बिहार – जिसे एक गरीब प्रदेश के रूप में दर्शाया जाता है और इतना गरीब कि वहां के लोगों के पास खाने-पीने तक के लिए कुछ भी नहीं है। यहां के नियम कानून भी न जाने कहां खो गए हैं। आप हर समय जैसे किसी अज्ञात भय से घिरे रहते हैं, जैसे कि घर से बाहर कदम रखते ही कोई आपका वध कर देगा या फिर आपका अपहरण कर लेगा। और जुर्म तो यहां पर इस प्रकार बढ़ रहा है, जैसे कि हर कोई अपने हाथों में बंदूक लिए घूमता हो। लेकिन इस पूरे चित्र से परे बिहार का यथार्थ कुछ अलग ही है।
बिहार के लोगों का जीवन बहुत ही सीधा-साधा और साफ-सुथरा है, खास कर यहां का ग्रामीण जीवन। यहां के लोग शहर के लोगों की तरह बहुत ज्यादा अमीर तो नहीं हैं, लेकिन वे इतने गरीब भी नहीं हैं, कि अपने लिए खाने-पीने का प्रबंध ना कर सके। यहां की सड़कें जो हाल ही में बनवाई गई हैं, इस क्षेत्र में हो रहे विकास का जीता-जागता उदाहरण है। लेकिन देश के अन्य भागों की सड़कों की तुलना में, जो हमेशा व्यस्त रहती है, यहां की सड़कें आपको शांत दिखाई देती हैं। इन सड़कों पर आपको ज्यादा भीड़ नहीं मिलती और आप आराम से गाड़ी चला सकते हैं।
यहां पर आप लड़कियों को साइकिल से स्कूल और कोचिंग सेंटरों में जाते हुए देख सकते हैं। तथा यहां की औरतें भी बिना किसी पर्दे के रोज़ की तरह अपना काम करती हुई नज़र आती हैं। बिहार के अन्य लोग भी बिना किसी डर के अपने घरों से बाहर निकलकर अपने रोज़ मर्रा के कामों में व्यस्थ दिखाई देते हैं। अगर आप यहां की बसों में यात्रा करेंगे तो वे आपको हमेशा लोगों से भरी हुई मिलेंगी। बस में तो लोग होते ही हैं, इसके अलावा आपको बस के ऊपर भी लोग बैठे हुए नज़र आते हैं।
बिहारी थाठ
बिहार की इस यात्रा से मैंने एक बात तो जान ली कि यहां के लोगों को अपने बिहारी होने पर बहुत ज्यादा गर्व है। उनके आचार-विचारों में बिहारीपन का वह थाठ साफ झलकता है। मुझे वहां के कुछ सरकारी कर्मचारियों और राह-चलते लोगों से बातें करने का भी मौका मिला। उनसे बातें करके मुझे लगा कि बिहार के भविष्य को लेकर यहां के लोग बहुत सकारात्मक सोच रखते हैं। वे इस सत्य को तो मानते ही हैं कि विकास की इस दौड़ में वे काफी पीछे रह गए हैं। लेकिन उन्हें इस बात पर भी विश्वास है कि अब उनका आगे बढ़ने का समय आ गया है और यहां से पीछे मुड़कर देखना अब संभव नहीं है। यह देखकर मैं मन ही मन में सोचने लगी कि, कहीं पर कुछ तो गलत है, इस बात को समझना ही सकारात्मक बदलाव की ओर बढ़ाया गया पहला कदम है। बिहार में मैं जिस किसी से मिली मुझे हर बार यही महसूस हुआ कि ये लोग अपने भूतकाल को पीछे छोड़ एक उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ना चाहते हैं। देश को विकास की ओर बढ़ता देख, उसका भाग होने के बावजूद भी अपनी इस परिस्थिति को लेकर वे निराश हैं। लेकिन उन्हें अपने पिछड़ेपन के कारण कोई शर्म महसूस नहीं होती।
