मिकोनोस द्वीप– जैसा मेरी स्मृति में सदा के लिए बस गया है. . .
“. . .. उजले श्वेत दीवारों पर बोगेनविलिया के पुष्पों की बिखरी चटक गुलाबी आभा, शुद्ध श्वेत पगडंडियों पर पैरों को छूकर फड़फड़ाते हुए दूर निकलते मनभावन गुलाबी पुष्प, सामने मन को मंत्रमुग्ध करता एजियन समुद्र के गहरे नीले रंग का अनवरत उतार चढ़ाव, सुनहरी धूप में लहरों के संग अठखेलियाँ करती सूर्य की किरणें, सम्मोहन का जादू बिखेरता यह अद्भुत दृश्य। ना मेरी पलकों को झपकना स्वीकार था ना ही दांतों तले से मेरी उंगली को शिथिल होना। चेहरे पर सूर्य की किरणों की मंद मंद तपन, बालों को सहलाते शीतल हवा के झोंकें एवं यह मंत्रमुग्ध करता परिदृश्य, उस क्षण ऐसा प्रतीत हुआ जैसे मैंने परमानन्द को पा लिया .. ..”
हमने ग्रीस के विषय में बहुत कुछ सुन रखा था। इसके विषय में बहुत कुछ पढ़ा भी था। ग्रीस के विविध परिदृश्य, ३००० वर्षों से भी अधिक प्राचीन समृद्ध इतिहास, मनमोहक वास्तुकला, अत्यंत स्वादिष्ट खानपान, सर्वोत्तम जलवायु तथा अंत में वहाँ के मिलनसार लोग अत्यंत प्रसिद्ध हैं। अनेक वर्षों से हम इसका अनुभव लेने के लिए आतुर थे। इस स्वर्ग के दर्शन करने की हमारी अभिलाषा अंततः पूर्ण हुई। जून २०१७ में हमने ग्रीस के इतिहास, परिदृश्य सौन्दर्य तथा खानपान के अद्भुत सम्मिश्रण का अविस्मरणीय आनंद उठाने के लिए एक सप्ताह की यात्रा योजना तैयार की। प्रजातन्त्र, ओलंपिक खेलों तथा अन्य अनेक विषयों के जनक माने जाने वाले ग्रीस की यात्रा के विचार से ही हम अत्यंत रोमांचित थे।
ग्रीस का मिकोनोस द्वीप
मेरी इस ग्रीस यात्रा के समय मिकोनोस मेरी थाली में एक अतिरिक्त व्यंजन के समान परोसा गया था। किन्तु मिकोनोस दर्शन के पश्चात मैंने अनुभव किया कि वह तो मेरे लिए मेरी मनपसंद मीठी खीर के समान था। मेरी यात्रा का सर्वोत्तम भाग था। मिकोनोस ग्रीस के सर्वाधिक सुंदर द्वीपों में से एक है जो अपने उत्तम सौन्दर्य एवं शांत समुद्र तट के लिए जाना जाता है। ग्रीस की राजधानी एथेंस में अप्रतिम, प्रभावशाली यूनानी इतिहास की पर्याप्त मात्रा प्राप्त करने के पश्चात हम अपने आगे की यात्रा की परतें खुलने की अधीरता पूर्वक प्रतीक्षा कर रहे थे क्योंकि आगे आने वाले चार दिनों में हम मिकोनोस एवं साँटोरिनी द्वीपों के प्राकृतिक सौन्दर्य में स्वयं को सराबोर करते हुए विश्रांती पाना चाहते थे।
एथेंस से मिकोनोस द्वीप तक की नौका यात्रा
एथेंस के अतिथिगृह में सुबह जलपान ग्रहण करने के पश्चात हम एथेंस के मुख्य बंदरगाह पिरियस पोर्ट पहुंचे। यहाँ हम ‘ब्लू स्टार लग्शरी यॉट’ नामक नौका पर चढ़े जो हमें मिकोनोस द्वीप पर पहुंचाने हेतु प्रतीक्षारत खड़ी थी। इस अति विलासी राजसी यॉट में चारों ओर अनेक स्थानों पर विस्तृत खुली छतें थीं जिनमें से एक तो वहाँ से अत्यंत समीप थी जहां हम बैठे हुए थे। बाहर समुद्र का दृश्य देखने के लिए