आंध्र प्रदेश की अरकु घाटी, जिसे ‘पर्वतों की रानी’ भी कहा जाता है, एक आकर्षक पर्वतीय गंतव्य है जो अपने प्राकृतिक सौन्दर्य, हरे-भरे परिदृश्यों, कॉफी के उद्यानों एवं सुखद जलवायु के लिए प्रसिद्ध है। अरकु घाटी भारत की पूर्वी पर्वतीय श्रंखला में स्थित घाटियों का एक भाग है। यह पर्यटकों में अत्यंत लोकप्रिय है, विशेषतः वे पर्यटक जो विशाखापटनम जैसे निकटवर्ती तटीय नगरों से उष्ण व आर्द्र जलवायु से कुछ काल मुक्ति पाने के लिए तथा शांतिपूर्ण वातावरण में आनंद के दिवस व्यतीत करने यहाँ आते हैं।
पूर्वी घाटों के आकर्षक परिदृश्य
अरकु एक आकर्षक पर्वतीय गंतव्य है जो अपनी सघन हरियाली, आदिवासी धरोहरों तथा कॉफी के उद्यानों के लिए अत्यंत लोकप्रिय है। इसकी सुंदरता पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है जो नगरीय जीवन की भाग-दौड़ से पलायन करने के लिए तथा कुछ काल प्रकृति का आनंद उठाने के लिए यहाँ आते हैं।
अरकु घाटी समुद्र की सतह से लगभग ९१० मीटर(२९८५ फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। इसकी ऊंचाई ही यहाँ के सुखद वातावरण एवं मनमोहक परिदृश्यों की कारक है।
अरकु घाटी को घेरते पर्वत एवं पहाड़ियाँ
आंध्र प्रदेश के पूर्वी घाट की पर्वत श्रंखलाओं के मध्य स्थित है अरकु घाटी। इसके चारों ओर स्थित पर्वतों एवं पहाड़ों में प्रमुख हैं:
- अनंतगिरी पहाड़ियाँ : अनंतगिरी पहाड़ियाँ अपनी सघन हरियाली, रोमांचक पर्वतारोहण मार्गों एवं विहंगम दृश्य प्रदान करते अवलोकन बिंदुओं के लिए लोकप्रिय है।
- गालिकोंडा पर्वत : पूर्वी घाट की पर्वत श्रंखलाओं का उच्चतम शिखर गालिकोंडा पर्वत शिखर है। यह पर्वत अरकु घाटी के निकट स्थित है। यहाँ से चारों ओर के अत्यंत लुभावने व विहंगम दृश्य दिखाई पड़ते हैं। रोमांचक पर्वतारोहियों के लिए यह उत्तम पर्वतारोहण का अवसर प्रदान करता है।
- चापराई पर्वत : यह पर्वत चापराई जलप्रपात के लिए जाना जाता है। यहाँ उपस्थित शांतिपूर्ण वातावरण के चलते यह वनभोजन एवं विश्राम के लिए एक प्रचलित स्थान है।
- सुन्करिमेट्टा आरक्षित वन : अरकु घाटी के चारों ओर सुन्करिमेट्टा आरक्षित वन है जो विविध वनस्पतियों एवं वनीय प्राणियों से समृद्ध है।
- बोर्रा गुफाओं की पहाड़ियाँ : जगप्रसिद्ध बोर्रा गुफाएँ जिन पहाड़ियों के भीतर हैं, वे भी अरकु घाटी के समीप ही स्थित हैं।
अरकु घाटी के आकर्षक पर्यटन स्थल
अरकु घाटी आपको अप्रतिम प्राकृतिक सौन्दर्य, समृद्ध आदिवासी संस्कृति, विविध जल प्रपात तथा स्वादिष्ट स्थानीय व्यंजनों का आस्वाद लेने का सुअवसर प्रदान करती है। यह क्षेत्र विभिन्न स्वदेशीय जनजातीय समूहों द्वारा निवासित है तथा यह उनकी पारंपरिक जीवनशैली एवं हस्तकला को विस्तार से जानने व समझने का अद्वितीय अवसर प्रदान करता है।
प्रकृति प्रेमियों, रोमांच व साहसी अभियान प्रेमियों तथा शांत व निर्मल वातावरण का आनंद उठाने के इच्छुकों के लिए यह एक अद्भुत गंतव्य है।
विविध रुचियों के पर्यटकों के लिए अरकु घाटी के आकर्षण :
- बोर्रा गुफाएं : चूने द्वारा निर्मित ये प्राचीन गुफाएं अप्रतिम आरोही निक्षेपों एवं निलम्बी निक्षेपों (stalactites and stalagmites) द्वारा अलंकृत हैं। गुफाओं के भीतर के भूमिगत अनुभव आपको सम्मोहित कर देंगे।
- रेलगाड़ी यात्रा : विशाखापटनम से अरकु घाटी तक की अद्भुत सौन्दर्य से परिपूर्ण रेल यात्रा का आनंद उठाइये। अनेक सुरंगों, सेतुओं तथा अप्रतिम परिदृश्यों का दर्शन कराती यह रेलयात्रा स्वयं में एक अद्वितीय अनुभव है।
- कटिकी जलप्रपात : शिलाखंडों पर से बहती हुई गोस्थानी नदी सुंदर कटिकी झरने का रूप धर कर हमारा मन मोह लेती है। चारों ओर स्थित हरे-भरे वन इसके सौन्दर्य को द्विगुणीत कर देते हैं। प्रकृति प्रेमियों तथा छायाचित्रकारों के लिए यह एक अद्भुत स्थान है।
- कॉफी उद्यान : अरकु घाटी कॉफी उद्यानों के लिए प्रसिद्ध है। पर्यटक यहाँ स्थित कॉफी उद्यानों में भ्रमण कर सकते हैं तथा कॉफी निर्मिती के विविध चरणों से अवगत हो सकते हैं। स्वाभाविक है कि वे ताजे भुने व पिसे कॉफी के बीजों से निर्मित कॉफी का अद्वितीय आनंद भी उठा सकते हैं।
- अरकु कॉफी संग्रहालय : अरकु कॉफी संग्रहालय स्वयं में एक अनोखा संग्रहालय है। यह संग्रहालय आदिवासी संग्रहालय के समक्ष स्थित है। आप यहाँ विभिन्न प्रकार के कॉफी चॉकलेटों का आस्वाद ले सकते हैं तथा उन्हे यहाँ की स्मृति के रूप में अपने साथ ले जा सकते हैं।
- आदिवासी संग्रहालय : यदि जनजातीय संस्कृति को जानने एवं समझने में आपकी रुचि हो तो आप इस आदिवासी संग्रहालय का अवलोकन कर सकते हैं जो इस क्षेत्र के स्वदेशीय जनजातियों की पारंपरिक जीवनशैली, उनकी भिन्न भिन्न प्रथाओं तथा कलाओं के विषय में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है।
