महाबलेश्वर! यह नाम सुनते ही हमारा मस्तिष्क एक दिव्य एवं धार्मिक स्थल की कल्पना करते लगता है। मंदिरों से परिपूर्ण महाबलेश्वर को वास्तव में हिन्दुओं का एक तीर्थ स्थल कहा जा सकता है। साथ ही यह एक अत्यंत मनोरम पर्वतीय स्थल भी है जिसकी ऊँचाई समुद्र सतह से लगभग १३७२ मीटर है।
महाबलेश्वर एक विस्तृत पठार है जो चारों ओर से घाटियों से घिरा हुआ है। महाबलेश्वर के ऊँचे ऊँचे पर्वत एवं हरियाली से ओतप्रोत घाटियाँ उन सभी पर्यटकों को आकर्षित करती हैं जो मुंबई व पुणे जैसे महानगरों के प्रदूषण एवं कोलाहल से दूर एक शांत स्थल पर आकर कुछ क्षण आनंद से व्यतीत करना चाहते हैं।
यद्यपि महाबलेश्वर अपने रम्य परिदृश्यों, चिक्की एवं स्वादिष्ट झरबेरियों(strawberries) के लिए पर्यटकों में लोकप्रिय है, तथापि यह अनेक तीर्थयात्रियों को भी आकर्षित करता है। महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश एवं कर्णाटक में से बह कर जाने वाली कृष्णा नदी का उद्गम महाबलेश्वर के समीप पश्चिमी घाटों से ही होता है। कृष्णा की चार सहायक नदियों का उद्गम स्थल भी महाबलेश्वर ही है। कृष्णा नदी एवं महाबलेश्वर मंदिर के दर्शन करने की अभिलाषा से दूर सुदूर से अनेक यात्री यहाँ आते हैं।
महाबलेश्वर पुणे नगरी से लगभग १२० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सड़क मार्ग द्वारा महाबलेश्वर पहुँचना अत्यंत सुगम्य एवं सुविधाजनक है। सड़क मार्ग द्वारा प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद उठाते हुए आप यहाँ आसानी से पहुँच सकते हैं।
महाबलेश्वर का इतिहास
महाबलेश्वर का इतिहास विशेष है। इतिहासकारों का मानना है कि महाबलेश्वर का उद्भव १२वीं सदी के आरंभिक वर्षों में हुआ था। जब देवगिरी के राजा सिंघण ने प्राचीन महाबलेश्वर के दर्शन किये थे तब उन्होंने कृष्णा नदी के उद्गम स्थल पर एक छोटा मंदिर तथा एक जलाशय का निर्माण कराया था। मंदिर में शिवलिंग की स्थापना कराई थी। चूँकि भगवान शिव को भगवान महाबली भी कहते हैं, यह नगरी का नामकरण महाबलेश्वर किया गया।
महाबलेश्वर मंदिर एवं कृष्णा नदी के उद्गम के कारण महाबलेश्वर एक हिन्दू तीर्थ स्थल था। अंग्रेजों ने इस रमणीय क्षेत्र को एक पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित किया। जनरल पीटर लुडविग एवं मुंबई के राज्यपाल सर जॉन मैल्कम के नेतृत्व में सन् १८२८ में यहाँ एक आरोग्य आश्रम की भी स्थापना की गयी। उस काल में महाबलेश्वर को अंग्रेज अधिकृत क्षेत्र माना जाता था। यहाँ तक कि कुछ वर्षों तक इस क्षेत्र का नामकरण भी ‘मैल्कम पेठ’ कर दिया गया था।
