माथेरान, महाराष्ट्र का एक लोकप्रिय सप्ताहांत गंतव्य। समुद्र तल से लगभग ८०० मीटर ऊँचाई पर पश्चिमी घाटों की गोद में बसा माथेरान मुंबई से ९० किलोमीटर तथा पुणे से १२० किलोमीटर दूर है। मुंबई एवं पुणे जैसे भीड़भाड़ भरे नगरों के दौड़ते जीवन से कुछ काल पलायन करने के लिए माथेरान एक उत्तम गंतव्य है।
माथेरान एक छोटा सा किन्तु विलक्षण पर्वतीय कस्बा है जो प्रदूषण रहित स्वच्छ वातावरण में, नीले अम्बर के तले, हरियाली भरे परिदृश्यों के मध्य, कुछ सुन्दर क्षण शांति से व्यतीत करने के लिए उपयुक्त स्थान है। ऐसा माना जाता है कि यह सम्पूर्ण एशिया का इकलौता वाहन-मुक्त पर्वतीय पर्यटन स्थल है। माथेरान आपको उस काल का स्मरण करा देता है जब मिट्टी के पथों पर चलते घोड़े गाड़ियों के साथ हम एक सादगी भरा शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करते थे।
माथेरान का इतिहास
माथेरान का मराठी भाषा में अर्थ होता है, माथे पर स्थित वन। प्राप्त सूत्रों के अनुसार माथेरान का सर्वप्रथम उल्लेख १५वीं सदी में किया गया था। बहमनी सल्तनत ने उत्तर कोंकण प्रान्तों पर दृष्टि रखने के लिए मुरंजन दुर्ग का निर्माण कराया था। यह दुर्ग अब प्रबलगढ़ दुर्ग के नाम से जाना जाता है। बहमनी सल्तनत के पतन के पश्चात यह दुर्ग मुगलों के हाथों में चला गया। सन् १६५७ में छत्रपति शिवाजी महाराज ने इस दुर्ग पर तथा इसके आसपास के क्षेत्रों पर अपना अधिपत्य जमाया। उस समय इस पर्वतीय स्थान पर धनगर (चरवाहा) जनजाति का निवास था।
कालांतर में, सन् १८५० में अंग्रेज ह्यू मालेट (Hugh Malet) ने इस स्थान की पुनः खोज की थी। Hugh Malet उस समय रायगढ़ के जिलाध्यक्ष थे। मुंबई के गवर्नर लॉर्ड एल्फिन्स्टन (Lord Elphinstone) ने पुनः इसकी नींव रखी थी। सन् १९०७ में श्री आदमजी पीरभाई ने माथेरान से नेरुल के मध्य मीटर गेज रेल मार्ग का निर्माण किया था।
माथेरान भ्रमण के लिए सर्वोत्तम काल
माथेरान भ्रमण के लिए सर्वोत्तम काल शिशिर ऋतु के नवम्बर मास से ग्रीष्म ऋतु के मई मास तक होता है। मिटटी के कच्चे मार्गों के कारण वर्षा ऋतु में माथेरान में भ्रमण कठिन होता है। साथ ही वर्षा में पैदा हुए जोंक की उपस्थिति निश्चित कष्टकर होती है। यदि आप वर्षा ऋतु में माथेरान जाना ही चाहते हैं तो जोंक से निपटने की तैयारी रखें।
अधिकतर पर्यटक पर्वतीय पर्यटन स्थलों का भ्रमण सप्ताहांत में ही करते हैं। किन्तु मेरी दृष्टि में ऐसे स्थलों पर सप्ताहांत के अतिरिक्त ही जाना चाहिए। आप जिस पर्यटन स्थल में शांति की खोज में आये हैं, सप्ताहांत की भीड़ में वही स्थान आपको शांति के अतिरिक्त सब कुछ प्रदान करेगा। माथेरान की ओर जाते मार्ग पर, घाटों पर तथा दस्तूरी नाका, जहाँ वाहन खड़े किये जाते हैं, वाहनों का जमावड़ा आपकी असुविधा कई गुना बढ़ा देता है। अनेक अवसरों पर घाटों में वाहनों का जाम इतना अधिक होता है कि मार्ग खुलने में कई घंटे लग जाते हैं।
माथेरान कैसे पहुंचें?