- पद्मापुरम उद्यान : यह एक सुंदर उद्यान है जहाँ आप विविध प्रकार के दुर्लभ तथा असाधारण पौधे देख सकते हैं। यह स्थान पारिवारिक सैर अथवा शांतिपूर्ण परिभ्रमण के लिए उत्तम स्थल है। यह उद्यान वृक्षों के ऊपर निर्मित विश्राम कुटियाओं के लिए भी लोकप्रिय है।
- अनंतगिरी पहाड़ियाँ : अरकु घाटी के निकट स्थित अनंतगिरी पहाड़ियाँ विहंगम परिदृश्य एवं शांत वातावरण प्रदान करते हैं। ये पहाड़ियाँ रोमांचक पर्वतारोहण के लिए भी प्रसिद्ध हैं।
- अनंतगिरी झरना : अरकु से लगभग ३० किलोमीटर के अंतराल पर स्थित यह एक सुंदर झरना है। विशाल शिलाखंडों के मध्य से बहते इस झरने की सुंदरता में मानसून में कई गुना वृद्धि हो जाती है।
- चापराई : अरकु से लगभग १५ किलोमीटर के अंतर पर स्थित चापराई नदी एक बारहमासी जलधारा है जो शिलाखंडों के मध्य स्थित प्राकृतिक मार्गों से उमड़ती हुई अप्रतिम दृश्य प्रस्तुत करती है।
- मत्स्यगुंडम : अरकु से लगभग ५० किलोमीटर के अंतर पर स्थित यह जलधारा विशाल शिलाखंडों के मध्य से बहती है। समीप स्थित शिव मंदिर की पृष्ठभूमि में इस नदी का सौन्दर्य प्रफुल्लित हो उठता है।
- मधु उत्पादन : स्थानीय निवासियों ने मधु अथवा शहद उत्पादन के आधुनिक तकनीकों को सफलता पूर्वक किस प्रकार अपनाया है, आप इसकी जानकारी यहाँ प्राप्त कर सकते हैं।
- शिमिलिगुडा रेलवे स्थानक : अरकु से १५ किलोमीटर के अंतर पर स्थित यह रेलवे स्थानक भारत का सर्वोच्च ऊंचाई पर स्थित ब्रॉड गेज अथवा बड़ी लाइन का रेलवे स्थानक है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई लगभग ९९६ मीटर है। यह स्थानक अरकु से विशाखापटनम के मध्य स्थित रेल पथ पर स्थित है।
- मसाले : इस क्षेत्र में कुछ मसालों की खेती की जाती है। आप उन मसाला उद्यानों में भ्रमण कर सकते हैं, उनका स्वाद चख सकते हैं तथा चाहें तो खरीद सकते हैं।
- बांस में पकाया हुआ मुर्गा : बांस में पकाया हुआ मुर्गा अथवा bamboo chicken यहाँ का स्थानीय व्यंजन है। वैध रूप से इसे केवल यहाँ से स्थानीय आदिवासी ही पका सकते हैं। यदि आप मांसाहारी हैं तो आप इसका आस्वाद ले सकते हैं।
- डुम्ब्रीगुडा झरना : यह इस घाटी का सर्वाधिक भ्रमणित एवं लोकप्रिय जलप्रपात है। १५ किलोमीटर के अंतराल पर स्थित यह झरना पडेरु जाने के मार्ग पर स्थित है। इस झरने की विशेषता है वे असंख्य जलधाराएँ, जो विशाल शिलाखंडों पर से झर झर बहती हुई मन मोह लेती हैं। इसे चापराई जलप्रपात भी कहते हैं।
- गाँव : अरकु में अनेक ऐसे गाँव हैं जो अपने विविध कलाक्षेत्रों के लिए प्रसिद्ध हैं। उनमें प्रमुख हैं, कुम्हारी के लिए मडागाडा (८ कि. मि.), लाख के आभूषणों के लिए चौम्पि (५ कि. मि.) तथा बांस की कलाकृतियों के लिए मुशीरीगुडा(१० कि. मि.)।
- मोदमंबा मंदिर : अरकु से लगभग ४५ किलोमीटर के अंतर पर स्थित हुकूमपेट में यह मंदिर स्थित है जो स्थानीय जनजातियों का प्रार्थना स्थल है।
बोर्रा गुफाएं
बोर्रा गुफाएं प्राकृतिक अचंभा हैं जो लाखों वर्षों के भूगर्भीय गतिविधियों के कारण निर्मित हुए हैं। अपनी जटिल संरचनाओं से इन गुफाओं ने पर्यटकों को सम्मोहित कर रखा है। ये गुफाएं अप्रतिम आरोही निक्षेपों, निलम्बी निक्षेपों (stalactites and stalagmites) तथा अन्य अनोखी संरचनाओं द्वारा अलंकृत हैं। गुफा के भीतर अनेक कक्ष एवं गलियारे हैं जहाँ आप प्रकृति द्वारा रचित कलाकृतियों के अवलोकन का आनंद उठा सकते हैं। कक्षों के भीतर का मंद प्रकाश सम्पूर्ण परिदृश्य को अधिक रहस्यमयी तथा आपके अनुभव को अधिक कुतूहलमय बना देता है। सम्पूर्ण वातावरण एक दृश्य आनंद हो जाता है। ये सब इस स्थान को वैज्ञानिक शोधकारों एवं छायाचित्रकारों के लिए एक उत्तम गंतव्य बना देते हैं।
मैंने इससे पूर्व बोर्रा गुफाओं पर एक स्वतंत्र यात्रा संस्मरण प्रकाशित किया है। बोर्रा गुफाएँ – अरकू घाटी की छेद वाली गुफा – आन्ध्र प्रदेश का पर्यटन. आप यह संस्मरण अवश्य पढ़िये।
बोर्रा गुफाएं आदिवासी संग्रहालय से लगभग २५ किलोमीटर के अंतर पर स्थित हैं। ये विशाखापटनम से लगभग ९२ किलोमीटर के अंतर पर हैं।
अरकु घाटी तक रेल यात्रा
अरकु पहुँचने के लिए विशाखापटनम से निकलती एक प्रातःकालीन रेलगाड़ी सर्वोत्तम साधन है जो आपको अनेक भूमिगत मार्गों से ले जाती है। इस मार्ग के एक ओर घाटियाँ हैं तथा दूसरी ओर पर्वत। इस पूर्वी तटीय रेलवे मार्ग का निर्माण सन् १९५८ में भारत-जापान सहकार्यता के अंतर्गत हिंदुस्तान कन्स्ट्रक्शन कंपनी ने किया था।
मैंने इससे पूर्व अरकु घाटी तक रेल यात्रा पर एक स्वतंत्र यात्रा संस्मरण प्रकाशित किया है। Train ride to Araku Valley in Eastern Ghats आप यह संस्मरण अवश्य पढ़िये।
कटिकी जलप्रपात
सघन वनीय प्रदेश की गोद में छुपा हुआ कटिकी जलप्रपात एक शांत स्थल है जो हमारे रोम रोम को जीवंत कर देता है। सघन हरियाली के मध्य ऊँचे शिलाखंडों पर से बहती हुई गोस्थानी नदी कटिकी जलप्रपात का रूप धर कर हमारा मन मोह लेने को तत्पर रहती है। सम्पूर्ण वातावरण सुखद हो जाता है जो मानसिक विश्रांती एवं चिंतन-मनन के लिए सर्वोत्तम सुअवसर होता है। जलप्रपात तक पहुँचने के लिए वन के मध्य से पर्वतारोहण करना पड़ता है जो सम्पूर्ण अनुभव को एक रोमांच प्रदान करता है। कटिकी जलप्रपात का प्राकृतिक परिदृश्य एवं शांत वातावरण प्रकृति प्रेमियों के लिए उसे एक उत्तम पर्यटन गंतव्य बनाता है।