हम उठकर बाहर आ गए। बाहर बूँदाबाँदी हो रही थी। आकाश में बादल छाए हुए थे। छत पर अत्यंत वेग से हवा बह रही थी। आरंभ में तो मेरा ध्यान आसपास नहीं गया क्यों कि मैं इस अप्रतिम वातावरण का आनंद लेने में ही व्यस्त थी। ऊपर से गिरती वर्षा की फुहारें, शीतल हवा के मस्त झोंके तथा सूर्योदय की आभा। जैसे ही वर्षा की फुहारें बंद हुईं, मेरी दृष्टि आसपास के परिदृश्य पर पड़ीं। चारों ओर का सौन्दर्य देख मेरी आँखें खुली कि खुली रह गईं।
एजियन समुद्र
हमारे चारों ओर गहरे नीले रंग का एजियन समुद्र था जो भूमध्य सागर का लंबा तटबंद है। गोवा जैसे अप्रतिम समुद्र तटीय क्षेत्र में अनेक वर्षों से निवास करने के कारण समुद्र तथा समुद्र तट मेरे लिए कोई नवीन तत्व नहीं हैं। गोवा के अतिरिक्त, भारत तथा भारत के बाहर भी, मैंने अनेक स्थानों पर समुद्र तथा तट देखें हैं। किन्तु एजियन समुद्र जैसा अत्यंत सुंदर समुद्र मैंने इससे पूर्व कहीं नहीं देखा था। कांच के समान स्वच्छ, अत्यंत गहरे नीले रंग का यह समुद्र मेरे मन मस्तिष्क में सर्वोत्तम स्थान प्राप्त कर चुका था। नीले रंग के इतने रूप, जल की दिव्य स्वच्छता तथा अत्यंत मनभावन वातावरण, इन्हे शब्दों में ढालना असंभव है। विश्वास करने के लिए इनका स्वयं अनुभव प्राप्त करना आवश्यक है।
नौका से द्वीपों का विहंगम परिदृश्य
यॉट की खुली छत पर खड़े हम समीप आते सायरोस एवं टिनोस द्वीपों को निहारने लगे। इन द्वीपों की वास्तु परिदृश्यों की अप्रतिम सुंदरता से हम अत्यंत चकित थे। साइक्लैड वास्तु एवं मध्ययुगीन वास्तु के अद्भुत सम्मिश्रण का एक विहंगम दृश्य हमें दूर इस नौका से प्राप्त हो रहा था। साइक्लैड वास्तु की विशेषता है श्वेत रंग के चौकोन घर, गोल फ़र्शी के पत्थरों से जड़े मार्ग, प्राचीन पवन चक्कियाँ तथा सर्वव्यापी नीले गुंबददार गिरिजाघर।
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नौका की डेक से हमें संकरी गलियों के मध्य अनगिनत संगमरमरी सीढ़ियाँ दिख रही थीं जो समुद्र तट से पहाड़ी के ऊपर तक जा रही थीं। सीढ़ियों के दोनों ओर सुंदर घर थे जिनके द्वार एवं खिड़कियां एक रंग में रंगे थे। द्वीपों के उत्कृष्ट दृश्यों ने हमें मंत्रमुग्ध कर दिया था। हम इनमें से प्रत्येक द्वीप पर उतरने की कामना कर रहे थे। किन्तु ये द्वीप हमारे गंतव्य नहीं थे। हम आशा करने लगे कि मिकोनोस भी इसी प्रकार के परिदृश्यों से परिपूर्ण होगा।
मिकोनोस द्वीप का संध्या दृश्य
५ घंटों के अप्रतिम परिदृश्य दर्शन के पश्चात हम मिकोनोस पहुंचे। पवन के झोंकों के द्वीप के नाम से प्रसिद्ध मिकोनोस द्वीप अपने नाम के अनुरूप प्रतीत हुआ। इसने निर्मल एवं सुखद पवन के झोंकों से हमारा भव्य स्वागत किया। हमें बताया गया कि यह सर्वाधिक प्रसिद्ध तथा सार्वभौमिक साइक्लैड द्वीप है। इस द्वीप को विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय समुद्र तटों में से एक माना जाता है। मिकोनोस विश्व के उत्तम पार्टी स्थल के रूप में भी अत्यंत लोकप्रिय है।
