अज़ूलेज़ो टाइलें – गोवा की आकर्षक हस्तकला

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अज़ूलेज़ो टाइलें - गोवा
अज़ूलेज़ो टाइलें – गोवा

अज़ूलेज़ो! जी हाँ, इस शब्द के प्रथामोच्चारण के समय जिव्हा किंचित लड़खड़ा जाती है। परन्तु अज़ूलेज़ो वह नाम है जिसकी रंगीन टाईलें आपको गोवा में सर्वत्र दृष्टिगोचर होंगे। विशेषतः पुराने भवनों में आप इन्हें अवश्य देखेंगे। उदाहरणतः पणजी के फोंतेन्हस में पदभ्रमण करते समय भवनों के जो नामपट्टिकाएं आप देखेंगे, वे सब भी हाथों द्वारा रंगे गए हैं। आप सहसा विश्वास नहीं करेंगे कि प्रत्येक टाईल कारीगरों द्वारा हाथों से रंग कर चमकाई गयी हैं।

अज़ूलेज़ो की यह आकर्षक टाईलें मुझे उनकी कार्यशाला तक खींच ले गयीं। यहाँ मुझे सामान्य टाईलों एवं श्वेत-नीलवर्ण नाम पट्टिकाओं के अतिरिक्त ऐसी चौकोर छोटी टाईलें भी दिखी जिन पर कौटुम्बिक चित्र एवं सुन्दर प्रतिकृतियाँ चित्रित थीं।
अब तक मेरा मानना था कि यह मनमोहक कला गोवा में पुर्तगालियों द्वारा लाई गयी थी एवं वापिस जाते समय उन्होंने यह कला गोवा को धरोहर स्वरुप प्रदान कर दी थी। परन्तु मेरी धारणा पूर्णतया सत्य नहीं थी। पुर्तगाली इस कला को गोवा अवश्य लाये थे परन्तु इसकी कारीगरी एवं निपुणता वे साथ नहीं लाये थे। आरम्भ में वे अज़ूलेज़ो टाईलें पुर्तगाल से ही निर्यात करते थे। यहाँ तक कि जब उन्हें स्थानीय परिप्रेक्ष्य को टाईलों में ढालने की इच्छा हुई तब वे गोवा के परिदृश्यों के चित्र पुर्तगाल भेजते थे एवं वहां के कारीगरों द्वारा ये टाईलें बनवाकर निर्यात करवाते थे। अर्थात् पुर्तगाली शासन के अंतराल में ये टाईलें गोवा में नहीं बनती थीं।

आप सोच में पड़ गए होंगे कि ये टाईलें गोवा में कैसे व कब से बनने लगीं! गोवा कला विद्यालय के कुछ विद्यार्थी इस कला के अध्ययन हेतु पुर्तगाल गए थे। वे ही इस कला को गोवा में लेकर आये। वर्तमान में गोवा में कई अज़ूलेज़ो कार्यशालाएं हैं जो आपके निजी चित्रों एवं प्रसंगों पर आधारित मनभावन टाईलें बड़ी ही कुशलता से बनाकर दे सकते हैं।

अज़ूलेज़ो का इतिहास

गोवा के सत एस्तेबान में अज़ूलेज़ो टाइलों से बना एक चित्र
गोवा के सत एस्तेबान में अज़ूलेज़ो टाइलों से बना एक चित्र

कहा जाता है कि अज़ूलेज़ो कला का जन्म १५ वीं शताब्दी में अरब देशों में कहीं हुआ था। वहां से यह कला स्पेन के सविल क्षेत्र में पहुंची। आरंभिक काल में यह कला केवल ज्यामितीय आकृतियों तक ही सीमित थी। इनमें मनुष्यों एवं जानवरों के चित्रों का समावेश नहीं था। संभवतः यह उस काल की इस्लामी कला के अनुरूप थी। कालान्तर में इस कला ने सम्पूर्ण स्पेन एवं पुर्तगाल को अपनी सुन्दरता से सम्मोहित कर दिया। वहां के चित्रकारों एवं कारीगरों ने इस कला में अपनी रचनात्मकता से बदलाव किये। तत्पश्चात अज़ूलेज़ो टाईलों के चित्रों में मानव आकृतियों का समावेश होने लगा।

