जनकपुर धाम मिथिला की प्राचीन राजधानी थी। यद्यपि वर्तमान में यह नेपाल की राजनैतिक सीमाओं के भीतर आता है तथापि सांस्कृतिक रूप से यह मिथिलाञ्चल का ही एक भाग है। नेपाल के जिस जिले के अंतर्गत जनकपुर है, उस जिले को धनुष कहा जाता है। इस जिले का यह नाम उस घटना से सम्बद्ध है जहाँ रामायण काल में भगवान राम ने शिव धनुष तोड़ा था।
रामायण एवं जनकपुर का संबंध
रामायण से संबंधित दो महत्वपूर्ण यात्राएं हैं जो उसके मूल तत्व हैं।। दूसरी यात्रा के विषय में सब जानते हैं। भगवान राम दक्षिण की ओर यात्रा कर श्रीलंका पहुँचे थे तथा लंका के राजा रावण के साथ युद्ध किया था। रामायण को देखने, सुनने अथवा पढ़ने वाले चाहे जिस आयु के हों, यह यात्रा उनमें अधिक लोकप्रिय है। किन्तु प्रथम यात्रा के संबंध में कितने सविस्तार से जानते हैं?
भगवान राम ने किशोर अवस्था में प्रथम यात्रा की थी, गुरु विश्वामित्र के साथ। इसके अंतर्गत अनेक राक्षसों का वध करते हुए उन्होंने साधु-संतों एवं जनमानस को सुरक्षित किया था। इस यात्रा का एक महत्वपूर्ण भाग था, जनकपुर की यात्रा। वहाँ एक उद्यान में सीता जी से, जिन्हे जानकी भी कहा जाता है, उनकी प्रथम भेंट हुई थी। इसके पश्चात उन्होंने स्वयंवर में सीता से पाणिग्रहण आर्जित करने के लिए भगवान शिव का धनुष तोड़ा था। तत्पश्चात राम का सीता से विवाह हुआ था। साथ ही राम के तीन अनुज भ्राताओं का विवाह सीता की भगिनियों के साथ संपन्न हुआ था।
रामचरितमानस में उसके रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्री राम एवं जानकी के विवाहोत्सव का विस्तार पूर्वक उल्लेख किया है। उनका विवाह जिस दिवस संपन्न हुआ था, उसे विवाह पंचमी कहा जाता है। जनकपुर में, साथ ही अयोध्या में यह दिवस हर्षोल्हास से मनाया जाता है।
माँ सीता की कथा
सीता मिथिला के राजा जनक को उनके खेतों से तब प्राप्त हुई थी जब वे हलेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना करने के पश्चात खेतों में हल चलाने लगे थे। उस स्थान को सीतामढ़ी के नाम से जाना जाता है। सीता का लालन-पालन राजा जनक के राजमहल में हुआ।
जब सीता विवाह योग्य हुई तब राजा जनक ने घोषणा की कि जो वीर भगवान शिव के धनुष को तोड़ेगा, वह सीता से विवाह करने का मान अर्जित करेगा। इस स्वयंवर से एक दिवस पूर्व एक उद्यान में अकस्मात ही श्री राम एवं सीताजी की भेंट हो गयी। उन्होंने एक दूसरे से एक शब्द भी नहीं कहा किन्तु उन्हे यह अंतर्ज्ञान हो गया था कि वे एक दूसरे के लिए बने हैं।
सीता ने मन ही मन देवी पार्वती से प्रार्थना की तथा राम के संग विवाह करने की इच्छा प्रकट ही। उनके सौभाग्य से श्री राम ने धनुष को तोड़ दिया तथा घोषणा के अनुसार सीता से उनका विवाह संपन्न हुआ। राम के तीन अनुज भ्राता, भरत, लक्ष्मण एवं शत्रुघ्न का विवाह भी सीता की भगिनियाँ क्रमशः मांडवी, उर्मिला एवं श्रुतिकीर्ति से संपन्न हुआ।