बंदरगाह से हम एक मनोरम तटीय रिज़ॉर्ट में पहुंचे जहां हमारे ठहरने की व्यवस्था पहले से ही कर दी गई थी। गहरे फिरोजी नीले रंग का शांत समुद्र हमारी ड्योढ़ी पर ही था। किन्तु वहाँ पहुंचते ही हमारे उत्साह पर सेंध लगाने के लिए बूंदबाँदी फिर आरंभ हो गई। मेरी बिटिया की उमंगें सर्वाधिक आहत हुईं। यदि यह बूंदबाँदी इसी प्रकार जारी रही तो दूसरे दिन के मिकोनोस के प्राचीन नगर में स्थित प्रसिद्ध पद-मार्ग तथा पवन-चक्कियों के दर्शन के कार्यक्रम पर पानी फिर जाएगा। फिर हमने विचार किया कि व्यर्थ चिंता से कभी किसी का भला नहीं हुआ। हमने अपना ध्यान रिज़ॉर्ट के समुद्रतट पर एक सुंदर संध्या व्यतीत करने पर केंद्रित किया और हम समुद्र की ओर चल दिए। सौभाग्य से वर्षा की फुहारें बंद हो गईं तथा सुंदर स्वच्छ नीले आकाश ने उभरकर हमारे उत्साह में चार चाँद लगा दिए।
जैसा कि मैंने कहा था, गोवा से होने के कारण समुद्र तट मेरे लिए नवीन नहीं है। किन्तु मिकोनोस का यह तट हमें एक नवीन विश्व में ले गया। ऐसा तट, ऐसा सौन्दर्य तथा ऐसा परिदृश्य मैंने अपने जीवन में पहली बार ही देखा था। इस सौन्दर्य को शब्दों में पिरोना अत्यंत कठिन है। इसे देखने के पश्चात ही आप मेरे उल्हास को समझ पाएंगे।
मिकोनोस का समुद्रतट
सुंदर स्वच्छ नीला आकाश उभरकर आ गया था। अत्यंत स्वच्छ समुद्र तट पर चारों ओर पर्यटकों के लिए आरामदायक बैठकें लगायी हुई थीं। पर्यटक विभिन्न क्रियाकलापों का भरपूर आनंद उठ रहे थे। किन्तु समुद्र में बहुत ही कम लोग तैर रहे थे। समुद्र में प्रवेश करने के पश्चात ही हमें इसका कारण समझ आया।
समुद्र का तल अन्य समुद्र तलों के समान रेतीला नहीं था। समुद्र के तल पर कठोर ठोस सतह थी जो ज्वालामुखी की देन है। तट पर बिखरी मोटी रेत को देख ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो इसे समुद्र तट का प्रभाव प्रदान करने के लिए कहीं से लाया गया है। हमने भी स्वागत करते जल में प्रवेश किया। सुखद, शीतल, नितांत स्वच्छ जल जो रंगीन भोली भाली छोटी मछलियों से भरा हुआ था। अचानक जल में हम एक कमर तक ऊंची ठोस कठोर मेंढ़ से टकराए जो सम्पूर्ण तट से समांतर स्थित थी। इस प्राकृतिक मेंढ़ को जब पार किया तो आभास हुआ कि उस पार समुद्र तल अचानक ही अत्यंत गहरा हो गया है। साथ ही तैरते समय सिर का कठोर मेंढ़ से टकराने का भी भय था। अतः हमने जल से बाहर आकर अन्य पर्यटकों के समान तट पर ही आनंद लेना योग्य जाना।
