ओडिशा की मंगलाजोड़ी आद्रभूमि: जलपक्षियों के स्वर्ग में नौकाविहार

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ओडिशा का मंगलाजोड़ी, पर्यावरण एवं पक्षी प्रेमियों का अत्यंत प्रिय गंतव्य है। भारत ही नहीं, अपितु एशिया की विशालतम खारे जल के सरोवर, चिलिका अथवा चिल्का सरोवर के उत्तरी छोर पर स्थित एक गाँव है, मंगलाजोड़ी। सरोवर की उथली दलदली आर्द्रभूमि सहस्त्रों जलपक्षियों का स्वर्ग है। इनमें स्थानीय एवं प्रवासी दोनों प्रजातियों के पक्षी सम्मिलित हैं। इनका अवलोकन करने के लिए आप सरोवर में सुनियोजित नौका विहार कर सकते हैं। इस प्रकार आप इन पक्षियों को समीप से देख सकते हैं तथा इस क्षेत्र के पक्षियों की प्रजातियों की विविधता को समझ सकते हैं।

मंगलाजोड़ी का परिदृश्य - नौका के साथ
मंगलाजोड़ी का परिदृश्य – नौका के साथ

मेरे दस-दिवसीय ओडिशा यात्रा के समय, भितरकनिका भ्रमण के पश्चात हम पुरी से मंगलाजोड़ी की ओर निकले। हरे-भरे मनमोहक परिक्षेत्र का आनंद उठाते हुए हम राष्ट्रीय राजमार्ग १६ पहुंचे जो भुवनेश्वर एवं विशाखापत्तनम को जोड़ती है। एक लघु चाय अवकाश के उपरांत हम राष्ट्रीय राजमार्ग पर आगे बढ़े। लगभग २० मिनट के पश्चात हम राजमार्ग स्थित चाँदपुर नगर पहुंचे। तत्पश्चात गाँव के अंतरंग मार्गों पर लगभग ८ किलोमीटर आगे जाकर हम नौका तट पर पहुंचे। जब आप यहाँ आ रहे हों तब यहाँ तक पहुँचने के लिए आवश्यकतानुसार स्थानिकों से दिशा निर्देश अवश्य ले लें।

घुन्घिल
घुन्घिल

पुरी से यह स्थान लगभग ७५ किलोमीटर दूर है जिसका मार्ग बहुधा परिक्षेत्रीय ग्रामीण क्षेत्रों से होकर जाता है। वहीं, भुवनेश्वर से यह स्थान लगभग ७० किलोमीटर दूर है जिसे आप राष्ट्रीय राजमार्ग क्र.१६ द्वारा तय करते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग द्वारा समय की बचत अवश्य होती है किन्तु आप हरियाली व सरोवरों से भरे परिक्षेत्र के नयनाभिराम दृश्यों से वंचित रह जाएंगे। मैं सदैव परिक्षेत्रीय मार्ग का ही सुझाव दूँगी।

कचाटोर
कचाटोर

मंगलाजोड़ी आर्द्रभूमि के जलपक्षी

अपने नयनाभिराम भ्रमण का आरंभ आप इस शांत गाँव के खारे जल की उथली दलदली आर्द्रभूमि के अवलोकन से करें जहाँ असंख्य पक्षियों का वास है।

उड़ान में धूसर बगुला
उड़ान में धूसर बगुला

सरोवर के तट पर लकड़ी की संकरी लंबी नौकाओं की लंबी पंक्ति थी। प्रत्येक नौका पर धूप से बचने के लिए छत्र था। नौकाओं को पक्षियों के ही नाम प्रदान किये गए थे। मुख पर प्रसन्न मुद्रा लिए अनेक वर्दीधारी नाविक तथा पर्यटन परिदर्शक, तट की ओर आते पर्यटकों का स्वागत कर रहे थे। ना कोई मोल-तोल , ना ही कोई भाव-ताव। भ्रमण सूची के अनुसार मानक शुल्क प्रदान कर हम शांति से नौका की ओर बढ़े।

कांस्य पंख लिए पीहू
कांस्य पंख लिए पीहू

मंगलाजोड़ी आर्द्रभूमि जलपक्षियों के लिए स्वर्ग सदृश है। ये ऐसे पक्षी हैं जो मीठे अथवा खारे जल के भीतर अथवा चारों ओर अपना वास ढूंढते हैं। इन पक्षियों में आर्द्रभूमि में विचरण करने के लिए कुछ अनुकूल अंग होते हैं, जैसे झिल्ली युक्त पंजे, बड़ी चोंच तथा लंबी टांगें। उनका मुख्य भोजन है, मछली, कृमि, कीट, जलसर्प तथा वे सभी जो इस आर्द्रभूमि में पनपते हैं। उन्हे यहाँ अपना प्रिय शिकार प्राकृतिक रूप से आसानी से प्राप्त हो जाता है इसीलिए वे इस आर्द्रभूमि में फलते-फूलते हैं तथा इसे अपना वास बनाते हैं।