मैंने मुंबई से टैक्सी ली थी। मेरा सुझाव है कि आप प्रातः शीघ्र ही, लगभग ६ बजे से पहले ही मुंबई से निकलें क्योंकि मुंबई के मार्ग प्रातः शीघ्र ही वाहनों से भर जाते हैं। मुंबई नगरी से बाहर होते ही कर्जत से नेरुल की ओर जाने वाले मार्ग पर जाएँ। नेरुल के पश्चात घाटों के मार्ग अत्यंत ढलुआ, लगभग ७० अंश, हो जाते हैं तथा अत्यंत सर्पिल भी हो जाते हैं। अतः आप अपनी टैक्सी वहीं छोड़कर वहाँ की ओम्नी गाड़ी किराये पर ले लें।
यदि आप स्वयं की गाड़ी से यहाँ आये हैं तब भी या तो आप अपनी गाड़ी वहाँ छोड़कर वहाँ की ओम्नी गाड़ी किराये पर ले लें अथवा अपनी गाड़ी के लिए किसी स्थानिक वाहन चालक की सेवा लें। दस्तूरी नाके तक चढ़ने के लिए पर्वतीय मार्गों में वाहन चलाने में अभ्यस्त चालकों पर ही निर्भर रहने में भलाई है।
छोटी लाइन की रेल/टॉय ट्रेन
एक विकल्प है कि आप वाहन द्वारा मुंबई से नेरुल पहुंचें तथा नेरुल से माथेरान टॉय ट्रेन या छोटी लाइन की रेल गाड़ी से जाएँ। अधिक भीड़ ना हो तो यह एक अत्यंत आनंददायक व मनोरंजक यात्रा होती है। किन्तु आप उसकी समयसारिणी पूर्व में ज्ञात कर लें तथा उसके अनुसार ही स्थानक पर पहुंचें। यह टॉय ट्रेन नेरुल से माथेरान के मध्य दोनों ओर चलती है। यह यात्रा लगभग ३० मिनटों की होती है। इसकी टिकिटें आप ऑनलाइन नहीं ले सकते। इसकी टिकिटें आप ट्रेन छूटने से पूर्व वहीं कतार में लग कर ही क्रय कर सकते हैं।
दूसरा विकल्प है कि आप नेरुल ना रुकते हुए वाहन द्वारा सीधे अमन लॉज तक जाएँ तथा वहाँ से टॉय ट्रेन या छोटी लाइन की रेल गाड़ी से माथेरान जाएँ। दस्तूरी नाके पर पहुंचकर आप पार्किग स्थल पर अपना वाहन खड़ा कर दें। यह पार्किंग स्थल बंदरों के उत्पात के लिए कुख्यात है। आप अपने सामान का ध्यान रखें अन्यथा वे उन्हें खींच कर ले जा सकते हैं। अपना जलपान व्यवस्थित रूप से बैग में छुपा कर रखें। वे मेरा बैग भी खींचना चाहते थे। किसी प्रकार से मैंने उन्हें भगाकर अपना बैग बचाया था। मुझे सावधान रहना चाहिए था।
दस्तूरी नाके से लगभग ४०० मीटर चलकर आप अमन लॉज पहुंचते हैं। वहाँ महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम का विश्राम गृह है। वहाँ के जलपान गृह में आप चाय पी सकते हैं। माथेरान से नेरुल के मध्य चलती टॉय ट्रेन के लिए एक स्थानक अमन लॉज भी है। माथेरान पहुँचने के लिए आप यहाँ से घोड़ा ले सकते हैं, हाथगाड़ी ले सकते हैं अथवा टॉय ट्रेन में चढ़ सकते हैं। अमन लॉज से माथेरान तक की यात्रा के लिए टॉय ट्रेन में लगभग १५ मिनट लगते हैं। जिस दिन मैं वहाँ पहुँची थी, टॉय ट्रेन के लिए टिकिट समाप्त हो गए थे। अतः मैंने घोड़ा किराये पर लेने का निश्चय किया। घोड़े एवं हाथगाड़ी के लिए भिन्न भिन्न शुल्क हैं। आपके विश्राम गृह में भी यह शुल्कसूची उपलब्ध होगी।
ट्रेक/पदयात्रा
यदि आप माथेरान तक पदयात्रा करना चाहते हैं तथा आपके पास सामान अधिक है तो आप एक कुली ले लें। आपकी गति के अनुसार यह पदयात्रा ४५ मिनट से एक घंटे का समय ले सकती है। मार्ग अधिक ढलुआ नहीं है। चढ़ाई अत्यंत सौम्य है। केवल एक समस्या है कि यह पूर्ण रूप से पक्की सड़क नहीं है। कहीं पक्की सड़क है तो कहीं पर लाल लेटराइट शिलाएं बिठाई हुई हैं। अतः पदयात्रा करने की योजना हो तो पदयात्रा के लिए उपयुक्त जूते पहनें। इन सब बाधाओं से सफलता पूर्वक निपट लें तो यह पदयात्रा अत्यंत आनंददायक एवं सन्तुष्टिप्रदायक होती है। घने वन की छाया व शीतल वायु की औषधी, घंटे भर की पदयात्रा में होनी वाली थकान को हमारे मन मस्तिष्क पर अभिभूत नहीं होने देते। केवल पत्थरों एवं घोड़ों की लीद से बचकर चलें।
माथेरान में कहाँ ठहरें?
