लखनऊ का खाना – स्वादिष्ट शाकाहारी चटपटे व्यंजन

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सड़कों के किनारे बिकते स्वादिष्ट अल्पाहार के आधार पर यदि भारत की किसी नगरी को भारत की राजधानी चुनने का प्रश्न हो तो मैं अवश्य ही लखनऊ का चयन करूंगी। यदि कोई नगर इसको कड़ा संघर्ष देता है तो वह इकलौता इंदौर है। यूँ तो लखनऊ का खाना कबाब एवं कई अन्य सामिष व्यंजनों के कारण विश्व में अधिक लोकप्रिय है। किन्तु मेरे जैसे शाकाहारी को इन सब से क्या लेना देना। इसलिए मैंने अमीनाबाद के भीड़भाड़ भरे क्षेत्रों से दूर रहना ही ठीक समझा तथा लखनऊ के दूसरे पहलू को ढूँढने आसपास निकल पड़ी। लखनऊ की सड़कों पर बिकते अत्यंत स्वादिष्ट निरामिष नाश्ते की खोज की ओर मेरा यह पहला पग था।

लखनऊ का खाना
चटपटा लखनऊ

इससे पूर्व जब मैंने लखनऊ की यात्रा की थी तब मैंने टोर्नोस नामक यात्रा संस्था की सहायता ली थी जो लखनऊ यात्रा कार्यक्रम में दक्ष हैं। लखनऊ नगरी के विषय में उनकी जानकारी एवं अन्वेषण ने मुझे अत्यंत प्रभावित किया था। इसलिए इस समय भी मैंने टोर्नोस की ही सहायता लेने का निश्चय किया। टोर्नोस के सायरस के साथ मैं लखनऊ का खाना अनुभव करने इसकी सडकों पर शाकाहारी खाने की खोज पर निकल पड़ी।

लखनऊ का खाना – शाकाहारी खाने की खोज-यात्रा

लखनऊ की सड़कों पर शाकाहारी खाने की खोज-यात्रा का आरम्भ हमने अमीनाबाद की सड़कों से किया।

नेत्रम अजय कुमार की थाली

नेत्रम अजय कुमार का निचला तल एक साधारण मिठाई की दुकान के समान दिखाई पड़ता है। दुकान के दूसरे तल पर इसका अल्पाहार गृह है जहां स्वाद का जादू सबको मंत्रमुग्ध कर देता है।

भरवां बेड़मी पूरी, जिसे बूंदी रायता, एक सूखी सब्जी, चना तथा चटपटे खट्टे अचार के साथ परोसा जाता है, इसे जीवन में कम से कम एक बार अवश्य चखना चाहिए। मैं तो कभी भी वापिस जाकर इसे कितनी ही बार खा सकती हूँ। पराठों की एक थाली की कीमत १०० रुपयों से भी कम है। पराठों की संख्या में बंधन नहीं है। आप जितना मन हो तथा जितनी भूख हो, उतनी खा सकते हैं। हाँ, थाली किसी से बाँट नहीं सकते। एक सम्पूर्ण थाली एक ग्राहक को ही समाप्त करनी पड़ती है।

मधुरिमा की लस्सी

नेत्रम अजय कुमार की दुकान के समीप ही यह मधुरिमा है। यहाँ भी उतनी ही स्वादिष्ट थाली मिलती है। मैंने अपनी पिछली यात्रा के समय यहाँ की थाली का स्वाद चखा था। मुझे दोनों दुकानों की थालियाँ समान रूप से स्वादिष्ट लगीं। इसलिए जहां भी भीड़ कम हो वहां बेझिझक चले जाईये।

मैंने पिछली यात्रा के समय मधुरिमा की थाली का स्वाद चख ही लिया था। इसलिए इस यात्रा में मैंने इसकी प्रसिद्ध लस्सी का आनंद उठाने का निश्चय किया। यहाँ लस्सी कुल्हड़ में परोसी जाती है। लस्सी का कुल्हड़ सामने आते ही लगा कि मलाई भरी यह गाढ़ी लस्सी अकेले समाप्त करना उचित नहीं होगा क्योंकि हमें कुछ अन्य मिष्टान भंडारों में भी जाकर वहां का स्वाद चखना था। अतः मैंने एवं सायरस ने मिलकर वह लस्सी समाप्त की।

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मधुरिमा मिष्टान भण्डार की स्थापना सन् १८२५ में हुई थी। इस के विषय में मुझे एक विचित्र जानकारी भी मिली। इसे कबल वाली दुकान भी कहा जाता है क्योंकि किसी समय एक कब्र अर्थात् समाधी इस मिष्टान्न दुकान के समीप थी। किसी मिष्टान भण्डार के लिए यह एक विचित्र विरासत है।

लखनऊ का खाना चखते हुए में हमारा अगला पड़ाव प्रकाश कुल्फी होना चाहिए था। किन्तु अभी अभी मीठी लस्सी पीने के पश्चात कुछ चटपटा खाने की इच्छा थी। इसलिए प्रकाश कुल्फी को मैंने अपनी अगली लखनऊ यात्रा के लिए योजित कर दिया।