मिकोनोस के समुद्रतट पर खड़े होकर हमने संध्या के परिदृश्यों को अपनी स्मृति में अंकित किया, अनेक छायाचित्र भी लिए। धीरे धीरे रात्रि का अंधेरा छाने लगा था। इसके पश्चात हमने जो परिदृश्य देखा उसकी स्मृति आज भी मुझे स्वप्नों के विश्व में पहुंचा देती है। आकाश में चंद्रमा अपनी सम्पूर्ण आभा से दमक रहा था। एजियन समुद्र की सतह पर पड़ता चंद्रमा का प्रकाश उसे ऐसा चमका रहा था मानो समुद्र सतह पर किसी ने अनगिनत चमकते हीरे बिखेर दिए हों। इस दमकते रात्रि के दृश्य ने हमें इतना सम्मोहित कर दिया था कि हमें अपने पीछे तट पर जारी पर्यटकों की मस्ती व किलोल का भान ही नहीं था।
कुछ और अंधेरा छाने के पश्चात हम भी तट पर चलते आनंदी क्रियाकलापों का भाग बन गए। चाँदनी रात में समुद्र तट पर ही हमारे रात्रि भोज की व्यवस्था थी। भोजन व्यवस्था अत्यंत सीमित थी। यह रिज़ॉर्ट नगर से दूर होने के कारण हमें इसी से संतुष्ट होना पड़ा। इतने प्रसन्न वातावरण के रहते हमें इसका खेद भी नहीं हुआ। हमारा ध्यान खाने में कम, आसपास के आनंद एवं उल्हासपूर्ण दृश्यों में अधिक था। संगीत बज रहा था। लोग नृत्य कर रहे थे। चारों ओर उमंग का वातावरण था। अंततः मिकोनोस द्वीप का समुद्र तट इन्ही विहारों के लिए प्रसिद्ध है।
मिकोनोस द्वीप के पद-मार्ग
दूसरे दिन प्रातः नाश्ते के पश्चात हम मुख्य नगर में स्थित पद-मार्ग का अवलोकन करने निकले। मुख्य नगर को नगर केंद्र अथवा चोरा कहा जाता है। रिज़ॉर्ट के सामने एक छोटा बस स्थानक था जहां से प्रातः ८ बजे से रात्री ८ बजे तक, प्रत्येक आधे घंटे में मुख्य नगर तक अत्यंत सुविधाजनक बस सेवा उपलब्ध थी। मुख्य नगर रिज़ॉर्ट से लगभग १५ मिनट की दूरी पर था।
ग्रीस देश अपने पद-मार्गों के लिए अत्यंत प्रसिद्ध है। इसके प्रत्येक नगर में आपको पद-मार्ग मिल जाएंगे। ये पद-मार्ग साधारणतः नगर के प्राचीन भाग होते हैं जहां अनेक प्रकार के दर्शनीय स्थल एवं क्रियाकलाप उपलब्ध होते हैं, जैसे विशिष्ठ दुकानें, घर, कैफै, उपहारगृह, विशिष्ट भोजनालय, कला दीर्घा इत्यादि। ये मार्ग इतने सँकरे होते हैं कि इनमें वाहन चलाने की अनुमति नहीं है। पद-मार्ग इस शब्द से आपको अनुमान हो गया होगा कि इन गलियों में हम केवल पैदल ही चल सकते हैं।
एथेंस में भी हमने इन पद-मार्गों में सैर की थी। एथेंस के पद-मार्ग क्षेत्र को ‘मोनास्तिराकी’ कहा जाता है। एथेंस का ‘मोनास्तिराकी’ किंचित भिन्न था। वह किसी नगर के पुराने बाजार के समान अधिक था जहां कपड़ों, स्मारिकाओं तथा अन्य ठेठ वस्तुओं की दुकानें, स्थानीय खाने-पीने की दुकानें तथा मोल-भाव करने वाली दुकानें अधिक थीं। इन दुकानों में कुछ विशिष्ठता अथवा सौंदर्यभाव नहीं था। इसके विपरीत यह गालियां अत्यंत भीड़भाड़ भरी थीं।
पदमार्ग
हमने मिकोनोस के पदमार्गों के विषय में पढ़ा था तथा कुछ चित्र भी देखे थे। जैसे ही हमने एक गली के द्वारा चोरा गाँव में प्रवेश किया, हमें इस क्षेत्र के सौन्दर्य की प्रथम झलक प्राप्त हुई। हमें लगा हम किसी भिन्न विश्व में प्रवेश कर रहे हैं। जिस तत्व ने सर्वप्रथम हमारा ध्यान आकर्षित किया था वह था निर्मल श्वेत, नीले एवं गुलाबी रंगों का अप्रतिम सम्मिश्रण। वहाँ छोटे चौकोर घर थे जिनमें अधितकर दो तलों के थे। इनकी भित्तियाँ स्वच्छ दमकते श्वेत रंग की थीं। उनकी खिड़कियां तथा द्वार चटक नीले रंग के थे। पत्थर बिठाकर निर्मित किए गए सँकरे पदमार्ग भी स्वच्छ ताजे श्वेत रंग के थे। निरपवाद रूप से प्रत्येक घर पर बोगनवेलिया की लताएं चढ़ी हुई थीं जो उजाले गुलाबी पुष्पों से लदी हुई थीं।
