यूरोप यात्रा Archives - Inditales श्रेष्ठ यात्रा ब्लॉग Wed, 15 Nov 2023 13:34:54 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.2 स्ट्रैटफोर्ड-अपॉन-एवन शेक्सपीयर की नगरी में पदभ्रमण https://inditales.com/hindi/stratford-upon-avon-shakespear-ki-nagari/ https://inditales.com/hindi/stratford-upon-avon-shakespear-ki-nagari/#respond Wed, 20 Mar 2024 02:30:36 +0000 https://inditales.com/hindi/?p=3413

शेक्सपीयर – पारंपरिक इंग्लैंड के सर्वोत्कृष्ट साहित्य का दर्पण! उच्च कोटि की सृजनात्मक प्रतिभा के धनी! विश्वसाहित्य के इतिहास में शेक्सपीयर के समकक्ष माने जाने वाले कवि विरले ही हैं। उनके द्वारा लिखित नाटक अब भी नाटक प्रेमियों एवं साहित्यकारों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं। उनके नाटकों का लगभग सभी भाषाओं में अनुवाद हुआ […]

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शेक्सपीयर – पारंपरिक इंग्लैंड के सर्वोत्कृष्ट साहित्य का दर्पण! उच्च कोटि की सृजनात्मक प्रतिभा के धनी! विश्वसाहित्य के इतिहास में शेक्सपीयर के समकक्ष माने जाने वाले कवि विरले ही हैं। उनके द्वारा लिखित नाटक अब भी नाटक प्रेमियों एवं साहित्यकारों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं। उनके नाटकों का लगभग सभी भाषाओं में अनुवाद हुआ है।

स्ट्रैटफोर्ड-अपॉन-एवन  शेक्सपीयर की नगरी
स्ट्रैटफोर्ड-अपॉन-एवन शेक्सपीयर की नगरी

यद्यपि पाठशाला के पाठ्यक्रम के अंतर्गत शेक्सपीयर की जितनी रचनाएं हमने पढ़ी थीं, उनके अतिरिक्त मैंने उनकी अन्य रचनाएं पढ़ी नहीं हैं, तथापि उनकी रचनाओं से मेरा साक्षात्कार किसी न किसी रूप में होता रहता है, चाहे वह नाट्यशाला में हो, अथवा सिनेमा हॉल में हो या कोई लेख हो।

कुछ वर्षों पूर्व, जब मैं यूनाइटेड किंगडम की निवासी थी, प्रत्येक सप्ताहांत मैं किसी एक नगर का भ्रमण करती थी। उन्ही में से एक सप्ताहांत मैं स्ट्रैटफोर्ड-अपॉन-एवन पहुँची तथा इस नगरी में पदभ्रमण किया।

यह मेरा प्रथम अवसर था जब मैंने किसी नगरी का मार्गदर्शित पदभ्रमण किया था। हमारी परिदर्शिका अथवा गाइड के व्यक्तित्व ने हमें सम्मोहित कर दिया था। मुझे उनके नाम का स्मरण नहीं है किन्तु उनके द्वारा व्यक्त किये शब्द अब भी कानों में गूँजते हैं। उन्होंने हमें स्ट्रैटफोर्ड-अपॉन-एवन के अद्वितीय इतिहास का भ्रमण कराया जिसके अंतर्गत शेक्सपीयर एवं उनके परिवार से संबंधित अनेक भवनों का दर्शन कराया।

स्ट्रैटफोर्ड-अपॉन-एवन में ना केवल शेक्सपीयर का जन्म हुआ था, अपितु उन्होंने अपने जीवन के अंतिम कुछ वर्ष भी यहीं उनके गृहनगर में व्यतीत किया था। मध्यकालीन समय उन्होंने लंदन में व्यतीत किया जहाँ उन्होंने अपने कार्यक्षेत्र में अपार कीर्ती अर्जित की।

हॅनले मार्ग (Hanley  Street ) – शेक्सपीयर की जन्मभूमि

हमारे पदभ्रमण का आरंभ होता है एक ऐसे भवन से जिसे विलियम शेक्सपीयर का जन्मस्थान माना जाता है। उनके माता-पिता इस भवन में निवास करते थे। कालांतर में उन की बहिन के कुछ वंशजों ने भी कुछ काल के लिए इस भवन में निवास किया था। १५ वीं. शताब्दी में निर्मित इस घर का आधा भाग काष्ठ का है। १५ वीं. शताब्दी से अब तक इस घर का अनेक स्वामियों के मध्य हस्तांतरण हुआ है, उनमें कुछ कसाई भी थे।

शेक्स्पीयर का जन्म स्थान
शेक्स्पीयर का जन्म स्थान

१८ वीं. सदी में चार्ल्स डिकन्स जैसे अनेक प्रसिद्ध व्यक्तिमत्वों ने इस भवन के दर्शन किये जिसके पश्चात इस भवन की लोकप्रियता में अकस्मात वृद्धि होने लगी। इसी लोकप्रियता के चलते अमेरिका के एक प्रदर्शनकार ने इस भवन को क्रय कर अमेरिका में स्थानांतरित करने की अभिलाषा व्यक्त की। उसकी इस योजना से स्ट्रैटफोर्ड-अपॉन-एवन की इस अनमोल धरोहर का रक्षण करने के लिए शेक्सपीयर जन्मभूमि न्यास का गठन किया गया। किन्तु इस भवन का सार्थक जीर्णोद्धार १९ वीं. सदी के मध्य में ही हो पाया।

रखरखाव के नाम पर १५ वीं. सदी से १९ वीं. सदी तक इस भवन में जो भी परिवर्तन किये गए थे, उन सब को पूर्ववत लाते हुए इस भवन को इसका मूल स्वरूप प्रदान किया गया। इस प्रकल्प में कार्यरत वास्तुविदों एवं इतिहासकारों के लिए यह कितना चुनौतीपूर्ण व रोमांचकारी कार्य रहा होगा!

शेक्सपियर का काल्पनिक चित्र
शेक्सपियर का काल्पनिक चित्र

शेक्सपीयर के इस आवास के समक्ष खड़े होकर मैं कल्पना करने लगी कि बालक शेक्सपीयर ने यहीं खड़े होकर लोगों का पर्यवेक्षण किया होगा जो कालांतर में उनके नाटकों के अभिन्न अंग बने। उनके भवन का भ्रमण करते हुए मैं १९ वीं. सदी के उन वास्तुविदों एवं इतिहासकारों के समक्ष नतमस्तक हो गयी जिन्होंने काल को विपरीत दिशा में निर्देशित करते हुए इस भवन का इस प्रकार जीर्णोद्धार किया कि शेक्सपीयर की यह जन्मभूमि सदा के लिए अमर हो गयी। ठीक उसी प्रकार जैसी उनकी रचनाएं अमर हैं!

इस भवन में विलियम शेक्सपीयर के पिता जॉन शेक्सपीयर के पारिवारिक जीवन का चित्रण किया है। इसमें दस्ताने निर्माण करने का उनका कारखाना भी सम्मिलित है। बालक शेक्सपीयर के बाल्यकाल के वातावरण को दर्शाने करने के लिए भवन में समग्र परिश्रम किया गया है। वास्तुविदों एवं इतिहासकारों की कल्पना की उड़ान यहाँ तक गयी कि उन्होंने भवन में वही वनस्पतियों एवं पुष्पों के पौधे लगाए जो उस काल में शेक्सपीयर के घर में लगे थे। भवन के भीतर एक लघु संग्रहालय भी है।

शेक्सपीयर का जन्मस्थान अब एक राष्ट्रीय स्मारक है।

शेक्सपीयर के परिवार के अन्य निवास

ऐन हैथवे की कुटिया –  यह विलियम शेक्सपीयर की पत्नी ऐन हैथवे का पारिवारिक निवास स्थान है। यह अब एक सार्वजनिक संग्रहालय है।

शेक्सपियर की पत्नी का घर
शेक्सपियर की पत्नी का घर

क्या आप जानते हैं कि विलियम शेक्सपीयर ने २६ वर्षीय ऐन हैथवे से १८ वर्ष की आयु में विवाह किया था?