मैंने अपनी कटिकी जलप्रपात भ्रमण का एक विडिओ बनाया था जिसे आपके साथ साझा कर रही हूँ। अवश्य देखिए, Araku Valley Waterfalls – Katiki Waterfall & Dumbriguda Waterfall।
पडेरु कॉफी उद्यान
समुद्र तल से ३००० फीट की ऊंचाई पर स्थित पडेरु अपने कॉफी उद्यानों के लिए लोकप्रिय है। पडेरु अरकु घाटी से किंचित दूर, एक भिन्न दिशा में स्थित है। कॉफी जैसे सुगंधित पेय पदार्थों में रुचि रखने वाले पर्यटकों के लिए यह एक उत्तम गंतव्य है। यहाँ आप कॉफी के बीजों की खेती से लेकर बीजों को भूनने तक, कॉफी उत्पादन के सभी चरणों का विस्तृत अवलोकन कर सकते हैं। कॉफी के हरेभरे उद्यानों में निर्देशित भ्रमण आयोजित किये जाते हैं जहाँ आप भिन्न भिन्न प्रकार के कॉफी बीजों के विषय में विस्तृत ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। कॉफी के बीजों के उत्पादन के विविध चरणों एवं कॉफी बनाने की विभिन्न पद्धतियों के विषय में भी जानकारी ले सकते हैं। कॉफी के हरेभरे उद्यान के मध्य बैठकर ताजे भुने बीजों से निर्मित कॉफी का आनंद स्वयं में एक अद्भुत अनुभव होता है जो हमारी स्वाद कलिकाओं एवं रसेंद्रियों को प्रस्फुरित करता है।
अरकु घाटी में स्थित सभी सड़क मार्गों पर भी आप कॉफी के उद्यान देख सकते हैं।
पडेरु आदिवासी संग्रहालय से लगभग ४५ किलोमीटर तथा विशाखापटनम से लगभग १२० किलोमीटर के अंतर पर स्थित है किन्तु यह विशाखापटनम-अरकु मार्ग पर स्थित नहीं है।
अरकु कॉफी संग्रहालय
अरकु के आदिवासी संग्रहालय के समक्ष आदिवासी कलाकृतियों से अलंकृत एक लौह द्वार के ऊपर ‘अरकु घाटी कॉफी हाउस’ लिखा है। उसके नीचे लिखे उपशीर्षक हैं, कॉफी पेय, कॉफी पाउडर, चॉकलेट इत्यादि। सम्पूर्णा दीर्घा एक लघु संग्रहालय है जहाँ इथियोपिया में हुए जन्म से लेकर इस घाटी तक की कॉफी की यात्रा का प्रदर्शन किया गया है।
मैंने इससे पूर्व अरकु घाटी के कॉफी संग्रहालय एवं विक्री केंद्र की मेरी यात्रा पर एक स्वतंत्र यात्रा संस्मरण प्रकाशित किया है। Cherish the Coffee Chocolates at Araku आप यह संस्मरण अवश्य पढ़िये।
अरकु घाटी आदिवासी संग्रहालय
अरकु आदिवासी संग्रहालय अरकु के उन स्थानीय निवासियों की समृद्ध संस्कृति, परंपराओं तथा कलाशैलियों के विषय में सूक्ष्म अंतर्दृष्टि प्रदान करता है जो इस क्षेत्र को अपनी भूमि मानते हैं। इस संग्रहालय में आदिवासी कलाकृतियाँ, वस्त्र एवं परिधान, आभूषण, औजार आदि प्रदर्शित हैं जो उनके जनजातीय जीवनशैली का चित्रण करते हैं। इस संग्रहालय से आपको उनकी परंपराओं, अनुष्ठानों, मान्यताओं तथा प्रथाओं के विषय में ज्ञान प्राप्त करने का सुअवसर प्राप्त होगा। यह संग्रहालय आपको इस क्षेत्र के विविध सांस्कृतिक धरोहरों को सम्मान देने एवं प्रशंसित करने के लिए बाध्य कर देगा।
अरकु आदिवासी संग्रहालय मेरे हरिथा हिल रेसॉर्ट (मयूरी) से केवल ५०० मीटर के अंतर पर स्थित था। यह विश्रामगृह आंध्र प्रदेश पर्यटन विकास निगम द्वारा संचालित है।
मैंने Araku Tribal Museum की मेरी यात्रा पर एक स्वतंत्र यात्रा संस्मरण प्रकाशित किया है। आप यह संस्मरण अवश्य पढ़िये।
पद्मापुरम उद्यान
पद्मापुरम वनस्पति उद्यान हमें नगरी परिवेश की भागदौड़ से मुक्त कर रंगबिरंगे पेड़-पौधे एवं शांत हरियाली के विश्व में ले जाता है। इस उद्यान में विविध प्रकार के पुष्पों, पौधों एवं वृक्षों के दर्शन का अवसर प्राप्त होता है जिनमें अनेक दुर्लभ प्रजातियाँ भी सम्मिलित हैं।
उद्यान के भीतर छोटी रेलगाड़ी चलती है जो नन्हे-मुन्ने पर्यटकों के साथ साथ सम्पूर्ण परिवार के लिए अत्यंत आनंददायक अनुभव है। उद्यान के भीतर उत्तम रखरखाव किया गया है। सभी पगडंडियाँ सुव्यवस्थित एवं स्वच्छ हैं। चारों ओर से आती पक्षियों की चहचहाहट चित्त को शांतता प्रदान करती है।
अनंतगिरी पहाड़ियाँ
पर्वतों पर स्थित रेसॉर्टस अथवा विश्रामगृह सुखद जलवायु, शीतल वायु, अप्रतिम परिदृश्य तथा चित्त में शांति प्रदान करते हैं जो हमारे नगरी परिवेश में अब दुर्लभ हो चुके हैं। पर्वतारोहण में रुचि रखने वालों के लिए भी अनंतगिरी पहाड़ियाँ अप्रतिम परिदृश्य एवं हरेभरे वनों के दर्शन का अवसर प्रदान करती हैं। पर्वतीय मार्गों पर अवलोकन बिन्दु हैं जहाँ से चारों ओर के पर्वतों एवं घाटियों से अलंकृत मनभावन परिदृश्यों के विहंगम दृश्य दिखाई देते हैं। यहाँ का शांतिपूर्ण वातावरण तथा नवजीवन प्रदान करने वाली वायु अनंतगिरी पहाड़ियों को प्रकृति प्रेमियों, पक्षी अवलोकन प्रेमियों तथा ध्यान-साधन करने वालों के लिए उत्तम गंतव्य बनाती हैं।
मधु उत्पादन