कुछ लोगों का यह भी मानना है कि अज़ूलेज़ो टाईलों में मानवाकृतियों का समावेश तब से होने लगा जब से कारीगर टाईलों पर रोम की जड़ाऊ चित्रकारी की प्रतिकृतियाँ ढालने लगे।

इस कला के जन्म सम्बन्धी जो भी धारणा रही हो, तथापि स्पेन एवं पुर्तगाल में ही इस कला की प्रगति ने चरमसीमा स्पर्श की। यहीं अज़ूलेज़ो कला सही मायनों में खिलकर उभरी।

अज़ूलेज़ो शब्द की व्युत्पत्ति

अज़ूलेज़ो कला का श्वेत-नीलवर्ण टाईलों में अत्यधिक प्रयोग होता है। अतः कुछ लोग यह तर्क देते हैं कि अज़ूलेज़ो शब्द की व्युत्पत्ति “Azure” अर्थात् नीले रंग से हुई है। परन्तु यह तर्क सही नहीं है।

अज़ूलेज़ो शब्द की व्युत्पत्ति अरबी देशों की भाषा से हुई है, जहां ‘अज़-ज़ुलयज़’ शब्द का अर्थ है चिकना छोटा पत्थर, जो इन छोटी टाईलों की चिकनी सतह की ओर संकेत करता है।

बिचोली गोवा के अज़ूलेज़ो कार्यशाला का भ्रमण

प्रचलित अज़ूलेज़ो टाइलें - गोवा
प्रचलित अज़ूलेज़ो टाइलें – गोवा

एक शुभ दिन मैंने उत्तर गोवा के बिचोली औद्योगिक क्षेत्र में स्थित तुरी अज़ूलेज़ो के दर्शन करने का निश्चय किया। तुरी अज़ूलेज़ो एक औद्योगिक संस्थान कम कार्यशाला अधिक प्रतीत हो रही थी। इस कार्यशाला के संस्थापक श्री शंकर तुरी जी ने मुझे बड़े ही उत्साह से अपने कार्यशाला के क्रियाकलापों के बारे में बताया और विभिन्न गतिविधियाँ दिखायी। मैंने यहाँ प्रचलित टाईलों एवं ग्राहकों हेतु विशेष रूप से निर्मित टाईलों का संतुलित मिश्रण देखा।

गोवा के प्रचलित परिदृश्यों की दर्शाने हेतु एक टाईल से लेकर छः टाईलों तक का प्रयोग किया गया है। इन परिदृश्यों में अधिक प्रचलित हैं, मधुशाला का दृश्य एवं कुनबी नृत्य का दृश्य। शंकर तुरी जी ने मुझे कुछ तश्तरियां, प्यालियाँ एवं चौखट में फंसाई टाईलें दिखाई जिन पर भी अज़ूलेज़ो चित्रकारी की गयी थी। तत्पश्चात मैंने उनकी कार्यशाला के भीतर प्रवेश किया जहां का अद्भुत दृश्य देख मैं भौंचक्की रह गयी।

आधी बनी अज़ूलेज़ो टाइल
आधी बनी अज़ूलेज़ो टाइल

यहाँ दीवार को टिकाया हुआ मोर का एक विशाल अर्ध-चित्र था। इसके नीचे उसी मोर का एक छोटा छायाचित्र था जिसका प्रतिरूप कई टाईलों को जोड़ कर रंगा जा रहा था। मेरी आँखें उस छायाचित्र एवं टाईलों पर बने उसके प्रतिरूप के बीच आंदोलित हो रहे थे। सूक्ष्मता से हर एक बारीकी को छायाचित्र से टाईलों पर उतारा जा रहा था।

मोर का यह छायांकन आप पणजी के फोंतैन्हास की एक सार्वजनिक सीढ़ियों पे देख सकते हैं।

अज़ूलेज़ो टाइलों के विषयवस्तु

अज़ूलेज़ो टाइल पर बना एक पारिवारिल चित्र
अज़ूलेज़ो टाइल पर बना एक पारिवारिल चित्र

