गुलमर्ग – यह नाम सुनते ही मानसपटल पर बर्फीले पर्वत एवं उनकी ढलान पर स्की करते खिलाड़ियों की छवि उभर कर आ जाती है। पैर पर बंधी लम्बी डंडी से मार्ग सुगम करते हुए फिसलते खिलाड़ियों के चहरों पर रोमांच एवं खुशी, यही है गुलमर्ग का जादू। गुलमर्ग की रोमांचक कथाएं मैंने अपने पिता के मुख से अनेक बार सुनी थीं। कुछ ४० वर्षों पूर्व मेरे पिता की नियुक्ति गुलमर्ग में हुई थी।
उन्होंने मेरे मष्तिष्क में गुलमर्ग एवं कश्मीर घाटी की अत्यंत मनमोहक काल्पनिक छवि निर्मित कर दी थी। मुझे भय था कि कहीं यही काल्पनिक छवि मेरे स्वयं के अनुभव के आड़े तो नहीं आयेगा? फिर भी, गुलमर्ग की अपनी अविस्मरणीय यात्रा द्वारा प्राप्त अनुभव से मैं आपको वहां के सर्वाधिक रोमांचक कार्यकलापों के विषय में बताना चाहती हूँ। मुकुट में मणी के समान, इनमें सर्वाधिक रोमांचक एवं आनंददायी है गुलमर्ग गोंडोला सवारी।
गुलमर्ग के पर्यटन स्थल
श्रीनगर से गुलमर्ग की सवारी
गुलमर्ग पहुँचने का एकमात्र साधन है सड़क मार्ग। अतः इस छोटे से गाँव तक आप गाड़ी द्वारा ही पहुँच सकते हैं। मैं इतना अवश्य बल देना चाहूंगी कि आप मार्ग के उत्तरार्ध में कदापि ना सोयें। जब श्रीनगर से आपकी यात्रा आरम्भ होगी, वह किसी भी सामान्य मध्यम् वर्गीय नगरी से बाहर जाने के समान होगा।
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वास्तव में मैं श्रीनगर एवं गुलमर्ग के मध्य के सम्पूर्ण मार्ग आबादी से परिपूर्ण देख अत्यंत आश्चर्यचकित थी। जब मार्ग चढ़ाई करने लगती है, तब आप स्वयं को ऊंचे ऊंचे वृक्षों से घिरा पायेंगे। इनको चीर कर जाते घुमावदार संकरे मार्ग को देख आपका मन प्रफुल्लित हो उठेगा।
सूर्य दर्शन स्थल
गुलमर्ग में प्रवेश करने से ठीक पूर्व एक नुकीले मोड़ पर एक दर्शन स्थल है। वहां लगे फलक द्वारा हमें इसकी सूचना पाप्त होती है। यहाँ गाड़ी से उतर कर एक ओर घाटी का तथा दूसरी ओर बर्फ से ढँके पर्वत पर चमकते सूर्य की किरणों का विहंगम दृश्य देख सकते हैं। यह और बात है कि पर्वत की यही चोटी मैं कुछ समय पश्चात अपने अतिथिगृह, खायबर हिमालयन रेसॉर्ट में अपने कक्ष से भी देखने वाली थी।
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यह अद्भुत दृश्य सर्वप्रथम गुलमर्ग में आपका स्वागत करता है तथा इस नगर की सुन्दरता से आपका पूर्व परिचय करता है। यदि आप वहां दिन के समय पहुंचें, तब आप सूर्य की सुनहरी किरणों को चंदेरी बर्फीली पर्वतों से एकसार होकर जादू उत्पन्न करते देख सकते हैं।
गुलमर्ग गोंडोला की सवारी
यदि आपने गुलमर्ग गोंडोला की सवारी नहीं की तो यूँ मानिए की आपने गुलमर्ग की यात्रा ही नहीं की। आप सोच रहे होंगे, ये गोंडोला क्या है। यह लोहे की मोटी तार पर लटक कर चलने वाला एक ऐसा वाहन है जिसे केबल कार कहते हैं। यह आपको कुछ ही क्षणों में पर्वत के ऊपर पहुंचा देते हैं।