अरकु घाटी के मार्ग के दोनों ओर स्थित खेतों में आप नीले रंग के अनेक बक्से देखेंगे। ये बक्से वास्तव में मधु उत्पादन की लघु जैव इकाईयाँ हैं। ये स्थानीय कृषकों का अतिरिक्त व्यवसाय है जो अतिरिक्त आय प्रदान करने में सहायक होता है। साथ ही मधु उत्पादन के महत्वपूर्ण कार्य को स्थानीय स्तर पर निष्पन्न करने में भी सहायक होता है। हमने वहाँ से मधु की एक बोतल क्रय की जो अन्य केंद्रों से अपेक्षाकृत निम्न दर पर उपलब्ध थी। यहाँ मुझे इस सुगम लघु उद्योग के विषय में जानकारी प्राप्त हुई जिसे पर्यावरण के अनुकूल रीति से कम लागत में किया जा सकता है।
मैंने Honey Making at Araku Valley – Small scale business पर एक स्वतंत्र शिक्षाप्रद संस्करण प्रकाशित किया। उसे अवश्य पढ़ें।
मसाले
अरकु घाटी के मार्गों के दोनों ओर आप खेत देख सकते है जहाँ काली मिर्च, इलायची तथा दालचीनी जैसे मसालों की खेती की जाती है। इस क्षेत्र की जलवायु ऐसे मसलों की खेती के लिए अत्यंत अनुकूल होते हैं। यदि आपको मसाले उद्यानों में भ्रमण करने में रुचि हो तो आप कम से कम एक उद्यान में अपना भ्रमण पूर्वनियोजित कर सकते हैं।
बांस में पकाया हुआ माँस (बाम्बू चिकन)
बाम्बू चिकन अथवा बांस के भीतर पकाया हुआ चिकन अरकु घाटी का एक आदिवासी व्यंजन है। स्थानीय व्यंजनों में इसे अत्यंत स्वादिष्ट माना जाता है। ध्यान रखे कि इस व्यंजन के लिए लगने वाले बांस को काटने की तथा इस पारंपरिक व्यंजन में उसका प्रयोग करने की अनुमति केवल यहाँ के आदिवासी जनजाति को ही है। आप यहाँ के स्थानीय निवासियों को ठेला गाड़ी में यह व्यंजन बनाकर विक्री करते देख सकते हैं। इस व्यंजन को धीमी आंच में लंबे समय तक पकाया जाता है। इसलिए आपको प्रतीक्षा करनी पड़ सकती है। आप चाहे तो किसी पर्यटन आकर्षण के अवलोकन से पूर्व इस व्यंजन का आदेश दे दें। भ्रमण पूर्ण होने तक यह व्यंजन आपके लिए सज्ज हो जाएगा। यदि आप मांसाहारी हैं तो आप इसका आस्वाद ले सकते हैं।
मैंने बांस के भीतर इस प्रकार चिकन पकाने की अनोखी प्रक्रिया पर एक स्वतंत्र संस्करण लिखा है, Araku Valley Bamboo Chicken Unique Tribal Delicacy.
डुम्ब्रीगुडा झरना/ चापराई झरना
यह जलप्रपात सर्वाधिक भ्रमण किये गए जलप्रपातों में से एक है। अरकु नगरी से लगभग १५ किलोमीटर के अंतर पर स्थित यह जलप्रपात पडेरु के मार्ग पर स्थित है। इस जलप्रपात में जलधारा विशाल शैल संरचनाओं के मध्य से बहती है। इसे चापराई झरना भी कहते हैं। बारहमासी जलधारा प्राकृतिक शैलखंडों के मध्य से बहती हुई अत्यंत सुंदर दृश्य प्रस्तुत करती है। चारों ओर का परिदृश्य इसकी सुंदरता में अनेक गुना वृद्धि कर देता है। उथला जल होने के कारण जल में प्रवेश करने की अभिलाषा उमड़ पड़ती है किन्तु ध्यान रखें, काई के कारण शैलखंड फिलसाऊ हो सकते हैं।
परिवहन के साधन
- सड़क मार्ग : अरकु घाटी पहुँचने के लिए विशाखापटनम तथा विजयनगरम से सुगम सड़क मार्ग उपलब्ध हैं। इन मार्गों का एक अन्य आकर्षण है, पूर्वी घाटों के अप्रतिम परिदृश्य।
- रेल मार्ग : अरकु घाटी एक्स्प्रेस विशाखापटनम को अरकु से जोड़ती है। यह रेल मार्ग सुंदर परिदृश्यों से परिपूर्ण यात्रा के लिए अत्यंत लोकप्रिय है। इस रेल मार्ग पर रेलगाड़ी अनेक सुरंगों, सेतुओं तथा अप्रतिम परिदृश्यों का दर्शन कराती हुई हमें जीवन भर का सुंदर अनुभव प्रदान करती है।
- वायु मार्ग : अरकु घाटी पहुँचने के लिए निकटतम विमानतल विशाखापटनम अंतर्राष्ट्रीय विमानतल है। यहाँ से यात्री सड़क मार्ग द्वारा अरकु घाटी पहुँच सकते हैं।
सुरक्षा संबंधी सावधानियाँ :
यद्यपि अरकु एक सुरक्षित पर्यटन स्थल है, तथापि कुछ सावधानियों पर लक्ष्य केंद्रित करना उचित होगा, जैसे
- ऋतु के अनुसार पूर्व तैयारी
- स्थानीय प्रथाएं : स्थानीय आदिवासी जनजातियों से व्यवहार करते समय उनकी परंपराओं एवं मान्यताओं को सम्मान प्रदान करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- वन्यजीवन एवं प्रकृति : स्थानीय वन्य प्राणियों से सतर्क रहें। उनसे सुरक्षित अंतर बनाए रखना आवश्यक है।
- स्वास्थ्य सेवा : आप अपनी सभी आवश्यक व मूलभूत औषधियाँ तथा प्रथमोपचार के साधन अपने साथ रखें। अरकु में सीमित चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध हैं।
पाककला संबंधी अनुभव
स्थानीय परंपराओं तथा स्थानीय सामग्रियों को गौरवान्वित करते हुए अरकु में अनेक ऐसे व्यंजन बनाए जाते हैं जिनका आस्वाद आपके लिए नवीन अनुभव हो सकता है। सामान्यतः अरकु के स्थानीय व्यंजन अपेक्षाकृत अधिक तीखे होते हैं। इनके अतिरिक्त बाम्बू चिकन, कॉफी, चॉकलेट आदि के विषय में मैंने पूर्व में ही बताया है। आप अपनी रुचि के अनुसार इन व्यंजनों का आस्वाद ले सकते हैं। आपके लिए कुछ अनोखे स्थानीय व्यंजन इस प्रकार हैं:
- पच्चि पुलुसु : यह एक खट्टा, मसाले युक्त रसम है जिसकी मुख्य सामग्री में इमली, हरी मिर्च, विभिन्न मसाले आदि सम्मिलित हैं। भाप निकलते भात के साथ इसका स्वाद अप्रतिम होता है। यह एक लोकप्रिय व्यंजन है जिसका प्रयोग सांभर से पूर्व किया जाता है।
