गंगटोक भारत के उत्तर-पूर्वी हिमालायी राज्य सिक्किम की राजधानी है। सिक्किम एक छोटा किन्तु अत्यंत मनोरम राज्य है। इस सुंदर राज्य में अनेक नयनाभिराम दर्शनीय स्थल हैं। गंगटोक एक शहरी क्षेत्र है। यह सड़क मार्ग द्वारा बागडोगरा विमानतल से जुड़े होने के कारण पर्यटकों का मनपसंद पर्यटन स्थल है। यहाँ के दर्शनीय स्थल मनोरम तो हैं ही, साथ ही विविध प्रकार के हैं। पुष्प-प्रदर्शन, बौद्ध मठ, हिमालय प्राणी उद्यान, तिब्बत अध्ययन संस्था, जलप्रपात, चहल-पहल से भरा महात्मा गांधी मार्ग जैसे विभिन्न प्रकार के आकर्षण यहाँ आपको तृप्त कर देंगें।
गंगटोक नगर के दर्शनीय स्थल
मेरे इस संस्करण का उद्देश्य है सिक्किम की राजधानी गंगटोक की यात्रा में सम्मिलित किये जा सकते कुछ लोकप्रिय दर्शनीय स्थलों के विषय में आप सब को अवगत कराना। इनमें कुछ स्थल गंगटोक नगरी के भीतर हैं तथा कुछ नगर के आसपास हैं जहां आप एक दिवसीय यात्रा के रूप में गाड़ी से जा सकते हैं। वहीं दूर दूर के स्थल आप नगर के आयोजित पर्यटन के द्वारा कर सकते हैं।
गंगटोक नगरी की पुष्प प्रदर्शनी
गंगटोक की सम्पूर्ण नगरी, वहाँ के निवासस्थान तथा सड़कें सभी सुंदर पुष्पों के पौधों से भरे हुए हैं। कुछ को धरती पर उगाया हुआ था वहीं कुछ गमले में आश्रय लिए हुए थे। यहाँ का वातावरण बागवानी के लिए अति उत्तम प्रतीत होता है। गंगटोक नगरी के मध्य में ही पुष्प प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है। रंगबिरंगे एवं भिन्न भिन्न प्रकार के पुष्पों को देखने के अवसर का लाभ आप अवश्य उठायें। यहाँ आप पुष्पों के ऐसे ऐसे प्रकार देखेंगे जो आपने जीवन में कभी नहीं देखे होंगे। ओर्किड के ही प्रकार देखकर आप दंग रह जाएंगे। सबसे अच्छी बात यह है कि यहाँ चित्रिकरण एवं छायाचित्रिकरण पर कोई पाबंदी नहीं है। प्रवेश शुल्क भी केवल नाममात्र है।
महात्मा गांधी मार्ग
नगर के केंद्र में महात्मा गांधी मार्ग अथवा एम जी मार्ग है जहां चहल कदमी करते हुए आप नगर की चहल पहल का आनंद उठा सकते हैं। यदि आकाश स्वच्छ हो तो आप हिमालय की कंचनजंगा चोटी भी देख सकते हैं।
इस मार्ग पर गाड़ियां चलाना प्रतिबंधित है। आप बिना किसी परेशानी के यहाँ पैदल चल सकते हैं। मार्ग के दोनों ओर खाने-पीने की कई दुकानें, स्मारिकाओं की दुकानें तथा कई अन्य दुकानें हैं। साथ चलते लोग इस सैर को और भी उल्हासित बना देते हैं।
नामग्याल तिब्बतशास्त्र संस्थान
नामग्याल तिब्बतशास्त्र संस्थान तिब्बती संग्रहालय है जो तिब्बती सभ्यता, धर्म, भाषा, कला व संस्कृति तथा इतिहास से संबंधित शोध कार्यों को बढ़ावा देता है एवं प्रायोजन करता है। संस्थान में थांग्का चित्रकारी, बौद्ध प्रार्थना की वस्तुएँ, बौद्ध धर्म से संबंधित वस्तुएँ, तिब्बती और संस्कृत में पांडुलिपियां इत्यादि के कई मौलिक व दुर्लभ संग्रह हैं।
दो द्रुल चोर्टेन स्तूप
दो द्रुल चोर्टेन स्तूप नामग्याल तिब्बतशास्त्र संस्थान के समीप स्थित है। मेरे अनुमान से यह स्तूप सिक्किम का विशालतम स्तूप है। इसके शिखर पर स्वर्ण पत्रों का आवरण है। चोर्टेन ल्हाखाँग एवं गुरु ल्हाखाँग दो द्रुल चोर्टेन को घेरे हुए हैं। दो द्रुल चोर्टेन के दर्शन कीजिए एवं प्रार्थना चक्रों को घूमाते हुए अपनी इष्ट इच्छा प्रकट कीजिए।
गंगटोक के आसपास दर्शनीय स्थल