अपनी गर्दन को बांयी ओर घुमा कर मैंने देखा कि एक कलाकार अपने बांये हाथ में लाल-भूरे रंग का एक पारिवारिक चित्र लिए उसे दायें हाथ से एक टाईल के ऊपर चित्रित कर रहा था। उसकी तूलिका इतनी सरलता से उस टाईल पर घूम रही थी एवं हू-ब-हू चित्र लाल-भूरे रंग में उस टाईल पर ढाल रही थी। टाईल रंगते समय हाथ ना हिले इस हेतु उसने अपने हाथ एक टेढ़ी छड़ी पर टिका रखा था। उसकी तन्मयता ने मुझे अत्यंत प्रभावित किया।

गोवा का प्रसिद्द कुनबी नृत्य अज़ूलेज़ो टाइल पर
गोवा का प्रसिद्द कुनबी नृत्य अज़ूलेज़ो टाइल पर

कक्ष के दूसरे छोर पर एक टाईल के ऊपर गोवा के कुनबी नृत्य का भित्ति-चित्र उमड़ रहा था। एक युवती उस भित्ति-चित्र के रंगों को अंतिम रूप प्रदान कर रही थी। इस कार्यशाला में मुझे एक सादे टाईल का सुन्दर एवं चिकने अज़ूलेज़ो रूप में परिवर्तित होने के प्रत्येक चरण को देखने का अवसर मिला।

समीप के एक कक्ष में एक छोटा ‘स्क्रीन प्रिंटिंग’ का उपकरण रखा हुआ था। इस कक्ष के दूसरे छोर पर एक युवती परिपूर्ण टाईलों को डिब्बों में भर रही थी। इस कक्ष के बाहर एक विशाल कक्ष था जहां रंगे टाईलों को पकाने हेतु भट्टियां स्थापित थीं।

मारिओ मिरांडा की कला अज़ूलेज़ो टाइलों पर
मारिओ मिरांडा की कला अज़ूलेज़ो टाइलों पर

जो गोवा के विषय में थोड़ा भी जानते हैं, उन्हें यह जानकारी अवश्य होगी कि गोवा में कोई भी कला, मारिओ मिरांडा एवं उनकी कलाकृतियों के बिना अधूरी है। सो, अज़ूलेज़ो टाईल उद्योग भी मारिओ मिरांडा की कलाकृतियों से सम्पूर्ण रूप से जुड़ा हुआ है। इसका प्रमाण आपको किसी भी मारिओ मिरांडा दीर्घा अथवा गोवा के किसी भी स्मारिका बिक्री भण्डार में प्राप्त हो जायेंगे।

टाईलों का अज़ूलेज़ो-करण

प्रचलित अज़ूलेज़ो टाइलें - गोवा
प्रचलित अज़ूलेज़ो टाइलें – गोवा

टाईलों के अज़ूलेज़ो चित्रीकरण हेतु उपयोग में लाये जाने वाले टाईल २२५ वर्ग सेन्टीमीटर के नियत आकार में होते हैं। ये टाईलें भवनों के पाकशाला एवं स्नानगृहों में उपयोग में लाई जाने वाली टाईलों के सामान ही होती हैं। ये टाईलें चीन, पुर्तगाल, भारत इत्यादि में निर्मित होती हैं। गोवा में अधिकाँश टाईलें भारतीय हैं। केवल कुछ विशेष चित्रकारियों हेतु पुर्तगाली टाईलों का उपयोग किया जाता है।

अज़ूलेज़ो चित्रीकरण हेतु अन्य सामग्रियाँ हैं, रंग, गोंद एवं रोगन। श्रीमान तुरी यह सर्व सामग्रियां पुर्तगाल से निर्यात करवाते हैं।

टाईलों पर आकृतियाँ या तो हाथों से बनायी जाती हैं या उसे अंकित कर छापा जाता है। अधिकांशतः अंकितक एवं स्क्रीन प्रिंटिंग तब उपयोग किया जाता है जब अज़ूलेज़ो टाईलें थोक मात्रा में बनायी एवं बेची जाती हैं। तत्पश्चात इन आकृतियों को तूलिकाओं से रंग जाता है। कुनबी नर्तकों का चित्र रंगती युवती ने हमें बताया कि एक टाईल को रंगने में उसे १५ से २० मिनट का समय लगता है।

