बोमडिला से वापसी की उत्साह पूर्ण यात्रा – अरुणाचल प्रदेश

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अरुणाचल प्रदेश का कला संग्रहालय
अरुणाचल प्रदेश का कला संग्रहालय

अरुणाचल प्रदेश की यात्रा के दौरान हम बोमडिला और टेंगा घाटी का दौरा कर चुके थे। मेरी पूरी उत्तर पूर्वीय यात्रा की सबसे अप्रतिम बात अगर कोई है तो वह है अरुणाचल प्रदेश की अद्वितीय खूबसूरती तथा वहां के लोगों की सादगी, जो अन्यत्र दुर्लभ है।

बोमडिला की सड़क यात्रा – अरुणाचल प्रदेश 

बोमडिला शहर     

बोमडिला एक छोटा सा पहाड़ी शहर है, जिसकी प्रसिद्धि का प्रमुख कारण यह है कि यह सुविख्यात तवांग विहार तक जानेवाले रास्ते में पड़ता है। तवांग जानेवाले अधिकतर पर्यटकों को रात के समय या तो बोमडिला में रुकना पड़ता है या फिर दिरांग में, जो बोमडिला से कुछ ही समय की दूरी पर बसा हुआ है। यही बात बोमडिला को एक उत्तम पर्यटन स्थल बनाती है। यहाँ के बाज़ार हमेशा भीड़ से भरे होते हैं और इसके साथ साथ  यहाँ पर देखने योग्य बहुत सी जगहें हैं। रहने के लिए अच्छे होटल भी आपको यहीं मिलेंगे।

बोमडिला के बाज़ार
बोमडिला के बाज़ार

काफी ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यह शहर आपको आस-पास की विविध घाटियों के सुंदर नज़ारे प्रदान करता है जिनकी प्रशंसा करते आप नहीं थकते। एक सच्चे पर्यटक की तरह यहां की सड़कों पर चलते समय आपको दोनों तरफ फल और सब्जीवालों के साथ-साथ सूखी मछली बेचनेवाले भी दिखाई देते हैं। इसके अलावा यहां पर छोटी-छोटी दुकाने भी हैं जिनमें प्लास्टिक के रंगबिरंगी जूते बेचे जाते हैं जो बर्फ में चलने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। यहां की महिलाएं झाँसी की रानी की तरह कपड़े से अपने बच्चों को अपनी पीठ से बांधकर अपना दिन भर का काम करती रहती हैं। तथा बुजुर्ग महिलाएं अपनी पारंपरिक वेश-भूषा में एक-दूसरे से गपशप करती हुई नज़र आती हैं।

बोमडिला के विहार    

बोमडिला का बौद्ध विहार
बोमडिला का बौद्ध विहार

बोमडिला में दो विहार हैं, जिनमें से एक हाल ही में बनवाया गया है और दूसरा विहार काफी पुराना है, जो शायद 300 – 400 साल पुराना होगा। यह प्राचीन विहार बोमडिला के मुख्य मार्ग के अंतिम छोर पर बसा हुआ है, जिसे ढूंढ निकालना मुश्किल नहीं है। यह एक छोटा सा विहार है जिसमें आज भी पुरातन काल की सुगंध महकती है। यहां के स्थानीय लोग इस विहार में भगवान की पूजा करने और उनके आश्रय में कुछ शांतिमय समय गुजारने आते हैं। यहां की वास्तुकला किसी भी उत्तम बौद्ध विहार की वास्तुकला के समान है।

सरकारी हस्तकला केंद्र 

बोमडिला में एक सरकारी हस्तकला केंद्र है, जहां पर शिल्पकार परंपरागत तौर-तरीकों के आधार पर स्थानीय कलाकृतियों को आकार देते हुए नज़र आते हैं। इन कलाकृतियों का उत्पादन और बिक्री इसी केंद्र में होती है। यहां पर मुखौटे, घरेलू साज-सज्जा की वस्तुएं, धातु की कलाकृतियाँ जैसी अनेक वस्तुएं बनाई जाती हैं, तथा कपड़ों की बुनाई और कढ़ाई का काम भी किया जाता है। इन सभी वस्तुओं की उत्पादन प्रक्रिया आप स्वयं अपनी आँखों से देख सकते हैं और अगर इनमें से कोई भी कलाकृती आपको पसंद आए तो आप उसे वहीं पर खरीद भी सकते हैं।

