राचाप्रसॉन्ग भ्रमण – बैंकॉक में हिन्दू देवी देवताओं के दर्शन

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बैंकॉक में हिन्दू देवी देवता
बैंकॉक में हिन्दू देवी देवता

राचाप्रसॉन्ग अर्थात् राजप्रसंग को बैंकॉक के ह्रदयस्थली होने का गौरव प्राप्त है। राचाप्रसॉन्ग एक व्यस्त व्यावसायिक जिला है। इसका क्षितिज आकाशीय रेल व आकाशीय पैदल भ्रमण-पथ से अटा हुआ है। इसके मध्य खड़े होकर जिस भी दिशा में निहारें, आपको ऊंची ऊंची इमारतें व भव्य बाजार दृष्टिगोचर होंगे। जैसे ही मुझे यहाँ स्थित हिन्दू मंदिरों की श्रंखला के निमित्त जानकारी प्राप्त हुई, मेरी आँखें उन्हें उपवीथिकाओं में तलाशने लगीं। क्योंकि मैंने मन ही मन मान लिया था कि बैंकॉक के व्यस्ततम मुख्य सडकों पर तो मंदिर स्थित नहीं हो सकते। परन्तु ज्यों ही मेरी दृष्टी इन मंदिरों के पैदल भ्रमण हेतु उपलब्ध मानचित्र पर पड़ी, मुझे अपनी मिथ्या धारणा का बोध हुआ। राचाप्रसॉन्ग चौक व्यापार मंडल द्वारा प्रकाशित इस मानचित्र का अनुसरण करते हुए एक दिन मैं चिटलॉम आकाशीय स्थानक पहुँच गयी। मेरे मन में बैंकॉक के वाणिज्य व आध्यात्मिकता के सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व की अनुभूति प्राप्त करने की तीव्र इच्छा थी।

बैंकॉक के ह्रदयस्थली स्थित राचाप्रसॉन्ग का पैदल भ्रमण

राचाप्रसॉन्ग भ्रमण  - बैंकॉक का मानचित्र
राचाप्रसॉन्ग भ्रमण – बैंकॉक का मानचित्र

बैंकॉकवासियों की मान्यता अनुसार इन मंदिरों में उनकी सर्व इच्छाएं पूर्ण करने की क्षमता है। संभवतः इस मान्यता का ही प्रभाव है कि बैंकॉक का हर सामान्य नागरिक इन मंदिरों के समक्ष कुछ क्षण ठहर कर मन ही मन प्रार्थना करता है। उनकी इस श्रद्धा की अनुभूति मुझे इस पैदल भ्रमण के समय हुई।

आइये मैं आपको भी राचाप्रसॉन्ग स्थित इन सात मंदिरों के दर्शन कराती हूँ।

एरावन मंदिर

एरावन मंदिर - बैंकॉक
एरावन मंदिर – बैंकॉक

स्थानीय भाषा में फ्रा फ्रॉम नाम का यह मंदिर एरावन मंदिर के नाम से सर्वप्रसिद्ध है। यह राचाप्रसॉन्ग के सात तीर्थस्थलों में सर्वाधिक लोकप्रिय मंदिर है। यह मंदिर सृष्टि के रचयिता ब्रम्ह देव को समर्पित है। यहाँ यह कहना अनुचित नहीं होगा कि मुझे थाई भाषा में ब्रम्हा और फ्रा फ्रॉम की ध्वनी में समानता प्रतीत हुई। जब भी कोई आप से ब्रम्हा मंदिर के केवल पुष्कर में ही स्थित होने की चर्चा करे, तब आप गर्व से कह सकतें हैं कि उनकी छत्रछाया दक्षिण-पूर्व एशिया तक पसरी हुई है। एरावन, यह शब्द इंद्र देव के वाहन गजराज ऐरावत के नाम पर आधारित है। हालांकि मुझे ऐरावत व ब्रम्ह के बीच किसी सम्बन्ध की जानकारी नहीं है। संभवतः यहाँ स्थित एरावन विश्रामगृह के नाम पर इस मंदिर का नामकरण हुआ था क्योंकि इस विश्रामगृह के कारण ही इस मंदिर का निर्माण यहाँ किया गया था। एरावन मंदिर राचाप्रसॉन्ग का विशालतम मंदिर है।