बिहार में बन रही नयी सड़कों को लेकर यहां के लोग बहुत खुश हैं। जिस भी रास्ते से हम जा रहे थे, उन सभी पर मरम्मत का काम चल रहा था। इसके अतिरिक्त बिहार की सबसे बड़ी समस्या है, बिजली की समस्या। आज भी यहां के अधिकतर घरों में 24 घंटे बिजली नहीं होती। हालांकि बोध गया यहां का एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जो पूरे बिहार से काफी अलग है। और बिहार का प्रमुख पर्यटन स्थल होने के नाते यहां पर सभी सुविधाएं उपलब्ध होती हैं। यह एक ऐसा प्रदेश है जो पिछड़ा हुआ होने के बावजूद भी वर्तमान की नवीनतम तकनीकों को अपनाकर अपनी परिस्थितियों में सुधार लाने का प्रयास कर रहा है। और सच तो यह है कि, अपनी गलतियों से सीखना ही सबसे बड़ी सीख है।
सोलर पावर
स्थानीय बिजली की समस्या को सुलझाने के लिए बिहार ने अब सोलर पावर का इस्तेमाल करना शुरू किया है। हर पर्यटन स्थल पर हमे ये छोटे-छोटे सोलर पेनल्स दिखे जो उस जगह की छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने हेतु बहुत लाभदायक थे। यहां के हर स्मारक और साग्रहालय के आस-पास सोलर पेनल्स लगाए गए हैं। पर शुक्र है कि सोलर पेनल्स लगाने का यह तरीका इन जगहों की सुंदरता को भंग नहीं करता। ये पेनल्स कुछ इस प्रकार लगाए गए हैं कि वे उस जगह की निर्माण शैली में अपने-आप ढल जाते हैं।
बिहार के स्मारक और संग्रहालय
बिहार का प्रत्येक स्मारक और संग्रहालय हरे-भरे और सुंदर बगीचों से घिरा हुआ है। हर जगह पर मौसमी फूल अपने आगंतुकों का स्वागत करते हुए दिखाई देते हैं। यहां की जमीन का उपजाऊपन यहां फूलों और पत्तों में साफ झलकता है, जो कि शहरों में पाये जाने वाले फूलों और पत्तों से आकार में काफी बड़े थे। देश के अन्य किसी भी महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल के चारों ओर आपको इतने सुंदर और इतनी अच्छी तरह से पोषित बगीचे नहीं मिल सकते। यहां के स्वस्थान पर मौजूद संग्रहालय दर्शकों को अपने वैभवपूर्ण दिनों की महान गाथा बयां करते हुए नज़र आते हैं।
हम हमेशा सोचते थे कि कैसे बिहार के इतने सारे उम्मीदवार देश की प्रतिष्ठित शिक्षात्मक संस्थाओं और नागरिक सेवाओं में अपना नाम रोशन करते हैं। लेकिन यहां आने के बाद मुझे मेरे इस सवाल का जवाब भी मिल गया। यह सब इसलिए मुमकिन हो पाया है क्योंकि, बिहार में शिक्षा को बहुत महत्व दिया जाता है। यहां के दूरस्थ क्षेत्रों में भी आपको बड़े सुंदर और किताबों से परिपूर्ण पुस्तकालय मिलेंगे। हम यहां पर जितने भी लोगों से मिले थे, उनमें से अधिकतर स्नातकोत्तर उपाधि वाले थे या फिर पी.एच.डी. किए हुए थे। इन लोगों ने हम से अपने विषयों पर, किताबों के बारे में और सामान्य रूप से जीवन के बारे में ढेर सारी बातें की।
और पढ़ें – बोध गया – जहाँ बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ
बिहार के स्वादिष्ट व्यंजन
बिहार के लोगों ने अभी तक अपनी स्थानीय खासियतों को व्यापार का रूप नहीं दिया है, जिसकी वजह से आज तक उनके विशेष व्यंजन यहां के स्थानीय क्षेत्रों तक ही सीमित हैं। यहां तक कि, अगर आपको बिहार के कोई खास व्यंजन खाने हो तो उसके लिए आपको उसी विशेष नगर या गाँव में जाना पड़ता है। हमने यहां पर पटना का लिट्टी चोखा, जेहानाबाद की लाई, सिलाओ का खाजा और गया का तिलकुट बड़े स्वाद और मजे से खाया।
बिहार के बारे में जो लोग मीडिया द्वारा निर्मित चित्र के संबंध में पूर्व-निर्धारित राय रखते हैं, उन्हें कम से कम एक बार तो बिहार जाकर वहां की वास्तविकता और लोकजीवन की प्रचुरता को स्वयं महसूस करना चाहिए।