श्री कालिका चाट हाउस – सोंठ पापड़ी

सन् १८८० से खवय्य्यों की सेवा में रत, श्री कालिका चाट हाउस अपनी सोंठ पापड़ी चाट के लिए  अतिप्रसिद्ध है। किन्तु अमीनाबाद की सड़क में इस दुकान को ध्यान पूर्वक ढूंढिए। यह कुछ इस प्रकार स्थित है कि अन्य दुकानों के जमघट में छुप जाती है। दुकान के ऊपर दो नामपट्टिकाएं लगी हुई हैं।

हो सकता है आप में से कुछ पाठकों ने सोंठ चटनी, यह शब्द ना सुना हो। यह वही इमली की स्वादिष्ट चटनी है जो इमली एवं गुड़ से बनायी जाती है। सोंठ एवं अन्य मसालों से इसे चटपटा बनाया जाता है। फिर अन्य सामग्रियों के साथ, कुरकुरी पापड़ी पर इसे डाला जाता है। तीखा, मीठा एवं खट्टा स्वाद लिए यह कुरकुरी पापडी जब आपके मुँह में चरमराती है तब स्वाद का भण्डार आपके जिव्हा पर खूब समय तक अठखेलियाँ खेलता रहता है।

पान – लखनऊ का खाना पचाना भी है

भरपूर पेट पूजा करने के पश्चात केवल पान ही है जिसे मैं अपने पेट में जाने की अनुमति दे सकती हूँ। या यूँ कहिये कि पेट कितना ही क्यों न भरा हो, मैं पान अवश्य खाना चाहती हूँ। वास्तव में पान एक कारगर पाचक है जो स्वादिष्ट भोजन से पेट पूजा के उपरांत एक आवश्यक तत्व है। पुरानी लखनऊ की गलियों में कई प्रसिद्ध पानवालों के ठेले हैं।

भरपेट स्वादिष्ट चटपटा खाना खाकर एवं उसे पचाने के लिए पान खाकर मैं बिछाने पर गिरने को तत्पर थी। इतना कुछ जो मेरी चटोरी जीभ ने पेट में धकेला है, उसे पचाने के लिए अपने शरीर को पर्याप्त समय जो देना था।

अपनी लखनऊ की इस यात्रा के अन्य दिनों में भी मैंने यहाँ की सड़कों पर कई स्वादिष्ट चटपटे व्यंजन खोज निकाले एवं उनके स्वाद का आनंद लिया। उनमें से कुछ पदार्थों की छोटी सूची यहाँ दे रही हूँ ताकि आप भी अपनी आगामी लखनऊ यात्रा के समय इन्हें चख सकें एवं लखनऊ को इस स्वादिष्ट दृष्टिकोण से भी स्मरण रख सकें।

लखनऊ का खाना कहाँ अवश्य चखें!

रवि गोलगप्पेवाला

रवि गोलगप्पे वाला लखनऊ का सितारा है। रवि गोलगप्पे वाला के विषय में लगभग सभी पत्रिकाओं एवं समाचार पत्रों में विशेष उल्लेख किया गया है। आप सोच रहे होंगे कि इतनी प्रसिद्धी प्राप्त करने वाला रवि गोलगप्पे वाला वास्तव में दिखता कैसा है ओर कितना बड़ा है? रवि गोलगप्पे वाला अब भी केवल संध्या के समय अपनी साइकल पर गोलगप्पे बेचता है। तो यह इतना प्रसिद्ध क्यों है? इसकी क्या विशेषता है? यही पूछना चाहते है ना? आईये आपको रवि गोलगप्पे वाला के विषय में कुछ बताऊँ। यह कम से कम १६ प्रकार का पानी गोलगप्पों में भरकर देता है। एक एक कर हर प्रकार का स्वाद चखने के पश्चात आप एक से अधिक प्रकार के पानी का मिश्रण भी गोलगप्पों में भरवा सकते हैं। रवि गोलगप्पे वाला के पास आकर, यहाँ के गोलगप्पे खाना एवं उससे कुछ क्षण बतियाना, यह सब मेरे लिए किसी तीर्थ से कम नहीं है। वह इतना व्यस्त रहता है फिर भी उसके मुख पर सदैव मंदहास दिखाई पड़ता है।

लखनऊ की सड़कों पर स्वादिष्ट शाकाहारी अल्पाहार के लिए मैं रवि गोलगप्पेवाला की विशेष अनुशंसा करती हूँ। आप यहाँ अवश्य आईये।

रामआसरे स्वीट्स

यह लखनऊ की पुरानी दुकान है। अब इसकी शाखाएं लखनऊ में कई स्थानों पर खुल गए हैं। आप यहाँ आकर मलाई गिलौरी अवश्य चखें। पान गिलौरी के आकार की यह मिठाई मुँह में घुल जाती है। दूध की मलाई में मावों को भरकर यह मिठाई तैयार की जाती है। उनके पास कई अन्य मिठाईयां भी हैं, किन्तु वे अन्य स्थानों पर भी उपलब्ध हो जाती हैं।