घरों की संरचनाएं प्राचीन प्रतीत हो रही थीं किन्तु उनके भीतर तथा बाहर सर्वोत्तम रीति से रख रखाव किया गया था। कुछ घरों में लोग निवास कर रहे थे, वहीं अनेक घरों में दुकानें, कैफै तथा कला दीर्घाएँ स्थापित थे। हमने जब इन गलियों में सैर करना आरंभ किया, हमें आभास हो गया कि हम जिस गाँव में विचरण कर रहे हैं वह एक विशाल भूल-भुलैया से कम नहीं है।
दुकानें
संकरी गलियों में विचरण करते हमने अनेक विशिष्ट महंगी दुकानें देखीं जहां उच्च स्तर के तैयार वस्त्र, भिन्न भिन्न प्रकार के जूते-चप्पल, प्रसाधन सामग्री, आभूषण, सूखे मेवे तथा स्मारिकाओं की बिक्री हो रही थी। यद्यपि इनमें से अधिकतर वस्तुएं उच्च-स्तरीय थे तथापि मुलायम ग्रीक-सूती लपड़े से बने तैयार वस्त्र तथा कुछ ग्रीक स्मारिकाओं ने हमें विशेष रूप से आकर्षित किया। हमने हमारे तथा हमारे प्रियजनों के लिए कुछ खरीददारी की।
कला दीर्घाएँ
मिकोनोस के पद-मार्गों पर सैर करते हुए हमारा ध्यान आकर्षित किया यहाँ स्थित कला दीर्घाओं ने। लगभग प्रत्येक गली में कम से कम एक कला दीर्घा थी। इन कला दीर्घाओं की एक विशेषता थी कि यह सब निजी स्वामित्व की दीर्घाएँ थीं जिनमें उनके स्वामी द्वारा स्वयं संग्रहीत कलाकृतियों का संग्रह था। हमने यहाँ विभिन्न कला क्षेत्रों की कलाकृतियाँ देखीं। मुझे इन संग्रहालयों के स्वामियों का एक भाव अत्यंत भाया। वे स्वयं संग्रहालय में उपस्थित रह कर हमें अपने संग्रह के विषय में विस्तार से वर्णन कर रहे थे। उनका आचरण अत्यंत आत्मीयता पूर्ण था। आप सोच रहे होंगे कि हमसे मोटा प्रवेश शुल्क लिया होगा। जी नहीं! यह दीर्घाएँ सभी के लिए खुली हैं तथा कोई प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता।
मिकोनोस की पवन-चक्कियाँ
मिकोनोस की गलियों में घूमते समय हम सतत समुद्र की ओर से आती शीतल बयार की दिशा आँकते जा रहे थे तथा उसी ओर अपना मुख रखा था। हमारी यह योजना हमें इस भूलभुलैया के उस पार ले जाने में सफल हुई। बाहर आते ही हम अथाह समुद्र के समक्ष खड़े थे। बाईं ओर दृष्टि घूमते ही हमें इस द्वीप के प्रसिद्ध पवन-चक्कियाँ दृष्टिगोचर हुए। यह सभी पवन-चक्कियों के आधार गोलाकार थे। उज्ज्वल श्वेत रंग में रंगे इन चक्कियों में शुंडाकार छतें, छोटी छोटी खिड़कियां तथा नीले रंग में रंगे द्वार थे। यहाँ भी श्वेत व नील वर्ण के सम्मिश्रण का लुभावना दृश्य था। सभी चक्कियों के द्वार बंद थे। अतः हम उन्हे भीतर से नहीं देख पाए। हमें बताया गया कि ये चक्कियाँ चालू स्थिति में नहीं हैं। अब ये केवल दर्शनीय वस्तु हैं।