गंगटोक नगर एक पर्वत की ढलान पर बसा हुआ है। इसके आसपास का क्षेत्र तथा पहाड़ियाँ अनेक आकर्षक दर्शनीय स्थलों से भरा हुआ है। इन पर्यटन स्थलों के अवलोकन के लिए आपको गाड़ी की आवश्यकता पड़ेगी। सार्वजनिक परिवहन सुविधाजनक नहीं है। गंगटोक नगर के आसपास के कुछ मनमोहक दर्शनीय स्थल आपको बताना चाहती हूँ।
बकथंग झरना
बनझाखरी झरने की ओर जाते मार्ग में स्थित यह एक छोटा झरना है। गंगटोक से लगभग ३ से ४ किलोमीटर दूर स्थित यह झरना मुख्य मार्ग पर ही है। यहाँ पर कुछ रोमांचक क्रीड़ाओं का भी आयोजन किया जाता है, जैसे रस्सी पर चढ़ना, रैपलिंग इत्यादि। पर्यटक सिक्किम की पारंपरिक वेशभूषा में सज्ज होकर अपने छायाचित्र भी ले सकते हैं।
पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यहाँ से चारों ओर का परिदृश्य अत्यंत मनोहारी होता है। आवश्यक है कि आकाश स्वच्छ हो। स्थानीय भाषा में ‘बक’ का अर्थ है वन अथवा जंगल तथा ‘थंग’ का अर्थ है मैदान। इस झरने के प्राकृतिक जल स्त्रोत का उद्गम इस स्थान के ऊपर स्थित घने जंगल में स्थित है। वन विभाग इस वनीय क्षेत्र को स्मृति बन के नाम से संरक्षित करता है। भंजकरी झरने की ओर जाते समय आप १५-२० मिनट यहाँ ठहर कर प्रकृति का आनंद ले सकते हैं।
बकथंग झरने का विडिओ
बकथंग झरने पर बना यह विडिओ अवश्य देखिए। सर्वोत्तम दर्शन के लिए एच डी मोड का प्रयोग करें।
बनझाकड़ी झरना
इस झरने को बनझाकड़ी अथवा बन झकरी झरना भी कहते हैं। बनझाकड़ी झरना चिरस्थायी अर्थात बारहमासी झरना है। ऊंचाई पर स्थित जल स्त्रोत से निकली जलधारा विभिन्न चरणों में शिलाओं पर गिरती, उछलती तथा अठखेलियाँ करती हुई नीचे आती है। इस झरने की ऊंचाई लगभग १०० फीट है। झरने की प्रथम सीधी झड़न लगभग ४० से ५० फीट ऊंची है। यह झरना नगर से लगभग ७ किलोमीटर की दूरी पर स्थित लॅंडस्केप उद्यान में है।
झरने के आसपास उद्यान है जो अत्यंत सुंदरता एवं कलात्मकता से बनाया गया है। अनेक प्रकार की प्रतिमाएं एवं कलाकृतियाँ इस उद्यान की शोभा तो बढ़ा ही रहे हैं, साथ ही झाकरी संस्कृति की सुंदर परिकल्पना भी प्रस्तुत करते हैं। ये प्रतिमाएं सिक्किम के पारंपरिक अनुष्ठान, उपचारात्मक संस्कार तथा शमन अर्थात जीववादी धर्म में प्रवेश पद्धति की जानकारी भी प्रदान करते हैं।
बन का अर्थ है वन तथा झाकडी का शाब्दिक अर्थ है पारंपरिक चिकित्सक। बन झाकडी एक पौराणिक पात्र है जिसका अस्तित्व सिक्किम के नेपाली समुदाय की दंतकथाओं में ही देखा गया है।
बनझाकड़ी झरने का विडिओ
बनझाकड़ी झरने का यह विडिओ हमने हमारी यहाँ की यात्रा के समय बनाया था। झरने का प्रत्यक्ष आनंद लेने के लिए इसे अवश्य देखिए। सर्वोत्तम दर्शन के लिए एच डी मोड का प्रयोग कर यूट्यूब चैनल पर देखें।
हिमालयी वन्यजीव उद्यान
हिमालयी प्राणी उद्यान, गंगटोक नगर के समीप स्थित, हिमालयी पशु-पक्षियों से परिचित होने का उत्तम स्थान है। यहाँ आप हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाले वनस्पति, जीव तथा स्थानीय वनीय वृक्षों के विषय में जान सकते हैं।
इस प्राणी उद्यान में हिमालयी वन्यजीवों को बड़े बड़े बाड़ों में रखा गया है। इन बाड़ों को इस प्रकार निर्मित किया गया है कि वे इन प्राणियों को लगभग स्वाभाविक परिवेश उपलब्ध कराते हैं। अन्य दुर्लभ जीवों के साथ साथ हिम तेंदुआ तथा लाल पांडा यहाँ के प्रमुख आकर्षण हैं।
इस विशाल, हरियाली से परिपूर्ण तथा दुर्लभ हिमालयी प्रजातियों के संरक्षण केंद्र के दर्शन, वह भी शीतल स्फूर्तिदायक वातावरण में, आपको प्रफुल्लित कर देगी। इसके दर्शन करते आप अपनी इच्छानुसार १ से २ घंटे आसानी से बता सकते हैं। उद्यान में प्रवेश शुल्क भी नाममात्र है।
