लद्दाख में शाकाहारी भोजन के विकल्प

0
103

यात्राएं एवं भ्रमण करने वालों के लिए आहार एक महत्वपूर्ण आयाम होता है। हमारे स्वास्थ्य के लिए स्वच्छ व सुरक्षित आहार तो आवश्यक है ही, अनेक यात्रियों एवं पर्यटकों को भिन्न भिन्न पर्यटन स्थलों के विशेष व्यंजनों का आनंद लेना भी अत्यंत भाता है। सामान्यतः शाकाहारी भोजन सभी करते हैं। कुछ को सामिष भोजन भी प्रिय होता है। किन्तु मेरे जैसे अनेक ऐसे यात्री हैं जो केवल शाकाहारी भोजन ही खाते हैं।

लद्दाख में शाकाहारी भोजन
लद्दाख में शाकाहारी भोजन

कुछ पर्यटन गंतव्यों में हमारे जैसों के समक्ष एक प्रश्न सदैव खड़ा रहता है कि क्या खाएं। ऐसे कुछ पर्यटन गंतव्य हैं, थाईलैण्ड, मलेशिया तथा हमारा अपना लद्दाख।

क्या लद्दाख में मेरे जैसे शाकाहरियों के लिए पर्याप्त भोजन विकल्प उपलब्ध हैं? आईए देखते हैं-

शाकाहारियों के लिए लद्दाख –  यात्रा का एक मुख्य आयाम

मनभावन छायाचित्रों से अलंकृत यह संस्करण आपको भोजन की उस श्रंखला से परिचित कराएगा जिसे थामकर मैंने अपनी लद्दाख यात्रा पूर्ण की थी। यहाँ मैं केवल लद्दाख के विशेष व्यंजनों का ही उल्लेख कर रही हूँ। यह संस्करण उन शाकाहारियों के लिए है जो लद्दाख भ्रमण पर वहाँ के विशेष व्यंजनों का आस्वाद लेना चाहते हैं। अन्यथा उच्च-स्तरीय भोजनालयों में अन्य राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय भोजन विकल्प उपलब्ध हैं जिनका उल्लेख यहाँ मैं नहीं कर रही हूँ।

गुड़ गुड़ चाय

यदि आपके दिवस का आरंभ किसी मठ में हो रहा है, जैसा कि एक दिवस मेरे साथ हुआ, आप वहाँ के बौद्ध भिक्षुओं को गुड़ गुड़ चाय पीते देखेंगे। वे प्रातःकाल की सम्पूर्ण अवधि में यह चाय पीते रहते हैं। यदि वे इससे अवकाश लेते हैं तो केवल दलिया का नाश्ता खाने के लिए।

ठिकसे मठ में गुड गुड चाय
ठिकसे मठ में गुड गुड चाय

बाल भिक्षुक कुछ कुछ मिनटों में उठते रहते हैं तथा अन्य भिक्षुओं के पात्र चाय एवं कुछ खाद्य से भरते रहते हैं। वे अपना यह कार्य इतनी तल्लीनता से करते रहते हैं कि यह उनकी ध्यान-साधना का ही एक अभिन्न अंग बन जाता है।

गुड गुड चाय
गुड गुड चाय

आप इस चित्र में गुड़ गुड़ चाय देख सकते हैं। इसे पोचा तथा बटर टी भी कहते हैं। इसमें चाय की पत्ती, गुड़ तथा दूध के साथ साथ नमक एवं मक्खन भी डाल जाता है। इसे नून चाय भी कहते हैं। पंजाबी में नमक को नून कहते हैं। किन्तु यह बटर टी के नाम से अधिक लोकप्रिय है। लद्दाख की शीतल जलवायु में यह शरीर को आंतरिक ऊष्मा पहुँचाती है।

और पढ़ें: भारत में चाय के भिन्न भिन्न प्रकार

सिकी रोटी

प्रातः अल्पाहार के लिए गुड़ गुड़ चाय के साथ सिकी हुई मोटी रोटी का आनंद लीजिए। यह रोटी जैसे ही भट्टी से बाहर आती है, लद्दाख के शीत वातावरण में त्वरित ठंडी हो जाती है। इसलिए इसका आनंद भाप निकलती गुड़ गुड़ चाय के साथ उठायिए।

लद्दाखी सिकी रोटी
लद्दाखी सिकी रोटी

हमें वहाँ इन रोटियों के साथ अंडे का ऑमलेट भी दिया गया था किन्तु चूंकि मैं अंडे भी नहीं खाती, मैंने इन्हे मक्खन के साथ खाया। लद्दाख की जलवायु में मक्खन भी जमा हुआ था। किन्तु लद्दाख में शीत ऋतु में जब बाहर -२३ अंश का तापमान हो तो गर्म गर्म बटर टी के साथ यही मक्खन-रोटी भी स्वर्ग का आनंद देती है।

पर्वतों के साथ भोजन
पर्वतों के साथ भोजन

हमने लद्दाख के एक सामान्य निवासस्थान में बैठकर, पर्वतों का मनमोहक दृश्य निहारते हुए रोटी एवं भाप निकलते गुड़ गुड़ चाय का अल्पाहार किया।

और पढ़ें: भारत के विभिन्न क्षेत्रों की भोजन थालियाँ

छांग एवं अन्य स्थानीय पेय 

छांग – भारत के प्रत्येक क्षेत्र के अपने स्वयं के स्थानीय पेय होते हैं। इसमें लद्दाख पीछे कैसे रह सकता है? छांग एक स्थानीय पेय है जिसे बाहरी वातावरण के अनुसार शीतल अथवा गर्म परोसा जाता है।

