नवीन युग की प्रतिमाओं में सर्वोत्तम मानी जानी वाली प्रतिमा निःसन्देह एकता की प्रतिमा अर्थात् स्टैचू ऑफ यूनिटी है। भव्य अधिरचना से युक्त, १८२ मीटर ऊंची यह अद्वितीय प्रतिमा विश्व की सर्वाधिक ऊंची प्रतिमा है। यह अतिविशाल व्यापक प्रतिमा भारत के लौह पुरुष माने जाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल की है। यह भव्य प्रतिमा सरदार पटेल की हमारे देश के प्रति अभूतपूर्व योगदान, निष्ठा, समर्पण एवं दृढ़ निश्चय को एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि है। संयुक्त भारत के स्वप्न को साकार में सरदार पटेल की भूमिका से, हमारी आने वाली पीढ़ी को अवगत कराने में यह प्रतिमा अत्यंत सहायक सिद्ध होगी।
सरदार वल्लभ भाई पटेल कौन थे?
सरदार पटेल स्वतंत्र भारत के प्रथम उप-प्रधानमंत्री तथा गृह मंत्री थे। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन एवं स्वतंत्रता के पश्चात भारत के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। जिस समय भारत स्वतंत्र हुआ था उस समय भारत ५६२ विभिन्न रियासतों में बंटा हुआ था। सरदार पटेल ने इन रियासतों का एकीकरण कर एक विशाल राष्ट्र के निर्माण का उत्तरदायित्व अपने कंधों पर लिया था।
स्वतंत्रता आंदोलन के समय भी उन्होंने अंग्रेज सरकार के विरुद्ध अवज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन जैसे अनेक आंदोलनों में सक्रिय भाग लिया था।
केवड़िया गुजरात में एकता की प्रतिमा – एक अभियांत्रिकी अचंभा
पद्मश्री एवं पद्मभूषण की उपाधि से अलंकृत श्री राम वंजी सुतार जी के जादुई हाथों ने इस विशालकाय प्रतिमा की रूपरेखा तैयार की है। इसके निर्माण में लगभग ७०,००० टन सीमेंट, १८,५०० टन सुदृढ़ीकृत इस्पात तथा ६,००० टन संरचित इस्पात का प्रयोग किया गया है। ३००० से अधिक कारीगरों तथा २०० से अधिक अभियंताओं ने दिवस-रात्र कष्ट कर इस प्रभावशाली व असाधारण प्रतिमा को खड़ा किया है।
१८२ मीटर ऊंची एकता की प्रतिमा, विश्व की विगत विशालतम प्रतिमा, १५३ मीटर ऊंची चीन की स्प्रिंग टेम्पल बुद्ध से कहीं अधिक ऊंची है। यह प्रतिमा, अमेरिका में स्थित सुप्रसिद्ध प्रतिमा, स्टैचू ऑफ लिबर्टी (९३ मीटर) से लगभग दुगुनी ऊंची है।
गुजरात के तात्कालीन मुख्यमंत्री, श्री नरेंद्र मोदीजी ने ३१ अक्टोबर २०१३ में इस प्रकल्प का शिलान्यास किया था। ३१ अक्टूबर २०१८ के दिन, सरदार पटेल के १४३ वें जन्मदिवस के उपलक्ष्य में भारत के प्रधान मंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी जी ने ही इस प्रतिमा का अनावरण किया था।
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अनोखा लोहा अभियान
सरदार वल्लभ भाई पटेल की लौह सदृश इच्छाशक्ति एवं दृढ़ संकल्प के कारण, स्वतंत्रता पश्चात सम्पूर्ण भारत का एकीकरण सम्पन्न हो पाया था। इसी कारण उन्हे भारत का लौह पुरुष कहा जाता है। उनकी इस अभूतपूर्व सफलता की स्मृति में सम्पूर्ण भारत में एक अनोखे लौह अभियान का शुभारंभ किया गया। भारत के सभी किसानों एवं गांव वासियों से यह अनुरोध किया गया कि वे अपने सभी अनुपयोगी लोहे के औजार एवं माटी इस महाअभियान के लिए दान करें ताकि उन सब का प्रयोग इस विशालकाय प्रतिमा के निर्माण में किया जा सके। इस अभियान को सम्पूर्ण भारत में अद्वितीय प्रतिसाद प्राप्त हुआ। “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी अभियान” के अंतर्गत, ३ मास में ६ लाख ग्रामीणों ने लगभग ५,००० मीट्रिक टन लोहे का दान दिया।