मेरी आर्डेन का निवास – यहाँ एक के पश्चात एक दो भवन हैं जिन्हे पालमर खेत (Palmer Farm) तथा ग्लीब खेत (Glebe Farm) कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि ये दोनों शेक्सपीयर की माता मेरी आर्डेन के बाल्यकाल के आवास हैं। ये दोनों भवन अब शेक्सपीयर ग्रामीण संग्रहालय के अंग हैं।

हॉल क्रॉफ्ट – यह शेक्सपीयर की पुत्री सुजैना एवं उनके पती जॉन हॉल का आवास है। इस आवास का एक रोचक तत्व है, अस्पष्ट चिकित्सा पद्धतियों की एक प्रदर्शनी।

नवीन स्थल (New  Place )- यह वही भवन है जहाँ सन् १६१६ में शेक्सपीयर ने अपना अंतिम श्वास लिया था। इस भवन का अब अधिक कुछ शेष नहीं है किन्तु अब भी इसे नवीन स्थल कहते हैं।

इसके एक ओर स्थित नैश भवन में एक संग्रहालय है जहाँ अवॉन घाटी के ऐतिहासिक तत्वों को प्रदर्शित किया है।

शेक्सपीयर के विस्तृत परिवार के इन सभी आवासों पर दृष्टि डालने पर आप अनुमान लगा सकते हैं कि वे सभी एक दूसरे से अत्यंत निकट स्थित हैं। पदभ्रमण करते हुए एक आवास से दूसरे आवास तक पहुँचा जा सकता है। उनकी माता का निवासस्थान तथा उनकी पत्नी की माता का निवासस्थान उनके स्वयं के आवास से अधिक दूर नहीं है। इससे हम १६ वीं. सदी के इंग्लैंड की सामाजिक अवस्थिति का भी अनुमान लगा सकते हैं।

मुझे मेरे परिदर्शक द्वारा दी गयी एक जानकारी का स्मरण हो रहा है कि शेक्सपीयर के मूल वंशजों में अब कोई भी जीवित नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि उनके लंदन आवास काल का कोई वंशज यदि जीवित हो तो उसकी कोई जानकारी नहीं है। उनके लंदन आवास काल के विषय में अनेक अस्पष्टताएं हैं।

प्रसिद्ध हॅनले मार्ग के अतिरिक्त आप भेड़ मार्ग (Sheep  Street) में भी पदभ्रमण कर सकते हैं। इस मार्ग में १५-१६ वीं. सदी के आवास हैं जहाँ ऊन उद्योग के लिए भेड़ों का व्यापार किया जाता था। इन आवासों को सामान्यतः अर्ध-काष्ठ आवास कहा जाता है।

होली ट्रिनिटी गिरिजाघर

शेक्सपियर की कब्र
शेक्सपियर की कब्र

स्ट्रैटफोर्ड-अपॉन-एवन नगर का मुख्य गिरिजाघर है, होली ट्रिनिटी गिरिजाघर। देखा जाए तो यह किसी भी अन्य गिरिजाघर के अनुरूप एक ठेठ गिरिजाघर है जो ईसाई धर्म के अनुयायियों को नियमित सुविधाएं उपलब्ध कराता है। किन्तु साहित्य प्रेमियों की दृष्टि में यह गिरिजाघर किसी तीर्थस्थल से कम नहीं है। उनके आदरणीय कवि शेक्सपीयर का बपतिस्मा इस गिरिजाघर में हुआ था। इसी गिरिजाघर के समाधिस्थल में उनकी भी समाधि है।

उनकी समाधि पर अंकित समाधि-लेख के अनुसार जो भी इनके अवशेषों को यहाँ से अन्यत्र ले जाएगा, वह श्राप का भागी होगा।

रॉयल शेक्सपीयर कंपनी

जहाँ शेक्सपीयर होंगे, वहाँ से रंगशाला दूर कैसे हो सकती है! रंगशाला अथवा थिएटर स्ट्रैटफोर्ड-अपॉन-एवन नगर के सांस्कृतिक ताने-बाने का एक अभिन्न अंग रहा है। समय समय पर अनेक रंगशालाओं का निर्माण होता रहा, उन्हे नष्ट किया जाता रहा, जलाया तथा विघटित किया जाता रहा। अंततः सन् १९३२ में औपचारिक रूप से रॉयल शेक्सपीयर रंगशाला की रचना की गयी। कालांतर में सन् १९६१ में रॉयल शेक्सपीयर कंपनी की स्थापना की गयी। वर्तमान में यह यूनाइटेड किंगडम की विशालतम थिएटर कंपनी है जिसके अंतर्गत प्रतिवर्ष लगभग २० विविध नाटक प्रकल्पों की रचना की जाती है।

रॉयल शेक्सपीयर कंपनी
रॉयल शेक्सपीयर कंपनी

रॉयल शेक्सपीयर रंगशाला में १००० दर्शकों के लिए सुविधाएं हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ अन्य रंगशालाएं भी हैं जिनकी अपनी यात्राएं तथा अपनी कथाएं हैं। जब आप स्ट्रैटफोर्ड-अपॉन-एवन नगर की यात्रा करेंगे तब उनका अवलोकन भी अवश्य करें।

रॉयल शेक्सपीयर रंगशाला में कम से कम एक नाटक प्रदर्शन का आनंद अवश्य उठायें। यह आपकी स्ट्रैटफोर्ड-अपॉन-एवन नगर के यात्रा अनुभव को परिपूर्णता प्रदान करेगा।

यदि आप अपनी यात्रा अनुभव में कुछ रोमांच सम्मिलित करना चाहते हैं तो कुछ स्थानीय पब में जाएँ। वहाँ उपस्थित नाटककारों व अभिनेताओं से संवाद साधने का प्रयास करें। उनके जीवन के अनुभवों को जानने का प्रयास करें। उनके आदरणीय कवि तथा उनके द्वारा आरंभ की गयी ४०० वर्ष पुरातन परंपरा के साथ उनके संबंधों को अंतरंग रूप से जानना व समझना स्वयं में एक अनूठा अनुभव सिद्ध होगा। शेक्सपीयर के नाटक ना केवल उनके प्रेरणा है, अपितु उनकी आय का साधन भी हैं।

अवॉन नदी

स्ट्रैटफोर्ड-अपॉन-एवन नगर से बहती अवॉन नदी आज भी इस नगर की जीवन रेखा है। आप इस नदी में नौकाविहार का आनंद लीजिये तथा इस प्राचीन व्यापार नगरी की भव्यता का आनंद उठाइये।

अवॉन नदी
अवॉन नदी

१५ वीं. शताब्दी में स्ट्रैटफोर्ड में अवॉन नदी पर क्लैप्टन सेतु का निर्माण किया गया जिसने यह नगर को विस्तृत स्तर पर व्यापार के अवसर प्रदान किये। व्यापारियों के लिए नगर की यात्रा सुगम हो गयी। क्लैप्टन सेतु के निर्माण से पूर्व नदी पर एक अस्थिर काष्ठ सेतु था जो अवॉन नदी के सतत परिवर्तित होते जल स्तर के कारण विश्वास योग्य नहीं था।

क्लैप्टन सेतु के माध्यम से विश्व भर के व्यापारी स्ट्रैटफोर्ड आते थे। उनके साथ आती थीं उनकी जीवन शैलियाँ, उनकी कथाएं तथा उनके अनुभव। कुछ सदियों पश्चात कदाचित यही जीवन शैलियाँ, यही कथाएं तथा यही अनुभव शेक्सपीयर की रचनाओं की प्रेरणा सिद्ध हुए।

स्ट्रैटफोर्ड-अपॉन-एवन विश्व के उन क्वचित नगरों में से एक है जहाँ नगर के नाम में वहाँ से बहती नदी का नाम भी सन्निहित है।

स्ट्रैटफोर्ड-अपॉन-एवन नगर के भ्रमण का एक अटूट अंग है, अवॉन नदी पर नौकायन।

नदी के तट पर पदभ्रमण करना भी एक आनंददायी अनुभव है। नगर का पदभ्रमण करने के पश्चात मैं भी नदी के तट पर विश्राम करने बैठ गयी। प्रसन्न वातावरण का आनंद उठाते हुए मैंने स्ट्रैटफोर्ड-अपॉन-एवन नगर,  शेक्सपीयर तथा उनके परिवार से संबंधित सभी कथाओं एवं तथ्यों का मनन व चिंतन किया।

शेक्सपीयर के परे स्ट्रैटफोर्ड-अपॉन-एवन नगर का अस्तित्व

स्ट्रैटफोर्ड-अपॉन-एवन नगर में अनेक ऐसे तत्व हैं जो इस सुप्रसिद्ध नाटककार से संबंधित ना होते हुए भी एक पर्यटक के लिए आकर्षण का केंद्र हैं:

  • हावर्ड हाउस – यह प्रसिद्ध हावर्ड विश्वविद्यालय से संबंधित है।
  • यांत्रिक कला एवं अभिकल्पना संग्रहालय (MADMechanical  Art  & Design  Museum) – रचनात्मक अभिकल्पना की प्रेरणा का अप्रतिम स्त्रोत
  • तितली उद्यान – बहुरंगी तितलियों के विश्व का आनंद उठायें।
  • प्रशिक्षित प्रदर्शकों के मार्गदर्शन में रात्रिकालीन भुतहा भ्रमण
  • अवॉन नदी पर भुतहा नौकायन

क्या आप जानते हैं कि हावर्ड विश्वविद्यालय के संस्थापक जॉन हावर्ड के दादाजी का आवास भी स्ट्रैटफोर्ड-अपॉन-एवन नगर में है।

स्ट्रैटफोर्ड-अपॉन-एवन – एक पर्यटन स्थल

स्ट्रैटफोर्ड में प्रति वर्ष २५ से ३० लाख पर्यटक आते हैं। इस नगर की अर्थव्यवस्था में पर्यटन उद्योग का बड़ा योगदान है। इसका प्रमुख कारण है, शेक्सपीयर। सम्पूर्ण नगर में जहाँ भी दृष्टि दौड़ाएं, वहाँ पर्यटक सूचना केंद्र दृष्टिगोचर होता है। शेक्सपीयर, उनकी रचनाएं तथा विश्व साहित्य में उनका स्थान, ये सब अब भी उनके जन्मस्थल के निवासियों की आय का प्रमुख स्त्रोत हैं। क्या यह स्ट्रैटफोर्ड-अपॉन-एवन नगर के निवासियों की दृष्टि में उन्हे अधिक महान नहीं बनाती!

