जब भी भारतीय संसद में संसदीय सत्र चल रहा हो अथवा प्रश्नोत्तर काल हो या बजट सत्र चल रहा हो तो हम में से अधिकाँश देशवासियों की दृष्टि, संसद भवन की कार्यवाही देखने के लिए दूरदर्शन अथवा अन्य माध्यमों पर केन्द्रित होती हैं। ध्यान संसदीय गतिविधियों एवं हमारे जीवन पर उनके परिणामों के प्रभावों पर केन्द्रित होता है। कुछ नवीन अध्यादेश जारी किये जाते हैं, कुछ में परिवर्तन किये जाते हैं, बजट सत्र में कर दरों में परिवर्तन किये जाते हैं, वस्तुओं एवं उत्पादनों पर कर लगाए अथवा हटाये जाते हैं, जिससे वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि अथवा कमी होती है।
इन सब का हमारे जीवन पर कम या अधिक प्रमाण में प्रभाव पड़ता है। कुछ वस्तुओं के क्रय त्वरित किये जाते हैं तो कुछ के क्रय को हम कुछ समय के लिए टाल देते हैं। इन सब के विषय में जानने के लिए हमारी दृष्टि संचार माध्यमों पर गढ़ी रहती हैं जहाँ संसद भवन के भीतर नेताओं को विभिन्न विषयों पर चर्चा करते दिखाया जाता है।
भारतीय संसद भवन का भ्रमण
संचार माध्यम पर संसद भवन के चित्र देखते ही मुझे मेरे राज्य सभा दर्शन का स्मरण हो आया। मेरे ध्यान में आया कि मैंने उसके विषय में अपने संस्मरण लिखे ही नहीं हैं। यद्यपि संसद भवन, लोक सभा अथवा राज्य सभा कोई पर्यटन गंतव्य नहीं है, किन्तु मुझे यह कहने में गर्व अनुभव हो रहा है कि इनके दर्शन किसी भी पर्यटन गंतव्य के भ्रमण या दर्शन की तुलना में कम भी नहीं है।
कदाचित आपको यह ज्ञात ना हो, आप संसद भवन के दर्शन करने जा सकते हैं। दर्शक दीर्घा में बैठकर संसद की कार्यवाही देख सकते हैं। १० वर्ष की आयु से नीचे के दर्शकों को संसद भवन के भीतर जाने की अनुमति नहीं है, उससे अधिक आयु के दर्शक संसद में जा सकते हैं।
संसद भवन परिसर में राज्य सभा दर्शन का प्रवेश पत्र प्राप्त करने के लिए आवश्यक व्यवहार का विस्तृत विवरण, राज्य सभा के वेबस्थल पर उपलब्ध है। लोक सभा दर्शन के प्रवेश पत्र के लिए, इसी प्रकार के आवश्यक व्यवहार का विवरण प्राप्त करने में मुझे गूगल देवता ने कोई सहायता नहीं की। मेरे अनुमान से उसकी प्रक्रिया भिन्न नहीं होगी।
एक आवश्यकता यह है कि संसद का कोई सदस्य अथवा राज्य सभा का कोई अधिकारी आपका परिचित होना चाहिए। वे आपके लिए आगंतुक प्रवेश पत्र प्राप्त करने के लिए आपकी ओर से निवेदन प्रस्तुत करेंगे जिसके द्वारा आपको संसद में प्रवेश मिलेगा।
दर्शक दीर्घाएं
राज्य सभा के भवन के प्रथम तल पर अनेक दीर्घाएं हैं जो सभासदों के कक्ष के ऊपर स्थित है। वहाँ से सभा के क्रियाकलापों का अवलोकन किया जा सकता है। आम जनता के लिए नियत दर्शक दीर्घा के अतिरिक्त पाँच अन्य दीर्घाएं हैं। पत्रकारों एवं संवाददाताओं के लिए पत्रकार दीर्घा है। विधायकों, संसद सदस्यों के पतियों अथवा पत्नियों तथा अन्य सार्वजनिक गणमान्य व्यक्तियों के लिए विशिष्ट आगंतुक दीर्घा है।