माथेरान में ठहरने के लिए अनेक उत्तम विकल्प हैं। आपकी व्ययसीमा एवं भ्रमण योजना के अनुसार आप उनमें से योग्य विश्रामगृह का चयन कर सकते हैं। माथेरान पर्यटन स्थल की यह विशेषता है कि यहाँ के लगभग सभी रिसोर्ट व होटल लगभग सभी पर्यटकों की व्ययसीमा के भीतर हैं। कुछ रिसोर्ट ऐसे हैं जहां ठहरने एवं सभी भोजन के साथ साथ मनोरंजन भी शुल्क में सम्मिलित होते हैं।
रिसोर्ट या होटल निश्चित करने से पूर्व उसकी मुख्य माथेरान बाजार से दूरी देख लें। अन्यथा आप जब जब मुख्य नगरी जाएँ तो आपको व्यर्थ ही लम्बी दूरी पैदल पार करनी पड़ेगी । मेरा रिसोर्ट मुख्य नगरी से दूर था। हरे भरे परिवेश में मुख्य बाजार तक पैदल चलना सुखद प्रतीत होता है किन्तु इसकी अति भी असहनीय हो जाती है।
माथेरान के दर्शनीय स्थल
माथेरान में एवं उसके आसपास अनेक दर्शनीय स्थल हैं। यहाँ तीन प्रमुख भ्रमण मार्ग हैं। पहला मार्ग दक्षिण में एलेग्जेंडर पॉइंट से रामबाग पॉइंट, वन ट्री हिल एवं ओलिम्पिया रेस कोर्स होते हुए बेल्वेडेर पॉइंट पर समाप्त होता है।
दूसरा मार्ग पश्चिम में लॉर्ड्स पॉइंट से आरम्भ होकर लुईसा पॉइंट पर समाप्त होता है।
तीसरा मार्ग सबसे अधिक लम्बा है। वह पश्चिम में मलंग पॉइंट से आरम्भ होकर उत्तर में पोर्क्युपाईन पॉइंट पर समाप्त होता है। यदि आप ट्रेकिंग में रूचि रखते हैं तथा उससे अभ्यस्त हैं तो आप पैनोरमा पॉइंट तक ट्रेक करके जा सकते हैं।
माथेरान में लगभग ३८ अवलोकन बिंदु हैं। उनमें पैनोरमा पॉइंट, लुईसा पॉइंट, वन ट्री हिल, हार्ट पॉइंट, मंकी पॉइंट, पोर्क्युपाईन पॉइंट तथा रामबाग पॉइंट सम्मिलित हैं। ये अवलोकन बिंदु सम्पूर्ण माथेरान में पसरे हुए हैं। यद्यपि सभी स्थानों में घोड़े उपलब्ध हैं, तथापि मेरा सुझाव है कि आप पैदल जाएँ। कुछ कुछ अंतराल पर जलपान गृह उपलब्ध हैं। इन्टरनेट, संचार सुविधाओं में कमतरता के कारण, लगभग सभी स्थानों में नगद भुगतान करना पड़ता है। इन अवलोकन बिन्दुओं तक जाने में असुविधा ना हो, इसके लिए इस क्षेत्र का मानचित्र साथ रखें।
माथेरान रेल स्थानक
आपको आश्चर्य होगा लेकिन यह सत्य है कि माथेरान के दर्शनीय स्थलों में प्रथम नाम माथेरान रेल स्थानक का है। यह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। माथेरान रेल स्थानक मुख्य बाजार में स्थित है। यह एक निराला रेल स्थानक है जिसकी पुरातनता आकर्षित करती है। इसमें केवल दो मीटर गेज की लाइनें हैं। यदि आपको रेलों में रूचि है तो आप रेल के इंजन भी देखिये। सन् २००५ की बाढ़ में इन लाइनों को भारी क्षति पहुँची थी। अनवरत सुधार एवं नवीनीकरण के पश्चात इन लाइनों को २००७ में पुनः कार्यान्वित किया गया। शिमला, दार्जीलिंग एवं ऊटी के टॉय ट्रेनों के विपरीत माथेरान रेल अब तक यूनेस्को विश्व धरोहर की सूची में अपना नाम अंकित नहीं कर पाया है।
हाट की गलियाँ