- रागी संगती : रागी एक पौष्टिक अनाज है जिसे इस क्षेत्र में मुख्य आहार के रूप में खाया जाता है। इससे रागी संगती अथवा रागी मुद्दे बनाया जाता है जिसे भात के स्थान पर रसम अथवा सांभर के साथ खाया जाता है। यह अत्यंत स्वास्थ्य वर्धक होता है तथा स्थानीय निवासियों में अत्यंत लोकप्रिय है।
- बोन्गुलो चिकन : भिन्न भिन्न मसालों, प्याज एवं टमाटरों के साथ एक विशेष प्रकार से चिकन पकाया जाता है। इसे भात अथवा चपाती/ भाकरी के साथ खाया जाता है।
अरकु घाटी के कुछ विश्रामगृहों एवं जलपानगृहों में विशेष अनुरोध पर यहाँ के पारंपरिक आदिवासी व्यंजन बनाए जाते हैं जिसे स्थानीय निवासी ही बनाते हैं।
अरकु घाटी भ्रमण के लिए सर्वोत्तम काल
यूँ तो अरकु घाटी की जलवायु वर्ष भर अत्यंत सुखद रहती है। इसलिए वर्ष भर में कभी भी आप अरकु घाटी का भ्रमण कर सकते हैं। फिर भी, अरकु घाटी भ्रमण के लिए सर्वोत्तम कालावधि ऑक्टोबर से मार्च मास होता है जब यहाँ का वातावरण सर्वाधिक सुखद एवं शीतल हो जाता है।
अरकु घाटी में उपोष्णकटिबंधीय उच्चभूमि जलवायु (Subtropical highland climate) रहती है जिसका कारण है पूर्वी घाटों की ऊंचाई। इस कारण यहाँ का तापमान माध्यम रहता है तथा यहाँ की वायु निर्मल एवं ऊर्जा प्रदायक रहती है।
ऋतुएँ
शीत ऋतु (ऑक्टोबर से फरवरी तक)
यह ऋतुकाल अरकु घाटी के भ्रमण के लिए सर्वोत्तम काल होता है। इस काल में यहाँ की जलवायु शीतल एवं सुखद होती है। यहाँ का तापमान १० डिग्री सेंटीग्रेड से २० डिग्री सेंटीग्रेड तक रहता है। यह वातावरण पर्यटन स्थलों के भ्रमण तथा बाह्य क्रियाकलापों के लिए सर्वोत्तम होता है जब आप उष्णता की असुविधाओं से मुक्त होकर भ्रमण कर सकते हैं।
वसंत ऋतु (मार्च से मई तक)
भले ही वसंत ऋतु में अरकु घाटी का तापमान शीत ऋतु से अपेक्षाकृत अधिक रहता है, फिर भी इस ऋतु में यहाँ की जलवायु सुखद ही रहती है। इस ऋतु में यहाँ का तापमान १५ डिग्री सेंटीग्रेड से २५ डिग्री सेंटीग्रेड तक रहता है। यह ऋतु उन पर्यटकों के लिए उत्तम है जिन्हे किंचित उष्ण जलवायु में भ्रमण करना भाता है तथा जो इस ऋतु में प्रफुल्लित होते पर्णसमूह व पुष्पों का आनंद उठाना चाहते हैं।
वर्षा ऋतु ( जून से सितंबर तक)
अरकु घाटी में मानसून काल में मध्यम वर्षा होती है। चारों ओर का परिदृश्य हराभरा हो जाता है। मानसून काल में यदा-कदा अत्यधिक वर्षा यात्रा नियोजनों एवं बाह्य क्रियाकलापों को बाधित कर सकती है। इस ऋतु में यहाँ का तापमान १८ डिग्री सेंटीग्रेड से २८ डिग्री सेंटीग्रेड तक रहता है।
अरकु घाटी में लोकप्रिय एवं बजट के अनुकूल विश्रामगृह सुविधाएं
अरकु घाटी में विभिन्न स्तर के विश्रामगृह हैं जिनका चयन पर्यटक अपनी रुचि तथा बजट के अनुसार कर सकते हैं। अति-विलासी रेसॉर्ट से लेकर बजट के अनुकूल होटल व विश्रामगृह तक, पर्यटकों के लिए एक आनंदप्रद प्रवास हेतु प्रत्येक स्तर के विकल्प उपलब्ध हैं। ये सभी विकल्प पर्यटकों को सभी आधुनिक सुविधाएँ प्रदान करने के साथ साथ प्रकृति के सानिध्य में कुछ क्षण शांतिपूर्वक व्यतीत करने के सुअवसर प्रदान करते हैं।
यात्रा एवं प्रवास नियोजित करने से पूर्व आप इन विश्रामगृह सुविधाओं की उपलब्धता, शुल्क एवं आवास की गुणवत्ता जांच लें क्योंकि काल के साथ इनमें परिवर्तन आ सकता है।
हरिथा वैली रेसॉर्ट : यह आंध्र प्रदेश पर्यटन विकास निगम द्वारा संचालित एक अतिथिगृह है जहाँ अरकु घाटी के प्राकृतिक सौन्दर्य की पृष्ठभूमि में सुविधापूर्ण अतिथिकक्ष उपलब्ध हैं। यह अतिथिगृह अप्रतिम परिदृश्यों एवं लगभग सभी पर्यटन आकर्षणों से निकटता के लिए पर्यटकों में अत्यंत लोकप्रिय है। इसके परिसर में आदिवासी सांस्कृतिक कलाओं का प्रदर्शन भी आयोजित किया जाता है। इन प्रदर्शनों के विषय में पूर्व जानकारी अवश्य प्राप्त कर लें। अरकु घाटी भ्रमणकाल में हम यहीं ठहरे थे।
हरिथा मयूरी हिल रेसॉर्ट : आंध्र प्रदेश पर्यटन विकास निगम द्वारा संचालित हरिथा श्रंखला से एक अन्य विकल्प है हरिथा मयूरी हिल रेसॉर्ट। यह अतिथिगृह एक पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है जिसके चलते यहाँ से घाटी का अप्रतिम विहंगम दृश्य दिखाई पड़ता है। यहाँ के अतिथिकक्षों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं किन्तु सभी कक्ष सुखकर हैं।
इनके अतिरिक्त, अतिथिगृहों के कुछ अन्य विकल्प हैं, रुद्र फार्म्स, ऊषोदय रेसॉर्ट, वेदिका ऑरचर्ड्स, दि हिडन वैली रेसॉर्ट, साई प्रिया रेसॉर्ट, समन्वी इंटरनेशनल होटल, कॉफी विहार रेसॉर्ट, हिल्स एण्ड वैली रेसॉर्ट आदि।
यात्रा नियोजन से पूर्व इन विकल्पों के विषय में पूर्व जानकारी प्राप्त कर लें। अब तक कदाचित कुछ अन्य नवीन विकल्प भी उपलब्ध हो गए होंगे।
स्थानीय परिवहन के सामान्य साधन