राज्यसभा की कार्यवाही को देखने के लिए आये लोकसभा के सदस्यों के लिए लोकसभा सदस्य दीर्घा है। एक विशेष दीर्घा राज्यों के राज्यपालों, राष्ट्रपति के अतिथियों, अन्य आमंत्रित राज्य प्रमुखों के लिए निहित की गयी है। एक अधिकारी दीर्घा है जो उन सरकारी अधिकारियों के लिए है जिन्हें सभा की आवश्यक चर्चाओं में भाग लेने ले लिए बुलाया जाता है।
और पढ़ें – आधुनिक दिल्ली के प्राचीन मंदिर जो आज भी जीवंत हैं
एक आम नागरिक होने के नाते हमारे लिए आम दर्शक दीर्घा में बैठने की सुविधा होती है। इस दीर्घा में १६० दर्शकों के बैठने की व्यवस्था है। इस दीर्घा में बैठने के लिए प्रवेश पत्र दिया जाता है जो केवल एक घंटे की अवधि के लिए होता है। प्रवेश पत्र में समयावधि इंगित रहती है।
राज्यसभा दर्शन का अनुभव
यूँ तो आप राज्य सभा की सम्पूर्ण जीवंत कार्यवाही को दूरदर्शन पर उत्तम रीति से देख सकते हैं। देख सकते हैं कि किस प्रकार हमारे चयनित सांसद सभी समस्याओं के निवारण का प्रयास करते हैं, नवीन प्रकल्पों के लिए प्रयत्नरत रहते हैं, आदि। किन्तु वहाँ व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर, उन्ही के साथ एक ही भवन में बैठकर यह सब देखना स्वयं में एक रोमांचक अनुभव होता है।
सदस्यों द्वारा पालन किया जाने वाला औपचारिक शिष्टाचार देखना मेरे लिए अत्यंत अनूठा था। वे सभी सभा के अध्यक्ष को संबोधित करते हुए अपने विचार रखते हैं। राज्यसभा में सभाध्यक्ष भारत के उप-राष्ट्रपति होते हैं। वे आपस में चर्चा करते हुए भी सभाध्यक्ष को संबोधित करते हुए, उनके माध्यम से ही चर्चा करते हैं। उन्हें देख मुझे शाला की कक्षा का स्मरण हो आया जहाँ एक समान बेंचों में विराजमान विद्यार्थियों को आपस में वार्तालाप करने की अनुमति नहीं होती है। वे केवल अपने शिक्षक/शिक्षिका के माध्यम से ही आपस में चर्चा कर सकते हैं।
अनुवाद
सभा की एक अन्य अनूठी विशेषता है कान में सुनने के यंत्र, हैडफोन। सभा की कार्यवाही जिस भाषा में हो रही है, उस भाषा के अतिरिक्त किसी भाषा में चर्चा को सुनने के लिए आप इनका प्रयोग कर सकते हैं। आप अपने अनुसार भाषा का चयन कर सकते हैं। सभा में ही कहीं विशेष अनुवादक बैठे होते हैं जो सभा की कार्यवाही का जीवंत अनुवाद करते हैं जिसे हम इन यत्रों के द्वारा कान में सीधे सुन सकते हैं।
वे अनुवाद में इतने दक्ष होते हैं कि आप को यह आभास भी नहीं होगा कि सदस्य किसी अन्य भाषा में संवाद कर रहे हैं। कई बार सदस्य अपने स्थानीय भाषा में संवाद करते हैं जो सभा के अधिकाँश सदस्यों के लिए समझना संभव नहीं होता है। आपको जिस भाषा में सुनना है, आप उसके अनुसार संख्या क्रमांक का चयन कर सुन सकते हैं।
और पढ़ें – नयी दिल्ली का राष्ट्रीय संग्रहालय- १० मुख्य आकर्षण