एकता की प्रतिमा के दर्शन
गत दिसंबर में मुझे इस अभूतपूर्व संकल्पना के अवलोकन का अवसर प्राप्त हुआ। यह अवसर अत्यंत सुअवसर सिद्ध हुआ। वडोदरा से मैंने गुजरात राज्य सड़क परिवहन निगम की बस पकड़ी तथा केवड़िया के लिए निकल पड़ा। ५ किलोमीटर दूर से ही यह प्रतिमा दृष्टिगोचर होने लगी थी।
गुजरात के केवड़िया जिले में स्थित यह स्थान प्रकृति एवं कंक्रीट का अनोखा संगम है। यह प्रतिमा नर्मदा नदी के जल में साधु बेट नामक टापू पर स्थित है। यहाँ सतपुड़ा एवं विंध्याचल पर्वतमालाओं का अत्यंत मनभावन दृश्य आपको चकित कर देगा। प्रतिमा के चारों ओर स्थित नर्मदा का जल शांतिपूर्ण एवं मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करता है तथा हमें प्रफुल्लित कर देता है।
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एकता की मूर्ति के आसपास दर्शनीय स्थल
जब आप इस नव-प्रसिद्ध एकता की प्रतिमा के दर्शन करने यहाँ आयें तो इनका भी अवलोकन करें-
एकता की भित्ति
एकता की प्रतिमा के समीप यह एकता की भित्ति बनाई गई है जो राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। ५० फुट x १५ फुट आकार की इस भित्ति के निर्माण के लिए, लोहा अभियान के अंतर्गत, भारत के १,६९,०७८ ग्रामीणों ने माटी का दान किया। अर्थात् इस एक भित्ति में सम्पूर्ण भारत की माटी का प्रयोग किया गया है। अतः यह कहा जा सकता है कि इस एक भित्ति में सम्पूर्ण भारत का एकीकरण हुआ, ठीक उसी प्रकार, जिस प्रकार सरदार पटेल ने स्वतंत्रता के पश्चात सम्पूर्ण भारत को एक किया था।
संग्रहालय
प्रतिमा की आधार पीठिका के भीतर एक विशाल एवं उन्नत संग्रहालय की स्थापना की गई है। इस संग्रहालय में, छायाचित्रों एवं रेखाचित्रों द्वारा सरदार पटेल के अथक परिश्रम, संघर्ष एवं त्याग का वर्णन किया गया है। भारत के लौह पुरुष की जीवनी पर प्रकाश डालने के लिए १५ मिनटों का एक लघु चलचित्र भी दिखाया जाता है। संग्रहालय में प्रवेश करते ही आपकी दृष्टि सरदार पटेल के शीश के प्रतिरूप पर पड़ेगी जो एकता की प्रतिमा में सरदार के शीश का प्रतिरूप है।
इसके अतिरिक्त, गुजरात के आदिवासी जनजातियों की जीवनी, सरदार सरोवर बांध व एकता की प्रतिमा के निर्माण की कथा को दृश्य-श्रव्य प्रदर्शनों द्वारा दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया है। इस संग्रहालय का अवलोकन मेरे लिए एक अद्भुत अनुभव था।
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प्रेक्षण दीर्घा
संग्रहालय से एक लिफ्ट आपको प्रतिमा के वक्षस्थल तक ले जाती है जो १३५ मीटर की ऊंचाई पर है। यहाँ से चारों ओर का जो विहंगम दृश्य दिखाई पड़ता है वह अविस्मरणीय है। मुझे स्वयं जो यहाँ अनुभव प्राप्त हुआ वह मुझे जीवन भर स्मरण रहेगा। यहाँ स्थित दर्शन दीर्घा से परिदृश्य का आनंद उठाने के लिए प्रवेश शुल्क लिया जाता है तथा वह २ घंटों की समयावधि के लिए मान्य होता है।
दृश्य-श्रव्य प्रदर्शन
