूरी तो नहीं।

तस्वीरों का दस्तावेजीकरण    

मैं दस्तावेजीकरण हेतु बहुत सी तस्वीरें खींचती रहती हूँ, जो कभी भी किसी व्याख्यान के लिए उपयोगी पड़ सकती हैं। या तो ये तस्वीरें वास्तुकला की बारीकियों को समझाने के लिए उपयोगी होती हैं या फिर मेरे लेखन के लिए भी सहायक सिद्ध होती हैं। अर्थात मैं अपनी यात्रा के दौरान बहुत सारी तस्वीरें खींचती रहती हूँ और DSLR से फोटो खींचना यानी कैमरा में एक्सट्रा मेमरी की जरूरत। इन तस्वीरों में बहुत सी तस्वीरें ऐसी होती हैं जिन्हें मेरे अलावा और कोई नहीं देखता। यकीन मानिए, मेरे परिवार वाले भी इन तस्वीरों को नहीं देखते।

फोटोग्राफी पर प्रतिबंध 

अधिकतर संग्रहालयों और स्मारकों में, खासकर धार्मिक जगहों पर ज्यादा तस्वीरें खींचने की अनुमति नहीं होती। तो कुछ जगहों पर आपको अपने साथ कैमरा भी ले जाने की अनुमति नहीं होती। ऐसी जगहों पर या तो आप दूर से ही उनकी तस्वीरें ले सकते हैं या फिर आपको सिर्फ बाहरी भागों की ही तस्वीरें लेनी की अनुमति होती है। आंतरिक भागों की तस्वीरें लेने के लिए सख्त मनाई होती है। ऐसे में अगर मैं आधा दिन भी इन स्मारकों और संग्रहालयों में घूमने जाऊ, तो मैं अपना कैमरा ऐसे ही अपने साथ लेकर घूमती रहती हूँ। या फिर उसे वहां के लॉकर में रखकर उसकी सुरक्षा की चिंता में खोयी रहती हूँ।

बेवजह का भार

मेरा पॉइंट अँड शूट कैमरा लगभग 500 ग्राम का है जिसे मैं आसानी से अपने साथ लेकर घूम सकती हूँ। लेकिन DSLR को साथ लेकर घूमना थोड़ा कठिन है। अपने आप में तो वह भारी है ही, साथ में उसके कुछ लेन्सिस भी होते हैं और उसका वह भारी-भरकम बैग भी, जो कुलमिलाकर लगभग 3-4 कीलो के होंगे। और जब आपको इतना सारा भार साथ लेकर घूमना पड़ता है, तो आपकी ताकत जल्द ही जवाब दे जाती है।

ज़ूम इन

मेरे नए पॉइंट अँड शूट कैमरा में 60X तक का ज़ूम उपलब्ध है, जिससे आप दूर स्थित किसी चीज की ज़ूम इन के जरिये आसानी से तस्वीर ले सकते हैं। लेकिन DSLR पर मुझे इतना ज़ूम करने के लिए कम से कम 3-4 लेन्सिस बदलने पड़ते हैं। और तो और उन्हें बदलने में भी काफी समय लगता है और उतने में जिस वस्तु की आप तस्वीर खींचना चाहते थे वह भी आपके हाथ से छूट जाती है। जैसे कि, अगर आप दूर किसी पेड़ पर बैठे हुए पक्षी की तस्वीर लेना चाहते हैं, तो जब तक आप अपने DSLR से उसकी फोटो खींचने के लिए तैयार होते हैं, तब तक वह उड़ चुका होता है। यही नहीं, अगर आप के पास DSLR है तो आपको उसके लेन्सिस को भी संभालना पड़ता है। हाँ, अब तो पॉइंट अँड शूट कैमरा इससे भी ज्यादा ज़ूम इन की सुविधा के साथ उपलब्ध हैं।

खो देने का भय 

DSLR या Point & Shoot कैमरा
DSLR या Point & Shoot कैमरा

हम सभी के कोई न कोई ऐसे दोस्त जरूर होंगे जिनके कैमरा किसी यात्रा के दौरान खो गए हो। वास्तव में जितना बड़ा और महंगा आपका कैमरा होता है, उसके खो जाने या चोरी होने की संभावना उतनी ही ज्यादा होती है। जब भी मैं सड़क के किनारे खड़ी किसी चाय की दुकान पर चाय पीने के लिए ठहरूँ तो मैं आसानी से अपना छोटा सा कैमरा अपनी गर्दन में टांग सकती हूँ, या फिर उसे अपने बैग में भी रख सकती हूँ। लेकिन जब मैं DSLR कैमरा लेकर घूमती हूँ तो मुझे उसे उसके भारी-भरकम बैग में डाल कर अपने से अलग मेज पर रखना पड़ता है। जिससे उसकी चोरी होने की या खो जाने की संभावना बढ़ जाती है। शायद मेरी किस्मत अच्छी है, कि आज तक मेरे साथ ऐसी कोई घटना नहीं हुई है।

गुण-दोष 

इन दोनों कैमरों से ली गयी तस्वीरों की गुणवत्ता तुलनीय है। लेकिन मेरा निकॉन P600 RAW में शूट नहीं करता, पर कैनन के कुछ पॉइंट अँड शूट कैमरा ऐसे भी हैं, जो RAW में भी शूट कर सकते हैं।