स्ट्रैटफोर्ड-अपॉन-एवन नगर की स्मृतियाँ

जिस नगर में शेक्सपीयर जैसे महान व्यक्तिमत्व ने जन्म लिया, जहाँ उन्होंने अपना अंतिम श्वास लिया, उनके स्ट्रैटफोर्ड-अपॉन-एवन नगर से आपको कौन सी स्मारिकाएं लानी चाहिए, क्या यह अब भी बताना शेष है? शेक्सपीयर से संबंधित अनेक प्रकार की स्मारिकाएं उपलब्ध हैं। आप उनकी पुस्तकें भी क्रय  कर सकते हैं। शेक्सपीयर की जन्मस्थली से संबंधित रोचक स्मारिकाओं के विषय में जानने के लिए शेक्सपीयर जन्मस्थल न्यास के इस वेबस्थल पर संपर्क करें।

स्ट्रैटफोर्ड-अपॉन-एवन नगर की यात्रा के लिए कुछ सुझाव

  • स्ट्रैटफोर्ड-अपॉन-एवन नगर पहुँचने के लिए निकटतम विमानतल बर्मिंघम में है।
  • स्ट्रैटफोर्ड-अपॉन-एवन नगर सड़क मार्ग द्वारा लंदन से २ घंटे, बर्मिंघम से ३० मिनट तथा वरविक से १०-१५ मिनट दूर है। नियमित बस सेवाएं भी उपलब्ध हैं।
  • बर्मिंघम, वरविक अथवा लंदन मरीलेबोन से रेल मार्ग द्वारा भी स्ट्रैटफोर्ड-अपॉन-एवन पहुँचा जा सकता है।
  • स्ट्रैटफोर्ड-अपॉन-एवन नगर पहुँचने के पश्चात आप सम्पूर्ण नगर में पद भ्रमण कर सकते हैं अथवा दुपहिया सायकल किराये पर ले कर सायकल द्वारा भ्रमण कर सकते हैं। यह एक सुगठित नगर है जो रोचक धरोहरों से परिपूर्ण है। मेरा सुझाव है कि आप कम से कम एक नियोजित पद भ्रमण अवश्य करें। आप किसी परिदर्शक की अनुपस्थिति में भी अपनी गति से पद भ्रमण कर सकते हैं, संग्रहालयों का शांतिपूर्ण रीति से अवलोकन कर सकते हैं, स्वेच्छा से छायाचित्र ले सकते हैं तथा इस नगरी के पुरातन इतिहास में लिप्त हो सकते हैं।
  • अधिकतर नियोजित पदभ्रमण स्वान फाउन्टन से आरंभ होते हैं। पर्यटकों एवं प्रदर्शकों की उपस्थिति से यह स्थान विशेषतः ग्रीष्मकाल में अत्यंत जीवंत हो उठता है।
  • यदि आप पदभ्रमण नहीं करना चाहते हैं तो खुली छत की बसें भी उपलब्ध हैं जो आपको इस नगरी का भ्रमण कराएंगी।
  • स्ट्रैटफोर्ड-अपॉन-एवन में वर्ष भर विविध आयोजन होते रहते हैं। आपके यात्रा काल में कौन कौन सी प्रदर्शनियाँ आयोजित हैं, उनकी पूर्व जानकारी इस वेबस्थल से अवश्य प्राप्त कर लें।
  • स्ट्रैटफोर्ड-अपॉन-एवन साहित्य उत्सव एक महत्वपूर्ण उत्सव है। उत्सवकाल के विषय में इस वेबस्थल से पूर्व जानकारी प्राप्त कर लें।
  • २३ अप्रैल से निकटतम सप्ताहांत – शेक्सपीयर का जन्मोत्सव। यह भी स्ट्रैटफोर्ड यात्रा के लिए एक उत्तम काल है।
  • स्ट्रैटफोर्ड-अपॉन-एवन से संबंधित अधिक जानकारी के लिए ब्रिटेन भ्रमण वेबस्थल से भी जानकारी प्राप्त कर लें।

अनुवाद: मधुमिता ताम्हणे

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लन्दन के ब्रिटिश संग्रहालय की १० सर्वोत्तम कृतियाँ https://inditales.com/hindi/british-sangrahalaya-london-england/ https://inditales.com/hindi/british-sangrahalaya-london-england/#respond Wed, 25 Aug 2021 02:30:24 +0000 https://inditales.com/hindi/?p=2398

आप सबने ब्रिटेन के लन्दन शहर में स्थित ब्रिटिश संग्रहालय एवं उसके अद्भुत संग्रह के विषय में अवश्य सुना होगा। यदि आप लन्दन का भ्रमण करने जा रहे हैं तो वहां के दर्शनीय स्थलों की आपकी नियोजित सूची में लन्दन के संग्रहालयों के नाम सर्वोच्च प्राथमिकता के स्तर पर होने चाहिए। लन्दन के संग्रहालय यथार्थ […]

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आप सबने ब्रिटेन के लन्दन शहर में स्थित ब्रिटिश संग्रहालय एवं उसके अद्भुत संग्रह के विषय में अवश्य सुना होगा। यदि आप लन्दन का भ्रमण करने जा रहे हैं तो वहां के दर्शनीय स्थलों की आपकी नियोजित सूची में लन्दन के संग्रहालयों के नाम सर्वोच्च प्राथमिकता के स्तर पर होने चाहिए।

लन्दन के संग्रहालय यथार्थ में अत्यंत उल्लेखनीय संस्थाएं हैं जहां विश्वभर की अप्रतिम सांस्कृतिक धरोहर व कलाकृतियाँ संगृहीत एवं प्रदर्शित हैं। ये कलाकृतियाँ लगभग सभी क्षेत्रों एवं एक विस्तृत ऐतिहासिक समयावधि से सम्बंधित हैं। यद्यपि इनमें से कुछ संग्रह ऐसे हो सकते हैं जिनके अवलोकन के लिए टिकट क्रय करना आवश्यक है तथापि संग्रहालयों के अधिकाँश भागों का अवलोकन निःशुल्क है। अतः, इन विशाल संग्रहालयों के अधिकतम भागों में प्रवेश सुलभ है किन्तु वे कुछ अनुदान की अपेक्षा अवश्य करते हैं। ये अनुदान संग्रहालयों की गुणवत्ता के अनुपात से कम ही है।

ब्रिटिश संग्रहालय की ऐतिहासिक महत्ता

लन्दन के इन संग्रहालयों में प्रमुख है ब्रिटिश संग्रहालय, जो अद्वितीय ऐतिहतिक महत्ता से परिपूर्ण भव्य प्रदर्शित कृतियों के विशाल भण्डार के लिए जगप्रसिद्ध है। मैं कुछ समय पूर्व लन्दन में थी। मैं इस संग्रहालय के अवलोकन के सुअवसर की तीव्रता से प्रतीक्षा कर रही थी। जैसे ही मुझे वह अवसर प्राप्त हुआ, बिना एक क्षण गंवाएं मैं वहां पहुँच गयी। ब्रिटिश संग्रहालय की इमारत अत्यंत भव्य है। यहाँ बड़ी संख्या में व भिन्न भिन्न श्रेणियों में इतनी प्रदर्शित वस्तुएं हैं कि आप इस संग्रहालय का अवलोकन करते अनेक दिवस आनंद से व्यतीत कर सकते हैं। तब भी, मेरा विश्वास है कि कई कृतियाँ अनदेखी रह जाएँगी । यद्यपि यहाँ की प्रत्येक संग्रहीत कृति देख आप अवाक् हो जायेंगे, तथापि कुछ कृतियाँ अन्य वस्तुओं से इतनी विशेष एवं अद्वितीय हैं कि आपकी आँखे फटी कि फटी रह जायेंगी। यहाँ मैं आपके लिए एक अत्यंत कठिन कार्य करने जा रही हूँ। उन सर्वोत्कृष्ट, अप्रतिम व अद्वितीय कृतियों में से १० सर्वोत्तम कृतियों को चुनकर आपके समक्ष रख रही हूँ ताकि आप अपने आगामी भ्रमण के समय उनके अवलोकन अवश्य करें। विशेषतः यदि आपके पास समय का अभाव हो तथा अधिक से अधिक लन्दन में एक दिवस का समय ही हो तब भी आप इस संग्रहालय की उसी भव्यता का लगभग पूर्ण अनुभव ले सकते हैं।

ब्रिटिश संग्रहालय की १० सर्वोत्तम कृतियाँ

१.  रोजिटा शिला (The Rosetta Stone)