ब्रम्हा की प्रतिमा

एरावन मंदिर की संरचना एक खुले मंदिर की तरह है जिसके मध्य में ब्रम्हा की एक चमकदार, उजली व चौमुखी प्रतिमा स्थापित है। कहा जाता है कि इस प्रतिमा के चार पक्ष, चार मुख्य दिशाओं की ओर स्थित है। लोगों की मान्यता है कि इस तरह ब्रम्हा चारों दिशाओं में स्थित भक्तों की देखभाल करतें हैं।

मंदिर के सम्मुख स्थित मार्ग पुष्प व धूपबत्ती विक्रेताओं से भरा रहता है। भक्तगणों के आदर्श चढ़ावे में १२ धूपबत्तियाँ, ४ मोमबत्तियां, ४ चमेली अथवा गेंदे के हार व ४ सोने की पत्तियों का समावेश होता है। भारत के मंदिरों में हम जिस तरह परिक्रमा करतें हैं, उसी तरह इस मंदिर की भी दक्षिणावर्त परिक्रमा की जाती है। परिक्रमा करते समय ३ धूपबत्तियाँ, १ मोमबत्ती, १ हार व १ स्वर्णपत्री प्रतिमा के हर पक्ष को समर्पित की जाती हैं व भक्तगण अपनी इच्छा भगवान् के समक्ष व्यक्त करतें हैं। एरावन मंदिर में व्यक्त की गयी इच्छा पूर्ण होने पर ब्रम्हा का धन्यवाद शास्त्रीय नृत्य व संगीत का आयोजन कर की जाती है। संभवतः हमारे मंदिरों में इसी कारण अनेक सभामंड़प बनाए जाते थे।

एरावन प्रतिमा की गाथा

यह एक अनोखी कथा है। इस तीर्थस्थल का निर्माण सं १९५८ में किया गया था जब एरावन विश्रामगृह अर्थात् वर्तमान का “ग्रैंड हयात एरावन” की स्थापना की जा रही थी। इस होटल के निर्माण के समय कई दुर्घटनाएं घटित होने पर एक ब्राम्हण को उपाय सुझाने हेतु बुलवाया गया। इस स्थल के निरीक्षण के उपरांत उन्होंने यहाँ ब्रम्हा के मंदिर की स्थापना का सुझाव दिया। उसी समय से यह मंदिर भक्तों का निरीक्षण कर रहा है व उन्हें सौभाग्य प्रदान कर रहा है। बैंकॉक में ब्राम्हण शब्द सुनते ही मेरे कान खड़े हो गए। पूछने पर ज्ञात हुआ कि ब्राम्हण का थाई समाज में महत्वपूर्ण स्थान है। राजा के राजकाज सम्बन्धी विभिन्न विषयों पर आज भी उनकी राय ली जाती है।

मार्च २००६ में कुछ असामाजिक तत्वों ने ब्रम्हाजी की मूर्ति भंग की थी। इस मूर्ति का पुनर्निर्माण पूर्व मूर्ति के टुकड़ों, बहुमूल्य धातु व काले लाख के उपयोग से किया गया था व उसे स्वर्णपत्रियों का आवरण चढ़ाया गया। इस मूर्ति का एक प्रतिरूप राष्ट्रीय संग्रहालय में भी रखा गया है ताकि भविष्य में किसी भी संरक्षणात्मक आवश्यकता की पूर्ति की जा सके।

इंद्रदेव का मंदिर

इंद्र देव की प्रतिमा - बैंकॉक
इंद्र देव की प्रतिमा – बैंकॉक

राचाप्रसॉन्ग में मैंने अपनी मंदिर दर्शन यात्रा दक्षिणावर्त दिशा में इन्द्रदेव मंदिर से ही आरम्भ की थी। इसलिए इस मंदिर ने मेरे मानसपटल पर अमित छाप छोड़ी है। अमरीन प्लाजा के समक्ष स्थित इस इंद्र मंदिर को अमरिन्दराधिराज के नाम से भी जाना जाता है। गहरे हरे रंग के हरिताश्म में बनी यह मूर्ति, हाथ में वज्र धरे, एक ऊंची पीठिका पर स्थापित है। इस प्रतिमा के चारों ओर रखे कई छोटे बड़े हाथियों की मूर्तियाँ असल में इन्द्रदेव को अर्पित उनका मनपसंद चढ़ावा हैं। संभवतः भक्तगण भगवान् इंद्र को उनका प्रिय वाहन ऐरावत हाथी समर्पित करते हैं। इसके अतिरिक्त उन्हें गेंदे के पुष्प व धूपबत्ती का भी चढ़ावा चढ़ाया जाता है। मैंने यहाँ राह चलते लोगों को रूककर, जूते उतारकर, हाथ जोड़ प्रार्थना करते देखा। वे अपने दिन की शुरुआत इन्द्रदेव की प्रार्थना से करते हैं। उनके चहरे पर विदित भक्तिभाव अन्य लोगों को भी शान्ति प्रदान करता है।