गुलमर्यग गोंडोला विश्व की सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित केबल कार है। अतः कोई कारण नहीं बनता कि आप इस पर बैठने का सौभाग्य छोड़ दें। इस चढ़ाई के दो तल हैं। इन दोनों तलों को मिलाकर यह यात्रा आपको समुद्र तल से ८७०० फीट से १४००० फीट तक ले जाती है। तो विरली वायु एवं लम्बी श्वास लेने के लिए सज्ज हो जाएँ।
अपरवाट पर्वत गुलमर्ग गोंडोला
इस सवारी का प्रथम तल आपको अपरवाट पर्वत के सम्पूर्ण ऊंचाई के मध्य भाग तक ले जाता है। यहाँ कई प्रकार के पर्यटन संबंधी क्रियाकलापों का आयोजन किया जाता है। सर्वाधिक आसान एवं आनंददायी खेल है बर्फ से खेलना। खेलने के लिए चारों ओर बर्फ ही बर्फ है।
इसके साथ आप स्लेज एवं खच्चर की सवारी भी कर सकते हैं अथवा स्की करने का रोमांच भी प्राप्त कर सकते हैं। यदि इस प्रकार की किसी भी क्रिया में रूचि ना हो तो फिर पैदल ही चलें। चारों ओर बर्फीली चोटियों एवं बर्फ से झांकते वृक्षों का आनंद उठायें। बर्फ से खेलते एवं आनंद उठाते सहयात्रियों को देखना भी अत्यंत सुखद अनुभव होगा।
अपरवाट पर्वत की चोटी
अगली केबल कार अपरवाट पर्वत की लगभग चोटी तक पहुंचाती है। यह यात्रा तीव्र ढलान युक्त है किन्तु चारों ओर का अद्भुत दृश्य आपको इसका आभास नहीं होने देता। जैसे जैसे आप ऊपर चढ़ते जाते हैं, परिदृश्यों में परिवर्तन आता रहता है। आरम्भ में आप पर्वत को नीचे से ऊपर देखते हैं। १० मिनटों के पश्चात, आप वही परिदृश्य ऊपर से नीचे की ओर देखते हैं। एक ओर का परिदृश्य ऊपर चढ़ते समय तथा दूसरी ओर का दृश्य नीचे उतरते समय देखिये। आप अनवरत आनंद प्राप्त कर सकते हैं। समान्तर केबल द्वारा स्की करते खिलाड़ियों को ऊपर ले जाती कई खुली सवारियां आपको भी दिखाई देंगी। देखने में वे अत्यंत भयावह, साथ ही रोमांचक भी प्रतीत होती हैं।
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दूसरी गोंडोला सवारी के पश्चात आप बर्फ से घिरी चोटी पर पहुँच जाते हैं। एक किनारे पर खड़े होकर यदि आप चारों ओर के पर्वतों को निहारेंगे तो आपको ऐसा प्रतीत होगा मानो आप बर्फ की किनार वाली प्याली की किनार पर खड़े हैं। पहाड़ियों पर कई सेना शिविर दिखे जो दूर से कबूतर खाने से प्रतीत हो रहे थे। बर्फीली पहाड़ियों पर इतनी विपरीत परिस्थितियों में रहकर हमारी सीमाओं की रक्षा करते सैनिकों की कठिनाओं का हम अनुमान भी नहीं लगा सकते।
यदि आप स्की खेल में निपुण नहीं हैं तब भी आप स्की का आनंद ले सकते हैं। यहाँ आपको गाइड सेवा उपलब्ध हो जायेगी जो आपको स्की सवारी का आनंद दे सकते हैं। जी हाँ, स्की सवारी! क्योंकि यहाँ आप स्वयं स्की नहीं करते हैं। बल्कि गाइड स्वयं स्की करता हुआ आपको अपने साथ थोड़ी दूर ले जाता है तथा आपको स्की का आनंद देता है। यहाँ मैंने कई गाइड को भारत एवं पाकिस्तान के मध्य स्थित लाइन ऑफ़ कंट्रोल अर्थात नियंत्रण रेखा दिखाने का प्रलोभन देते हुए देखा। किन्तु मुझे शंका है कि वहां पर्यटकों को जाने की अनुमति होगी!