मेरे लिए यह संग्रहालय की सर्वाधिक प्रभावशाली वस्तु है। संभव है, कुछ दर्शनकर्ता मेरे इस चुनाव से सहमत न हों। विभिन्न चित्रपटों, पुस्तकों एवं विडियो खेलों में इस शिला का उल्लेख जिस प्रमाण में किया जाता रहा है, जिस प्रकार प्राचीन मिस्र के विभिन्न काल्पनिक रहस्यों की परतें खोलने के लिए इस शिला का प्रयोग किया जाता रहा है, इस शिला ने अनेक चित्रपट प्रेमियों, पुस्तक प्रेमियों एवं विडियो खेल प्रेमियों के हृदय में एक विशेष स्थान निर्माण किया है। अतः मेरे अनुसार ब्रिटिश संग्रहालय की अत्यंत दर्शनीय कृतियों में इसका प्रथम स्थान होना चाहिए।

रोज़ेटा शिला - ब्रिटिश संग्रहालय
रोज़ेटा शिला – ब्रिटिश संग्रहालय

रोजिटा शिला पर उत्कीर्णित अभिलेख के तीन संस्करण हैं, दो प्राचीन मिस्र भाषा के दो भिन्न रूपों में अभिलेखित हैं तो एक प्राचीन यूनानी भाषा में है। प्राचीन यूनानी भाषा में अभिलेखित संस्करण ने अंततः खोजकर्ताओं की इन चित्रलिपियों को समझने में सहायता की। कल्पना कीजिये, इस चित्रलिपि के रहस्योद्घाटन ने मानवसमाज के समक्ष प्राचीन विश्व का विशाल द्वार खोल कर रख दिया होगा। दो अत्यंत शक्तिशाली संस्कृतियों के संगम के इस प्रमाण का दर्शन करना मेरे लिए यह अत्यंत रोमांचक अनुभव था।

यह शिला युगों पूर्व की जीवनशैली की एक झलक हमारे समक्ष प्रस्तुत करती है। अद्भुत!

२. परिरक्षित देह (The Mummies)

प्राचीन मिस्र का उल्लेख होते ही हमारे समक्ष एक कल्पना अवश्य उभर कर आती है, वह है मानवों के परिरक्षित शरीर। इन्हें ममी भी कहा जाता है। ब्रिटिश संग्रहालय के उपरी तल पर आप इन परिरक्षित देहों अथवा ममियों के अनेक प्रकार देख सकते हैं। अब तक आपने इस प्रकार के दृश्य केवल चित्रपटों में ही देखे होंगे। उन्हें इस प्रकार प्रत्यक्ष रूप में अवलोकन करना किसी रोमांच से कम नहीं है। परिरक्षित देहों के विभिन्न प्रकार के विषय में यदि आपको कल्पना देना चाहूँ तो मेरा केवल यह बताना पर्याप्त है कि आप यहाँ बिल्लियों के भी अनेक ममी देखेंगे।

प्राचीन मिस्र की रक्षित ममी
प्राचीन मिस्र की रक्षित ममी

यह सम्पूर्ण क्षेत्र मिस्र के मरणोपरांत जीवन की अवधारणा को समर्पित है। यह ऐसा विषय है, ऐसी संकल्पना है जिसका हम सहसा हमारे सामान्य जीवन में कभी सामना नहीं करते हैं। ये केवल हमारे काल्पनिक जीवन में विचरण करते रहते हैं। अनुमानतः आपकी स्थिति भी यही होगी। इसीलिए यहाँ आकर उस काल्पनिक जीवन को सजीव होते देख अत्यंत रोमांच होता है। आपने बालपन में इनके विषय में सुना होगा, पाठशाला के पाठ्यपुस्तकों में पढ़ा होगा, किन्तु इन्हें अपने समक्ष देखना पूर्णतः भिन्न अनुभव है। इसीलिए यह ब्रिटिश संग्रहालय का सर्वाधिक लोकप्रिय भाग है। साधारणतः यूरोप में जनसँख्या कम होने के कारण कहीं पर भी लोगों का जमावड़ा नहीं होता। संग्रहालय के इस भाग में भी दर्शकों की अधिक भीड़ ना होने के कारण हम इन्हें देख पाए, मन पूर्वक अनुभव कर पाए तथा उस रोमांच का भी आनंद ले पाए। आप लन्दन भ्रमण करने आयें तो संग्रहालय, विशेषतः इस भाग का अवलोकन अवश्य करें।

और पढ़ें: गुए गाँव में एक बौद्ध भिक्षुक का परिरक्षित शरीर (ममी)

३. पार्थेनन की मूर्तियाँ एवं शिल्प                                                        

भव्य प्राचीन सभ्यता व संस्कृति का एक अन्य उदहारण है प्राचीन ग्रीस। यह संग्रहालय उस सभ्यता की भव्यता का प्रत्यक्ष प्रमाण प्रस्तुत करता है। यहाँ आप अनेक ऐसी उत्कृष्ट प्रतिमाएं देख सकते हैं जो एक काल में पार्थेनन का भाग थे। पार्थेनन एक अथीनियन मंदिर है जो देवी एथेना को समर्पित है।

ग्रीस की प्राचीन कलाकृतियाँ
ग्रीस की प्राचीन कलाकृतियाँ

यहाँ सैकड़ों की संख्या में मूर्तियाँ, शिल्प एवं चित्रवल्लरियाँ हैं जो प्राचीन ग्रीक की जीवन शैली हूबहू हमारे समक्ष प्रस्तुत करती हैं। इन शिल्पों को इतनी सूक्ष्मता से उत्कीर्णित किया गया है कि आप कारीगरों की निष्ठा एवं समर्पण के कायल हो जायेंगे। इन्हें देख आप भी जायेंगे कि प्राचीन ग्रीक सभ्यता एवं संस्कृति को सम्मान की दृष्टी से क्यों देखा जाता है। सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि समकालीन ग्रीक सरकार इन कलाकृतियों को ग्रीस वापिस लाना चाहती है किन्तु ब्रिटिश संग्रहालय ने ग्रीस सरकार की मांग को अस्वीकार कर दिया है।

४. ब्रिटिश संग्रहालय की जापानी दीर्घा

जापान अनेक रूपों में एक अत्यंत अचंभित कर देने वाला देश है। कई मायनों में यह विश्व में सर्वाधिक अग्रणी देश है, जैसे तकनीकी क्षेत्र। दूसरी ओर, इस देश के समाज को अपनी संस्कृति एवं परम्पराओं के प्रति प्रगाढ़ प्रेम, लगाव एवं सम्मान भी है। जापान की संस्कृति एवं परम्पराएं भी सैकड़ों वर्ष प्राचीन है। अब आप समझ गए होंगे कि यह दीर्घा कितनी महत्वपूर्ण है। यहाँ जापान के प्रागितिहास काल से लेकर आधुनिक काल तक की समयावधि का चित्रण करते अनेक वस्तुओं एवं कलाकृतियों का भण्डार है। सीमित समय होने पर इस जापानी दीर्घा का अवलोकन आपके समय का सदुपयोग होगा।

और पढ़ें: जापान में भारतीय सभ्यता

ब्रिटिश संग्रहालय के जापानी दीर्घा की सर्वोत्तम प्रस्तुति है, १७वीं सदी के समुराई योद्धा का वास्तविक कवच। है ना अद्भुत? इसे धारण कर जब योद्धा युद्धभूमि में उतरता होगा तब उसके मनमस्तिष्क में देशसेवा ही सर्वोपरि रहती होगी। इन्हें देख आप कल्पना कर सकते हैं कि समुराई योद्धा कितने तेजस्वी एवं प्रभावशाली हुआ करते थे।

५. बाब-एड्-ड्रा की मिट्टी की प्रतिमाएं

५००० वर्ष प्राचीन ये कलाकृतियाँ मृत सागर के समीप स्थित बाब-एड्-ड्रा नामक स्थान में बनाई गयी थीं। ये शिल्प विशेष दर्शनीय कलाकृतियाँ तो कदापि नहीं हैं। इसीलिए इन्हें देख मुझमें उत्सुकता उत्पन्न हुई। ये इतनी साधारण है कि मुझे प्रतीत हुआ, मैं अभी मिट्टी से इस प्रकार की प्रतिमाएं बना सकती हूँ। इनका ब्रिटिश संग्रहालय में होना, इस संग्रहालय के संग्रह की विशालता की ओर संकेत करता है। ये प्रतिमाएं किसकी हैं तथा इनके पृष्ठभाग में क्या कथा है, मुझे इसकी जानकारी प्राप्त नहीं हुई।

६. इफ प्रमुख का कांस्य शीष

आपने यह नाम कदाचित कभी नहीं सुना होगा। किन्तु मैं आपको विश्वास दिलाती हूँ कि यह शिल्प आपके मनमस्तिष्क पर छाप अवश्य छोड़ेगी। कांस्य धातु में निर्मित यह शीष इतना जीवंत प्रतीत होता है आप इसे देखते ही रह जायेंगे। इसे देख ऐसा प्रतीत होता है मानो उसके मुख से अब स्वर विस्फुटित होंगे। इफ पश्चिमी अफ्रीका का एक राज्य था। यह शीष कदाचित उस राज्य के प्रमुख का होगा। यह लगभग ६०० वर्ष प्राचीन शिल्प है। इस शीष के अतिरिक्त, अफ्रीका के अनेक अन्य शिल्प भी यहाँ प्रदर्शित हैं।