हमने इस हिमालयी प्राणी उद्यान के पहाड़ी क्षेत्र में सैर करने का भरपूर आनंद उठाया। किसी भी दिन जब आकाश स्वच्छ हो तो आप अनेक प्रकार के पक्षी भी देख सकते हैं। जिस दिन हम यहाँ आए थे उस दिन वर्षा हो रही थी। अतः हम पक्षी नहीं देख पाए।
रुमटेक बौद्ध मठ
विशालतम एवं प्राचीनतम बौद्ध मठों में से एक, रुमटेक बौद्ध मठ गंगटोक से लगभग २० किलोमीटर की दूरी पर है। रुकटेक धर्म चक्र केंद्र के परिसर में अनेक पवित्र वस्तुएं रखी हुई हैं। इनमें सर्वाधिक विशेष एवं भव्य है १३ फीट ऊंचा स्वर्ण स्तूप। इस मठ के परिसर में विकसित बगीचा भी अत्यंत दर्शनीय है।
गंगटोक से एक दिवसीय यात्राएं
चारधाम, नामची
पहाड़ी के ऊपर स्थित नामची का चारधाम भारत के पूजनीय चार धामों का प्रतिरूप है। यहाँ के अप्रतिम मंदिरों एवं भगवान शिव की विशाल मूर्ति को निहारते आप २ से ३ घंटे आसानी से व्यतीत कर सकते हैं। यहाँ का वातावरण अत्यंत सुहाना होता है। मेघ एवं सूर्य की किरणें आपस में लुक-छुपी का खेल खेलते हमें मंत्रमुग्ध कर देते हैं।
चारधाम नामची पर हमारा विस्तृत यात्रा संस्मरण पढ़ें।
टेमी चाय के बागान
टेमी चाय के बागान सिक्किम का विशालतम चाय बागान है। यह बागान गंगटोक से नामची की ओर जाते मार्ग पर है। मेघों के मध्य से झाँकते चाय के हरे भरे विस्तृत बागानों का परिदृश्य आपको मंत्रमुग्ध कर देगी। इनके बीच से जाते घुमावदार रास्तों पर गाड़ी से जाना एक पृथक ही अनुभव है। यह आपकी स्मृति एवं आँखों को अपनी सुंदरता से सराबोर कर देगी।
संदरूपत्से पहाड़ी पर रवंगला बौद्ध उद्यान
संदरूपत्से पहाड़ी पर १२० फीट ऊंची बौद्ध पद्मसम्भव की प्रतिमा विश्व में उनकी विशालतम प्रतिमा है। बौद्ध तीर्थयात्रियों के लिए यह बौद्ध तीर्थयात्रा केंद्रों में से एक है। गुरु रिनपोचे के नाम से प्रसिद्ध पद्मसम्भव सिक्किम के संरक्षक गुरु हैं। समीप ही एक रॉक गार्डन अर्थात शैलोद्यान भी है।
गंगटोक के समीप दर्शनीय स्थल – रोमांचक यात्राएं
सिक्किम हिमालय की चोटियों से घिरा क्षेत्र है, तो यात्रा में रोमांच भी सम्मिलित होगा ही। वह भी गंगटोक नगरी से अधिक दूर नहीं! ये देखिए कुछ लोकप्रिय विकल्प:
नाथुला दर्रा तथा सोंगमो या चांगू झील
नाथुला दर्रा गंगटोक से लगभग ६० किलोमीटर पूर्व दिशा में है। यहाँ पहुँचने का मार्ग उच्चतम मोटर योग्य मार्गों में से एक है। नाथुला दर्रे के दर्शन के लिए अनुमति पत्र आवश्यक है। साथ ही गंगटोक से नियोजित यात्रा की सुविधा चुनना भी आवश्यक है। यह नियोजित यात्राएं मौसम की स्थिति पर ही निर्धारित होते हैं। यहाँ तक पहुँचने के मार्ग पर सोंगमो या चांगू झील है जो शीत ऋतु में जम जाती है। ठंड से जमी हुई झील, हिमपात तथा यहाँ का परिदृश्य पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण हैं।
सिक्किम के कुछ अन्य आकर्षक दर्शनीय स्थल हैं पूर्वी सिक्किम में गुरुडोंगमार झील, कंचनजंगा जलप्रपात तथा पश्चिमी सिक्किम के पेलिङ्ग में रबडेनत्से अवशेष।
आप जब भी सिक्किम की यात्रा पर आयें तो इनमें से अपनी रुचि के अनुसार दर्शनीय स्थल चुन सकते हैं।
सिक्किम एवं गंगटोक पर मेरे द्वारा प्रकाशित ये यात्रा संस्मरण भी अवश्य पढ़ें।
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गंगटोक नगरी – इसके १० लोकप्रिय दर्शनीय स्थलों के पार
Very nice post
Nice Post