सरकारी हस्त-कला केंद्र - बोमडिला, अरुणाचल प्रदेश
सरकारी हस्त-कला केंद्र – बोमडिला, अरुणाचल प्रदेश

यहाँ हमे बताया गया कि इन शिल्पकारों को कलाकृतियों के संबंध में राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (NIFT) द्वारा काफी सहायता मिलती है। इस संस्थान ने इन शिल्पकारों की पारंपरिक कृतियों और बुनाई के लिए उन्हें बौद्धिक संपदा संरक्षण दिलाने में भी बहुत सहायता की है। इस केंद्र के प्रवेश द्वार पर कुछ पुराने थंगका चित्र हैं, जो आज भी काफी नए से लगते हैं।

बोमडिला का संग्रहालय 

आपको जान कर आश्चर्य होगा की बोमडिला में एक संग्रहालय भी है। यह इस शहर के एकमात्र विद्यालय के पास एक सरकारी पाठशाला में स्थित है। आश्चर्य की बात तो यह है कि इस शहर में किसी को भी इस संग्रहालय के बारे में पता नहीं है। यहां तक कि पास में स्थित विद्यालय के छात्रों को भी इसकी कोई खबर नहीं है। हम जैसे-तैसे कर के आखिर उस संग्रहालय तक पहुँच गए। वहां पर हमारी मुलाकात दो युवतियों से हुई जो इस संग्रहालय का प्रबंधन कार्य देख रही थीं।

ऊंचे पर्वतों से बहती केमांग नदी - अरुणाचल प्रदेश
ऊंचे पर्वतों से बहती केमांग नदी – अरुणाचल प्रदेश

हमे वहां देखकर उन दोनों ने कुछ अचम्बित से स्वर में पूछा कि हम वहां क्या देखना चाहते हैं? इस पर हमने जवाब दिया कि यहां पर जो भी प्रदर्शित है हम वह सब कुछ देखना चाहते हैं। वे शायद हमारी बात नहीं समझे और थोड़ी हिचकिचाहट के साथ उन्होंने हमे संग्रहालय के दर्शन करने की इजाज़त दे दी, लेकिन हमे वहां पर प्रदर्शित वस्तुओं की तस्वीरें खींचने से मना किया। हमने पूरे संग्रहालय की सैर तो कर ली लेकिन वहां के अधिकतर प्रदर्शन कक्ष बंद थे। जब हमने उन युवतियों से इन कक्षों के बारे में पूछा और उनसे इन कक्षों को खोलने का अनुरोध किया तो उन्होंने बताया कि जिस आदमी के पास इन कमरों की चाबियाँ हैं वे बाहर गए हुए है और अगर हमे उन कमरों के दर्शन करने हैं, तो हमे एक घंटे तक इंतज़ार करना पड़ेगा।

और पढ़िए – अरुणाचल की टेंगा घाटी की सैर

थोड़ी देर बाद हमे वहां पर एक पुस्तक विक्रयपटल दिखा जहां से हमने कुछ किताबें खरीदी। इससे शायद उन युवतियों को लगा होगा कि हमे सच में इस संग्रहालय के प्रती दिलचस्पी है और उन्होंने हमारे लिए संग्रहालय के सभी कक्ष खोल दिये। उनमें से एक युवती हमारे साथ आयी और उसने हमे बहुत सी वस्तुओं के विस्तृत विवरण दिये। पर वास्तव में वह समझ नहीं पा रही थी कि इन वस्तुओं में ऐसी क्या खास बात है कि कोई उन्हें देखने के लिए समय भी निकाल सकता है।

मैंने उसे समझाया कि ये सारी चीजें हमारे लिए नयी हैं, क्योंकि, हमारे यहां ऐसी वस्तुओं का प्रयोग नहीं किया जाता। इसीलिए हम स्थानीय संस्कृति को समझने के लिए इन वस्तुओं के बारे में जानना चाहते हैं। उसके हाव-भाव से लग रहा था जैसे उसे हमारी बातों पर विश्वास नहीं है। लेकिन बाद में उसने हमे बहुत सी वस्तुओं के बारे में विस्तार से समझाया और यह भी बताया कि ये वस्तुएं किस जनजाति की हैं और उनकी जाति में इन अनुष्ठानिक वस्तुओं का क्या महत्व है। इस छोटी सी बातचीत से मुझे बहुत मजा आया। इससे हम दोनों एक दूसरे को थोड़ा बहुत तो जान पाये थे।