प्राचीन अफ्रीकी देशों के विषय में विशेष पढ़ने व सुनने को नहीं मिलता है। किन्तु इन्हें देख यह आभास होता है कि इफ एवं ऐसे अनेक समाज उस काल में अफ्रिका के संपन्न समाज थे। वे भी अद्भुत संस्कृति एवं आकर्षक कला के धनी थे। उदहारण के लिए, इफ समाज के पुरुष के शीष का यह शिल्प इतनी सूक्ष्मता से उत्कीर्णित है कि आप इसके कलाकार के शिल्पकौशल की कल्पना कर अचंभित हुए बिना रह नहीं पायेंगे। इस अद्भुत कलाकृति को आप अवश्य देखें।

७.  आमेनहोटेप तृतीय का शीष

लगभग ४ टन भारी एवं ३ मीटर ऊंचा यह शीष भी एक आकर्षक व भव्य शिल्प है। यह शीष मिस्र के फेरो आमेनहोटेप तृतीय का है जिसने लगभग ३५०० वर्षों पूर्व मिस्र पर राज किया था। इस शीष के शिल्प पर विद्यमान कला कौशल भी आपको अचंभित कर देगी तथा आपको वहीं रूककर इसे निहारते रहने के लिये बाध्य कर देगी। इस शीष के समीप एक विशाल भुजा का शिल्प रखा हुआ है जो यह दर्शाता है कि ये दोनों किसी अतिविशाल प्रतिमा के भाग हो सकते हैं।

आमेनहोटेप तृतीय का शीष
आमेनहोटेप तृतीय का शीष

ऐसे व्यक्तित्व के योद्धा राजा का प्रभुत्व कितना प्रभावशाली होगा जो उनके सम्मान में करीगरों ने इतना भव्य एवं अतिविशाल प्रतिमा गढ़ी होगी। यह प्रतिमा वास्तव में कितनी विशाल होगी, यह कल्पना कर आप आश्चर्यचकित हो जायेंगे। उस काल में ऐसी प्रतिमा को रचना तथा निश्चित स्थान पर स्थापित करना कितना विशाल कार्य रहा होगा। इसका आभास आपको इसे देखकर ही होगा।

८. वेनिस का दृश्य

ब्रिटिश संग्रहालय के अप्रतिम संग्रह की इस सूची में स्थान पाते अधिकतर कृतियों से अपेक्षाकृत यह कृति अधिक लोकप्रिय ना हो, किन्तु फिर भी यह अत्यंत दर्शनीय है। १५०० ईसवी के वेनिस का यह मानचित्र उस काल के वेनिस नगरी का विस्तृत रेखा चित्र है। उस काल में विद्यमान छोटे से छोटे मार्ग, गलियाँ तथा गृहों को इसमें स्पष्ट दर्शाया गया है। ऐसा मानचित्र हो तो कोई भी अपना मार्ग कभी नहीं चूकेगा। ऐसी स्पष्टता, ऐसी सूक्ष्मता तथा ऐसी उत्कृष्टता आपको ऐसा सम्मोहित कर देगी कि आप वहां से आगे नहीं जा पायेंगे।

और पढ़ें: नई दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय की १० सर्वोत्कृष्ट कलाकृतियाँ

कदाचित संग्रहालय के अधिकारियों को ज्ञात हो गया था कि लोग इस मानचित्र को घंटों निहारना चाहेंगे तथा इसके द्वारा प्राचीन काल की जीवनशैली के विषय में अनुमान लगाने का प्रयास करेंगे। इसीलिए उन्होंने इसके समक्ष बैठक की व्यवस्था की है ताकि उस पर बैठकर दर्शन सुविधापूर्वक इसका अवलोकन कर सकते हैं। आपको यहाँ इटली के भी अनेक पर्यटक दृष्टिगोचर होंगे जिन्हें इस मानचित्र में विशेष रूचि होती है।

९. लुईस मोहरे (चेसमैन)

संग्रहालय में स्थित कृतियों के रूप में चेस अथवा शतरंज के मोहरे कदाचित आपको प्रथमदर्शनी आकर्षित ना करें, किन्तु इन्हें ध्यानपूर्वक देखने पर आपको इस पर सूक्ष्मता से किये गए उत्कीर्णन अचंभित कर देंगे। उस पर यह सत्य कि इन्हें १२वीं सदी में बनाया गया है। आपके दृष्टिकोण में १८० अंश परिवर्तन आ जाएगा। मुझे ये मोहरे अत्यंत आकर्षक एवं रोचक प्रतीत हुए।

शतरंज के मोहरे
शतरंज के मोहरे

शतरंज के ये मोहरे कदाचित विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय मोहरों में से है। हैरी पॉटर के एक चित्रपट में भी इन्हें दिखाया गया है। चैम्बर ऑफ़ सीक्रेट्स! इस चित्रपट में खेले गए उस विशेष शतरंज के खेल का आपको स्मरण होगा। इन मोहरों ने उस खेल प्रतियोगिता में भाग लिया था। अब तो आप इन्हें देखेंगे ना?

१०. ब्रिटिश संग्रहालय

यह नाम पढ़कर आप विस्मित हुए होंगे! हम ब्रिटिश संग्रहालय में ही भ्रमण कर रहे हैं, फिर ब्रिटिश संग्रहालय एक कलाकृति कैसे हो गयी? जी हाँ, ब्रिटिश संग्रहालय की संरचना स्वयं में वास्तुकला का एक अत्यंत भव्य उदाहारण है। इसका अग्रभाग प्राचीन ग्रीस की शैली में निर्मित है। इसकी विशालता इस शैली को अत्यंत प्रभावशाली बना देती है।

ब्रिटिश संग्रहालय - लन्दन
ब्रिटिश संग्रहालय – लन्दन

कालान्तर में इस संरचना में नवीन भागों को जोड़ा गया। अतः इस इमारत को ध्यानपूर्वक निहारें तो इसमें विभिन्न वास्तुशैलियों का अद्भुत संगम दृष्टिगोचर होता है। आप यहाँ रानी एलिजाबेथ द्वितीय की आमसभा को निहारना ना भूलें। यह एक अतिविशाल प्रांगण है जो संग्रहालय के मध्य में स्थित है। इस पर छत है। यह यूरोप का विशालतम सार्वजनिक प्रांगण है जो छत से ढंका हुआ है। कांच का यह छत अत्यंत सुन्दर है। संग्रहालय के दर्शन करते आप थक जाएँ तो कुछ क्षण विश्राम करने हेतु आप यहाँ रुक सकते हैं। मेरी मानें तो यहाँ कुछ क्षण व्यतीत करना अत्यंत सार्थक सिद्ध होगा। यह स्थान इस इमारत की विशालता एवं भव्यता का पूर्ण आभास प्रदान करता है। इस भावना का आनंद लेते हुए आप शान्ति से कुछ क्षण यहाँ व्यतीत कीजिये।

ब्रिटिश संग्रहालय के लिए कुछ अंतिम शब्द

इस संग्रहालय में आप एक पूर्ण दिवस व्यतीत कर सकते हैं। उस पर भी इसे देखने की इच्छा समाप्त नहीं होती। अपनी रूचि एवं उपलब्ध समय के अनुसार आप अपने संग्रहालय दर्शन कार्यक्रम का नियोजन कर सकते हैं। यहाँ आपकी सुविधा के लिए अनेक सुविधाएं उपलब्ध हैं। विभिन्न प्रकार के जलपान गृह एवं भोजनालय भिन्न भिन्न स्थानों पर उपलब्ध हैं जहाँ आप कुछ क्षण बैठकर अपनी मध्यवर्ती थकान दूर कर सकते हैं।

जिज्ञासा

मुझे यहाँ अनेक शालेय विद्यार्थियों को देख अत्यंत प्रसन्नता हुई। वे संग्रहालय में यहाँ-वहां फुदक रहे थे। विभिन्न पाठशालाओं के विद्यार्थियों को नियमित रूप से यहाँ लाया जाता है तथा उन्हें यहाँ के संग्रहों के माध्यम से विभिन्न संस्कृतियों के प्रत्यक्ष परिचय कराया जाता है। विद्यार्थीगण इस संग्रहालय का भरपूर आनंद उठा रहे थे। विभिन्न कलाकृतियों के प्रति उनकी विशुद्ध जिज्ञासा स्पष्ट झलक रही थी। शालेय ज्ञान प्राप्त करने के लिए यह एक उत्तम साधन है। इसके अतिरिक्त वे अत्यंत शालीनता से भी व्यवहार कर रहे थे। अतः आप चिंता ना करें कि उनके कारण आपका भ्रमण नीरस हो जाएगा।

यदि आप लन्दन में कुछ विस्मयकारी एवं रोमांचक करना चाहते हैं तो इस संग्रहालय का दर्शन आपकी सूची में प्रथम स्थान पर रखिये। आप इस निर्णय से निराश नहीं होंगे।