नौका विहार का सर्वोत्तम समय

मंगलाजोड़ी में नौका विहार
मंगलाजोड़ी में नौका विहार

जलपक्षियों की अनेक प्रजातियों को आप यहाँ देख सकते हैं। किन्तु इसके लिए सर्वोत्तम समय का चुनाव एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है। आप में से जो भी पक्षी दर्शन में रुचि रखते हैं वे भलीभाँति जानते हैं कि पक्षियों के अवलोकन करने एवं उनके छायाचित्र लेने का सर्वोत्तन समय प्रातः सूर्योदय अथवा सूर्यास्त से लगभग एक घंटे पूर्व का होता है। किन्तु हम पुरी से सड़क मार्ग द्वारा यहाँ पहुँच रहे थे। इसके अतिरिक्त, मार्ग में हम हरियाली एवं झीलों से भरे परिक्षेत्र के नयनाभिराम दृश्यों का भी आनंद ले रहे थे। मार्ग में चाय अवकाश ने भी हमारा कुछ समय छीन लिया था। अतः यहाँ पहुंचते पहुंचते दोपहर होने लगी थी।

चमकता हुआ बुज्जा
चमकता हुआ बुज्जा

तदनुसार, हम मंगलाजोड़ी आर्द्रभूमि में केवल कुछ घंटों के लिए दोपहर की नौका सवारी कर सकते थे। सामान्यतः, नाविक इस आर्द्रभूमि के लगभग २-३ किलोमीटर लंबे एवं १ किलोमीटर चौड़े क्षेत्र में नौका सवारी के लिए ले जाते हैं। आपकी इच्छा के अनुसार पक्षियों के समीप से अवलोकन करने के लिए तथा छायाचित्र लेने के लिए वे सहर्ष छोटे छोटे विमार्ग ले लेते हैं, कभी गति धीमी कर देते हैं अथवा कुछ क्षण रुक भी जाते हैं।

मंगलाजोड़ी के जलपक्षी

गजपांव
गजपांव

समय तथा ऋतु के अनुसार आप यहाँ पक्षियों की अनेक प्रजातियाँ देख पाएंगें। किन्तु कृपया यह ना भूलें कि अंततः कुछ प्रजातियाँ ऐसी होती हैं जिन्हे देख पाना पूर्णतः हमारे सौभाग्य पर निर्भर होता है।

गुगरल बत्तख
गुगरल बत्तख

इस क्षेत्र में सामान्य रूप से दृष्टिगोचर पक्षी इस प्रकार हैं:

  • बगुले :
    • कबूद/अंजन अथवा धूसर बगुला (Grey Heron),
    • जामुनी बगुला (Purple-Heron),
    • अंधा बगुला (Pond-Heron)
  • श्वेत बगुले :
    • पीली चोंच व काली टांगों वाले श्वेत (सुर्खिया) बगुले (Great-Egret),
    • पीली चोंच वाले लघु श्वेत बगुले (Intermediate-Egret),
    • काली चोंच वाले किलचिया बगुले (Little-Egret)
  • रामचिरैय्या (Kingfishers):
    • श्वेतकंठी रामचिरैय्या,
    • सामान्य रामचिरैय्या,
    • चितकबरी रामचिरैय्या
  • बतख :
    • उत्तरी पिनटेल बतख,
    • चकवा/सुरखाब (Ruddy Shelducks),
    • छोटा सिल्ही (Lesser-Whistling Ducks),
    • कॉमन पोचार्ड,
    • गुगरल बतख (Indian Spot-billed Duck)
  • पनकौआ (Cormorants) :
    • सामान्य पनकौआ,
    • भारतीय पनकौआ
  • बुज्जा, सारस के समान पक्षी (Ibis) :
    • चमकीला बुज्जा,
    • कचाटोर (Black-headed Ibis)
  • कांस्य पंखों का जकाना
  • गुंग्ला अथवा घुंगिल (Asian-Open bill Stork), जाँघिल (Painted Stork)
  • गुंफ कुररी (Whiskered-Tern)
  • पीला खंजन अथवा धोबन (Citrine-Wagtails)
  • टिटहरी (Ruff)
  • लाल गलचर्म टिटहरी (Red-wattled Lapwing)
  • अबाबील (Swallows)
  • सारस (Stork)
  • गजपाँव (Black-winged Stilt)
  • पीला बगुला (Yellow Bittern)
श्वेत बगुले
श्वेत बगुले