विशेष मांग के अनुरूप बनायी गयी टाईलों पर आकृतियों की छपाई एवं रंगाई दोनों ही हाथों से की जाती है।

रंगाई एवं रोगन के उपरांत इन टाईलों को भट्टी के भीतर कतार में खड़ा किया जाता है एवं उन्हें पकाया जाता है। विशालकाय भट्टियों में तापमान १२०० डिग्री तक पहुँच जाता है।

कहा जाता है कि भट्टी में तप कर ही सोने को असली चमक प्राप्त होती है। ठीक उसी तरह इन अज़ूलेज़ो टाईलों के रंगों एवं रोगन को भी चमक तेज आँच में तपने के पश्चात ही मिलती है।

अज़ूलेज़ो टाईलें गोवा में कहाँ जाती हैं?

पणजी का मेनेज़ेस बेर्गंज़ा हॉल - कहानियां कहती अज़ूलेज़ो टाइलें
पणजी का मेनेज़ेस बेर्गंज़ा हॉल – कहानियां कहती अज़ूलेज़ो टाइलें

गोवा में अज़ूलेज़ो टाईलें आप कई सार्वजनिक इमारतों एवं होटलों में देख सकते हैं। आकर्षक मोर, जिसके विषय में मैंने पहले उल्लेख किया, उसके साथ साथ कई मनमोहक अज़ूलेज़ो हस्त-रंगित टाईलें पणजी एवं गोवा के कई अन्य भागों में बिठाई गयी हैं।

आप गोवा में कहीं भी सड़कों के किनारे बनी पगडंडियों पे एवं अनेक सार्वजनिक स्थलों पे आप यह रंगीन हस्त निर्मित अज़ूलेज़ो टाईलें .

रंगीन नाम पट्टिकाओं से गोवावासियों का विशेष लगाव रहा है। गोवा के किसी भी गाँव में जहां बंगले बने हों, आप अत्यंत आकर्षक नाम पट्टिकाएं प्रत्येक बंगले पर देखेंगे।

अज़ूलेज़ो टाईलों की रूपरेखा

गोवा की एक पुराणी अज़ूलेज़ो चित्रकथा
गोवा की एक पुराणी अज़ूलेज़ो चित्रकथा

अनेक वास्तुविद एवं आतंरिक रूपरेखाकार अज़ूलेज़ो टाईलों को ध्यान में रखकर भवनों के आतंरिक एवं बाह्य रूपरेखा तैयार करते हैं। इससे भवनों की सुन्दरता को चार चाँद लगाया जा सकता है। साथ ही उनमें गोवा का मूलतत्व प्रदर्शित किया जा सकता है।

शंकर तुरी जी ने भी मुझे कई चित्र दिखाए जिन्हें वे अज़ूलेज़ो कला द्वारा टाईलों पर उतारकर बिक्री कर चुके हैं। वे सब चित्र अत्यंत सुन्दर थे एवं गोवा के जनजीवन का सुन्दर आकलन कर रहे थे।

इनके अलावा गोवा के स्मारिका केंद्र में आपको कई कलाकृतियाँ मिल जायेंगी जिन पर अज़ूलेज़ो कला से सुन्दर चित्र रंगे गए हैं। अज़ूलेज़ो कार्य चीनी मिटटी की वस्तुओं पर ही किया जाता है। अतः अज़ूलेज़ो कला से सज्जित चीनी मिटटी के अनेक बर्तन, चित्र, टाईलें, मूर्तियाँ, कलाकृतियाँ इत्यादि आप यहाँ से खरीद सकते हैं। तथापि एक, दो अथवा छः टाईलों को जोड़कर बनाए गए चित्र सर्वाधिक लोकप्रिय हैं।