रेल स्थानक के चारों ओर माथेरान का हृदय बसता है, जी हाँ, यह माथेरान का हाट या बाजार है। आप जब यहाँ भ्रमण करेंगे, आपको अनेक दुकानें, क्रीड़ा स्थल, जलपानगृह, कैफे, होटल आदि दिखाई देंगे। कई पर्यटक ऐसे हैं जिन्हें हाट के आसपास ठहरना रुचिकर लगता है। वे यहाँ संध्या के पश्चात भी आसानी से भ्रमण कर सकते हैं। सांयकालीन बाजार की दुकानें ६ बजे से रात ११ बजे तक खुली रहती हैं। यहाँ की चहल-पहल देखने एवं अनुभव करने योग्य है।
सप्ताह के दिवसों में सभी दुकानें नहीं खुलती हैं। क्योंकि माथेरान में अधिकतर पर्यटक सप्ताहांत में ही आते हैं। यदि आप सप्ताह के दिनों में यहाँ आते हैं, तब भी आप यहाँ की वैशिष्ठ्य पूर्ण स्मारिकाएं क्रय कर सकते हैं तथा स्थानीय व्यंजनों का आस्वाद ले सकते हैं। मैंने सप्ताह के दिनों में माथेरान आना अधिक योग्य जाना था तथा मैंने भी स्थानीय व्यंजनों का भरपूर आस्वाद लिया था।
एक विशेष वस्तु है जो केवल माथेरान में ही उपलब्ध है। नन्हा सा जूता जिसे आप भित्ति पर चिपका सकते हैं। बचे-खुचे चमड़े से बनाए गए ये रंगबिरंगे जूते अंगुली के आकार के होते हैं तथा अत्यंत सुन्दर दिखते हैं। आपके उपयोग के लिए यहाँ उत्तम गुणवत्ता के चमड़े के जूते भी बिकते हैं। चमड़े द्वारा निर्मित अन्य वस्तुएं भी उत्तम दरों में उपलब्ध हैं, जैसे बेल्ट आदि। मुझे मीठा खाना भाता है। इसलिए मैंने यहाँ से चॉकलेट एवं भिन्न भिन्न स्वादों की चिक्की क्रय की। यहाँ चिक्की, फज, जुजुब्स तथा अंजीर मिठाई आदि की अनेक दुकानें हैं।
शार्लोट झील
मैं जब भी उत्कृष्ट परिदृश्यों के चित्र देखती थी तो सोचती थी कि क्या वास्तव में ऐसे मनोरम स्थल कहीं होते हैं! शार्लोट झील ऐसा ही एक अप्रतिम मनोरम स्थान है। मैं यहाँ तक कहना चाहूंगी कि उन चित्रों में से कोई भी परिदृश्य शार्लोट झील के परिदृश्य को मात नहीं दे सकता। इसका निर्मल स्वच्छ जल, नीला आकाश तथा चारों ओर से इसको घेरते वृक्षों की हरियाली अप्रतिम दृश्य प्रस्तुत करते हैं।
स्थानीय जनता के पेयजल की आपूर्ति के लिए शार्लोट झील का जल प्रमुख स्त्रोत है। इसलिए इसमें उतरना, तैरना अथवा इस प्रकार का कोई भी क्रियाकलाप निषिद्ध है। शार्लोट झील के लिए जल का स्त्रोत एक बाँध है। झील तक पहुँचने का मार्ग घने वन से होकर जाता है। यह उन पर्यटकों के लिये आदर्श स्थल है जो प्रकृति के सानिध्य में कुछ क्षण शान्ति से व्यतीत करना चाहते हैं। घने वन में आपको अनेक पक्षियों के भी दर्शन होंगे।
पिशरनाथ महादेव मंदिर
शार्लोट झील से कुछ आगे बढ़ते ही एक पुरातन मंदिर है, पिशरनाथ महादेव मंदिर। वे माथेरान के अधिष्ठात्र देवता है। इस मंदिर में स्थित शिवलिंग को स्वयंभू लिंग माना जाता है। अन्य मंदिरों के विपरीत इस मंदिर में शिवलिंग पर सिन्दूर का लेपन किया जाता है।
ऐसी मान्यता है कि यह मंदिर यहाँ पर अनादि काल से है। पर्यटन बिन्दुओं के मध्य स्थित होने के पश्चात भी जब मैंने मंदिर के भीतर प्रवेश किया, मुझे निस्तब्धता का, पूर्ण शान्ति का अनुभव हुआ। वह अनुभव ऐसा था मानो यह धरती कुछ क्षणों के लिए गतिविहीन हो गयी हो।