स्मार्टफोन का जमाना 

अब तो स्मार्टफोन का जमाना आ गया है, और मेरा स्मार्टफोन मेरे लिए एक उचित कैमरे का भी काम करता है। अगर मैं अपने फोन के मेमरी कार्ड में काफी जगह बचा सकु, तो यह एक अच्छा बैकअप कैमरा भी हो सकता है। मैं अपने फोन से सोशयल मीडिया के लिए भी तस्वीरें ले सकती हूँ और अगर जरूरत पड़े तो बैकअप के रूप में किसी महत्वपूर्ण वस्तु की तस्वीरें भी ले सकती हूँ। मेरे बहुत से दस्तों ने मुझे iPhone लेने की भी सलाह दी है, जो उनके अनुसार किसी कैमरा से कम नहीं है।

पेनोरमा शॉट्स 

जब मैं DSLR कैमरा लेकर घूमती थी, तो मैं हमेशा एक पेनोरमा शॉट खींचना चाहती थी। लेकिन DSLR के साथ यह मुमकिन नहीं था। लेकिन पॉइंट अँड शूट कैमरा के साथ मेरी यह इच्छा भी पूरी हो गाय। अब मेरी चाह मेरे सबसे पसंदीदा शॉट्स में बदल गयी है। ये एक्सट्रा वाइड-एंगल शॉट्स लेने में मुझे बहुत मजा आता है। खासकर प्रकृति की तस्वीरें खींचने में आप एक अलग ही अनुभव महसूस करते हैं। मैं जानती हूँ कि DSLR से आप मल्टिपल शॉट्स लेकर बाद में उन्हें एक साथ पिरो सकते हैं। लेकिन यह बहुत मेहनत का काम है, जो मैं सिर्फ प्रदत्त फोटोग्राफी उपक्रम हेतु करती। मेरे यात्रा ब्लॉग और मुद्रण प्रकाशन के लिए, पॉइंट अँड शूट कैमरा और स्मार्टफोन से लिए गए पेनोरमा शॉट्स काफी अच्छे होते हैं। इससे समय की भी बचत होती है, जो मेरे लिए तो बहुत महत्वपूर्ण है। इसका और एक फायदा यह है कि मैं जब चाहूँ, तुरंत उनका प्रयोग भी कर सकती हूँ।

चार्जिंग की सुविधा

मैं अपना निकॉन P600 कार चार्जर से भी चार्ज कर सकती हूँ। सड़क यात्राओं के समय और पहाड़ी क्षेत्रों की यात्रा करते समय, जहां पर बहुत कम चार्जिंग पॉइंट उपलब्ध होते हैं, यह सुविधा बहुत फायदेमंद है। चंद्रताल से वापस लौटते समय, अगर यह कार चार्जिंग की सुविधा नहीं होती तो शायद मैं रोहतंग दर्रे के विस्तार की इतनी सुंदर तस्वीरें कभी नहीं खींच पाती। लद्दाख की सड़क यात्रा के दौरान तो मैंने अपने कैमरा को अपने पावर बैंक से चार्ज किया था।

इस सब के बावजूद भी मुझे कभी कभी अपने DSLR की कमी भी महसूस होती है। खास कर इन स्थितियों में :

  1. जब चलती हुई गाड़ी से मुझे किसी की तस्वीर खिंचनी होती है, क्योंकि, कोई भी पॉइंट अँड शूट कैमरा इस प्रकार की उत्तम तस्वीर नहीं ले सकता।
  2. निकॉन D7000 झट से चालू हो जाता है, लेकिन P600 चालू होने में थोड़ा समय लेता है, जो कि कभी कभार मुझे बहुत ज्यादा लगता है।
  3. जब किसी पक्षी की तस्वीर लेनी होती है, तो मैं अपने DSLR के बर्स्ट शॉट्स को बहुत ज्यादा याद करती हूँ।

जब आपको अपनी दो सबसे पसंदीदा चीजों में से किसी एक को चुनना पड़ता है, तब यह चुनाव करना बहुत कठिन होता है।

ट्रैवल फोटोग्राफी के लिए 4 सालों तक DSLR कैमरा का उपयोग करने के बाद, वापस पॉइंट अँड शूट कैमरा का चुनाव करने के अपने कारणों को मैं आपके साथ साझा कर चुकी हूँ। यद्यपि मेरा यह निर्णय सिर्फ ट्रैवल फोटोग्राही के सबंध में ही है ना कि सामान्य फोटोग्राफी के संबंध में। वास्तव में मुझे आज भी गोवा की सैर करना और अपने DSLR से आस-पास की तस्वीरें खींचना बहुत पसंद है। जब मेरे पति मेरे साथ यात्रा कर रहे होते हैं, तो मैं अपना DSLR कैमरा जरूर लेती हूँ। ऐसे में हम बारी-बारी से उसका भार भी उठा सकते हैं।

लेकिन मुझे कहना पड़ेगा कि मेरे यात्रा जीवन में कुछ पड़ाव ऐसे भी आए हैं, जब मैंने बिना कैमरा के यात्राएं की हैं। लेकिन ये कहानियाँ मैं आपको किसी और दिन बताऊँगी।

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