यह अंका (Anca) द्वारा प्रदत्त एक अतिथि संस्करण है।


अंका One Day Itinerary की संस्थापक एवं प्रमुख संपादक हैं। यह यात्रा संस्करण उन्होंने उन पर्यटकों को समर्पित किया है जो किसी नवीन नगरी में अपना अधिकतम समय सर्वोत्तम रूप से व्यतीत करना चाहते हैं। भले ही उनके पास केवल एक दिन का ही समय क्यों ना हो! अंका ने लगभग विश्व के सभी पर्यटन स्थलों का भ्रमण किया है। अतः किसी पर्यटन स्थल के विषय में आवश्यक जानकारी प्राप्त करने हेतु उनसे उत्तम कौन होगा?  अपनी यात्रा संस्करणों द्वारा उन्होंने अनेक पर्यटन स्थलों के विषय में पर्यटकों के लगभग सभी प्रश्नों एवं जिज्ञासाओं का समाधान किया है।


अनुवाद: मधुमिता ताम्हणे

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ग्रीस का मिकोनोस द्वीप जो कहा जाता है पवन के झोंकों का द्वीप https://inditales.com/hindi/mykonos-dweep-greece/ https://inditales.com/hindi/mykonos-dweep-greece/#respond Wed, 15 Jul 2020 02:30:31 +0000 https://inditales.com/hindi/?p=1881

मिकोनोस द्वीप– जैसा मेरी स्मृति में सदा के लिए बस गया है. . . “. . .. उजले श्वेत दीवारों पर बोगेनविलिया के पुष्पों की बिखरी चटक गुलाबी आभा, शुद्ध श्वेत पगडंडियों पर पैरों को छूकर फड़फड़ाते हुए दूर निकलते मनभावन गुलाबी पुष्प, सामने मन को मंत्रमुग्ध करता एजियन समुद्र के गहरे नीले रंग का […]

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मिकोनोस द्वीप– जैसा मेरी स्मृति में सदा के लिए बस गया है. . .

“. . .. उजले श्वेत दीवारों पर बोगेनविलिया के पुष्पों की बिखरी चटक गुलाबी आभा, शुद्ध श्वेत पगडंडियों पर पैरों को छूकर फड़फड़ाते हुए दूर निकलते मनभावन गुलाबी पुष्प, सामने मन को मंत्रमुग्ध करता एजियन समुद्र के गहरे नीले रंग का अनवरत उतार चढ़ाव, सुनहरी धूप में लहरों के संग अठखेलियाँ करती सूर्य की किरणें, सम्मोहन का जादू बिखेरता यह अद्भुत दृश्य। ना मेरी पलकों को झपकना स्वीकार था ना ही दांतों तले से मेरी उंगली को शिथिल होना। चेहरे पर सूर्य की किरणों की मंद मंद तपन, बालों को सहलाते शीतल हवा के झोंकें एवं यह मंत्रमुग्ध करता परिदृश्य, उस क्षण ऐसा प्रतीत हुआ जैसे मैंने परमानन्द को पा लिया .. ..”

मिकोनोस द्वीप
मिकोनोस द्वीप – रात्रि दृश्य

हमने ग्रीस के विषय में बहुत कुछ सुन रखा था। इसके विषय में बहुत कुछ पढ़ा भी था। ग्रीस के विविध परिदृश्य, ३००० वर्षों से भी अधिक प्राचीन समृद्ध इतिहास, मनमोहक वास्तुकला, अत्यंत स्वादिष्ट खानपान, सर्वोत्तम जलवायु तथा अंत में वहाँ के मिलनसार लोग अत्यंत प्रसिद्ध हैं। अनेक वर्षों से हम इसका अनुभव लेने के लिए आतुर थे। इस स्वर्ग के दर्शन करने की हमारी अभिलाषा अंततः पूर्ण हुई। जून २०१७ में हमने ग्रीस के इतिहास, परिदृश्य सौन्दर्य तथा खानपान के अद्भुत सम्मिश्रण का अविस्मरणीय आनंद उठाने के लिए एक सप्ताह की यात्रा योजना तैयार की। प्रजातन्त्र, ओलंपिक खेलों तथा अन्य अनेक विषयों के जनक माने जाने वाले ग्रीस की यात्रा के विचार से ही हम अत्यंत रोमांचित थे।

ग्रीस का मिकोनोस द्वीप

मेरी इस ग्रीस यात्रा के समय मिकोनोस मेरी थाली में एक अतिरिक्त व्यंजन के समान परोसा गया था। किन्तु मिकोनोस दर्शन के पश्चात मैंने अनुभव किया कि वह तो मेरे लिए मेरी मनपसंद मीठी खीर के समान था। मेरी यात्रा का सर्वोत्तम भाग था। मिकोनोस ग्रीस के सर्वाधिक सुंदर द्वीपों में से एक है जो अपने उत्तम सौन्दर्य एवं शांत समुद्र तट के लिए जाना जाता है। ग्रीस की राजधानी एथेंस में अप्रतिम, प्रभावशाली यूनानी इतिहास की पर्याप्त मात्रा प्राप्त करने के पश्चात हम अपने आगे की यात्रा की परतें खुलने की अधीरता पूर्वक प्रतीक्षा कर रहे थे क्योंकि आगे आने वाले चार दिनों में हम मिकोनोस एवं साँटोरिनी द्वीपों के प्राकृतिक सौन्दर्य में स्वयं को सराबोर करते हुए विश्रांती पाना चाहते थे।

एथेंस से मिकोनोस द्वीप तक की नौका यात्रा

एथेंस की बंदरगाह
एथेंस की बंदरगाह

एथेंस के अतिथिगृह में सुबह जलपान ग्रहण करने के पश्चात हम एथेंस के मुख्य बंदरगाह पिरियस पोर्ट पहुंचे। यहाँ हम ‘ब्लू स्टार लग्शरी यॉट’ नामक नौका पर चढ़े जो हमें मिकोनोस द्वीप पर पहुंचाने हेतु प्रतीक्षारत खड़ी थी। इस अति विलासी राजसी यॉट में चारों ओर अनेक स्थानों पर विस्तृत खुली छतें थीं जिनमें से एक तो वहाँ से अत्यंत समीप थी जहां हम बैठे हुए थे। बाहर समुद्र का दृश्य देखने के लिए हम उठकर बाहर आ गए। बाहर बूँदाबाँदी हो रही थी। आकाश में बादल छाए हुए थे। छत पर अत्यंत वेग से हवा बह रही थी। आरंभ में तो मेरा ध्यान आसपास नहीं गया क्यों कि मैं इस अप्रतिम वातावरण का आनंद लेने में ही व्यस्त थी। ऊपर से गिरती वर्षा की फुहारें, शीतल हवा के मस्त झोंके तथा सूर्योदय की आभा। जैसे ही वर्षा की फुहारें बंद हुईं, मेरी दृष्टि आसपास के परिदृश्य पर पड़ीं। चारों ओर का सौन्दर्य देख मेरी आँखें खुली कि खुली रह गईं।

एजियन समुद्र

एजियन समुद्र - ग्रीस
एजियन समुद्र – ग्रीस

हमारे चारों ओर गहरे नीले रंग का एजियन समुद्र था जो भूमध्य सागर का लंबा तटबंद है। गोवा जैसे अप्रतिम समुद्र तटीय क्षेत्र में अनेक वर्षों से निवास करने के कारण समुद्र तथा समुद्र तट मेरे लिए कोई नवीन तत्व नहीं हैं। गोवा के अतिरिक्त, भारत तथा भारत के बाहर भी, मैंने अनेक स्थानों पर समुद्र तथा तट देखें हैं। किन्तु एजियन समुद्र जैसा अत्यंत सुंदर समुद्र मैंने इससे पूर्व कहीं नहीं देखा था। कांच के समान स्वच्छ, अत्यंत गहरे नीले रंग का यह समुद्र मेरे मन मस्तिष्क में सर्वोत्तम स्थान प्राप्त कर चुका था। नीले रंग के इतने रूप, जल की दिव्य स्वच्छता तथा अत्यंत मनभावन वातावरण, इन्हे शब्दों में ढालना असंभव है। विश्वास करने के लिए इनका स्वयं अनुभव प्राप्त करना आवश्यक है।

नौका से द्वीपों का विहंगम परिदृश्य

यॉट की खुली छत पर खड़े हम समीप आते सायरोस एवं टिनोस द्वीपों को निहारने लगे। इन द्वीपों की वास्तु परिदृश्यों की अप्रतिम सुंदरता से हम अत्यंत चकित थे। साइक्लैड वास्तु एवं मध्ययुगीन वास्तु के अद्भुत सम्मिश्रण का एक विहंगम दृश्य हमें दूर इस नौका से प्राप्त हो रहा था। साइक्लैड वास्तु की विशेषता है श्वेत रंग के चौकोन घर, गोल फ़र्शी के पत्थरों से जड़े मार्ग, प्राचीन पवन चक्कियाँ तथा सर्वव्यापी नीले गुंबददार गिरिजाघर।

और पढ़ें – गोवा कोल्वा समुद्र तट

नौका की डेक से हमें संकरी गलियों के मध्य अनगिनत संगमरमरी सीढ़ियाँ दिख रही थीं जो समुद्र तट से पहाड़ी के ऊपर तक जा रही थीं। सीढ़ियों के दोनों ओर सुंदर घर थे जिनके द्वार एवं खिड़कियां एक रंग में रंगे थे। द्वीपों के उत्कृष्ट दृश्यों ने हमें मंत्रमुग्ध कर दिया था। हम इनमें से प्रत्येक द्वीप पर उतरने की कामना कर रहे थे। किन्तु ये द्वीप हमारे गंतव्य नहीं थे। हम आशा करने लगे कि मिकोनोस भी इसी प्रकार के परिदृश्यों से परिपूर्ण होगा।