इनमें से एक पवन-चक्की को अब एक छोटे संग्रहालय में परिवर्तित किया गया है।
हमें बताया गया कि मिकोनोस में कुल १६ पवन-चक्कियाँ हैं जिनमें ७ चक्कियाँ इस चोरा पहाड़ी पर हैं। वेनिस निवासियों द्वारा निर्मित इन चक्कियों का प्रयोग मुख्यतः गेहूं तथा जौ पीसने में किया जाता था। २० वीं. सदी के मध्य से इनके प्रयोग में कमी आने लगी तथा अंततः ये पूर्णतः बंद हो गए।
मिकोनोस पद-मार्ग के कैफै, बेकरी तथा जलपानगृह
दुकानों एवं संग्रहालयों के मध्य अनेक पारंपरिक बेकरी थीं जहां ताजे निर्मित खाद्य पदार्थ बिक्री किए जा रहे थे। उनमें से एक ने हमें उनकी पारंपरिक भट्टियाँ भी दिखाई जो दुकान के पृष्ठभाग में थी। हमने यहाँ दोनों प्रकार के कैफै देखे, सादे तथा उच्च स्तर के सर्व सुविधापूर्ण। किन्तु उनमें एक तथ्य आम था। वे सभी अत्यंत छोटे छोटे थे क्योंकि यहाँ बड़ी संरचना के लिए पर्याप्त स्थान ही नहीं है। हमने यहाँ के कुछ स्थानीय व्यंजनों का आस्वाद लिया तथा कुछ वापिस घर लाने के लिए खरीदे।
इनके अतिरिक्त कुछ अत्यंत लुभावने जलपान गृह थे। अधिकतर जलपानगृह खुले में थे। यहाँ सामिष एवं निरामिष दोनों प्रकार के ग्रीक एवं अन्य यूरोपीय व्यंजन परोसे जा रहे थे। जैसा कि कहते हैं, रोम में रोमवासियों के समान व्यवहार करो। उस दिन दोपहर के भोजन में हमने स्वादिष्ट ग्रीक व्यंजनों का आस्वाद लिया। खाने के पश्चात हमें जलपानगृह की ओर से ग्रीस का एक स्थानीय पेय भी परोसा गया।
खाने के पश्चात हमने चोरा के पद मार्गों तथा समुद्रतट का एक और दौरा किया। स्मारिका विक्रेताओं से मिकोनोस के विशिष्ठ पवन-चक्कियों के प्रतिरूप खरीदे। संध्या समाप्ति तक बचे हुए संग्रहालयों तथा दुकानों का अवलोकन किया।
अब हमें रिज़ॉर्ट वापिस जाने के लिए चोरा के इस पार आकर बस पकड़नी थी। समुद्रतट से उठकर हम वापिस आने के लिए गलियों में आ गए। किन्तु हमारी स्थिति अत्यंत हास्यास्पद हो रही थी। बार बार हम घूमकर समुद्र तट पर ही आ जाते थे। मार्गों के भूलभुलैया ने हमें चक्करघिन्नी में डाल दिया था। किन्तु हमारे भीतर का बालक हार मानने को भी तैयार नहीं था। अंतिम बस सेवा के छूट जाने का भय भी था। अंततः हम प्रत्येक चौरस्ते पर स्थानीय लोगों से दिशा ज्ञान लेते हुए बाहर आ गए।
साँटोरिनी
रिज़ॉर्ट में वापिस आकार हमने एक और उमंग तथा उल्हास पूर्ण वातावरण में रात्रि का भोजन किया तथा सम्पूर्ण दिवस की थकान निवारण के लिए कुटिया की ओर चल दिए। देह थकान से चूर थी किन्तु मन-मस्तिष्क दिवस भर के अनुभव से अत्यंत आनंदित एवं रोमांचित था। दूसरे दिन नाश्ते के पश्चात हम मिकोनोस बंदरगाह पहुंचे जहां से हमें एक द्रुत-गति विशाल नौका द्वारा साँटोरिनी पहुंचना था। साँटोरिनी में भी हमें अत्यंत सुंदर अनुभव प्राप्त हुआ था जो मैं आपसे समय आने पर साझा करूंगी। तब तक के लिए प्रणाम।