सरदार पटेल की प्रतिमा पर लेज़र प्रकाश द्वारा एक वृत्तचित्र प्रकाशित की जाती है जो भारत स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार पटेल की भूमिका एवं योगदान पर आधारित है। इस प्रदर्शन का समय संध्या ७ बजे से ८ बजे तक है।
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आसपास के अन्य दर्शनीय स्थल
पुष्प घाटी अर्थात् वैली ऑफ फ्लावर्स
१७ किलोमीटर चौड़ी तथा २३० हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में फैली इस रंगबिरंगी आकर्षक पुष्पघाटी में पुष्पों की अनगिनत प्रजातियाँ हैं जो पर्यटकों के विशेष आकर्षण का क्षेत्र है। पुष्प घाटी में स्वयं के छायाचित्र लेने वालों के आनंद की यहाँ सीमा नहीं रहती। यहाँ एक फलक पर “मैं पुष्प घाटी में हूँ” लिखा हुआ है जिसके समक्ष स्वयं का चित्र ले कर उसे आप आपके जीवन भर की अविस्मरणीय स्मृतियों के खजाने में रख सकते हैं तथा अपने भ्रमण स्मृति को चिरस्थाई बना सकते हैं।
सरदार सरोवर दर्शन बिन्दु
पुष्प घाटी के समीप सरदार सरोवर बांध है जो एक सम्पूर्ण अभियांत्रिकी चमत्कार है। इस बांध को विशालतम कांक्रीट गुरुत्व बांधों में से एक माना जाता है। यह बांध १.२ किलोमीटर लंबा तथा अपने सर्वाधिक गहरे आधार स्तर से १६३ मीटर ऊंचा है। इस दर्शन बिन्दु से बांध तथा चारों ओर के परिदृश्य का अद्भुत विहंगम दृश्य प्राप्त होता है।
दर्शन बिन्दु के प्रवेश स्थल पर फलों एवं जलपान के अनेक विक्रेता हैं। अतः भूख लगने की स्थिति में विचलित होने की आवश्यकता नहीं है। आपको कुछ न कुछ प्रिय जलपान अवश्य प्राप्त हो जाएगा।
इनके अतिरिक्त आसपास अनेक सुंदर पर्यटन आकर्षण हैं जहां आप जा सकते हैं, जैसे नागफनी बाग, तितली बगीचा, जरवाणी जलप्रपात तथा जंगल सफारी। स्मारिका दुकानों से आप परिधान तथा उपहार की वस्तुएं ले सकते हैं। समीप फूड-कोर्ट है जहां से आप नाममात्र मूल्यों में स्वादिष्ट भोज्य पदार्थ ले सकते हैं।
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कहाँ ठहरें?
नर्मदा तंबू नगरी
यह एक अत्यंत सुविधाजनक एवं सुख सुविधाओं से परिपूर्ण तंबू नगरी है जो आपका भ्रमण अविस्मरणीय बनाने के लिए आतुरता से आपकी प्रतीक्षा कर रही है। पारंपरिक अतिथिगृहों व होटलों की अपेक्षा इन तंबुओं में ठहरना पर्यटकों के लिए एक नवीन व अद्भुत अनुभव सिद्ध होगा।
श्रेष्ठ भारत भवन
यह एक अतिविलासी विश्रामगृह है जो सरदार प्रतिमा के समीप स्थित है। यह होटल आपको सुख सुविधाओं के सभी साधन उपलब्ध कराएगा। यहाँ से नर्मदा नदी एवं सरदार पटेल की प्रतिमा का अतिसुन्दर दृश्य प्राप्त होता है।
सरदार सरोवर रिज़ॉर्ट
यह एक अत्यंत उत्कृष्ट रिज़ॉर्ट है जहां आपको सुख सुविधापूर्ण पड़ाव के साथ साथ, तरणताल एवं स्पा जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी।
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प्रवेश शुल्क विवरण
जब मैंने केवड़िया का भ्रमण किया था तब एकता की प्रतिमा के अवलोकन हेतु प्रवेश शुल्क वयस्कों के लिए १५० रुपये तथा ३ से १५ वर्ष के बच्चों के लिए ९० रुपये था। प्रेक्षण दीर्घा सहित प्रवेश शुल्क वयस्कों के लिए ३८० रुपये तथा बच्चों के लिए २३० रुपये था।
