क्या महिलाओं के लिए यात्राएं सुरक्षित हैं?
क्या भारत में अकेले यात्रा करना सुरक्षित है?
क्या भारत में अकेले यात्रा करना महिला यात्रियों के लिए सुरक्षित है?
क्या यह विश्व अकेले यात्रा करने के लिए सुरक्षित है? विशेषतः महिला यात्रियों के लिए?
मैं एक यात्रा ब्लॉगर हूँ। यात्राएं करती रहती हूँ तथा उन पर यात्रा संस्करण लिखती हूँ। मैं बहुधा अकेले ही यात्रा करती हूँ। इसलिए मैं जब भी इस विषय में किसी से चर्चा करती हूँ या सार्वजनिक सभाओं को संबोधित करती हूँ, तब अनेक लोग मुझसे ऐसे प्रश्न अवश्य पूछते हैं। यह सामान्यतः दूसरा सर्वाधिक पूछा जाने वाला प्रश्न है।
सर्वाधिक पूछा जाने वाला प्रश्न है, आप यात्रा संस्करणों से अपनी जीविका कैसे अर्जित करती है? यदि आपको इस प्रश्न का उत्तर चाहिए तो इसमें गूगल आपकी सहायता कर सकता है। जहां तक यात्रा में सुरक्षितता का प्रश्न है, लोगों की विभिन्न धारणाएं हैं जो सामान्यतः उनके सांस्कृतिक परिवेश द्वारा निर्देशित होती हैं।
एकल महिला यात्रियों के लिए सुरक्षित यात्रा पर एक संगोष्ठी
मैंने हैदराबाद में महिलाओं के लिए आयोजित राष्ट्रीय शिखर सम्मलेन, २०१८ में ‘एकल महिला यात्रियों के लिए सुरक्षित यात्रा’ इस विषय पर एक व्याख्यान दिया था। उसी व्याख्यन को आपसे साझा कर रही हूँ।
सुरक्षा के विषय में मेरा यह कहना है कि यह विश्व उतना ही सुरक्षित अथवा असुरक्षित है जितना कि आपका स्वयं का गृहनगर। महिलाओं के प्रति अधिकतर अत्याचार अपरिचित वातावरण की तुलना में उनके अपने परिवेश में अधिक होते हैं। यदि आप आंकड़ों का विश्लेषण करें तो आप स्वयं को उन अपरिचितों के मध्य अधिक सुरक्षित अनुभव करेंगे जिनके पास सामान्य परिस्थितियों में आपको हानि पहुँचाने का कोई प्रयोजन नहीं है। किन्तु दंगों अथवा चरमपंथी गतिविधियों में कोई नियम लागू नहीं होता है।
आंकड़ों के आधार पर ऐसा कहने के पश्चात भी मैं यही कहूंगी कि सावधान व सतर्क रहना सदा ही उतम होता है। यहाँ मैं अपने अनुभव से आपके लिए कुछ व्यवहारिक सुझाव लाई हूँ जो यात्रा के समय आपको सुरक्षित रखने में सहायक हो सकते हैं।
०१ अपने परिवेश में समाहित हो जाएँ
आप जहां भी जाएँ, अपने आसपास के परिवेश से आप जितना अधिक भिन्न देखेंगे अथवा भिन्न कृत्य करेंगे, उतना ही अधिक आप लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करेंगे। उतना ही अधिक संकट के प्रति असुरक्षित होंगे। उतना ही अधिक आप असामाजिक तत्वों की दृष्टि में आयेंगे। जितना अधिक आप अपनी यात्रा गंतव्य एवं वहां के निवासियों के परिवेश में स्वयं को ढाल पायेंगे, उतनी ही आसानी से आप स्थानीय लोगों से जुड़ पायेंगे। यह आपको वहां की संस्कृति एवं परिवेश को समझने में भी सहायक होगा।
अपने गंतव्य के परिवेश में स्वयं को कैसे ढालें? सर्वप्रथम, दृष्टिगत रूप से उनके परिवेश में समाने की चेष्टा करें क्योंकि सर्व प्रथम किसी भी व्यक्ति का बाहरी रूप लोगों को आकर्षित करता है। जितना हो सके, स्थानिकों जैसे परिधानों को धारण करें। यदि वहां के परिधान अत्यंत क्षेत्रीय हैं तो आप ऐसे परिधान धारण करें जिन्हें वैश्विक रूप से मान्यता प्राप्त है।