मुझे इस भव्य इमारत के चारों ओर स्थित, स्तंभों से अलंकृत, गलियारों में भ्रमण करना भी अत्यंत भाया। संसद भवन को चित्रों में हमने अनेक अवसरों पर देखा है। किन्तु उसमें प्रत्यक्ष भ्रमण करना अत्यंत रोमांचकारी था। यह एक भव्य व विशाल संरचना है जिसके चारों ओर चौड़ा गलियारा है। उद्यान में महात्मा गांधी की विशाल प्रतिमा है। उनकी प्रतिमा को देख एक विचार मन में कौंधा, आज वे जीवित होते तो वे इस पाषाणी प्रतिमा में नहीं, अपितु संसद भवन के भीतर होते।
संसद भवन के आगंतुकों/दर्शकों के लिए शिष्टाचार
दर्शक दीर्घा तक पहुँचने तक आपको जो सुरक्षा जांच की प्रक्रियाओं से जाना पड़ेगा, उनके विषय में आपको बताना चाहती हूँ। आपको अपने साथ कुछ भी ले जाने की अनुमति नहीं है। मोबाइल फोन नहीं, कैमरा नहीं, पेन व कागज नहीं। कदाचित एक छोटा बटुआ जिसमें केवल कुछ पैसे हों, आप ले जा सकते हैं।
आपकी वस्तुओं को सुरक्षित रखने के लिए संग्रह खिड़कियाँ हैं जहाँ आप अपने व्यक्तिगत सामान को रख सकते हैं। किन्तु आप अपनी वस्तुओं को गाड़ी में अथवा घर पर ही छोड़ दें तो उत्तम होगा।
अनेक स्थानों पर, प्रत्येक तल पर सुरक्षा कर्मचारियों द्वारा आपकी सुरक्षा जाँच होगी। भवन के भीतर भी बैठने के शिष्टाचार होते हैं। आपको सावधान मुद्रा में ही बैठना आवश्यक है। आप विश्राम मुद्रा में, पीठ झुकाकर, एक पर एक पैर डालकर आदि नहीं बैठ सकते। इसके अतिरिक्त, अधिक हिलने-डुलने की भी अनुमति नहीं होती है।
यदि आप अनभिज्ञता से भी इनमें से कोई भी प्रतिबंधित व्यवहार करते हैं तो आपको तुरंत सूचित किया जाएगा। आपसे सम्पूर्ण शान्ति की अपेक्षा की जाती है। इसका अर्थ है, आप स्वयं पूर्णतः शान्ति बनाते हुए नीचे निर्वाचित सदस्यों द्वारा मचाये शोरगुल को सुनें, यह अपेक्षा की जाती है।
और पढ़ें – पुरानी दिल्ली की गलियों के 10 प्रसिद्ध बाजार
मैं जब राज्य सभा की कार्यवाही के दर्शन करने यहाँ आयी थी, तब वहाँ प्रश्नोत्तर काल चल रहा था। कुछ प्रश्नों के उपरांत विपक्षी दल के सदस्य सभा का बहिष्कार करते हुए बाहर चले गए थे। मुझे अनेक राजनैतिक नेताओं को देखने का अवसर मिला। वहाँ कुछ व्यापारी गण एवं चित्रपट के सितारे भी उपस्थित थे। दर्शन के उपरांत हमें राज्य सभा की एक स्मरिका भी भेंट स्वरूप दी गयी।
राज्यसभा का दर्शन एक अनोखा अनुभव था। विद्यालय में सामाजिक विज्ञान की कक्षाओं एवं पुस्तकों से राज्यसभा के विषय में जो ज्ञान प्राप्त हुआ था, उसे प्रत्यक्ष देखना व अनुभव करना अत्यंत रोमांचकारी था।
आप यहाँ पर संसद संग्रहालय एवं संसद पुस्तकालय भी देख सकते हैं।
संसद टीवी पर मेरा साक्षात्कार
गत वर्ष मुझे संसद टीवी के कार्यक्रम इतिहास में भाग लेने का सुअवसर प्राप्त हुआ। मुझे भारत के मंदिरों पर बात करने के लिए आमंत्रित किया गया था। इस बार मुझे संसद भवन का स्टूडियो देखने को मिला। आप मेरा साक्षात्कार यहाँ देख सकते हैं।