जैसे जैसे गोवा पर्यटन का विकास हो रहा है,  पर्यटक यहाँ आ कर अज़ूलेज़ो कला से सज्ज वस्तुओं से आकर्षित हो रहे हैं। अतः अज़ूलेज़ो वस्तुओं का बाज़ार भी उन्नति पर है। पर्यटक इन वस्तुओं को स्मारिका स्वरुप खरीदकर ले जाते हैं। स्थानीयों में भी इस कला का अत्यधिक प्रचलन है। ये कलाकृतियाँ उन्हें अपने मूल संस्कृति से जोड़े रखने में सहायक सिद्ध होती हैं।

गोवा सरकार एवं प्रबंधन भी सरकारी कार्यालयों एवं भवनों की भित्तियों एवं सीड़ियों की सजावट हेतु अज़ूलेज़ो कला का उपयोग कर रहे हैं। यह गोवा की संस्कृति एवं जनजीवन के प्रदर्शन का सर्वोत्तम साधन है।

गोवा में सर्वोत्तम अज़ूलेज़ो कला के प्रदर्शन-स्थल

• पणजी का मेनेंजेस ब्रगान्ज़ा हॉल – मेनेंज़ेस ब्रेगेंज़ा हॉल के गलियारे में अत्यंत आकर्षक ढंग से ये टाईलें बिठाई गयी हैं। चारों तरफ से आपको घेरे यह कहानियां कहती अज़ूलेज़ो टाईलें आपको सम्मोहित कर देती हैं।
• पुराना गोवा स्थित सेंट इस्तेवान का विवाहस्थल
• दक्षिण गोवा का शिशिनी क्षेत्र

अज़ूलेज़ो कहाँ से खरीदें?

• पणजी का अज़ूलेज़ो दे गोवा
• बिचोली का तुरी अज़ूलेज़ो
• मारिओ मिरांडा दीर्घा – पणजी, पर्वरी, मडगाव, कलंगुट, कारमोना

अज़ूलेज़ो की जानकारी प्राप्त करने के उपरांत एवं उनके चित्रों को देखने के पश्चात आप अवश्य इन कलाकृतियों को पाने की इच्छा रखते होंगे। अपनी आगामी गोवा यात्रा के समय आप इन टाईलों के दर्शन करना व इन्हें खरीदना न भूलें।

गोवा के अन्य पर्यटन स्थलों के संस्मरण

गोवा में त्रिपुरारी पूर्णिमा या देव दीपावली 

चिक्कल कालो – गोवा में वर्षा ऋतू का उत्साहपूर्ण माटी उत्सव

गोवा का शांता दुर्गा एवं अन्य सारस्वत मंदिर

अनुवाद: मधुमिता ताम्हणे

6 COMMENTS

  1. During my visits to Goa seen these tiles so many times But never bothered to know more details than the art and artist. First time came to know the name.. Ajulenzo tiles. Thanks for wonderful article and enlighting information. Made complicated and bit dry topic very interesting.

    • धन्यवाद तेजस, हमारा प्रयास यही रहता है की आप तक वो सब काह्नियाँ लायें जो श्यास अभी तक जन मानस तक नहीं पहुंची हैं.

  2. Very good information not only this time but always. you are doing really good job for us as we can not go anywhere except our duties. You are boon for them. thanks to Mitagi for wonderful translation.

  3. अनुराधा जी,
    गोवा मे निर्मित अज़ूलेज़ो टाईलों के बारे में बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त हुई. जानकर आश्चर्य हुआ कि आधुनिकीकरण के इस युग में भी,स्थानीय कलाकारों द्वारा टाईलों पर गोवा के प्रचलित परिदृश्यों,भित्तीचित्रों एवम् प्रसिद्ध मारिओ मिरांडा की कलाकृतियों को स्वयम् के हाथो से उकेर कर मनमोहक रंगो से सज्जित किया जा रहा है ! सही मे यह उनकी हस्तकला का बेजोड़ नमूना है ! इन्हीं कलाकारों के कारण ही हमारी पुरातन कला आज भी जीवित है.
    धन्यवाद.

    • प्रदीप जी, हर जगह की अपनी एक कला होती है, चाहे वो उस धरती से निकली हो या बहार से आकर यहाँ बसी हो, हम कोशिश करते हैं इस देश की छिपी कलाओं को सबके सामने ला सकें.

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