एक ओर मैथिली विवाहोत्सव का विस्तृत अनुष्ठान रामायण कथा का महत्वपूर्ण भाग है, वहीं राजा जनक के आतिथ्य-सत्कार का रामायण में कम महत्व नहीं है। मिथिला की स्त्रियों को अभिमान है कि भगवान राम उनके जामाता हैं तथा इस नाते उन्हे श्री राम से ठिठोली करने का अधिकार प्राप्त है। मिथिला के अनेक लोकगीतों में इस नाते का उत्सव मनाया जाता है।
जनकपुर धाम
मैंने जब से अयोध्या की यात्रा की थी तथा अयोध्या माहात्म्य का अनुवाद किया था, मुझ में जनकपुर धाम की यात्रा करने की तीव्र अभिलाषा उत्पन्न हो गयी थी। मैंने रामायण से संबंधित अधिकांश स्थलों की यात्रा की है। उनमें श्री लंका के भी अधिकांश रामायण संबंधी स्थल सम्मिलित हैं। किन्तु मिथिला यात्रा मुझसे एक लंबे काल तक टालमटोली करती रही।
मैंने जनकपुर के विशाल जानकी मंदिर की छवि देखी थी। जानकी के लिए ऐसा ही भव्य मंदिर अब अयोध्या में भी बन रहा है। हृदय में इच्छा उत्पन्न हुई कि अयोध्या के इस जानकी मंदिर के दर्शन से पूर्व, क्यों ना उनके मायके में स्थित उसके मंदिर का दर्शन किया जाए!
जनकपुर में स्थित जानकी मंदिर अत्यंत विशाल है। उसे देख मुझे नाथद्वारा में स्थित श्रीनाथ जी की हवेली का स्मरण हो आया। जनकपुर के जानकी मंदिर में राजस्थानी स्थापत्य शैली स्पष्ट झलकती है। इस मंदिर का राजस्थान से क्या संबंध हो सकता है? मैंने कई आयामों पर दोनों के बीच संबंध ढूँढने का प्रयास किया किन्तु असफल रही। किन्तु पुरोहित जी से चर्चा करने के पश्चात ही मुझे ज्ञात हो पाया कि इस मंदिर की संरचना जयपुर स्थित गलाता जी मंदिर के संतों ने करवाया था।
इस मंदिर को नौलखा मंदिर भी कहते हैं। टीकमगढ़ की रानी वृषभानु कुमारी ने सन् १९१० में इस मंदिर के निर्माण के लिए नौ लाख स्वर्ण मुद्राओं का योगदान दिया था। यह मंदिर उसी स्थान पर निर्मित है जहाँ १७ वीं. शताब्दी में माँ सीता की स्वर्ण प्रतिमा प्राप्त हुई थी। यूनेस्को के वेबस्थल के अनुसार इस मंदिर के प्राचीनतम अवयव ११ वी. से १२ वीं सदी के मध्यकाल के हैं।
मंदिर के मुख्य द्वार के समक्ष स्थित प्रांगण अत्यंत विस्तृत है जिसकी भूमि पर संगमरमर लगा हुआ है। जब मैं वहाँ पहुँची थी, सम्पूर्ण प्रांगण भक्तगणों एवं दर्शनार्थियों से भरा हुआ था। उनमें कई नवविवाहित युगल भी थे जो पूर्ण रूप से अलंकृत होकर माता के दर्शन करने आए थे।
जनकपुर धाम का अभ्यंतर
जनकपुर धाम के भीतर प्रवेश करते ही आप परिसर के मध्य में एक सुंदर मंदिर देखेंगे। इसके चारों ओर वैसा ही गलियारा है जैसे शेखावटी हवेली में देखा था।
यह मूलतः एक श्वेत रंग का मंदिर है जिस पर चटक उजले रंगों द्वारा अलंकरण किया गया है। मंदिर के कुछ सोपान चढ़ते ही राम दरबार अपनी पूर्ण वैभवता के साथ हमारे समक्ष प्रकट हो जाता है। आपको अयोध्या के चारों भ्राताओं एवं मिथिला की उनकी भार्याओं के भव्य दर्शन होंगे। मैं जिस दिन यहाँ उपस्थित थी, वह स्वर्ण अलंकरण का दिवस था। आप सोच सकते हैं कि भव्य स्वर्ण अलंकरण के साथ अपनी पत्नी सहित चारों भ्राताओं की आभा कितनी अविस्मरणीय होगी!