अंग्रेजी शासन ने इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए अनेक कार्य किये थे। सड़कों से लेकर विश्राम गृहों तक की सभी सुविधाओं का सुनियोजित ढंग से निर्माण कराया गया था। १९वीं सदी में यहाँ खुला कारावास सुधार केंद्र की स्थापना की गयी। चीन एवं मलेशिया के बंदियों को इन कारागृहों में रखा जाता था। मुक्त कारागृह में बंदी दोषियों को कोठरी में सदा के लिए बंद नहीं किया जाता था। अपितु दिवस भर उन्हें मजदूरी करने की छूट दी जाती थी ताकि वे सुधार के मार्ग पर अग्रसर हों तथा कुछ धन भी अर्जित कर सकें। इसी योजना के अंतर्गत उन्हें सड़क निर्माण परियोजना में मजदूरी करना, मक्के को पीसकर आटा तैयार करना, अंग्रेजी विश्राम गृहों के उद्यानों में आलू एवं अन्य भाजियों की खेती करना जैसे अनेक कार्यों में नियुक्त किया जाता था। आज इस कारागृह के स्थान पर लोक निर्माण विभाग का बंगला है। महाबलेश्वर ने शीघ्र ही बम्बई प्रेसीडेंसी की ग्रीष्मकालीन राजधानी की उपाधि प्राप्त की।
महाबलेश्वर के लोकप्रिय दर्शनीय स्थल
महाबलेश्वर मंदिर
महाबलेश्वर मंदिर महाराष्ट्र के प्राचीन मंदिरों में से एक है। यह एक शिव मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण १६वीं सदी में चंदा राव मोरे राजवंश ने करवाया था। इस मंदिर के चारों ओर १.५ मीटर ऊंची शैल भित्ति है। मंदिर के दो भाग हैं, गर्भगृह एवं सभा कक्ष। मंदिर परिसर में भगवान शिव से सम्बंधित अनेक वस्तुएं हैं, जैसे डमरू, त्रिशूल आदि। शिवलिंग के अतिरिक्त भगवान शिव, पवित्र नंदी बैल एवं कालभैरव की सुन्दर मूर्तियाँ भी हैं। महाबली ने नाम से लोकप्रिय इस शिव मंदिर में वर्ष भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। आपको इस मंदिर का वातावरण शांत व आध्यात्मिक प्रतीत होगा।
कर्णाटक के गोकर्ण में भी एक प्रसिद्ध महाबलेश्वर मंदिर है।
एलीफैंट हेड पॉइंट
यह महाबलेश्वर का सर्वाधिक देखा जाने वाला एवं लोकप्रिय आकर्षण स्थलों में से एक है। यह चट्टानी संरचना है जो हाथी के शीष एवं उसके सूंड जैसी प्रतीत होती है। इसे नीडल पॉइंट भी कहते हैं क्योंकि चट्टानों के मध्य स्थित छिद्र सिलाई की सुई का स्मरण कराता है। यह महाबलेश्वर के सर्वोत्तम अवलोकन स्थलों में से एक है। यहाँ से हरीभरी घाटियों एवं पर्वतों का अप्रतिम दृश्य दिखाई पड़ता है।
नगरी भीड़-भाड़ एवं कोलाहल से कोसों दूर, ऊंचाई पर खड़े होकर शांत वातावरण का आनंद लेना एक अद्वितीय अनुभव होता है। यहाँ के उत्कृष्ट परिदृश्यों का आनंद उठाने के लिए सर्वोत्तम समय मानसून अथवा वर्षा ऋतु है क्योंकि इस समय सभी चट्टानें एवं घाटियाँ हरियाली से परिपूर्ण हो जाते हैं तथा इनका सौंदर्य कई गुना अधिक हो जाता है। वर्षा के पश्चात शीत ऋतु का आरम्भ होते ही यहाँ का वातावरण हराभरा होने के साथ अत्यंत सुखमय हो जाता है।
वेन्ना सरोवर
७-८ किलोमीटर के क्षेत्र में फैला यह सुन्दर सरोवर चारों ओर हरियाली से घिरा हुआ है। यहाँ पर्यटकों के आनंद के लिए अनेक गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं, जैसे सरोवर में नौका विहार, सरोवर के चारों ओर घोड़े पर सवारी, बच्चों के लिए छोटी रेलगाड़ी, झूले व हिंडोले आदि। ऐसा कहा जाता है कि इस सरोवर का निर्माण मूलतः नगर के स्थानिकों को जल आपूर्ति करने के उद्देश्य से किया गया था।