अन्य पक्षी जिन्हे यहाँ देखा गया था, वे हैं:

  • मलगूझा (Black-tailed Godwit)
  • अंधाबगुला (Little bittern)
  • पनडुब्बी (Little grebe)
  • चाह (Snipes)
  • पीहू (Jacanas)
  • गौरैय्या (Robins)
  • चिरचिरी (Pipits)
  • गवैया (Warblers)
  • मैना (Pied Mynahs)
  • नॉर्दरन शॉवलर
प्लोवर पक्षी
प्लोवर पक्षी

आर्द्रभूमि एवं जलपक्षियों के दर्शन सुलभ कराती लकड़ी की नौकाएं

लकड़ी की सपाट पेंदे की छोटी छोटी नौकाओं को यहाँ डांगा कहते हैं। इस नौका पर चढ़ते ही प्रथम विचार मेरे मस्तिष्क में उभरा, रक्षा-जाकेट नहीं है? शंका व्यक्त करते ही नाविक ने स्मित हास्य के साथ कहा, “२ फुट पानी है मैडम! चिंता ना करें।“ नाविक नौका को खेने के लिए एक लंबे डंडे द्वारा उथले जल के तल को धकेलने लगा। मुझे ये नौकाएं पक्षीदर्शन के लिए अत्यंत उपयुक्त प्रतीत हुईं। वे अत्यंत ध्वनिरहित होती हैं तथा उनके द्वारा प्रकृति एवं जलपक्षियों को किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता है।

पीट खंजन पक्षी
पीट खंजन पक्षी

प्रत्येक नौका में अधिकतम ४ पर्यटक, एक परिदर्शक तथा स्वयं नाविक, केवल ६ लोग ही सुरक्षित रूप से बैठ सकते हैं। उथले जल में नाविक द्वारा हस्तचालित होने के कारण इनकी गति अत्यंत धीमी होती है। वैसे भी प्रकृति एवं पक्षियों के दर्शन करने के लिए धीमी गति ही उचित है। लकड़ी की छोटी नौका होने के कारण आप सदैव यह स्मरण रखिए कि उत्साह में नौका के भीतर हलचल ना करें। अन्यथा नौका का संतुलन खो सकता है तथा नौका में जल भर सकता है। यदि आपको नौका पर अपने बैठने के स्थान में परिवर्तन करना हो तो नाविक को सूचना दें। वह किसी निकटतम भूमि के समीप जाकर, उसका आधार लेते हुए नौका का संतुलन बनाता है। तभी आप स्थान परिवर्तित कर सकते हैं।

उड़ान में मलगूझा
उड़ान में मलगूझा

यूँ तो आप भुवनेश्वर अथवा पुरी के विश्रामगृह में ठहर कर, एक दिवसीय यात्रा के रूप में मंगलाजोड़ी आकर एक सामान्य नौका सवारी कर सकते हैं। किन्तु, यदि आपको प्राकृतिक दृश्यों एवं विशेषतः पक्षियों में अत्यंत रुचि हो तो आप मंगलाजोड़ी के समीप ही किसी अतिथिगृह में ठहरकर विस्तृत रूप से इनका अवलोकन कर सकते हैं तथा इनका अध्ययन कर सकते हैं।

नाविक को देख कर आपको नौका खेना आसान प्रतीत हो सकता है। किन्तु विश्वास कीजिए इस उथले दलदली आर्द्रभूमि में नौका खेना किसी कुशल व अनुभवी नाविक का ही कार्य है। यहाँ के सभी नाविक अपने कार्य में भलीभाँति प्रशिक्षित हैं तथा उन्हे पारंपरिक रूप से इस कार्य का पर्याप्त अनुभव प्राप्त है।

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मंगलाजोड़ी का रूपांतर

पक्षियों के झुण्ड आकाश को चित्रित करते हुए
पक्षियों के झुण्ड आकाश को चित्रित करते हुए

