कास पठार – महाराष्ट्र के सातारा में फूलों की घाटी

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कास पठार – फूलों की घाटी  

कास पठार - फूलों की घाटी
कास पठार – फूलों की घाटी

महाराष्ट्र के सातारा नगर के कास पठार को फूलों की घाटी भी कहा जाता जाता है। यह उत्तराखंड की प्रसिद्ध फूलों की घाटी को महाराष्ट्र का प्रत्युत्तर है। दोनों ही घाटियों में लगभग एक ही समय, यानी वर्षा ऋतु के आखरी दो महीनों में अर्थात अगस्त और सितंबर के महीनों में फूलों की बहार छा जाती है। लेकिन उत्तराखंड में जहाँ, आपको पहाड़ी की तलहटी तक पहुँचने के बाद हिमालय के कठोर भूभाग से पदयात्रा करते हुए फूलों की घाटी तक जाना पड़ता है; वहीं सातारा शहर की अनेक पहाड़ियों में से एक पर बसे हुए कास पठार तक आप गाड़ी लेकर भी जा सकते हैं।

कास पठार के रंग भरे फूल
कास पठार के रंग भरे फूल

कास पठार तक जाते समय रास्ते में हमारा सामना लगभग दो मी. की लंबाई के एक साँप से हुआ जो अचानक से सड़क के बीचोबीच आ गया और अपना ही समय लेते हुए सड़क पार करते हुए चला गया। अगली सुबह जब हम महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम (MTDC) के गमन स्थान, जहाँ पर हम ठहरे हुए थे, से पदयात्रा करते हुए कास पठार तक जा रहे थे, तो हमे वहाँ पर बहुत सारे साँप दिखे जो मदमस्त यहाँ-वहाँ घूम रहे थे। दुर्भाग्य से वहाँ पर बहुत सारे साँप मृत भी पड़े हुए थे, जो शायद आती-जाती गाड़ियों के पहियों के नीचे कुचलकर मर गए थे। हमे वहाँ पर कुछ नेवले भी दिखे थे, तो शायद हो सकता है कि इसमें इन नेवलों का भी थोड़ा-बहुत योगदान रहा होगा। इसके अतिरिक्त यहाँ पर आपको बहुत सारी रंगबिरंगी तितलियाँ भी नज़र आती हैं। यहाँ के व्यापक परिदृश्यों के कारण इन तितलियों की एक तस्वीर लेने के लिए आपको बहुत धीरज रखना पड़ता है।

फूलों के बदलते रंग  
कास पठार के सूक्ष्म पुष्प
कास पठार के सूक्ष्म पुष्प

हमे बताया गया कि कास पठार पर खिलने वाले फूलों के रंग लगभग हर सप्ताह बदलते रहते हैं। अगस्त के तीसरे सप्ताह में जब हम वहाँ पर गए थे तो यह पूरा पठार धवल फूलों से भरा हुआ था। यद्यपि इन में से कुछ फूलों पर हल्का सा गुलाबी रंग भी झलक रहा था। वहाँ पर बहुत सारे सूक्ष्म आकार के फूल हैं जिन्हें देखने के लिए आपको गरुड जैसी तीक्ष्ण दृष्टि की आवश्यकता होती है और उनकी तस्वीरें लेने के लिए एक उत्तम कैमरे की जरूरत होती है।

यहाँ पर एक सरोवर भी है जिसे कास सरोवर कहा जाता है और जिसकी फुलवारी में नीले रंग के सुंदर फूल खिले थे। यहाँ पर आपको खाने की कुछ चीजें भी मिल सकती हैं।

यूनेस्को द्वारा जैवविविधता को धरोहर का मान     

धवल गुलाबी छोटे बड़े फूल
धवल गुलाबी छोटे बड़े फूल

भारत के पश्चिमी घाट का भाग होने के नाते कास पठार को यूनेस्को विश्व धरोहर के स्थलों में गिना जाता है। यूनेस्को ने इस मुख्य पठार की सुरक्षा हेतु वहाँ पर बाड़ लगाने का निर्णय लिया है, ताकि यहाँ के फूलों को कोई हानि ना पहुंचे और आगंतुक भी उनसे सुरक्षित दूरी बनाए रखे। हमे बताया गया कि यह सब करने से पहले यहाँ पर आनेवाले पर्यटक इन मैदानों में फूटबाल खेला करते थे, जिसके कारण यहाँ के छोटे-छोटे फूल और फुलवारियाँ उजड़ जाती थी। दुर्भाग्यवश हमे यहाँ पर लगाई गयी बाड़ में काफी छेद दिखे, जिसके द्वारा लोग इन फुलवारियों में प्रवेश करते थे। इस पठार पर यहाँ-वहाँ कुछ मार्ग बनवाए गए हैं, जिससे की लोगों को इस पूरे पठार की सैर करने में आसानी हो।