छांग
छांग

इसे पीतल के कटोरे में अथवा लकड़ी के पात्र में परोसा जाता है जिसे कोरे भी कहते हैं। मठों में यही लकड़ी के पात्र चाय तथा दलिये  के लिए भी प्रयुक्त होते हैं। यह एक खमीरी अथवा किण्वित पेय है जिसे जौ, बाजरा अथवा चावल से बनाया जाता है।

छोटे चने डले हुए घर में बना नूडल सूप – इस सूप में मुख्यतः नूडल, काले चने तथा नमक व कुछ मसाले डले होते हैं।

सूप
सूप

थुपका या नूडल सूप – यह लद्दाख का सर्वाधिक लोकप्रिय मूल भोजन है। इस सूप में विभिन्न शाक भाजियों का सम्मिश्रण होता है। इसके सामिष रूप में भिन्न भिन्न प्रकार के माँस का भी प्रयोग किया जाता है। किन्तु मैंने इसके शाकाहारी रूप का अत्यधिक आनंद उठाया। लद्दाख में यह एक सम्पूर्ण भोजन माना जाता है। भाप निकलता गरमागरम थुपका सूप का एक बड़ा पात्र! उदर को शांति तो प्राप्त होती ही है, साथ ही देह को प्राप्त ऊष्मा भी सुख प्रदान करती है।

लहसुन का सूप – यह भी लद्दाख का एक लोकप्रिय मूल आहार है। जब भी लोग कम ऊंचाई से पहाड़ों के ऊपरी भागों में पहुँचते हैं तब उन्हे यह सूप दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि यह लहसुन का सूप उन्हे Acute Mountain Sickness अर्थात स्वास्थ्य संबंधी तीव्र पर्वतीय जटिलताओं से जूझने में सहायता करता है।

अखरोट चटनी के साथ मोमो

मेरे लद्दाख यात्रा का नायक यही मोमो था जिसे अखरोट की चटनी के साथ परोसा गया था। मोमो सम्पूर्ण विश्व में हिमालयीन व्यंजन के रूप में लोकप्रिय है।

अखरोट की चटनी के साथ मोमो
अखरोट की चटनी के साथ मोमो

हिमालयी क्षेत्रों के निवासी उन क्षेत्रों में उगते सभी उत्पादनों से चटनी, जैम आदि बना लेते हैं। जैसे आड़ू, आड़ू के बीज, सेब, अखरोट आदि। इनकी एक विशेषता है कि इनमें शक्कर का न्यूनतम प्रयोग किया जाता है। इसीलिए जब मैंने इन्हे चखा तब ये मुझे मीठे कम, खट्टे अधिक प्रतीत हुए। इससे मुझे यह आभास हुआ कि जब तक संसाधित खाद्य पदार्थ हमारे जीवन का अभिन्न अंग नहीं बने थे, हम स्वास्थ्य वर्धक खाद्य पदार्थों के अभ्यस्त थे।

आड़ू का मिष्ठान्न

आड़ू से चटनी एवं जैम के अतिरिक्त मीठा भी बनाया जाता है। यह मिष्ठान्न अत्यधिक स्वादिष्ट एवं स्वास्थ्य वर्धक होता है।

आडू का मीठा
आडू का मीठा

लद्दाख का वातावरण अत्यधिक शीतल होता है। इसीलिए यहाँ पनीर एवं चीज़ का चलन है। यहाँ सामान्य गाय-भैंस के दूध से निर्मित चीज़ के अतिरिक्त याक के दूध से निर्मित चीज़ भी उपलब्ध होते हैं। यहाँ के याक चीज़ का एक अन्य रूप भी बहुत लोकप्रिय है, सुखाये हुए चीज़ के टुकड़े।

यद्यपि लद्दाख में शाकाहारी व्यंजनों के पर्याप्त विकल्प उपलब्ध है, तथापि किसी विपरीत परिस्थिति में आप फलों का सेवन कर सकते हैं। यहाँ बड़ी मात्रा में विविध फल उपलब्ध होते हैं। हिमालयीन क्षेत्रों में उत्पादित फलों का सेवन अवश्य करें। ये आपको अन्यत्र उपलब्ध नहीं होंगे।

सूखे मेवे

यदि आप फल खाने में कम रुचि रखते हैं अथवा शीतल वातावरण में फल की ओर कम रुझान हो तो आप लेह के हाट से प्रसिद्ध सूखे मेवे अवश्य खाएं। सूखे मेवे हमारे शरीर को भीतर से ऊष्मा प्रदान करते हैं।

लद्दाख के सूखे मेवे
लद्दाख के सूखे मेवे

शरीर को भीतर से ऊष्मा प्रदान करने के लिए तथा शीत मरुभूमि में स्वयं को आर्द्र रखने के लिए काहवा तो है ही। काहवा एक लदाखी चाय है।

लद्दाखी चाय का पात्र
लद्दाखी चाय का पात्र

अंत में, उन पात्रों को भी ध्यान से देखें जिनमें चाय, काहवा, छांग आदि परोसा जाता है। ये सुंदर अलंकृत धातुई पात्र होते हैं। उन पात्रों पर मोहित हो जाएँ तो स्थानीय हाट से उन्हे क्रय कर सकते हैं।

अब किसकी प्रतीक्षा कर रहे हैं! त्वरित लद्दाख यात्रा का नियोजन कर लें। आप शाकाहारी हैं? चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। इस संस्करण से आपको अवश्य यह आभास हो गया होगा कि लद्दाख में शाकाहारियों के लिए भी भोजन विकल्पों की कोई कमी नहीं है।

अनुवाद: मधुमिता ताम्हणे

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here