दोनों प्रकार के शुल्क में, बस द्वारा पुष्प घाटी तथा सरदार सरोवर बांध दर्शन बिन्दु के भ्रमण सम्मिलित हैं। आप इस वेबस्थल द्वारा अपने पूर्व नियोजित टिकट क्रय कर सकते हैं।
भ्रमण पूर्व आवश्यक सूचनाएं
- एकता की प्रतिमा की अवलोकन समयावधि प्रातः ८ बजे से संध्या ६ बजे तक है।
- दृश्य-श्रव्य प्रदर्शन समयावधि संध्या ७ बजे से रात्रि ८ बजे तक है।
- प्रतिमा के अवलोकन के लिए दिन में शीघ्रातिशीग्र यहाँ आयें, अन्यथा पर्यटकों की अत्यधिक भीड़ एकत्र हो जाती है। उसी प्रकार, सप्ताहांत में यहाँ आना जितना संभव हो, टालें।
- प्रत्येक सोमवार के दिन यह स्थल पर्यटकों के लिए बंद रहता है।
- प्रतिमा के भीतर किसी भी प्रकार की खाद्य सामग्री ले जाना निषिद्ध है। प्रवेश पूर्व ही आपको अपना सामान जमा-खिड़की में जमा करना पड़ता है।
- एकता की प्रतिमा के दर्शन हेतु सर्वोत्तम समयावधि नवंबर मास से फरवरी मास के मध्य है जब यहाँ का वातावरण अत्यंत सुखमय होता है।
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कैसे पहुंचे?
केवड़िया, गुजरात के सभी प्रमुख नगरों से सड़क मार्ग द्वारा सुव्यवस्थित रूप से जुड़ा हुआ है। यह वडोदरा से १०० किलोमीटर, सूरत से १५० किलोमीटर तथा अहमदाबाद से २०० किलोमीटर दूर स्थित है। निकटतम विमानपत्तन वडोदरा विमानपत्तन है जो ९० किलोमीटर की दूरी पर है। निकटतम रेल स्थानक भी वडोदरा रेल स्थानक ही है। आप वडोदरा से गुजरात राज्य सड़क परिवहन निगम की बस अथवा टैक्सी द्वारा भी यहाँ पहुँच सकते हैं।
अधिक जानकारी के लिए इस आधिकारिक वेबस्थल पर संपर्क करें।
आप भारत के इस अद्वितीय एवं अनोखे पर्यटन गंतव्य के दर्शन अवश्य करें। इस स्थान का भ्रमण आपके हृदय एवं आत्मा को देशभक्ति व गर्व की भावना से सराबोर कर देगा।
यह हर्शिल गुप्ता द्वारा प्रस्तुत किया गया एक अतिथि संस्करण है। वे IndiTales Internship Program के अंतर्गत एक प्रशिक्षु हैं।
आप कभी उस मूर्ति के पग के पास खड़ा होकर देखें। ‘उनके पाँव के नाखून के बराबर भी नहीं’ का चरितार्थ कई मायनों में होता नज़र आएगा!
अनुराधा जी,मीता जी,
विश्व की सर्वाधिक ऊँची,सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा,”स्टैच्यू ऑफ यूनिटी” के अनावरण के लगभग तीन माह बाद ही, आधुनिक अभियांत्रिकी के इस अद्भुत अचंभे को देखने का अवसर मिला ।आलेख से ज्ञात हुआ की प्रतिमा के आसपास अब बहुत से दर्शनीय स्थल भी विकसित कर दिये गये हैं ।
मीलों दूर से ही दीखाई देने वाली इस प्रतिमा की विशालता का अंदाज हमें इसकी आधार पीठिका पर जाने पर और भी अधिक होता हैं । प्रतिमा के वक्षस्थल पर स्थित दर्शक दीर्घा से सतपुडा एवं विंध्याचल की पर्वतमालाओं तथा नर्मदा नदी पर बने विशाल सरदार सरोवर बांध का विहंगम दृष्य देखते ही बनता है । पीठिका पर बना संग्रहालय तथा सायंकाल में होने वाला दृश्य-श्रव्य प्रदर्शन वास्तव में देखने लायक है और ज्ञानवर्धक भी है ।
नि:संदेह, विश्व की सर्वाधिक ऊँची यह प्रतिमा आधुनिक भारतीय अभियांत्रिकी का एक बेजोड़ नमूना है और लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल को राष्ट्र की भावपूर्ण श्रद्धांजलि भी !
ज्ञानवर्धक सुंदर आलेख हेतु धन्यवाद ।