मिकोनोस द्वीप का संध्या दृश्य

मिकोनोस द्वीप के तट पर सांझ
मिकोनोस द्वीप के तट पर सांझ

५ घंटों के अप्रतिम परिदृश्य दर्शन के पश्चात हम मिकोनोस पहुंचे। पवन के झोंकों के द्वीप के नाम से प्रसिद्ध मिकोनोस द्वीप अपने नाम के अनुरूप प्रतीत हुआ। इसने निर्मल एवं सुखद पवन के झोंकों से हमारा भव्य स्वागत किया। हमें बताया गया कि यह सर्वाधिक प्रसिद्ध तथा सार्वभौमिक साइक्लैड द्वीप है। इस द्वीप को विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय समुद्र तटों में से एक माना जाता है। मिकोनोस विश्व के उत्तम पार्टी स्थल के रूप में भी अत्यंत लोकप्रिय है।

बंदरगाह से हम एक मनोरम तटीय रिज़ॉर्ट में पहुंचे जहां हमारे ठहरने की व्यवस्था पहले से ही कर दी गई थी। गहरे फिरोजी नीले रंग का शांत समुद्र हमारी ड्योढ़ी पर ही था। किन्तु वहाँ पहुंचते ही हमारे उत्साह पर सेंध लगाने के लिए बूंदबाँदी फिर आरंभ हो गई। मेरी बिटिया की उमंगें सर्वाधिक आहत हुईं। यदि यह बूंदबाँदी इसी प्रकार जारी रही तो दूसरे दिन के मिकोनोस के प्राचीन नगर में स्थित प्रसिद्ध पद-मार्ग तथा पवन-चक्कियों के दर्शन के कार्यक्रम पर पानी फिर जाएगा। फिर हमने विचार किया कि व्यर्थ चिंता से कभी किसी का भला नहीं हुआ। हमने अपना ध्यान रिज़ॉर्ट के समुद्रतट पर एक सुंदर संध्या व्यतीत करने पर केंद्रित किया और हम समुद्र की ओर चल दिए। सौभाग्य से वर्षा की फुहारें बंद हो गईं तथा सुंदर स्वच्छ नीले आकाश ने उभरकर हमारे उत्साह में चार चाँद लगा दिए।

जैसा कि मैंने कहा था, गोवा से होने के कारण समुद्र तट मेरे लिए नवीन नहीं है। किन्तु मिकोनोस का यह तट हमें एक नवीन विश्व में ले गया। ऐसा तट, ऐसा सौन्दर्य तथा ऐसा परिदृश्य मैंने अपने जीवन में पहली बार ही देखा था। इस सौन्दर्य को शब्दों में पिरोना अत्यंत कठिन है। इसे देखने के पश्चात ही आप मेरे उल्हास को समझ पाएंगे।

मिकोनोस का समुद्रतट

सुंदर स्वच्छ नीला आकाश उभरकर आ गया था। अत्यंत स्वच्छ समुद्र तट पर चारों ओर पर्यटकों के लिए आरामदायक बैठकें लगायी हुई थीं। पर्यटक विभिन्न क्रियाकलापों का भरपूर आनंद उठ रहे थे। किन्तु समुद्र में बहुत ही कम लोग तैर रहे थे। समुद्र में प्रवेश करने के पश्चात ही हमें इसका कारण समझ आया।

मिकोनोस द्वीप के समुद्रतट को ले जाते संकरे रास्ते
मिकोनोस द्वीप के समुद्रतट को ले जाते संकरे रास्ते

समुद्र का तल अन्य समुद्र तलों के समान रेतीला नहीं था। समुद्र के तल पर कठोर ठोस सतह थी जो ज्वालामुखी की देन है। तट पर बिखरी मोटी रेत को देख ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो इसे समुद्र तट का प्रभाव प्रदान करने के लिए कहीं से लाया गया है। हमने भी स्वागत करते जल में प्रवेश किया। सुखद, शीतल, नितांत स्वच्छ जल जो रंगीन भोली भाली छोटी मछलियों से भरा हुआ था। अचानक जल में हम एक कमर तक ऊंची ठोस कठोर मेंढ़ से टकराए जो सम्पूर्ण तट से समांतर स्थित थी। इस प्राकृतिक मेंढ़ को जब पार किया तो आभास हुआ कि उस पार समुद्र तल अचानक ही अत्यंत गहरा हो गया है। साथ ही तैरते समय सिर का कठोर मेंढ़ से टकराने का भी भय था। अतः हमने जल से बाहर आकर अन्य पर्यटकों के समान तट पर ही आनंद लेना योग्य जाना।

मिकोनोस के समुद्रतट पर खड़े होकर हमने संध्या के परिदृश्यों को अपनी स्मृति में अंकित किया, अनेक छायाचित्र भी लिए। धीरे धीरे रात्रि का अंधेरा छाने लगा था। इसके पश्चात हमने जो परिदृश्य देखा उसकी स्मृति आज भी मुझे स्वप्नों के विश्व में पहुंचा देती है। आकाश में चंद्रमा अपनी सम्पूर्ण आभा से दमक रहा था। एजियन समुद्र की सतह पर पड़ता चंद्रमा का प्रकाश उसे ऐसा चमका रहा था मानो समुद्र सतह पर किसी ने अनगिनत चमकते हीरे बिखेर दिए हों। इस दमकते रात्रि के दृश्य ने हमें इतना सम्मोहित कर दिया था कि हमें अपने पीछे तट पर जारी पर्यटकों की मस्ती व किलोल का भान ही नहीं था।

कुछ और अंधेरा छाने के पश्चात हम भी तट पर चलते आनंदी क्रियाकलापों का भाग बन गए। चाँदनी रात में समुद्र तट पर ही हमारे रात्रि भोज की व्यवस्था थी। भोजन व्यवस्था अत्यंत सीमित थी। यह रिज़ॉर्ट नगर से दूर होने के कारण हमें इसी से संतुष्ट होना पड़ा। इतने प्रसन्न वातावरण के रहते हमें इसका खेद भी नहीं हुआ। हमारा ध्यान खाने में कम, आसपास के आनंद एवं उल्हासपूर्ण दृश्यों में अधिक था। संगीत बज रहा था। लोग नृत्य कर रहे थे। चारों ओर उमंग का वातावरण था। अंततः मिकोनोस द्वीप का समुद्र तट इन्ही विहारों के लिए प्रसिद्ध है।

मिकोनोस द्वीप के पद-मार्ग

दूसरे दिन प्रातः नाश्ते के पश्चात हम मुख्य नगर में स्थित पद-मार्ग का अवलोकन करने निकले। मुख्य नगर को नगर केंद्र अथवा चोरा कहा जाता है। रिज़ॉर्ट के सामने एक छोटा बस स्थानक था जहां से प्रातः ८ बजे से रात्री ८ बजे तक, प्रत्येक आधे घंटे में मुख्य नगर तक अत्यंत सुविधाजनक बस सेवा उपलब्ध थी। मुख्य नगर रिज़ॉर्ट से लगभग १५ मिनट की दूरी पर था।

मिकोनोस द्वीप के मनभावन पथ
मिकोनोस द्वीप के मनभावन पथ

ग्रीस देश अपने पद-मार्गों के लिए अत्यंत प्रसिद्ध है। इसके प्रत्येक नगर में आपको पद-मार्ग मिल जाएंगे। ये पद-मार्ग साधारणतः नगर के प्राचीन भाग होते हैं जहां अनेक प्रकार के दर्शनीय स्थल एवं क्रियाकलाप उपलब्ध होते हैं, जैसे विशिष्ठ दुकानें, घर, कैफै, उपहारगृह, विशिष्ट भोजनालय, कला दीर्घा इत्यादि। ये मार्ग इतने सँकरे होते हैं कि इनमें वाहन चलाने की अनुमति नहीं है। पद-मार्ग इस शब्द से आपको अनुमान हो गया होगा कि इन गलियों में हम केवल पैदल ही चल सकते हैं।

एथेंस में भी हमने इन पद-मार्गों में सैर की थी। एथेंस के पद-मार्ग क्षेत्र को ‘मोनास्तिराकी’ कहा जाता है। एथेंस का ‘मोनास्तिराकी’ किंचित भिन्न था। वह किसी नगर के पुराने बाजार के समान अधिक था जहां कपड़ों, स्मारिकाओं तथा अन्य ठेठ वस्तुओं की दुकानें, स्थानीय खाने-पीने की दुकानें तथा मोल-भाव करने वाली दुकानें अधिक थीं। इन दुकानों में कुछ विशिष्ठता अथवा सौंदर्यभाव नहीं था। इसके विपरीत यह गालियां अत्यंत भीड़भाड़ भरी थीं।