कुछ दशकों पूर्व यहाँ के गांववासी इन्ही पक्षियों का शिकार करते थे। किन्तु गत कुछ वर्षों से वही गांववासी इन पक्षियों का संरक्षण कर रहे हैं। दशकों पूर्व इन गांववासियों के समक्ष जीविका का कोई साधन नहीं था। कोई लाभप्रद रोजगार के अवसर नहीं थे। असहाय पक्षियों का शिकार करना उनका विकल्प बन गया था। किन्तु प्रकृति-प्रेमियों, पक्षी-प्रेमियों एवं दैनंदिनी व्यवहारों से मुक्ति की आस में आए एक-दिवसीय पर्यटकों ने यहाँ के सम्पूर्ण दृश्य को परिवर्तित कर दिया है। जो हाथ इन पक्षियों का वध करने में पीछे नहीं हटते थे, उन्ही हाथों में अब डॉ. सलीम अली की पुस्तक, ‘Dr. Salim Ali’s handbook of Indian Birds’ रहती है। वही गांववासी अब पर्यटन परिदर्शक बनकर पक्षियों की दर्जनों प्रजातियों से हमारा परिचय कराते हैं। वे दूर से हमें उन पक्षियों से भेंट करवाते हैं, उनका परिचय देते हैं, तथा उनके मूल प्रदेश की जानकारी देते हैं। यहाँ दूर प्रदेशों एवं देशों के भी अनेक प्रवासी पक्षी नियमित रूप से भेंट देते हैं।

जामुनी बगुला
जामुनी बगुला

जब आप परिदर्शक बने इन गांववासियों से इन नभचरों के विषय में चर्चा करेंगे, उनका विस्तृत ज्ञान आपको आश्चर्यचकित कर देगा। अब वे इस अद्भुत क्षेत्र के स्थानीय तथा प्रवासी नभचरों के संरक्षक बन चुके हैं। पर्यटन विभाग द्वारा सम्पूर्ण प्राकृतिक परितंत्र के संरक्षण का यह अत्यंत अनूठा उदाहरण है।

मंगलाजोड़ी में नौका विहार

गुंफ कुररी
गुंफ कुररी

मंगलाजोड़ी तट से कई प्रकार की नौका-विहार सेवाएं उपलब्ध हैं। कुछ सेवाएं सम्पूर्ण दिवस के लिए ली जा सकती हैं जिनमें वे आपको चिल्का सरोवर के गहरे जल में ले जाते हैं। वे नौका में ही भोजन बनाकर परोसते हैं। ये नौकाएं बड़ी होती हैं। आप सम्पूर्ण दिवस नौका में ही बिताते हुए प्रकृति का आनंद उठाया सकते हैं। हमने जो नौका-विहार सेवा ली थी, वह दो घंटों की थी। यह विहार उथले जल में, विशेषतः पक्षी अवलोकन के लिए किया जाता है।

मंगलाजोड़ी आर्द्रभूमि क्षेत्र के पक्षियों के अवलोकन के लिए सर्वोत्तम काल शीत ऋतु में नवंबर मास से लेकर मार्च मास तक है। यहाँ की उथली आर्द्रभूमि एक महत्वपूर्ण वैश्विक आर्द्रभूमि प्राकृतिक वास है तथा एक अंतर्राष्ट्रीय पक्षी संरक्षण क्षेत्र है। यह जलपक्षियों का स्वर्ग है।

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डोंगी

पाश्चात्य देशों में इस प्रकार की नौका को पंट नौका कहते हैं जो एक प्रकार की डोंगी है। इस प्रकार की नौका को खेने के लिए एक लंबी डंडी को उथले जल के तल पर टिका कर भूमि को पीछे धकेला जाता है। इससे नौका आगे बढ़ती है। यहाँ पर प्रयोग में आने वाली डोंगी हल्के वजन की है तथा विशेषतः आमोद-प्रमोद के लिए है। इस प्रकार की डोंगी में नाविक नौका के पृष्ठभागीय छोर पर खड़े होकर नौका खे सकता है। इससे वह अधिक सवारियाँ नौका पर बिठा सकता है।

मंगलाजोड़ी में टिटहरी
मंगलाजोड़ी में टिटहरी

१२ से १८ फुट लंबाई की लकड़ी की इन छोटी नौकाओं में धुरी, पिछली पतवार, पसलियाँ तथा कक्ष नहीं होते। नौकाओं की गहराई भी केवल २ फुट की होती है।

मंगलाजोड़ी गाँव नौका निर्माताओं के लिए भी प्रसिद्ध है। लकड़ी के नौकाओं का निर्माण करने वाले मिस्त्री इसी गाँव के वासी हैं। यह उनका पारंपरिक व्यवसाय है। उन्हे बिंधानी, बढ़ई अथवा बिस्वकर्मा कहते हैं। अब यह व्यवसाय लगभग मृतप्राय हो रहा है। उस पर पिछले कुछ सदियों व दशकों में सिकुड़ती चिल्का सरोवर ने आग पर घी का काम किया है।

