मोढेरा का सूर्य मंदिर
कर्क रेखा पे
अपने ईष्ट देव की और
मुहँ बाये कमल पट्ट पे खड़ा
मोढेरा का सूर्य मंदिर
पुष्कारणी में माला से
गूँथे हैं छोटे बड़े मंदिर
जिनकी छवि से हैं खेलते
जल जन्तु कच्छ और मच्छ
सभा मंडप है समेटे
कथाएँ राम और कृष्ण की
जन्म से मृत्यु की यात्रा
मधी है बाहिरी वर्ग पे
कोख रहित गर्भ गृह
कथा कहता प्रहारों की
जो खंडित तो कर गये, पर
क्षीण ना कर पाए तेज को
आठों दिशाओं में
दिशा देवो का वास है
शिलाओं में समाया
संगीत नृत्य उल्हास है
पुष्पावती है जिसे सहलाती
अपनी जल धार से
सूर्य जैसे हो प्रहरी
अपने इस प्रतिबिंब का