गुलमर्ग गोंडोला का विडियो
मेरी गोंडोला सवारी का विडियो देखिये। उत्तम दर्शन के लिए HD mode में देखें।
गोंडोला अवतरण बिंदु, जो गोंडोला सवारी का अंतिम बिंदु है, इसके समक्ष हरमुख पर्वत है। स्थानीय निवासियों के अनुसार यहाँ भगवान् शिव का वास है। अतः यह एक पावन पर्वत है। किंचित बाईं ओर नंगा पर्वत है जो पकिस्तान के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र में स्थित है। नंगा पर्वत सिन्धु नदी के कारण भी प्रसिद्ध है। सिन्धु नदी यहाँ से बहती है।
वापिस उतरते समय, गोंडोला के आरंभिक स्थल के समीप आप गड़रियों की झोपड़ियां देखेंगे जो शीत ऋतू में बर्फ से आच्छादित हो जाती हैं। प्रत्येक वर्ष ग्रीष्म ऋतू में गड़रिये जानवरों को ले कर यहाँ वापिस आते हैं जब यहाँ पशुओं के लिए घास बहुतायत में उपलब्ध रहती है।
गोंडोला अड्डे पर कई गाइड आपको टिकट दिलाने में सहायता करने का प्रलोभन देंगे। इसका कारण यह भी है कि गोंडोला सवारी की टिकट खरीदने के लिए लम्बी कतार होती है। इन दोनों से बचने के लिए मेरा सुझाव है कि आप सुबह ही अपनी टिकट खरीद लें। इससे आपको पर्वत के शिखर पर अधिक समय बिताने का भी अवसर प्राप्त होगा।
कश्मीरी व्यंजनों का आस्वाद लें
वाजवान अर्थात् विस्तृत कश्मीरी भोजन जिसे एक सामूहिक थाली में परोसा जाता है तथा कई लोग एक साथ एक ही थाली में से खाते हैं। आजकल आतिथ्य उद्योग अतिथि की व्यक्तिगत वरीयता के विषय में अवगत है। इसलिए वे वाजवान के समान ही थाली परोसते हैं किन्तु सब अपनी अपनी थाली में से ही खाते हैं। वाजवान मुख्यतः मांसाहारी भोजन होता है। मुझे इसी वाजवान के शाकाहारी संस्करण का आनंद खैबर हिमालयन रेसॉर्ट के रसोइये ने दिया। उसके विषय में कुछ लिखना चाहती हूँ।
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शाकाहारी वाजवान का आरम्भ मैंने अखरोट की चटनी से किया। इतनी स्वादिष्ट थी ये चटनी, कि इसके नाम के अनुरूप ही हमने इसे चाट चाट कर चट कर दिया। अगला व्यंजन था नदरू यख़नी, कमल डंडी से निर्मित व्यंजन जो कश्मीर में अत्यंत प्रसिद्ध है। यह भी अत्यंत स्वादिष्ट था तथा गरिष्ठ भी नहीं था। मैंने बाद में शहद की चटनी के साथ नदरू चिप्स भी खाए। यह भी अत्यंत रुचिकर थे। पनीर से निर्मित एक व्यंजन भी था जिसे मैंने न चखना उचित समझा। जी हाँ शाकाहारी के नाम से इतना पनीर परोसा जाता है की मन ऊब जाता है। मेरा वाजवान गरिष्ठ नहीं था। अतः मुझे हल्का प्रतीत हो रहा था। किन्तु मेरे साथ जिन्होंने असली वाजवान का आस्वाद लिया था, वे खाकर पस्त हो गए थे।
यदि आपका पेट अत्यंत भरा प्रतीत हो तो कश्मीरी चाय, काह्वा का आग्रह करें। इससे चैन मिलेगा।
महारानी शिव जी मंदिर
श्री मोहिनीश्वर शिवालय इस छोटे से शिव मंदिर का आधिकारिक नाम है। गुलमर्ग की प्याली सदृश घाटी के मध्य, एक छोटी सी पहाड़ी के ऊपर यह मंदिर स्थित है। महाराणा मोहन देव की सुपुत्री एवं कश्मीर के महाराजा हरी सिंग की पत्नी, रानी मोहिनी बाई सिसोदिया ने १०० वर्षों पूर्व, सन् १९१५ में इस मंदिर का निर्माण कराया था। पिता की ‘महाराणा’ पदवी इस तथ्य की ओर संकेत करती है कि उनका सम्बन्ध मेवाड़ घराने से था। इस मंदिर को महारानी मंदिर तथा रानी जी मंदिर इत्यादि नामों से भी प्रसिद्धी प्राप्त है। मुझे सहसा तेलंगाना के रामप्पा मंदिर का स्मरण हो आया। यह मंदिर भी पीठासीन देव के बजाय इसके निर्माता के नाम से अधिक लोकप्रिय है।
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इस साधारण से दिखते मंदिर तक पहुँचने के लिए कुछ सीड़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। यूँ तो मंदिर बंद था, फिर भी इसके भीतर स्थापित शिवलिंग दिखाई पड़ रहा था। शिवलिंग के ऊपर लाल रंग की तिरछी छत थी जिस पर ॐ तथा स्वास्तिक का चिन्ह बना हुआ था। देवालय के चारो ओर का विहंगम दृश्य सम्मोहित कर देता है। मंदिर के पृष्ठभाग पर हिम आच्छादित पर्वत श्रंखलायें है । जैसे जैसे आप आगे बढ़ते हैं, गुलमर्ग की प्याली एवं उसके मध्य स्थित प्रसिद्ध गोल्फ मैदान दृष्टिगोचर होने लगता है। कई छोटी हरे रंग की इमारतें दिखती हैं जिनमें अधिकतर अतिथिगृह अथवा होटल्स हैं।
रानी द्वारा निर्मित होते हुए भी यह मंदिर सादगी से परिपूर्ण है। इससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि उस समय कश्मीर के लोगों का जीवन भी सादगी भरा था। या कहीं ऐसा तो नहीं कि यहाँ के प्रतिकूल वातावरण के कारण इसकी भव्यता सीमित रखी गई है?