नारायण मन्दिर

नारायण प्रतिमा - बैंकॉक
नारायण प्रतिमा – बैंकॉक

बैंकॉक के इंटरकॉन्टिनेंटल होटल के समक्ष, मुख्य सड़क के एक ओर, भगवान् विष्णु के रूप में नारायण की प्रतिमा उनके प्रिय वाहन गरुड़ की मूर्ति के ऊपर स्थित है। १९९७ में स्थापित यह आकर्षक व नवीन पवित्र मूर्ति भक्तों के व्यवसाय का रक्षण करती है व भक्तों को बुरी आत्मा से बचाती है। उपलब्ध साहित्यों द्वारा यह जानकारी प्राप्त हुई कि यहाँ नारायण को केवल पीले रंग की वस्तुएं ही अर्पित की जाती हैं, जैसे गेंदे के पुष्प, पीताम्बर, पीले रंग के मिष्टान्न इत्यादि।

नारायण की यह अप्रतिम मूर्ति पावन धाम की अपेक्षा, शिल्प कलाकृति ज्यादा प्रतीत होती है। मैं इस प्रतिमा के सामने से कई बार गुजरी, परन्तु मैंने यहाँ किसी भक्त को प्रार्थना अर्पण करते नहीं देखा।

लक्ष्मी मंदिर

लक्ष्मी प्रतिमा - बैंकॉक
लक्ष्मी प्रतिमा – बैंकॉक

जहां नारायण, वहीं उनकी अर्धांगिनी लक्ष्मी देवी। राचाप्रसॉन्ग में नारायण धाम से कुछ मंजिल ऊपर लक्ष्मी देवी का निवास है। गेसौर्न इमारत के चौथे मंजिल पर गुलाबी साड़ी में लिपटी, लक्ष्मी देवी की मूर्ति कमल के पुष्प पर स्थापित है। लक्ष्मी देवी अपने भक्तों पर समृद्धि की वर्षा करती है। धन की देवी लक्ष्मी को समृद्धि की प्रतीकात्मक वस्तुएं अर्पित की जाती हैं, जैसे गुलाबी कमल, सिक्के, गन्ने और गन्ने का रस। गन्ने और गन्ने के रस से मुझे अपने कृषिप्रधान पूर्वजों का स्मरण हो आया जिनके लिए अपनी उपज से बड़ा कोई धन नहीं था।

यह मंदिर सुबह १० बजे के बाद ही खुलता है और इसके दर्शन हेतु चार मंजिलों की सीडियां चढ़नी पड़ती हैं। खुली छत के कोने से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है मानो देवी लक्ष्मी राचाप्रसॉन्ग के अधिकतम भागों का निरिक्षण व संरक्षण कर रही हैं।

त्रिमूर्ति मंदिर

त्रिमूर्ति प्रतिमा - बैंकॉक
त्रिमूर्ति प्रतिमा – बैंकॉक

त्रिमूर्ति कोई और नहीं बल्कि हिन्दू त्रिदेव ब्रम्हा, विष्णु और महेश ही हैं। प्रकृति के तीन गुणों का प्रतिनिधित्व करते त्रिदेव सृष्टि के सर्वशक्तिशाली तत्व हैं। इन्हें भारत में दत्त भगवान् भी कहा जाता है। दत्त भगवान् की तरह ही यहाँ भी त्रिमूर्ति अर्थात् ब्रम्हा, विष्णु और महेश्वर, चार श्वान व एक गौमाता के साथ विराजमान हैं। चार श्वान चार वेदों का प्रतिनिधित्व करते हैं व गौमाता अर्थात् कामधेनु भक्तों की इच्छाओं व कामनाओं की पूर्ती करती है।