ऑटोरिक्शा तथा टैक्सी : निकट स्थित पर्यटन आकर्षणों के अवलोकन के लिए सर्वाधिक सुगम साधन हैं, ऑटोरिक्शा तथा टैक्सी। इन साधनों द्वारा भ्रमण आरंभ करने से पूर्व भाड़े का मोल-भाव कर लें। अन्यथा चालक से मीटर द्वारा भाड़ा लेने के लिए कहें। टैक्सी सेवाएं किंचित महंगी हैं किन्तु ये सुगम तथा निजी विकल्प हैं।
स्थानीय बस सेवाएं : अरकु घाटी में स्थानीय बस सेवा का सुलभ जाल है जो घाटी के सभी पर्यटन गंतव्यों से सुगमता से जुड़ा हुआ है। भले ही बसों की पुनरावृत्तियाँ सीमित हैं, यह भ्रमण का एक सस्ता साधन है। अपने अतिथिगृह से अथवा स्थानीय सूचनाकेंद्रों से इन बसों की समयसारिणी तथा मार्गों की पूर्व जानकारी प्राप्त कर लें।
स्थानीय परिदर्शक : अरकु घाटी के भ्रमण के लिए किसी स्थानीय परिदर्शक की सहायता लें जिसे घाटी के विषय में पर्याप्त जानकारी हो तथा जो आपको घाटी के पर्यटन आकर्षणों, स्थानीय प्रथाओं तथा वहाँ के इतिहास की जानकारी प्रदान कर सके।
निजी पर्यटन : अरकु घाटी भ्रमण के लिए निजी पर्यटन का नियोजन किया जा सकता है। इसमें परिवहन, परिदर्शक आदि सभी समाहित होते हैं। भ्रमण संबंधी सभी आवश्यकताओं का उत्तरदायित्व उन पर सौंपते हुए आप निश्चिंत होकर भ्रमण कर सकते हैं।
आदिवासी सांस्कृतिक आयोजन एवं प्रदर्शन
अरकु घाटी अपने समृद्ध आदिवासी संस्कृतियों एवं परंपराओं के लिए जाना जाता है। विविध सांस्कृतिक आयोजनों तथा प्रदर्शनों के द्वारा वे अपनी संस्कृति, प्रथाएं, मान्यताएं तथा आदिवासी कलाएँ हमारे समक्ष प्रस्तुत करते हैं। इनके द्वारा पर्यटकों को मनोरंजन के साथ साथ यहाँ की सभ्यता को जानने व समझने का अवसर प्राप्त होता है। यहाँ आयोजित कुछ सांस्कृतिक आयोजन हैं:
- आदिवासी नृत्य प्रदर्शन : अरकु घाटी के अधिकतर आदिवासी समुदायों की विशेष नृत्य शैलियाँ होती हैं जिन्हे उनकी संस्कृति का अभिन्न अंग माना जाता है। वे पारंपरिक वेशभूषा धारण कर पारंपरिक संगीत की थाप पर लयबद्ध नृत्यों द्वारा अपनी संस्कृति व परंपराओं का प्रदर्शन करते हैं।
- आदिवासी कलाकृतियों की प्रदर्शनी : इस क्षेत्र के आदिवासी जनजाति कलाकार विविध हस्तकलाओं में निपुण होते हैं, जैसे कुम्हारी, बुनाई, बांस की कलाकृतियाँ इत्यादि। आप सीधे इन कारीगरों से ही उनके द्वारा बनाए गए अनोखे हस्तकलाकृतियों को क्रय कर सकते हैं।
- स्थानीय हाट एवं मेले
- उत्सव : यहाँ विविध उत्सव आयोजित किए जाते हैं जिनमें विभिन्न अनुष्ठान, नृत्य, संगीत तथा सामूहिक भोज सम्मिलित होते हैं। यहाँ वे अपने समुदाय के सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करते हैं।
अरकु घाटी के प्रमुख आदिवासी समुदाय
- गोंड : गोंड समुदाय इस क्षेत्र का सबसे बड़ा तथा सबसे प्रमुख समुदाय है। यह समुदाय अपने कलात्मक कौशल के लिए प्रसिद्ध है, जैसे चित्रकारी, संगीत तथा नृत्य। गोंड कला शैली जटिल व सूक्ष्म आकृतियों तथा चटक रंगों के लिए जानी जाती है। उनकी कलाशैली में प्रकृति से उनका अटूट संबंध स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है।
- कोंडाडोरा : कोंडाडोरा भी इस क्षेत्र का एक प्रमुख आदिवासी समुदाय है। यह समुदाय कृषि उद्योग के लिए जाना जाता है। यह समुदाय ज्वार-बाजरा जैसे अनाज, दालें तथा भिन्न भिन्न भाजियों की खेती करता है। भूमि से उनका प्रगाढ़ नाता है। इस समुदाय के सदस्य स्थानीय भूभाग के अनुरूप कृषि तकनीकी में निपुण हैं।
- वाल्मीकि : वाल्मीकि समुदाय के सदस्य कुम्हारी, बाँस कलाकृतियाँ तथा बुनाई जैसी हस्तकला में निपुण होते हैं। उनके द्वारा निर्मित टोकरियों व चटाइयों की बुनाई अत्यंत जटिल होती है। उनके द्वारा कृत वस्त्र व परिधान आदि अत्यंत पारंपरिक होते हैं।
- डोरा : डोरा समुदाय मूलतः कृषि उद्योग पर निर्भर होता है जो सामान्यतः धान, ज्वार-बाजरा तथा दालें जैसे अनाजों की खेती करते हैं। इस समुदाय की स्वयं की विशेष सामाजिक संरचना तथा एक विशिष्ट पारंपरिक शासन व्यवस्था है। वे अपनी सांस्कृतिक परंपराओं को सँजोये हुए हैं जो उनके परिधानों एवं विशिष्ट उत्सवों के माध्यम से स्पष्ट परिलक्षित होता है।
- बगाटा : बगाटा जनजाति अपने पारंपरिक नृत्य शैलियों के लिए जाना जाता है। नृत्य उनके सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का एक अभिन्न अंग है। इस समुदाय के सदस्य कुम्हारी, बुनाई तथा अन्य आदिवासी कलाक्षेत्रों में निपुण होते हैं। वनों से उनका प्रगाढ़ नाता है तथा अपनी जीविका के लिए वे उन पर निर्भर रहते हैं।
- सवारा : सवारा जनजाति अपनी विशेष भाषाशैली तथा सांस्कृतिक प्रथाओं के लिए जाने जाते हैं। प्रकृति से उनका घनिष्ठ संबंध है। वे स्थानांतरणीय कृषि शैली के अनुसार खेती करते हैं।
अरकु घाटी के प्रत्येक जनजाति की स्वयं की विशिष्ट शैलियाँ तथा सांस्कृतिक प्रथाएं होती हैं। अरकु घाटी क्षेत्र की सांस्कृतिक विविधता में प्रत्येक जनजाति का महत्वपूर्ण सहयोग है।
विशेष जनजाति उत्सव एवं पर्व