इस मंदिर को आपने एक बॉलीवुड चलचित्र के गाने ‘जय जय शिव शंकर’ में अवश्य देखा होगा।
सेंट मेरी गिरिजाघर
महारानी मंदिर से आगे बढ़ते हुए, गोल्फ मैदान की बाहरी सीमा पार कर हम सेंट मेरी गिरिजाघर के प्रवेश द्वार पर पहुंचते हैं। यह १५० वर्ष प्राचीन गिरिजाघर है। मैदानी क्षेत्रों की तपती गर्मी से बचने के लिए जब अंग्रेजों ने इस स्थान की खोज की होगी, तब कदाचित इस गिरिजाघर का निर्माण कराया होगा। जिस दिन मैं यहाँ आयी थी, यह गिरिजाघर बंद था। इसके चारों ओर एक चक्कर लगाकर मैं वापिस आ गयी। प्रातःकाल किये गए इस पैदल सैर ने मन प्रफुल्लित कर दिया था।
रानी मंदिर के समान यह भी सादगी भरा किन्तु अपेक्षाकृत बड़ा गिरिजाघर था। यहाँ से चारों ओर दृष्टी घुमाने पर आपको कई छोटे तालाब दिखाई पड़ेंगे। ये तालाब गोल्फ मैदान के ही भाग हैं। श्वेत चमकते बर्फ के बीच एक सूखे वृक्ष की छवि ने हम सब का मन मोह लिया था।
सेंट मेरी गिरिजाघर की ओर जाते समय आप एक प्रसिद्ध होटल – होटल हाईलैंड्स पार्क देखेंगे जहां बॉबी चलचित्र के इस लोकप्रिय गाने ‘हम तुम इक कमरे में बंद हों’ को फिल्माया गया था।
हरी सिंह का महल
लकड़ी द्वारा निर्मित यह छोटा सा महल, कश्मीर के अंतिम महाराजा हरी सिंह का महल है। पहाड़ी के ऊपर स्थित इस महल से पूरा गुलमर्ग दृष्टिगोचर होता है। मैं नवम्बर २०१५ में जब गुलमर्ग आयी थी, तब इस महल के पुनर्निर्माण का कार्य आरम्भ था। राजा का परिवार जब इस महल को छोड़कर चला गया, तब इस महल का शनैः शनैः क्षय होने लगा। इसका कारण यहां के वातावरण के साथ साथ यहाँ की राजनैतिक परिस्थितियाँ भी हैं।
इस षटकोणीय महल के नवीनीकरण का कार्य आरम्भ है। आशा है आगामी मौसम तक यह पर्यटकों के लिए उपलब्ध हो जाएगा। मेरे पिता ने मुझे इस महल के एक अद्भुत गलीचे के विषय में बताया था। यह गलीचा महल के भीतर ही बुना गया था ताकि यह महल के प्रत्येक कोने में ठीक प्रकार से बिछाया जा सके। वहां निर्माण कार्य करते कर्मचारियों ने बताया कि महल की बचीखुची कलाकृतियों को श्रीनगर के राज्य संग्रहालय में स्थानांतरित किया गया है।
गुलमर्ग नगर में पद भ्रमण करिये
इस पहाड़ी पर्यटन स्थल का प्रमुख आकर्षण है यहाँ के पर्वत, वृक्ष, परिदृश्य, खुला आकाश तथा इन सब का अद्भुत सम्मिश्रण। इसका आनंद उठाने का सर्वोत्तम उपाय है पैदल सैर करते हुए चारों ओर निहारना। प्रत्येक दिवस, प्रत्येक क्षण यह सम्मिश्रण एक भिन्न रूप प्रस्तुत करता है, मानो इन प्राकृतिक तत्वों का प्रयोग कर कोई अनवरत चित्रकारी कर रहा हो। इस सौंदर्य में स्वयं को भी एक भाग बना कर इसके अस्तित्व में लीन हो जाएँ।
किसी भी अन्य पहाड़ी पर्यटन स्थलों के समान गुलमर्ग भी विभिन्न ऋतु में भिन्न होता है। मैंने इसे नवम्बर मास में देखा था। गुलमर्ग के चित्र बताते हैं कि ग्रीष्म ऋतु में यह अत्यंत हराभरा रहता है तथा शीत ऋतु में इससे भी श्वेत। शीत ऋतु का आरम्भ दिसंबर के मध्य से आरम्भ होता है। आप जब भी गुलमर्ग यात्रा की योजना बनाएं, वहां के मौसम का पूर्वानुमान अवश्य लगा लें। मौसम के अनुसार ही सामान साथ ले जाएँ।
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