सांस्कृतिक संग्रहालय
मंदिर के प्रथम तल के गलियारे में एक संग्रहालय है जिसमें सीता की कथा प्रदर्शित की गयी है। सीता माँ की जीवनी को डिजिटल चित्रावलियों के माध्यम् से प्रदर्शित किया गया है। जैसे ही सीता माँ के जन्म का दृश्य प्रदर्शित होता है, बधाई गीत बजने लगता है। सब दर्शकों का सर्वाधिक लोकप्रिय दृश्य वह है जहाँ श्री राम धनुष तोड़ते हैं। मुझे यह चित्रावली देख अत्यंत आनंद आया।
संग्रहालय में सीता माँ के वस्त्र एवं उनके आभूषण भी प्रदर्शित किये गए हैं।
मंदिर के चारों ओर की भित्तियों पर मिथिला चित्रकारी की गयी है जो मधुबनी चित्रकला के नाम से अधिक लोकप्रिय है। इन चित्रों में मुख्यतः श्री राम-जानकी विवाह के विविध अनुष्ठानों के दृश्य चित्रित किये जाते हैं। मिथिला परिक्रमा डोला एक अत्यंत रोचक चित्र है जिसमें परिक्रमा पथ दर्शाया गया है जो सम्पूर्ण नगर का भ्रमण करता है। अन्य अनेक ऐसे चित्र हैं जिनमें सामान्य जनमानस की जीवनशैली दर्शाई गयी है, जैसे लोहार आदि।
संग्रहालय से बाहर आते हुए आप मंदिर की छत पर पहुँच जाते हैं। यहाँ से मंदिर का विहंगम दृश्य दिखाई पड़ता है। छायाचित्रीकरण के लिए यह सबका लोकप्रिय स्थान है।
शालिग्राम मंदिर
हम सब जानते हैं कि शालिग्राम पत्थर नेपाल स्थित गण्डकी नदी के तल पर पाये जाते हैं। वस्तुतः अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर में स्थापित होने वाली भगवान राम की प्रतिमा के लिए पावन शिला जनकपुर से भेजी गयी है। ऐसी ही एक विशाल शिला इस मंदिर के परिसर में भी रखी गयी है।
मंदिर में एक विशेष कक्ष है जहाँ लाखों की संख्या में शालिग्राम रखे हुए हैं। बहुतलीय पात्रों में रखे इन शालिग्राम को आप एक जाली के इस ओर से देख सकते हैं। घोर श्याम वर्ण के ये शालिग्राम भिन्न भिन्न आकृति एवं आकार के हैं।
उन शालीग्रामों पर नव-पल्लवित पुष्प चढ़ाए हुए थे जिसे देख आप अनुमान लगा सकते हैं कि उनकी दैनिक पूजा-अर्चना की जाती है। कुछ शालिग्राम शिलाओं पर आभूषण एवं वस्त्र भी चढ़ाए हुए थे।
राम सीता धुन
अयोध्या के मंदिरों के अनुरूप ही इस मंदिर में भी, शालिग्राम कक्ष के समीप खुले प्रांगण में अखंडित रूप से राम धुन गायी जाती है।
आप भी उनमें सम्मिलित होकर राम नाम गा सकते हैं। विशेषतः कलियुग में यह आराधना का सबसे सुलभ व सुगम मार्ग है।
राम जानकी विवाह मंडप
मंदिर परिसर के भीतर, मुख्य मंदिर की सीमा के बाह्य भाग में एक ओर विवाह मंडप है। इस संरचना की छत ठेठ नेपाली शैली की है। इसकी तिरछी छत के कारण यह संरचना एक खुला मंडप प्रतीत होता है। मंडप के भीतर राजसी विवाह के दृश्य प्रदर्शित किये गए हैं।
