अयोध्या – राम और रामायण की नगरी एक यात्रा परिदार्शिका
अयोध्या नगरी की यात्रा करने की अभिलाषा मुझे कई वर्षों से थी। जहाँ भगवान् राम का जन्म हुआ, जहाँ महाकाव्य रामायण की शुरुवात हुई और जहाँ रामायण का समापन भी हुआ। जिसके बारे में...
देव दीपावली अर्थात् त्रिपुरारी पूर्णिमा – गोवा का एक विशेष उत्सव
गोवा पर्यटन द्वारा आयोजित इस पूर्णिमा उत्सव का विज्ञापन मैंने नवम्बर महीने के पूर्णिमा के कुछ दिन पहले ही अख़बार में देखा था। वालवंती नदी में आधी रात को नौका उत्सव, साथ ही लावणी...
मुन्ना बाघ – मध्यप्रदेश के कान्हा राष्ट्रीय उद्यान का प्रसिद्ध सितारा
मैंने भारत भर के राष्ट्रीय उद्यानों में अनेक सवारियां की हैं। इस सब वन्य जीवन की सफारियों के दौरान किसी बाघ को उसके प्राकृतिक परिवेश में देखने का भाग्य अब तक नहीं मिला था।...
शिवसागर या सिबसागर – असम में मंदिरों की नगरी
दिखो नदी के किनारे पर, लगभग 380 कि.मी. गुवाहाटी के पूर्व में और जोरहाट के 60 कि.मी. पूर्व में एक छोटा पर अनोखा नगर, शिवसागर बसा हुआ है। इसे सिबसागर के नाम से भी...
चित्तौड़गढ़ किला – साहस, भक्ति और त्याग की कथाएँ
इतिहास की पुस्तकों में से भारत का अगर कोई एक किला मुझे आज भी याद है, तो वह है मेवाड़ का चित्तौड़गढ़ किला। भारतीय इतिहास के कई महान और महत्वपूर्ण व्यक्ति यहां रह चुके...
अजंता गुफा क्रमांक 1 की चित्रकारी – यूनेस्को की विश्व धरोहर
अजंता की ऐतिहासिक रकारी बहुत से पर्यटकों को महाराष्ट्र की अजंता गुफाओं की ओर आकर्षित करती है। जो भी अजंता गुफाओं में गया हो और वहां के भित्ति चित्र देखे हो, इन गुफाओं को...
हिमाचली सेब एवं सत्यानन्द स्टोक्स की समृद्धि दायक कथा
हिमाचली सेब तो आपने खाएं ही होंगे। वर्षा ऋतु के दौरान शिमला के उत्तर में जाइए, वहां हर तरफ सेबों के बड़े-बड़े बागीचे दिखाई देंगे। यहां के पेड़ हरे से लाल में बदल रहे...
मोढेरा का सूर्य मंदिर
मोढेरा का सूर्य मंदिर
कर्क रेखा पे
अपने ईष्ट देव की और
मुहँ बाये कमल पट्ट पे खड़ा
मोढेरा का सूर्य मंदिर
पुष्कारणी में माला से
गूँथे हैं छोटे बड़े मंदिर
जिनकी छवि से हैं खेलते
जल जन्तु कच्छ और मच्छ
सभा मंडप...
कड़कती सर्दियों में लद्दाख की यात्रा
सर्दियों में लद्दाख की यात्रा के नाम पर अधिकतर चादर ट्रैक ही प्रसिद्द है जो की बर्फ जमी ज़न्स्कर नदी पर किया जाता है और ट्रैकिंग की दुनिया में सबसे मुश्किल ट्रैक माना जाता...
आजकल – दिल्ली पे लिखी एक कविता
आजकल तुम पाओगे मुझे
दिल्ली की गलिओं में खाक छानते हुए
इधर उधर कूचों में झाँकते हुए
सदियों पुराने चबूतरों पे बैठे हुए
इस दरगाह से उस मज़ार जाते हुए
यहाँ वहाँ बिखरे मक़बरों को ताकते हुए
देखते, कल और...