लखनऊ का खाना इस विशेष मिठाई के बिना अधूरा  है। इसे खरीदकर आप वापिस घर भी ला सकते हैं।

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हजरतगंज का शुक्ला चाट हाउस

यह चाट हाउस इतना छोटा है कि संध्या के समय, व्यस्त सड़क के किनारे आप इसे आसानी से ढूंढ नहीं पायेंगे। किन्तु अपनी पसंदीदा चाट खाने को आतुर, कतार में खड़ी भीड़ अवश्य आपको इस ओर इशारा कर देगी।

प्रकाश कुल्फी वाला

लखनऊ में दो प्रसिद्ध कुल्फी की दुकानें हैं। एक है दयाल कुल्फी एवं दूसरी यह प्रकाश कुल्फी। मैं इनमें से कहीं भी कुल्फी नहीं खा पायी क्योंकि जब तक मैं इन दुकानों तक पहुँचती, मेरा पेट दूसरे चटपटे चाटों से भर चुका होता था। एक बड़े से माटी के घड़े में भरे हुए कुल्फी के सांचों को देखकर ही मन शांत कर लिया।

शर्मा चाय

यह सड़क के किनारे एक आम चाय की दुकान के सामान ही एक दुकान है। किन्तु इसकी भी अपनी विशेषताएं हैं। इसकी चमचमाती नामपट्टिका दूर से ही दिखाई देती है। इस चाय की दुकान में चाय ग्लास के आकार के कुल्हड़ में परोसी जाती है। कुल्हड़ में चाय पीने के लिए कुछ अधिक मूल्य देना पड़ता है किन्तु मिट्टी की सोंधी गंध से सिंचित, मसाले वाली चाय पीने के लिए यह मूल्य अधिक नहीं है।

चौक में निमिष अथवा मक्खन मलाई

लखनऊ का मुख्य चौक पार करें तथा इन बड़े बड़े कांच एवं पीतल के पात्रों को ना देखें, यह हो नहीं सकता! इन पात्रों में रखी, चांदी के वर्क से सज्जित, पीले रंग की प्रलोभी मिठाई को निमिष कहा जाता है। इस मक्खन मलाई मिठाई की विशेषता यह है कि यह उत्तर प्रदेश के कुछ ही स्थानों में मिलती है। मैंने तो इसे केवल लखनऊ एवं वाराणसी में ही देखा है।

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निमिष अर्थात् मक्खन मलाई एक अत्यंत मृदु मिठाई है जो आपके मुँह में घुल सी जाती है। आपकी जिव्हा नर्म मिठाई की मुलायम मक्खन जैसे भंवर में घूमने लगती है। थोड़ा ही सही, किन्तु लखनऊ की यह मिठाई आप अवश्य चखें।

पंडित राजा की ठंडाई

ठंडाई के विषय में आप सब जानते हैं। भिन्न भिन्न मसाले एवं मेवे डालकर यह मीठा दूध तैयार किया जाता है। एक बड़ा पात्र भर ठंडाई मेरे लिए पूर्ण भोजन के सामान है। वह मीठा एवं मसालों से लैस दूध मेरे लिए एक दिव्य पेय के सामान था। कुछ ग्राहक ऐसे भी हैं जो यहाँ भांग वाली ठंडाई पीने आते हैं। मैंने भांग वाली ठंडाई पीने का साहस नहीं किया। मैं सादी ठंडाई से ही तृप्त थी।

राजा की ठंडाई की दुकान लखनऊ के चौक पर स्थित है।

हब्शी हलवा

लखनऊ में कुछ विशेष प्रकार के हलवे बिकते हैं, जैसे काली गाजर का हलवा, हब्शी हलवा तथा जौज़ी हलवा। मीठे व्यंजनों में मेरी विशेष रूचि नहीं है। हाँ, यदि जलेबी अथवा इमारती हो तो मेरी जिव्हा भी मचल जाती है। किन्तु ये हलवे आपके नगरों में कदाचित उपलब्ध ना हों। इसलिए आप में से जिन्हें भी मीठे व्यंजनों में अभिरुचि हो, उन्हें ये हलवे अवश्य चखने चाहिए।

मेरी जानकारी के अनुसार मैंने लखनऊ की सड़कों के किनारे उपलब्ध स्वादिष्ट, शाकाहारी एवं चटपटे व्यंजनों का भरपूर स्वाद आपको चखा दिया है। इनके अलावा यदि आप लखनऊ में उपलब्ध इसी प्रकार के कुछ अन्य व्यंजनों के विषय में जानते हैं तो मैं अवश्य जानना चाहूंगी। निम्न पाठक खंड में आप उसका उल्लेख कर सकते हैं।

अनुवाद: मधुमिता ताम्हणे

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