जब भी आपको इस विषय में शंका हो तो आप ऐसे परिधान धारण करें जो आपको अधिक से अधिक ढंक सके। स्थानिकों के समान वस्त्र धारण करना उन्हें यह भी दर्शाता है कि आप उनके परिवेश में स्वयं को ढलने का प्रयास कर रहे हैं। चाहे वह केवल उस काल के लिए ही क्यों ना हो।
स्थानिकों में समाने के लिए दूसरा सुझाव यह है कि आप उनकी क्षेत्रीय भाषा के कुछ शब्द सीख लें। यह उनके भीतर आपके प्रति विश्वास जागृत करने में अत्यंत सहायक होता है। वे भले ही आपके उच्चारण पर हँसे, किन्तु उन्हें आपको देख अवश्य आनंद होगा कि आप उनकी संस्कृति को जानने का प्रयास कर रहे हैं।
०२ आदर – सुरक्षित यात्रा का एक आपका सर्वोत्तम अस्त्र
आदर तथा सम्मान जादू के समान कार्य करता है। आप जितना आदर व सम्मान दूसरों को देंगे, आप भी उतना ही अधिक आदर व सम्मान पायेंगे। अनेक अवसरों पर ऐसा देखा गया है कि जब शहरी परिवेश से पर्यटक ग्रामीण परिवेश में जाते हैं अथवा विकसित देशों के पर्यटक विकासशील देशों की यात्रा करते हैं तब उनकी भावभंगिमाएं असम्मानजनक हो जाती हैं। आप चाहे जितना मृदु भाषी हो जाएँ, यदि आपकी भावनाएं सकारात्मक ना हों तो आपके हावभाव उनके प्रति आदर व सम्मान का भाव व्यक्त नहीं कर पायेंगे। आपकी यह प्रवृत्ति उनकी दृष्टि में आपको शंका के घेरे में ले आयेंगीं।
मेरे व्यक्तिगत अनुभव के अनुसार, यदि मैं स्थानिकों के प्रति आदर का भाव व्यक्त करूँ तो मैं एक प्रकार से उनके भीतर की संभावित नकारात्मक उर्जा से स्वयं को अवरुद्ध कर रही हूँ।
अनेक अवसरों में मेरे वाहन चालक ही मेरे सर्वोत्तम परिदर्शक (गाइड) सिद्ध हुए। जबकि उनका कार्य केवल वाहन चलाना होता था। ऐसा करने की प्रेरणा उन्हें तभी मिल सकती है जब हम गंतव्य के विषय में उनकी जानकारी का सम्मान करें। उनके साथ आदर का व्यवहार करें।
०३ अपने अंतर्मन की सुनें
आप मानें या ना माने, हमारा अंतर्मन हमें आने वाले संकट का संकेत देता है। उसकी उपेक्षा ना करें, भले ही आपको कुछ ऐसा कार्यकलाप छोड़ना पड़े जिसकी आपको तीव्र अभिलाषा हो। मुझे स्मरण है, मैं कुरुक्षेत्र के ज्योतिसर में दृश्य व ध्वनी कार्यक्रम देखना चाहती थी। जब मैं अपनी एक सखी के संग वहां पहुँची, हमें भीतर से यह तीव्र आभास हुआ कि हमें वहां से तुरंत चले जाना चाहिए। वहां हमारे अतिरिक्त कोई नहीं था तथा वहां का वातावरण भयावह प्रतीत हो रहा था। कार्यक्रम ना देख पाने के कारण हम निराश हो रहे थे किन्तु इसके पश्चात भी हम वापिस अपने होटल आ गए।
आप को जब भी अपने आसपास के वातावरण में अथवा किसी से व्यवहार करते हुए तनाव का तनिक भी आभास हो तो वहां से तुरंत चले जाईये तथा स्वयं को सुरक्षित कीजिये। अन्य आवश्यक औपचारिकताएं अपने घर अथवा होटल पहुँच कर पूर्ण की जा सकती हैं।
०४ संध्याकाल के कार्यक्रमों का सुनियोजन