ओलिम्पिया रेस कोर्स
माथेरान में सर्वाधिक लोकप्रिय पर्यटन बिन्दुओं में एक है, ओलिम्पिया रेस कोर्स। यह एक धरोहर संरचना है जहां आज भी घोड़ों की दौड़ का आयोजन किया जाता है। मैंने फरवरी के अंत में माथेरान का भ्रमण किया था। तब वहां घुड़दौड़ के अनेक आयोजन हो रहे थे। किन्तु मेरे पास समय की कमी होने के कारण मैं वहां नहीं जा पायी।
होली क्रॉस गिरिजाघर
जब अंग्रेजों ने माथेरान की पुनः खोज की थी, तब सन् १८५३ में इस होली क्रॉस गिरिजाघर की स्थापना की गयी थी। सन् १९०६ में इसका नवीनीकरण भी किया गया था। सन् १९४७ तक यहाँ एक रहवासी पादरी थे। इसके पश्चात भायखला, मुंबई के आवर लेडी ऑफ ग्लोरी गिरिजाघर के पादरियों ने इस गिरिजाघर में सेवायें प्रदान करना आरंभ किया।
माथेरान में ट्रैकिंग/ पदभ्रमण
यदि आप एक अनुभवी ट्रेकर हैं तो आप प्रबलगढ़ एवं विकटगढ़ तक की पदयात्रा या ट्रैकिंग कर सकते हैं। इन दोनों दुर्गों का मराठा शासन काल में महत्वपूर्ण स्थान था। प्रबलगढ़ दुर्ग का प्रयोग कूटनीतिक सैन्य अभियानों में किया जाता था। वहीं, विकटगढ़ का प्रयोग अनाज संग्रहण के लिए किया जाता था।
ट्रेकिंग करने के लिए गाइड उपलब्ध हैं जो आपका मार्गदर्शन करते हुए आपको इच्छित दुर्ग तक ले जाकर वापिस ले आयेंगे। माथेरान की तलहटी पर कुछ आदिवासी गाँव हैं। आप चाहें तो इन गाँवों के दर्शन कर सकते हैं, उनकी संस्कृति एवं परम्पराओं को जानने व समझने का प्रयत्न कर सकते हैं तथा स्थानीय हस्तशिल्प की वस्तुओं का क्रय कर सकते हैं।
माथेरान पर्वतीय क्षेत्र के मूल निवासी
मैंने जब से यात्राएं आरम्भ की हैं, मैंने इससे पूर्व कभी इतने विनम्र एवं सादे-सरल लोग नहीं देखे, जो मैंने यहाँ देखे। हाथगाड़ी हांकने वाले से लेकर दुकानदार तक, सभी इतने समंजक व मिलनसार प्रतीत हुए। वे सभी पर्यटकों की सहायता करने के लिए तत्पर रहते थे। अधिकतर निवासी वारली, ठाकर एवं कातकरी जनजाति के लोग हैं जो माथेरान के पर्वतों की तलहटी में स्थित, पास के गाँवों में रहते हैं। वे प्रतिदिन दो घंटे पहाड़ी रास्तों से चढ़ते हुए माथेरान पहुँचते हैं तथा अपना दैनिक व्यावसायिक क्रियाकलाप करते हैं।
माथेरान में इकलौता वाहन जो मैंने देखा, वह एक रुग्णवाहिका थी। यहाँ एक सर्व सुविधा संपन्न अस्पताल भी है। अब तक शहरी वातावरण की चकाचौंध में मैं धुंधले आकाश को देखने में अभ्यस्त थी। माथेरान के स्वच्छ वातावरण में तारों से भरे आकाश को देखना मेरे लिए एक अद्भुत अविस्मरणीय अनुभव था। यह एक ऐसी नगरी है जहां पुरातनता का आधुनिकता से मेल होता है। यहाँ आकर आप अपने ऊपरी आडंबरों से मुक्त होकर भीतरी शान्ति को अनुभव कर सकते हैं।
यह संस्करण IndiTales Internship Program के लिए अक्षया विजय ने लिखा है तथा इंडीटेल ने प्रकाशित किया है।