मैप्रो गार्डन
मैप्रो गार्डन केवल एक उद्यान नहीं है। यह एक बहुउद्देशीय संकुल है जिसके भीतर एक बड़े क्षेत्र में स्ट्रॉबेरी की खेती की जाती है। साथ ही इस संकुल में एक चॉकलेट कारखाना, विशाल मुक्तांगन जलपान गृह, बच्चों के लिए क्रीड़ा क्षेत्र, पौधशाला तथा एक खुदरा दुकान भी है जहां मैप्रो के सभी उत्पादों की विक्री की जाती है। मैप्रो गार्डन में प्रतिवर्ष ईस्टर सप्ताहांत के समय वार्षिक स्ट्रॉबेरी उत्सव का आयोजन किया जाता है। इस उत्सव द्वारा वे इस क्षेत्र में स्ट्रॉबेरी की खेती को प्रोत्साहित करने का प्रयास करते हैं।
यहाँ के जलपानगृह में उपलब्ध अनेक प्रकार के व्यंजनों में स्ट्रॉबेरी की झलक विशेष रूप से दिखाई देती है। स्ट्रॉबेरी पिज्जा, स्ट्रॉबेरी भेल, स्ट्रॉबेरी शेक, स्ट्रॉबेरी क्रश क्रीम तथा अनेक ऐसे स्वादिष्ट व्यंजनों का आप यहाँ आस्वाद ले सकते हैं।
विल्सन पॉइंट
इसे सूर्योदय पॉइंट अथवा सूर्योदय अवलोकन स्थल भी कहते हैं। इसकी ऊँचाई समुद्र सतह से लगभग १४३५ मीटर है। यह महाबलेश्वर का एक विशेष आकर्षण है। यहाँ से सूर्योदय का अप्रतिम दृश्य दिखाई देता है। उदय होता सूर्य एक अनोखी आभा बिखेरता है। यह महाबलेश्वर का उच्चतम बिंदु है। यह एक विस्तृत पठारी क्षेत्र है जहां तीन विभिन्न स्थानों पर तीन पर्यवेक्षण दुर्ग हैं। वहां से आप सम्पूर्ण महाबलेश्वर का विहंगम दृश्य देख सकते हैं।
आर्थर सीट
इस स्थान को महाबलेश्वर के आकर्षणों की रानी कहा जाता है। यहाँ से सावित्री नदी एवं ब्रह्मा अरायण की घनी घाटियों का मनमोहक दृश्य दिखाई पड़ता है। सावित्री नदी उन पांच नदियों में से एक है जिनका उद्गम स्थल महाबलेश्वर में है। आर्थर सीट हलके वस्तुओं को वायु में बहाने के लिए लोकप्रिय है। यदि आप प्लास्टिक बोतल के ढक्कन जैसी हल्की वस्तु को घाटी में फेंकेंगे तो वह घाटी में उपस्थित वायु के दबाव के कारण वापिस उड़कर आप तक आ जायेगी।
आर्थर सीट के नाम की पृष्ठभूमि में स्थित कथा दुखदायी है। इसका नाम यहाँ के प्रथम निवासी सर आर्थर मालेट के नाम पर रखा गया है। लोगों का कहना है कि उन्होंने अपनी पत्नी एवं पुत्री को सावित्री नदी में हुई एक नौका दुर्घटना में खो दिया था। ऐसा कहा जाता है कि उस दुर्घटना के पश्चात वे प्रतिदिन नदी के तट पर जाकर बैठते थे तथा दुखी मन से नदी को निहारते थे।
कनॉट पीक
कनॉट पीक महाबलेश्वर की दूसरी सर्वाधिक ऊंची चोटी है। औसत समुद्र सतह से इसकी ऊँचाई लगभग १४०० मीटर है। आरम्भ में इसका नाम माउंट ओलम्पिया था। कालांतर में इसका नाम कनॉट पीक कर दिया गया क्योंकि कनॉट के ड्यूक को इस स्थान से प्रेम हो गया था। यह स्थान वेन्ना जलाशय एवं कृष्णा घाटी के अप्रतिम दृश्यों के अवलोकन के लिए अत्यंत लोकप्रिय है। यहाँ से सूर्यास्त का दृश्य भी आपके मन को मोहित कर देगा। आप यहाँ अवश्य आयें।