मुझे बताया गया कि थाई समाज की नवीन पीढ़ी त्रिमूर्ति को प्रेम का देवता मानती है। संभवतः इसीलिये मैने यहाँ कई युवाओं को प्रेम की आस लिए प्रार्थना करते देखा। इस प्रेम के देवता को लाल वस्तुएं अर्पित की जाती हैं। लाल मोमबत्तियां, लाल गुलाब, लाल अगरबत्तियां, लाल रंग के फल इत्यादि इनमें प्रमुख हैं। यहाँ के लोगों की एक अनोखी मान्यता है कि हर मंगलवार व गुरूवार को रात ९.३० बजे के बाद त्रिमूर्ति देव लोगों की प्रार्थना सुनाने स्वयं पधारते हैं। मेरी यह कोशिश रहेगी कि अपनी अगली यात्रा के समय मैं मंगलवार अथवा गुरूवार की शाम को यहाँ उपस्थित रह सकूं और देख सकूं, किस तरह लोग प्रत्यक्ष त्रिमूर्ति से प्रार्थना करते हैं।

यह सब देख अचरज हो आता है, किस तरह पौराणिक कथाओं से कुछ विश्वास व कुछ भ्रांतियों को जोड़कर हम इसे अपने यथार्थ का हिस्सा मानने लगते हैं और एक नई आस लेकर भविष्य में पदार्पण करते हैं।

गणेश मंदिर

गणेश प्रतिमा - बैंकॉक
गणेश प्रतिमा – बैंकॉक

भगवान् शिव और पार्वती देवी के पुत्र श्री गणेश का मंदिर राचाप्रसॉन्ग के भव्य बाजार “सेंट्रल वर्ल्ड” के सम्मुख, त्रिमूर्ति मंदिर के बगल में स्थित है। स्वर्ण रूप में बनी गणेशजी की विशालकाय मूर्ति एक छोटे से मंडप के नीचे स्थापित है जिसके समक्ष लोग आकर प्रार्थना करते हैं। भगवान् गणेश को हर तरह के खाद्यान्न अर्पित किये जाते हैं, जैसे मिठाई, फल, मोदक इत्यादि।

उमा मंदिर

उमा देवी प्रतिमा - बैंकॉक
उमा देवी प्रतिमा -बैंकॉक

यह मंदिर, गणेश मंदिर के समक्ष, मार्ग के दूसरी तरफ स्थित है। हालांकि उपलब्ध साहित्य में इस मंदिर का उल्लेख नहीं है, तथापि इसे आकाशीय स्थानक में उपलब्ध नक़्शे में अवश्य दर्शाया गया है। इसलिए मैंने शक्ति माँ के भी दर्शन का निश्चय किया। इनकी मूर्ति भी स्वर्ण रूप में बनी है व इसके चारों ओर सूक्ष्म प्रतिमाएं रखी हुई हैं। यहाँ मैंने ज्यादा भक्तों का झुण्ड नहीं देखा। परन्तु इनके दर्शन बिना मेरा देवदर्शन पूर्ण नहीं होता, क्योंकि यही देवी शक्ति का स्त्रोत है।

उमा देवी की प्रतिमा के चारों ओर रखी सूक्ष्म प्रतिमाओं में कुछ अपने हाथ फैलाए व कुछ सादे बैठे हुए दिखाई पड़े। इन्हें श्रीफल व कुछ अन्य फलों का चढ़ाव चढ़ाया गया था। इस मूर्ति के समक्ष दो शेरों की भी प्रतिमाएं स्थापित हैं।

मेरे इस पैदल भ्रमण में मैंने कुछ अत्यंत पवित्र स्थल व कुछ अतिविशाल और भव्य बाजारों को साथ साथ देखा। ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे वे एक दूसरे के पूरक हैं व एक दूसरे के अस्तित्व का हिस्सा हैं। इन व्यापारिक संस्थानों के कर्मचारियों का विशवास स्थल हैं ये मंदिर। ठीक उसी तरह ये मंदिर इन संस्थानों को समृद्धि व सौभाग्य प्रदान करती हैं।

अनुवाद: मधुमिता ताम्हणे

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4 COMMENTS

  1. बहुत खूबसूरत भ्रमण कराया आपने !! बौद्ध बहुल देश में हिन्दू मंदिर देखकर अच्छा लगा

    • योगी जी, हिन्दू और बौद्ध एक ही धर्म हैं, ऐसा मेरा मानना है. लेकिन आपने जो कहा वो भी सही है – दक्षिण पूर्व एशीयी देशों में बुद्ध की प्रतिमाएं अधिक देखने को मिलती हैं.

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