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नौकायन तट पर एक हाट है जहाँ आपको चाय, बिस्कुट तथा कुछ नाश्ते मिल जाएंगे। नौकायन अवधि न्यूनतम दो घंटों की है। आप अपनी इच्छानुसार उससे अधिक समयावधि की भी सवारी कर सकते हैं। गाँव में पर्यटकों के लिए सम्पूर्ण भोजन की सुविधा केवल रेसॉर्टस में ही है, वह भी पूर्वसूचना देने के पश्चात ही उपलब्ध की जाती है। अन्यथा आपको ७ से ८ किलोमीटर गाड़ी चलकर निकटतम नगरी में पहुंचना पड़ेगा जहाँ आपको मूलभूत भोजन उपलब्ध हो जाएगा। यदि आप इस गाँव में आश्रय नहीं ले रहे हैं तो तदनुसार अपनी व्यवस्था नियोजित करें।

मंगलाजोड़ी आर्द्रभूमि में नौका विहार का एक विडिओ

मेरे मंगलाजोड़ी भ्रमण के समय मैंने इस क्षेत्र के पक्षियों की यह विडिओ बनाई है जिसे मैंने IndiTales YouTube channel पर प्रेषित की है। ओडिशा के इस प्राकृतिक स्वर्ग में लोकप्रिय जलपक्षियों के अवलोकन की योजना बनाने से पूर्व यह विडिओ अवश्य देखें। इससे आप अपने भ्रमण का पूर्वानुमान लगा सकते हैं।

यात्रा सुझाव

  • नौका सवारी के समय अपना पेयजल अपने साथ रखें। किन्तु रिक्त बोतल प्रकृति में फेंके नहीं। उन्हे अपने साथ वापिस लाकर कूड़ेदान में ही डालें।
  • दूर बैठे पक्षियों को समीप से देखने के लिए दूरबीन सहायक है।
  • पक्षियों के उत्तम छायाचित्र लेने के लिए प्रवर्धक लेंस युक्त DSLR कॅमेरा सर्वोत्तम है। अन्य प्रवर्धक कॅमेरे केंद्रित होने में समय लगाते हैं। इसके अतिरिक्त चलती नौका के कारण भी कॅमेरे को केंद्रित करने में बाधा उत्पन्न होती है।
  • पक्षियों को खाना ना दें।
  • पक्षियों को समीप से देखने के उत्साह में नाविक को ना बताए उठे नहीं, ना ही नौका में अपना स्थान परिवर्तन करें।
  • पक्षियों के अवलोकन का सर्वोत्तम समय प्रातःकाल है। किन्तु प्रातःकाल बहुधा धुंध होती है जिसके कारण वातावरण धूमिल रहता है। वातावरण निर्मल व स्वच्छ होने पर नौकायन तट पहुँचें।
  • गाँव के समीप कुछ रेसॉर्टस हैं जहाँ आप कुछ दिवस ठहर सकते हैं तथा इस आर्द्रभूमि के सौन्दर्य का आनंद उठा सकते हैं।
  • यदि आप एक से अधिक दिवस यहाँ आना चाहते हैं किन्तु गाँव में नहीं ठहरना चाहते, तो आप भुवनेश्वर में ठहरकर प्रत्येक दिवस यहाँ तक गाड़ी द्वारा पहुँच सकते हैं। किन्तु मेरे अनुमान से यह अत्यंत थकावट भरी योजना होगी। विशेषतः जब आप इस प्राकृतिक सौन्दर्य में सराबोर होकर कुछ दिवस शांति से बिताना चाहते हैं।
  • नाविक एवं पर्यटन परिदर्शक, सभी मंगलाजोड़ी गाँव के स्थानिक हैं। वे अत्यंत अनुभावशाली हैं। उन्हे इस क्षेत्र की सूक्ष्मताओं का भलीभाँति ज्ञान है। इसका लाभ अवश्य उठायें।

अनुवाद: मधुमिता ताम्हणे

1 COMMENT

  1. अनुराधा जी, प्रसिद्ध चिल्का सरोवर वास्तव में जल पक्षियों का स्वर्ग है । सरोवर के छोर पर बसे गाँव मंगलाजोडी से नौका द्वारा इन पक्षियों का अवलोकन करना एक अलग ही अनुभव एवम् अनुभूति होती होगी । यह जानकर प्रसन्नता हुई कि स्थानीय रहवासी जो पहले इन दुर्लभ जल पक्षियों का शिकार किया करते थे अब इनका संरक्षण करने लगे हैं । आलेख के साथ दिये गये पक्षियों के चित्र तथा नौका विहार का विडियो बहुत ही सुंदर है । धन्यवाद ????

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