कास पठार की यात्रा हेतु कुछ सूचनाएँ     

कास पठार के बीच से जाती सड़क
कास पठार के बीच से जाती सड़क
  • यहाँ पर बहुत ठंड पड़ती है और ज़ोर की हवाएँ भी चलती हैं, इसलिए जरूरत के अनुसार चीजें ले जाएं।
  • यहाँ पर बहुत सारे मच्छर और मक्खियाँ भिनभिनाती रहती हैं, इसलिए जितना हो सके अपने आपको स्कार्फ या जैकेट से ढक लीजिये और पूरे बदन को ढकने योग्य कपड़े पहनिए। ये मक्खियाँ आपकी आँखों में भी जा सकती हैं। जब हम वहाँ गए थे तो हम में से एक इन मक्खियों को दूर भगा रहा था और दूसरा वहाँ की तस्वीरें खींच रहा था।
  • हो सके तो पूरी तरह से बंद जूते ही पहनिए, क्योंकि यहाँ पर साँप और अन्य रेंगनेवाले जीव बहुत मात्रा में पाए जाते हैं।
  • अपने साथ एक आवर्धक काँच (magnifying glass) जरूर रखिए, क्योंकि यहाँ पर सूक्ष्म आकार के बहुत सारे फूल हैं, जिन्हें सामान्य रूप से देख पाना मुश्किल है।
  • इस पठार की तलहटी में महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम का, पाँच कमरों वाला एक छोटा सा गमन स्थान है, जहाँ से चलते हुए आप इन फुलवारियों तक पहुँच सकते हैं। यह एक छोटी सी पदयात्रा जैसी है जिसके दौरान आप सड़क के किनारे खिले विविध फूल और पठार के दोनों तरफ बसी घाटी के सुंदर दृश्य देख सकते हैं।
  • कास पठार पर लिखी गयी एक किताब के अनुसार यहाँ पर लगभग 80 प्रकार के फूल खिलते हैं, जिनका उल्लेख इस किताब में किया गया है। जब हमने इन फूलों को नजदीक से देखा तो हमे एहसास हुआ कि इनमें से अधिकतर फूल तो भारत में अन्यत्र भी पाए जाते हैं। इसलिए इन बातों पर जरूर ध्यान दीजिए।
  • यहाँ पर सामूहिक पुष्पन बहुत ही कम समय के लिए होता है और इस दौरान यहाँ पर लोगों की बहुत सारी भीड़ होती है। वैसे शेष मौसम में भी आप कुछ फूल और फुलवारियाँ जरूर देख सकते हैं। जिस समय हम वहाँ गए थे उस वक्त वहाँ पर पर्याप्त सफेद फूल और अन्य स्थानीय फूल भी खिले थे। तो इस बात को ध्यान में रखते हुए अपनी यात्रा का आयोजन कीजिये।
  • हमे सातारा की अन्य पहाड़ियों पर भी ऐसे बहुत सारे फूल दिखे। तो कास पठार के आस-पास के इलाकों की सैर जरूर कीजिये, जहाँ पर आप सुंदर-सुंदर फूल देख सकते हैं।
  • यहाँ पर सातारा से आने-जाने वाले सार्वजनिक परिवाहन बहुत ही सीमित और अप्रत्याशित हैं। शाम के 5 बजने के बाद आपको यहाँ कोई बस नहीं मिलती।
  • कास पठार पर जाने से पहले वहाँ के पुष्पन समय के बारे में जरूर पता करे, यद्यपि सामान्य रूप से वहाँ पर जाने का उत्तम समय मध्य अगस्त से सितंबर के अंत तक होता है।

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