मैं अपने सभी कार्यक्रम सदा दिन के उजाले में पूर्ण करना चाहती हूँ। मैं प्रातः शीघ्र उठकर अपने भ्रमण कार्यक्रमों का आरम्भ कर देती हूँ। संध्या के पश्चात में इतनी थक जाती हूँ कि विश्रामगृह से बाहर नहीं निकलती। विशेषतः जब मैं अकेले यात्रा पर जाती हूँ तब इसका विशेष रूप से पालन करती हूँ। मैं यह मानती हूँ कि अन्धकार में नकारात्मक उर्जायें अपनी चरम सीमा पर होती हैं। इसीलिए जब तक मेरे साथ कोई विश्वसनीय व्यक्ति अथवा समूह ना हो, मैं अन्धकार के पश्चात मैं होटल में ही रहती हूँ।
मैं यह नहीं कहती कि आप प्रत्येक संध्या के पश्चात कक्ष के भीतर ही रहें, किन्तु गंतव्य के अनुसार विचारपूर्वक भ्रमण का सुनियोजन करें।
मदिरा उतनी ही जितनी आप सहन कर सकें
यह मेरा क्षेत्र नहीं है क्योंकि मैं मदिरा का सेवन नहीं करती हूँ। इसीलिए मुझे यह स्पष्टतः ज्ञात है कि इस विषय में कुछ कहना मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है।
किन्तु मैं यह भी देख रही हूँ कि इन दिनों अनेक नवयुवतियां एकल महिला यात्रियों से प्रेरणा लेकर भ्रमण कर रही हैं। किन्तु वे अपरात्रि मदिरा का आनंद लेने को भी इस भ्रमण का भाग मानती हैं।
यह एक काल्पनिक विवेचना है। ऐसे विचारों एवं विचारकों से दूरी बनाएं। वे स्वयं वास्तव में ऐसा ना भी करते हों, किसी निहित लाभ के चलते वे केवल एक काल्पनिक विश्व आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हों। ऐसे लेखक एक काल्पनिक संकल्पना को कथेतर साहित्य के रूप में आपके समक्ष प्रस्तुत करते हैं। अतः सोच समझ कर अपने निर्णय लें।
०५ अपने ठहरने का स्थान ध्यानपूर्वक चुनें
मेरी एकल यात्राओं में मैं यह सुनिश्चित करती हूँ कि मेरे ठहरने का स्थान, मेरा होटल अथवा विश्रामगृह किसी केंद्रीय स्थान पर हो, सार्वजनिक परिवहन के साधनों तथा अन्य आवश्यक सुविधाओं के समीप हो। ऐसे स्थान बहुधा भीड़भाड़ भरे होते हैं तथा यात्रियों एवं पर्यटकों की ओर सहज होते हैं।
इनके अतिरिक्त ऐसे स्थानों पर पर्यटकों के लिए आवश्यक सभी साधन तथा सुविधाएँ होती हैं। हाँ, यदि आप घर से दूर शांत वातावरण में कुछ दिवस आनंद से व्यतीत करना चाहते हों तो यह सबसे सही समाधान ना हो। किन्तु जब आप अकेले यात्रा कर रहे हों तो मेरे इस सुझाव से आपके समय एवं धन की बचत तो होगी ही, साथ ही आपकी व्यग्रता भी दूर होगी।
यदि मुझे कभी छुट्टियों में शांत स्थान पर कुछ समय आनंद से व्यतीत करने की इच्छा हो तो मैं बहुधा उच्च स्तर के होटलों में ठहरती हूँ जहां सुरक्षा की व्यवस्था एवं अन्य साधन उपलब्ध करना उन होटलों का अन्तर्निहित वैशिष्ट्य होता है। शुल्क में निहित उत्तरदायित्व होता है.
एक आदर्श विश्व में हम कहीं भी कुछ भी करने के लिए स्वतन्त्र हैं। यह आपका चुनाव है कि आप ऐसे विश्व की कल्पना के साकार होने तक की प्रतीक्षा करें या इसी विश्व के अनुसार स्वयं को ढालें ताकि आपकी यात्रा सुरक्षित एवं सुखमय हो। आपकी यात्रा का आनंद भी कम ना हो। मुझे दूसरा सुझाव स्वीकार्य है।