पदमार्ग

हमने मिकोनोस के पदमार्गों के विषय में पढ़ा था तथा कुछ चित्र भी देखे थे। जैसे ही हमने एक गली के द्वारा चोरा गाँव में प्रवेश किया, हमें इस क्षेत्र के सौन्दर्य की प्रथम झलक प्राप्त हुई। हमें लगा हम किसी भिन्न विश्व में प्रवेश कर रहे हैं। जिस तत्व ने सर्वप्रथम हमारा ध्यान आकर्षित किया था वह था निर्मल श्वेत, नीले एवं गुलाबी रंगों का अप्रतिम सम्मिश्रण। वहाँ छोटे चौकोर घर थे जिनमें अधितकर दो तलों के थे। इनकी भित्तियाँ स्वच्छ दमकते श्वेत रंग की थीं। उनकी खिड़कियां तथा द्वार चटक नीले रंग के थे। पत्थर बिठाकर निर्मित किए गए सँकरे पदमार्ग भी स्वच्छ ताजे श्वेत रंग के थे। निरपवाद रूप से प्रत्येक घर पर बोगनवेलिया की लताएं चढ़ी हुई थीं जो उजाले गुलाबी पुष्पों से लदी हुई थीं।

घरों की संरचनाएं प्राचीन प्रतीत हो रही थीं किन्तु उनके भीतर तथा बाहर सर्वोत्तम रीति से रख रखाव किया गया था। कुछ घरों में लोग निवास कर रहे थे, वहीं अनेक घरों में दुकानें, कैफै तथा कला दीर्घाएँ स्थापित थे। हमने जब इन गलियों में सैर करना आरंभ किया, हमें आभास हो गया कि हम जिस गाँव में विचरण कर रहे हैं वह एक विशाल भूल-भुलैया से कम नहीं है।

दुकानें

ध्यान आकर्षित करती दुकानें
ध्यान आकर्षित करती दुकानें

संकरी गलियों में विचरण करते हमने अनेक विशिष्ट महंगी दुकानें देखीं जहां उच्च स्तर के तैयार वस्त्र, भिन्न भिन्न प्रकार के जूते-चप्पल, प्रसाधन सामग्री, आभूषण, सूखे मेवे तथा स्मारिकाओं की बिक्री हो रही थी। यद्यपि इनमें से अधिकतर वस्तुएं उच्च-स्तरीय थे तथापि मुलायम ग्रीक-सूती लपड़े से बने तैयार वस्त्र तथा कुछ ग्रीक स्मारिकाओं ने हमें विशेष रूप से आकर्षित किया। हमने हमारे तथा हमारे प्रियजनों के लिए कुछ खरीददारी की।

कला दीर्घाएँ

मिकोनोस की कला दीर्घाएं
मिकोनोस की कला दीर्घाएं

मिकोनोस के पद-मार्गों पर सैर करते हुए हमारा ध्यान आकर्षित किया यहाँ स्थित कला दीर्घाओं ने। लगभग प्रत्येक गली में कम से कम एक कला दीर्घा थी। इन कला दीर्घाओं की एक विशेषता थी कि यह सब निजी स्वामित्व की दीर्घाएँ थीं जिनमें उनके स्वामी द्वारा स्वयं संग्रहीत कलाकृतियों का संग्रह था। हमने यहाँ विभिन्न कला क्षेत्रों की कलाकृतियाँ देखीं। मुझे इन संग्रहालयों के स्वामियों का एक भाव अत्यंत भाया। वे स्वयं संग्रहालय में उपस्थित रह कर हमें अपने संग्रह के विषय में विस्तार से वर्णन कर रहे थे। उनका आचरण अत्यंत आत्मीयता पूर्ण था। आप सोच रहे होंगे कि हमसे मोटा प्रवेश शुल्क लिया होगा। जी नहीं! यह दीर्घाएँ सभी के लिए खुली हैं तथा कोई प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता।

मिकोनोस की पवन-चक्कियाँ

मिकोनोस की पवन चक्कियां
मिकोनोस की पवन चक्कियां

मिकोनोस की गलियों में घूमते समय हम सतत समुद्र की ओर से आती शीतल बयार की दिशा आँकते जा रहे थे तथा उसी ओर अपना मुख रखा था। हमारी यह योजना हमें इस भूलभुलैया के उस पार ले जाने में सफल हुई। बाहर आते ही हम अथाह समुद्र के समक्ष खड़े थे। बाईं ओर दृष्टि घूमते ही हमें इस द्वीप के प्रसिद्ध पवन-चक्कियाँ दृष्टिगोचर हुए। यह सभी पवन-चक्कियों के आधार गोलाकार थे। उज्ज्वल श्वेत रंग में रंगे इन चक्कियों में शुंडाकार छतें, छोटी छोटी खिड़कियां तथा नीले रंग में रंगे द्वार थे। यहाँ भी श्वेत व नील वर्ण के सम्मिश्रण का लुभावना दृश्य था। सभी चक्कियों के द्वार बंद थे। अतः हम उन्हे भीतर से नहीं देख पाए। हमें बताया गया कि ये चक्कियाँ चालू स्थिति में नहीं हैं। अब ये केवल दर्शनीय वस्तु हैं।
इनमें से एक पवन-चक्की को अब एक छोटे संग्रहालय में परिवर्तित किया गया है।

हमें बताया गया कि मिकोनोस में कुल १६ पवन-चक्कियाँ हैं जिनमें ७ चक्कियाँ इस चोरा पहाड़ी पर हैं। वेनिस निवासियों द्वारा निर्मित इन चक्कियों का प्रयोग मुख्यतः गेहूं तथा जौ पीसने में किया जाता था। २० वीं. सदी के मध्य से इनके प्रयोग में कमी आने लगी तथा अंततः ये पूर्णतः बंद हो गए।

मिकोनोस पद-मार्ग के कैफै, बेकरी तथा जलपानगृह

सुस्ताने का आमंत्रण देते जलपान गृह
सुस्ताने का आमंत्रण देते जलपान गृह

दुकानों एवं संग्रहालयों के मध्य अनेक पारंपरिक बेकरी थीं जहां ताजे निर्मित खाद्य पदार्थ बिक्री किए जा रहे थे। उनमें से एक ने हमें उनकी पारंपरिक भट्टियाँ भी दिखाई जो दुकान के पृष्ठभाग में थी। हमने यहाँ दोनों प्रकार के कैफै देखे, सादे तथा उच्च स्तर के सर्व सुविधापूर्ण। किन्तु उनमें एक तथ्य आम था। वे सभी अत्यंत छोटे छोटे थे क्योंकि यहाँ बड़ी संरचना के लिए पर्याप्त स्थान ही नहीं है। हमने यहाँ के कुछ स्थानीय व्यंजनों का आस्वाद लिया तथा कुछ वापिस घर लाने के लिए खरीदे।

इनके अतिरिक्त कुछ अत्यंत लुभावने जलपान गृह थे। अधिकतर जलपानगृह खुले में थे। यहाँ सामिष एवं निरामिष दोनों प्रकार के ग्रीक एवं अन्य यूरोपीय व्यंजन परोसे जा रहे थे। जैसा कि कहते हैं, रोम में रोमवासियों के समान व्यवहार करो। उस दिन दोपहर के भोजन में हमने स्वादिष्ट ग्रीक व्यंजनों का आस्वाद लिया। खाने के पश्चात हमें जलपानगृह की ओर से ग्रीस का एक स्थानीय पेय भी परोसा गया।

खाने के पश्चात हमने चोरा के पद मार्गों तथा समुद्रतट का एक और दौरा किया। स्मारिका विक्रेताओं से मिकोनोस के विशिष्ठ पवन-चक्कियों के प्रतिरूप खरीदे। संध्या समाप्ति तक बचे हुए संग्रहालयों तथा दुकानों का अवलोकन किया।

अब हमें रिज़ॉर्ट वापिस जाने के लिए चोरा के इस पार आकर बस पकड़नी थी। समुद्रतट से उठकर हम वापिस आने के लिए गलियों में आ गए। किन्तु हमारी स्थिति अत्यंत हास्यास्पद हो रही थी। बार बार हम घूमकर समुद्र तट पर ही आ जाते थे। मार्गों के भूलभुलैया ने हमें चक्करघिन्नी में डाल दिया था। किन्तु हमारे भीतर का बालक हार मानने को भी तैयार नहीं था। अंतिम बस सेवा के छूट जाने का भय भी था। अंततः हम प्रत्येक चौरस्ते पर स्थानीय लोगों से दिशा ज्ञान लेते हुए बाहर आ गए।

साँटोरिनी

रिज़ॉर्ट में वापिस आकार हमने एक और उमंग तथा उल्हास पूर्ण वातावरण में रात्रि का भोजन किया तथा सम्पूर्ण दिवस की थकान निवारण के लिए कुटिया की ओर चल दिए। देह थकान से चूर थी किन्तु मन-मस्तिष्क दिवस भर के अनुभव से अत्यंत आनंदित एवं रोमांचित था। दूसरे दिन नाश्ते के पश्चात हम मिकोनोस बंदरगाह पहुंचे जहां से हमें एक द्रुत-गति विशाल नौका द्वारा साँटोरिनी पहुंचना था। साँटोरिनी में भी हमें अत्यंत सुंदर अनुभव प्राप्त हुआ था जो मैं आपसे समय आने पर साझा करूंगी। तब तक के लिए प्रणाम।

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