- जतरा आदिवासी उत्सव : अरकु क्षेत्र के निवासी अपनी विशेष परंपराओं, प्रथाओं तथा प्रकृति के संग उनके प्रगाढ़ संबंध का उत्सव मनाते हैं। विविध रंगों से परिपूर्ण परिधानों से सज्ज हुए नर्तकों का पारंपरिक नृत्य प्रदर्शन, पारंपरिक संगीत, अनुष्ठान, सामूहिक सहभोज आदि इस उत्सव के विविध अंग होते हैं।
- बीजों की बुआई तथा कटाई का उत्सव : ये यहाँ के आदिवासी जनजाति समुदायों के अत्यंत रोचक उत्सव हैं जहाँ वे अपने पारंपरिक अनुष्ठानों तथा नृत्यों के माध्यम से प्रकृति के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं तथा भरपूर फसल उत्पादन के लिए आशीष मांगते हैं।
- कोलाटम नृत्य उत्सव : डंडियों को टकराते हुए तथा लयबद्ध चाल करते हुए यह नृत्य किया जाता है। इस नृत्य द्वारा वे अपने नृत्य कौशल का प्रदर्शन करते हैं तथा मैत्रीपूर्ण प्रतियोगिताएं आयोजित करते हैं।
- आदिवासी नूतन वर्ष उत्सव : अरकु घाटी क्षेत्र के विभिन्न जनजाति समुदायों के स्वयं के नूतन वर्ष उत्सव होते हैं जहाँ वे अपने समुदाय विशेष अनुष्ठान, नृत्य तथा उत्सव सभाएं आयोजित करते हैं।
सभी आदिवासी उत्सव सामान्यतः उनके स्वयं के तिथि पंचांग तथा विशेष परंपराओं के अनुसार आयोजित किए जाते हैं। इन उत्सवों के दर्शन करते समय हमें इन प्रथाओं व परंपराओं का सम्मान करना चाहिए। उदार चित्त एवं उनसे सीखने की अभिलाषा रखते हुए हमें इन उत्सवों में भाग लेना चाहिए।
अरकु नगरी
अरकु घाटी का मूल नागरी केंद्र यहाँ के प्राकृतिक सौन्दर्य एवं सांस्कृतिक समृद्धि का द्वार है। कोत्तवलसा-किरंदुल रेल मार्ग पर अरकु रेल स्थानक एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। पूर्वी घाटों से होकर जाती हुई यह रेल यात्रा अप्रतिम दृश्यों से परिपूर्ण है। अरकु घाटी के सौन्दर्य का अनुभव प्राप्त करने का यह प्रथम सोपान है।
अरकु नगर में अनेक स्थानीय हाट हैं जहाँ से आप ताजे उपज, आदिवासी हस्तकलाकृतियाँ तथा अनेक ऐसी स्मारिकाएं क्रय कर सकते हैं। स्थानीय व्यंजनों का अनुभव लेने तथा पारंपरिक वस्तुएं क्रय करने के लिए ये उत्तम स्थान हैं।
अरकु घाटी के पर्वतारोहण उपयुक्त पर्वत शिखर
अरकु घाटी तथा इसके आसपास के क्षेत्र पर्वतारोहण प्रेमियों को उत्तम पर्वतारोहण अनुभव प्रदान करते हैं। रोमांचक पर्वतारोहण अनुभव के साथ साथ पर्यटक यहाँ के प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण पर्वतों तथा घाटी के अप्रतिम परिदृश्यों के सौन्दर्य का आनंद उठा सकते हैं। अरकु घाटी के कुछ पर्वत शिखर तथा आसपास की कुछ पहाड़ियाँ, पर्यटक जिन पर पर्वतारोहण का विचार कर सकते हैं, वे हैं:
गलिकोंडा पर्वत
गलिकोंडा पूर्वी घाटों का सर्वोच्च शिखर है। इन पर पर्वतारोहण करना चुनौतियों से परिपूर्ण अनुभव है। यह रोहण मार्ग सघन वनों तथा तीव्र आरोहणों से होकर जाता है जिसके पश्चात शिखर से आपको अप्रतिम दृश्यलाभ प्राप्त होता है।
अनंतगिरी पर्वत
अनंतगिरी पर्वत पर अनेक पर्वतारोहण पगडंडियाँ हैं जो अनुभवहीन तथा अनुभावशाली, दोनों प्रकार के रोहणकर्ताओं के लिए उपयुक्त हैं। ये मार्ग कॉफी के उद्यानों तथा सघन हरियाली से होकर जाते हैं तथा घाटी के मनभावन परिदृश्यों का आनंद प्रदान करते हैं।
चापराई जलप्रपात की पहाड़ी
चापराई पर्वतारोहण मार्ग अपेक्षाकृत एक सुगम मार्ग है जो अप्रतिम परिदृश्यों से परिपूर्ण है। यह मार्ग अंततः एक जलप्रपात तक ले जाता है। इस पर्वतारोहण का पारितोषिक है, झरने के आसपास का शांत वातावरण तथा प्राकृतिक तरणपुष्कर में शीतलता का अनुभव।
बोर्रा गुफाओं की पहाड़ी
बोर्रा गुफाओं के आसपास भी पर्वतारोहण मार्ग हैं जो हमें सघन वनों एवं चट्टानी भूभागों से ले जाते हैं। ये मार्ग हमें अनोखे भूवैज्ञानिक संरचनाओं को निकट से निहारने का अवसर देते हैं। साथ ही चारों ओर के परिदृश्यों के अवलोकन का सौभाग्य भी प्रदान करते हैं।
मत्स्यगुंडम
अरकु घाटी से लगभग ५० किलोमीटर दूर स्थित मत्स्यगुंडम पर्वतों से घिरा एक सुंदर सरोवर है। पदभ्रमण करते हुए इस सरोवर तक पहुँचा जा सकता है। यह मार्ग हमें वनों तथा विस्तृत तृणभूमि से ले जाता है जो एक शांतिपूर्ण वातावरण तथा असामान्य मार्गों में भ्रमण करने का रोमांचक अनुभव देता है।
पद्मापुरम उद्यान की पहाड़ी
इस पहाड़ी पर सुगम व आसान पर्वतारोहण आयोजित किए जाए हैं। मार्ग पर अनेक अवलोकन बिन्दु हैं जहाँ से घाटी के अप्रतिम दृश्य दिखाई पड़ते हैं। रोहण आरंभ करने से पूर्व अथवा पर्वतारोहण के पश्चात आप रमणीय पद्मपुरम उद्यान में भ्रमण का भी आनंद उठा सकते हैं।
पर्वतारोहण शारीरिक व मानसिक रूप से एक चुनौतीपूर्ण उद्यम है। पर्वतारोहण की योजना बनाने से पूर्व स्वयं के शारीरिक व मानसिक परिस्थिति एवं अनेक अन्य कारकों का पूर्व आकलन आवश्यक है, जैसे हमारी शारीरिक योग्यता, पर्वतारोहण मार्ग की परिस्थिति व कठिनाई का स्तर, जलवायु की परिस्थिति, सुरक्षा सावधानियाँ आदि। पर्वतारोहण से पूर्ण किसी स्थानीय आधिकारिक केंद्र से उत्तम रोहण मार्गों, आवश्यक अनुमति पत्रों तथा अन्य सुरक्षा आवश्यकताओं के विषय में पूर्व जानकारी लेना उत्तम होगा।