चाइनामैन फॉल
चाइनामैन फॉल महाराष्ट्र के सर्वाधिक आकर्षक जलप्रपातों में से एक है। महाबलेश्वर की यात्रा इस जलप्रपात के दर्शन के बिना अपूर्ण है। दो विभिन्न जलस्त्रोतों का जल एकत्र होकर एक जलप्रपात का निर्माण करता है। वर्षा ऋतु में इस प्रपात का दृश्य अद्भुत होता है। साथ ही वर्षा ऋतु में घाटी की हरियाली अपनी चरम सीमा पर होती है।
टेबल लैंड
टेबल लैंड पर्वत के ऊपर, समुद्र सतह से लगभग १३८५ मीटर ऊपर स्थित एक विस्तृत सपाट पठारी क्षेत्र है। ९५ एकड़ के क्षेत्रफल में फैला यह पठार लेटराइट चट्टानों से निर्मित है जिस पर घास की मोटी चादर बिछी हुई है। इसे एशिया का सबसे चौड़ा पर्वत पठार माना जाता है। यह स्थान पर्यटकों का आकर्षण बिंदु है। यहाँ से सूर्योदय एवं सूर्यास्त का अबाधित मनोरम दृश्य प्राप्त होता है। यहाँ से दिखते भव्य घाटियों के अप्रतिम दृश्य आपको मंत्रमुग्ध कर देंगे। यह स्थान घुड़सवारी, ट्रैकिंग, पैराग्लाइडिंग, मेर्री-गो-राउंड, आर्केड गेम्स तथा मिनी रेल जैसे अनेक क्रियाकलापों के लिए प्रसिद्ध है। इस स्थान को प्रकृति की अप्रतिम अभिव्यक्ति कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी।
वेलोसिटी एंटरटेनमेंट
वेलोसिटी एंटरटेनमेंट महाबलेश्वर एवं विशेषतः पंचगनी का विशालतम थीम मनोरंजन स्थल है। किसी भी पर्वत के ऊपर गो-कार्टिंग ट्रैक सम्पूर्ण भारत में केवल यहीं है। यहाँ भीतर एवं बाहर किये जाने वाले क्रीड़ाओं एवं क्रियाकलापों की भरमार है। सभी आयु के पर्यटकों के लिए यहाँ कुछ ना कुछ आयोजन अवश्य उपलब्ध है।
इन क्रियाकलापों में डैशिंग कार्स, गायरोस्कोप, गो-कार्टिंग, बास्केटबाल, एयर हॉकी, जोर्बिंग, मेर्री-गो-राउंड आदि सम्मिलित हैं। साथ ही यहाँ खाने-पीने के लिए अनेक प्रकार के जलपानगृह उपलब्ध हैं जहां आप दक्षिण भारतीय, पंजाबी, चीनी, इटली तथा अनेक अन्य प्रकार के व्यंजनों का आनंद ले सकते हैं। आनंद उठाते हुए आप यहाँ एक सम्पूर्ण दिवस आसानी से व्यतीत कर सकते हैं।
महाबलेश्वर से क्या खरीदें?
महाबलेश्वर में खरीददारी स्वयं में एक अनोखा अनुभव है। यहाँ की संकरी गलियों में अनेक दुकानें हैं जहां परिधानों से लेकर कोल्हापुरी चप्पल एवं चमड़े की विभिन्न वस्तुओं तक अनेक प्रकार की वस्तुएं उपलब्ध हैं। यहाँ उपलब्ध चमड़े की विभिन्न वस्तुओं की बड़ी मांग है। पर्यटक इसे खरीदे बिना नहीं जाते हैं। हस्तकला एवं हस्तशिल्प द्वारा निर्मित निरनिराली कलाकृतियाँ आपको सम्मोहित कर देंगी। साथ ही यहाँ अनेक प्रकार की बेरियाँ एवं उनके द्वारा निर्मित जैम, शहद, जेली इत्यादि भी उपलब्ध हैं।
यह संस्करण IndiTales Internship Program के अंतर्गत अंशिका गर्ग द्वारा लिखा एवं इंडीटेल द्वारा प्रकाशित किया गया है।