चबूतरे के चारों कोनों में चार लघु मंदिर हैं जो राजपरिवार के उन चार जोड़ों को समर्पित हैं जिनका विवाह यहाँ संपन्न हुआ था। उन पर दर्शाये गए नामों को अनदेखा करें तो आप यह नहीं जान सकते कि कौन सा मंदिर किस जोड़े का है।
जानकी मंडप एवं मंदिर के उद्यान में पदभ्रमण का आनंद उठायें। गौशाला में भी कुछ क्षण अवश्य व्यतीत करें। आप चाहें तो उन गौओं को चारा भी खिला सकते हैं।
एक चबूतरे पर आप कुछ चरण चिन्ह देखेंगे। यहाँ उत्सव मूर्तियाँ रखी जाती हैं जब उन्हे परिक्रमा के लिए बाहर लाया जाता है।
एक छोटा शिव मंदिर भी है जिसमें एकादश लिंग स्थापित है। एकादश लिंग का अर्थ है, ११ विभिन्न लिंगों का एक संयुक्त लिंग।
जनकपुर जानकी मंदिर के विविध उत्सव
जनकपुर के जानकी मंदिर का सर्वाधिक महत्वपूर्ण उत्सव है विवाह पंचमी, जो मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी के दिन मनाया जाता है। इसमें कोई शंका नहीं है क्योंकि इसी स्थान पर श्री राम का जानकी से विवाह सम्पन्न हुआ था।
इस मंदिर में राम नवमी भी धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिवस श्री राम का जन्म हुआ था। राम नवमी चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन आयोजित की जाती है। मैंने राम नवमी के कुछ दिवस पूर्व इस मंदिर के दर्शन किये थे। उस समय इस मंदिर को राम नवमी उत्सव के लिए सज्ज किया जा रहा था।
दसैं अथवा दशहरा नेपाल का प्रमुख पर्व है।
नेपाल के दशहरा उत्सव के विषय में हमारी इस पुस्तक में पढ़ें – Navaratri – When Devi Comes Home
जनकपुर के अन्य मंदिर
अयोध्या के अनुरूप जनकपुर में भी अनेक मंदिर एवं जलकुंड हैं। इस क्षेत्र में ७० से भी अधिक जलाशय अथवा जलकुंड हैं। यहाँ के कुछ अन्य दर्शनीय मंदिर इस प्रकार हैं-
राम मंदिर
जानकी मंदिर के समीप स्थित यह अपेक्षाकृत एक छोटा मंदिर है जिसके समक्ष धनुष सागर जलकुंड है। अमर सिंग थापा द्वारा निर्मित यह एक आकर्षक मंदिर है जिसका निर्माण ठेठ नेपाली वस्तुशैली में किया गया है। इसके काष्ठ फलकों पर अप्रतिम उत्कीर्णन किये गए हैं जिनसे मंत्रमुग्ध हुए बिना आप नहीं रह पाएंगे।
राम मंदिर के चारों ओर अनेक शिवलिंग हैं। इस मंदिर में देवी भी पिंडी के रूप में हैं।
जब मैं इस मंदिर में दर्शन के लिए आयी थी, कुछ स्त्रियाँ भगवान के समक्ष सुंदर भजन प्रस्तुत कर रही थीं।
राज देवी मंदिर
राम मंदिर के समीप स्थित यह मंदिर जनक राजा की कुलदेवी को समर्पित है। इसीलिए इसे राज देवी मंदिर कहते हैं। मंदिर के विस्तृत प्रांगण के एक कोने में यह मंदिर स्थित है। यहाँ एक त्रिकोणीय यज्ञ कुंड है। प्रवेश द्वार से भीतर जाते हुए मार्ग पर विराजमान सिंह दर्शाते हैं कि यह देवी दुर्गा माँ का स्वरूप है।