पर्वतारोहण उपयुक्त परिधान व जूते पहनें। पर्वतारोहण के लिए आवश्यक उपकरण साथ ले जाएँ। पेयजल, नाश्ते तथा प्राथमिक चिकित्सा योग्य औषधियाँ आदि साथ ले जाना ना भूलें। प्रकृति के संरक्षण के लिए यह आवश्यक है कि पर्वतारोहण करते हुए आप अपना कोई भी चिन्ह पीछे ना छोड़ें।
अरकु घाटी क्षेत्र में पर्वतारोहण करना एक फलदायक अनुभव है जो हमें प्रकृति को समझने व उससे संलग्न होने में सहायता करता है। पूर्वी घाटों के अप्रतिम सौन्दर्य का आनंद उठाने का अद्वितीय अवसर प्रदान करता है।
प्रमुख भारतीय नगरों से अरकु घाटी तक पहुँचने के सर्वोत्तम साधन
अरकु नगर में विमानतल नहीं है। अतः यहाँ तक पहुँचने के लिए रेल मार्ग तथा सड़क मार्ग का संयोग आवश्यक है। भारत के प्रमुख नगरों से यहाँ तक पहुँचने के लिए कुछ विकल्प इस प्रकार हैं:
अरकु घाटी से निकटतम प्रमुख नगर विशाखापटनम अथवा वैजाग है। अतः इसे अरकु घाटी के लिए आरंभिक बिन्दु माना जाता है। विशाखापटनम से रेलमार्ग अथवा सड़क मार्ग द्वारा अरकु तक पहुँचा जा सकता है।
रेलमार्ग : विशाखापटनम से अरकु तक का रेल मार्ग मनमोहक परिदृश्यों के लिए लोकप्रिय है। विशाखापटनम एवं अरकु घाटी के मध्य दो लोकप्रिय रेलवे विकल्प हैं, अरकु एक्स्प्रेस तथा किरंदुल पैसेंजर। यह यात्रा ४ से ५ घंटों में पूर्ण होती है तथा हमें पूर्वी घाटों के चित्ताकर्षक परिदृश्यों का दर्शन कराती है।
सड़क मार्ग : आप सड़क मार्ग द्वारा भी विशाखापटनम से अरकु नगर तक पहुँच सकते हैं। विशाखापटनम से अरकु नगर की दूरी लगभग १२० किलोमीटर है। सड़क मार्ग द्वारा विशाखापटनम से अरकु नगर पहुँचने के लिए ३ से ४ घंटों का समय व्यतीत होता है जो सड़क एवं यातायात की परिस्थिति पर निर्भर करता है।
अरकु घाटी के कृषि उत्पाद
कॉफी : अरकु घाटी कॉफी उद्यानों के लिए लोकप्रिय है। इस क्षेत्र की विशेष जलवायु तथा समुद्र स्तर से इसकी ऊंचाई उन मापदंडों में से हैं जो इस क्षेत्र को कॉफी उत्पादन के लिए उत्तम बनाती हैं। यहाँ उच्च गुणवत्ता युक्त अरबिका एवं रोबस्टा कॉफी के बीजों की उपज होती है।
चाय : अरकु घाटी में चाय के उद्यान भी बहुतायत में उपस्थित हैं। यहाँ की शीतल एवं आर्द्र जलवायु चाय के पौधों के लिए सर्वोत्तम होती है। अरकु घाटी में भिन्न भिन्न प्रकार के चाय पत्तियों की उपज होती है।
मसाले : अरकु घाटी में विविध प्रकार के मसालों की खेती की जाती है। उनमें काली मिर्च, इलायची, दालचीनी आदि प्रमुख हैं। ये ऐसे मसाले हैं जो यहाँ की जलवायु में उत्तम उपज देते हैं।
अरकु घाटी की यात्रा के स्मृति चिन्ह
अरकु घाटी की यात्रा की स्मृति में यदि आप कुछ स्मृति चिन्ह अथवा स्मारिकाएं क्रय करना चाहते हैं तो आप इनमें से कुछ अवश्य अपने संग ले जा सकते हैं:
कॉफी, चाय, कॉफी चॉकलेट
अरकु घाटी कॉफी एवं चाय के उद्यानों के लिए लोकप्रिय है। आप यहाँ के उद्यानों में उगे तथा स्थानीय रूप से संसाधित कॉफी के बीज एवं चाय की पत्तियां क्रय कर सकते हैं। कॉफी एवं चाय के प्रेमियों के लिए ये उत्तम उपहार हो सकते हैं।
आदिवासी हस्तकलाकृतियाँ
अरकु क्षेत्र अनेक आदिवासी समुदायों की भूमि है। यहाँ के भिन्न भिन्न जनजातीय समुदाय अपनी विशेष समृद्ध कला शैलियों एवं परंपराओं के लिए प्रसिद्ध हैं। आप उनके द्वारा निर्मित हस्तकला की विविध वस्तुएं ले जा सकते हैं, जैसे पारंपरिक आभूषण, कुम्हारी की वस्तुएं, बुनी हुई टोकरियाँ, बाँस द्वारा निर्मित कलाकृतियाँ आदि।
मसाले
अरकु घाटी में काली मिर्च, इलायची, दालचीनी जैसे मसाले उगाए जाते हैं। स्थानीय उद्यानों में उगे तथा स्थानीय रूप से संसाधित मसालों के स्वाद तथा सुगंध अतुलनीय होते हैं।
स्थानीय वस्त्र
अरकु घाटी के निवासियों के पारंपरिक आदिवासी वस्त्र एवं परिधान विशेष होते हैं। भिन्न भिन्न समुदायों की विशेष सज्जा शैलियाँ होती हैं। आप उनमें से कुछ क्रय कर अपने साथ स्मारिका के रूप में ले जा सकते हैं। इससे स्थानीय कारीगरों को भी लाभ पहुँचेगा।
मधु
अरकु घाटी प्राकृतिक रूप से प्राप्त मधु के लिए लोकप्रिय है। यह मधु स्वाद में उत्तम तथा स्वास्थ्य के लिए पौष्टिक होता है। यह आपके मित्रों व परिजनों के लिए एक उत्तम उपहार हो सकता है।
स्थानीय कलाकृतियाँ
स्थानीय कारीगरों द्वारा कृत चित्र, मूर्तियाँ तथा अन्य कलाकृतियाँ भी उत्तम स्मृतियों के रूप में क्रय की जा सकती हैं। ये इस क्षेत्र के कला कौशल को बाह्य विश्व तक ले जाने में सहायक होंगे।
इन वस्तुओं को क्रय करने से पूर्व इनकी प्रामाणिकता अवश्य निश्चित कर लें कि ये वास्तव में अरकु घाटी क्षेत्र में स्थानीय रूप से निर्मित हैं, इनकी विक्री स्थानीय वित्तीय व्यवस्था में सहायक होंगे तथा इन्हे क्रय करने से स्थानीय कारीगरों को इसका लाभ पहुँचेगा। स्थानीय रूप से निर्मित स्मारिकाएं आपकी यात्रा की उत्तम स्मृतियों को चिरकालीन रखती हैं, साथ ही स्थानीय कारीगरों को रोजगार भी उपलब्ध कराती हैं।