नाग मंदिर 

बोमडिला से वापसी के समय हम रास्ते में मिलने वाले नाग मंदिर, जो बोमडिला और भालुकपोंग के बीच में बसा हुआ है, के दर्शन करने के लिए रुके। इस क्षेत्र में वैसे तो बहुत सारे नाग मंदिर हैं, जो यहां पर रहनेवाले नाग पंथियों की ओर संकेत करते हैं। लेकिन यह नाग मंदिर मुख्य सड़क पर बसा होने के कारण हमने इसी के दर्शन करना उचित समझा। इस मंदिर के पास से एक नदी भी बहती है। अरुणाचल की अन्य सभी बातों की तरह यह मंदिर भी बहुत ही साधारण सा है। इस मंदिर तक पहुँचने के लिए आपको सीढ़ियों से जाना पड़ता है। काफी ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर की खिड़कियों से आपको पहाड़ियों से घिरी इस घाटी का सुंदर नज़ारा देखने को मिलता है, जिसके बीच में से बहती हुई नदी इसे और भी आकर्षक बनाती है।

नाग मंदिर - बोमडिला के रास्ते पे - अरुंचल प्रदेश
नाग मंदिर – बोमडिला के रास्ते पे – अरुंचल प्रदेश

इस नाग मंदिर के ठीक सामनेवाली पहाड़ी पर मधुमक्खियों का शहर बसा हुआ है। वहां पर मधुमक्खियों के हजारों छत्ते बने हुए हैं। उस पहाड़ी पर जितनी भी खुली जगहें हैं, उन सभी भागों में सिर्फ इन मधुमक्खियों के छत्ते ही नज़र आते हैं। अगर किसी व्यक्ति ने हमे इसके बारे न बताया होता और यहां पर रुककर उस सुंदर से दृश्य को देखने के लिए नहीं कहा होता, तो शायद हम यह अप्रतिम नज़ारा कभी नहीं देख पाते। मैं अभी भी इसी सोच में हूँ कि न जाने ये लोग इतनी ऊंची और लगभग सीधी खड़ी पहाड़ी पर बसे उन छत्तों से सारा का सारा शहद कैसे इकट्ठा करते होंगे।

रास्ते पर छाया हुआ घना कोहरा और बादल    

नाग मंदिर और भालुकपोंग के बीच एक जगह है जो वहां पर छाए घने कोहरे के लिए काफी प्रसिद्ध है। ये पहाड़ हमेशा बादलों की फौज से घिरे रहते हैं जिसके कारण रास्ते भर आपकी मुलाकात इन बादलों से होती रहती है। कभी-कभी ये बादल इतने घने होते हैं कि आपके लिए आगे आनेवाले मोड या फिर गाडियाँ ठीक से देख पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। इस घने कोहरे से गुजरते हुए जाना उत्तेजकपूर्ण तो था ही लेकिन साथ में बहुत डरावना भी था।

अरुणाचल की छोटी छोटी दुकानें
अरुणाचल की छोटी छोटी दुकानें

अरुणाचल की यात्राएं ऐसी ही हैं, जो असुविधाजनक तो होती हैं लेकिन साथ ही साथ बहुत खूबसूरत और रोमांचक भी होती हैं। यहां पर पूरे रास्ते में आपको छोटी-छोटी दुकाने मिलती हैं, जो लकड़ी की दीवारों में बने छोटे-छोटे छेदों की तरह लगती हैं। और इनमें चित्रात्मक ढंग से बैठे हुए दुकानदार इनकी शोभा और भी बढ़ाते हैं।

यह पूरी यात्रा हमारे लिए एक बहुत ही उत्साहपूर्ण अनुभव था। हमने प्यारी-प्यारी यादों और यहां पर वापस आकर बाकी बचे स्थानों की यात्रा करने की आशा के साथ अरुणाचल से विदा ली।

अरुणाचल प्रदेश के बारे में कोई भी जानकारी प्राप्त करने के लिए, उससे संबंधित आधिकारिक वेबपेज को जरूर पढिए।

मैं सांग की बहुत आभारी हूँ, जिन्होंने हमारी अरुणाचल की इस यात्रा को इतना यादगार बनाया।

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