जनक मंदिर
जानकी मंदिर एवं राम मंदिर के मध्य, मार्ग के मधोमध उजले नारंगी रंग का एक मंदिर है। यह जनकपुर के राजा जनक का मंदिर है। उन्हे राजर्षी अथवा संत राजा कहा जाता था।
लक्ष्मण मंदिर
लक्ष्मण को समर्पित यह मंदिर जानकी मंदिर के प्रवेश द्वार के समीप स्थित है, मानो लक्ष्मण उनका संरक्षण कर रहे हों।
जनकपुर के अन्य मंदिरों में हनुमान को समर्पित संकट मोचन मंदिर, कपिलेश्वर मंदिर तथा भूतनाथ मंदिर भी सम्मिलित हैं।
जनकपुर के जलकुंड अथवा जलाशय
- गंगासागर – विवाह मंडप के समीप स्थित यह जलकुंड मार्ग के उस पार है। ऐसी मान्यता है कि इस जलकुंड के जल को गंगा नदी से लाया गया है।
- राम सागर
- धनुष सागर – राम मंदिर के निकट स्थित है ।
- रत्न सागर
- दशरथ कुंड
- कमल कुंड
- सीता मैया तलैया
जलेश्वर महादेव मंदिर – यह एक महत्वपूर्ण शिव मंदिर है जो जनकपुर से लगभग १६ किलोमीटर दूर, सीतामढ़ी के मार्ग पर स्थित है।
धनुष धाम – यह स्थल भगवान शिव के धनुष को समर्पित है जिसे भगवान राम ने तोड़ा था। यह जनकपुर से उत्तर-पूर्वी दिशा में लगभग २४ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जनकपुर में ठहरकर वहाँ से एक दिवसीय यात्रा के रूप में इसके दर्शन किये जा सकते हैं।
परिक्रमा
जनकपुर धाम के चारों ओर पंच कोसी परिक्रमा की जाती है। यद्यपि यह परिक्रमा किसी भी दिवस की जा सकती है, तथापि नियमित भक्तगण इस परिक्रमा को होलिका दहन के दिन करते हैं।
जनकपुर यात्रा के समय आप गंगासागर सार्वजनिक पुस्तकालय तथा हस्तकला संग्रहालय का भी अवलोकन कर सकते हैं। अल्प समय के चलते मैं इनके दर्शन नहीं कर पायी थी।
यात्रा सुझाव
जनकपुर दरभंगा से दो घंटे की दूरी पर स्थित है जो जनकपुर के लिए निकटतम विमानतल एवं रेल स्थानक है। नेपाल की ओर जनकपुर में भी विमानतल है जो वायुमार्ग द्वारा काठमांडू से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग द्वारा भारत-नेपाल सीमा को पार करने के लिए उपस्थित भीड़ के अनुसार २०-४० मिनटों का समय लग सकता है। आप अपने स्वयं के वाहन अथवा टैक्सी से भी जा सकते हैं।
जनकपुर में भारतीय मुद्रा की अनुमति है।
जनकपुर में भोजन विकल्प सीमित हैं। मिष्टान्न एवं फल पर्याप्त मात्र में उपलब्ध रहते हैं। जनकपुर धाम के भंडारे में प्रतिदिन दोपहर का भोजन भक्तों को प्रसाद के रूप में परोसा जाता है। वे मनःपूर्वक आपका स्वागत करते हैं।
मंदिर से संबंधित जो भी जानकारी इस संस्करण में मैंने दी है, उन सभी के दर्शन करने के लिए २-३ घंटों का समय आवश्यक है।