कल्पना कीजिए यदि महात्मा गाँधी स्वयं आपको अपने जीवन के महत्वपूर्ण स्थानों पर ले जाना चाहें तो वे आपको कहाँ कहाँ ले जाएंगे? महात्मा गाँधी ने अपने जीवनकाल में अनेक यात्राएं की थी। आज के समान यदि उस समय भी हर ओर सोशल मीडिया का बोलबाला होता तो उन्होंने ‘सर्वाधिक भ्रमण किया हुआ व्यक्ति’ की उपाधि अवश्य अर्जित कर ली होती।
आप भारत के किसी भी कोने में पहुँच जाएँ, आपको गाँधीजी के अस्तित्व का आभास अवश्य होगा। उनकी यात्रा के स्मारक, उनके भाषण के अंश, किसी बैठक की स्मृति, शहर के किसी मार्ग का नामकरण, उनकी स्मृति में निर्मित कोई इमारत, कोई योजना। उनके द्वारा भ्रमण किए सभी स्थानों की यात्रा करना हम जैसे साधारण व्यक्तियों के लिए असाधारण चुनौती के समान है।
भारत में महात्मा गाँधी के सर्वशक्तिमान उपस्थिति का सर्वाधिक विशाल प्रमाण है महात्मा गांधी मार्ग । मेरे अनुमान से कदाचित भारत का कोई ऐसा नगर नहीं होगा जहां महात्मा गाँधी मार्ग नहीं हो। हो सकता है किसी नगरी में कोई मार्ग किसी अन्य के नाम से लोकप्रिय हो, तथापि उसका सरकारी नाम महात्मा गाँधी मार्ग हो।
गाँधी जयंती एवं ३० जनवरी उनकी स्मृति में सम्पूर्ण भारत में मनाया जाने वाला पर्व हैं।
महात्मा गाँधी समारक भारत भर में
तो आईए भारत के उन सभी स्थलों का भ्रमण करें जिनका किसी ना किसी प्रकार से गांधीजी से संबंध रहा हो।
गुजरात
गुजरात महात्मा गाँधी का जन्म प्रदेश है। उन्होंने अपना सम्पूर्ण बालपन यहीं व्यतीत किया था। उन्होंने अपने आश्रम की भी स्थापना यहाँ की थी। स्वाभाविक है, गुजरात में उनसे संबंधित अनेक स्थान होंगे।
पोरबंदर – महात्मा गाँधी का जन्मस्थान
पोरबंदर गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र का एक बंदरगाह नगर है। वर्तमान में यह मोहनदास करमचंद गाँधी के जन्मस्थान के रूप में अधिक लोकप्रिय है। उनका पैतृक निवास जनता के दर्शनों हेतु खुला है। श्वेत एवं हरित रंग में रंगे उनके विशाल निवास के आप दर्शन कर सकते हैं। आप न केवल उनके जन्म का कक्ष देखेंगे, अपितु अतीतकाल के निवास कितने वैभवशाली होते थे, इसका भी अनुभव प्राप्त करेंगे।
निवास स्थान के समीप एक विशाल कीर्ति मंदिर है जो गाँधीजी एवं कस्तूरबाजी को समर्पित है। यहाँ एक प्रदर्शन दीर्घा है जहां चित्रों के रोचक मिश्रण द्वारा गाँधीजी के बालपन से लेकर धोती धारण किए महात्मा तक के उनकी यात्रा का प्रदर्शन किया गया है। ये चित्र गाँधीजी के जीवन काल के समय आम जीवन शैली की भी कथाएं कहती हैं।
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कस्तूरबा का पैतृक निवास गांधी-निवास के ठीक पीछे है।
अधिक लोगों को यह जानकारी नहीं है कि पोरबंदर श्री कृष्ण के परम मित्र सुदामा का भी गाँव था।
राजकोट
गाँधी ने अपना बालपन राजकोट में बिताया जहां उनके पिता दीवान थे। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा राजकोट में पूर्ण की थी।
वकालत की शिक्षा प्राप्त करने के लिए यहाँ से वे लंदन चले गए। वहाँ से दक्षिण अफ्रीका जाने से पूर्व वे कुछ समय के लिए वापिस आए थे। दक्षिण अफ्रीका में २१ वर्ष बिताकर अंततः वे १९१५ में भारत वापिस लौटे।
मेरी राजकोट यात्रा अब तक शेष है। अतः वहाँ का भ्रमण करने के पश्चात इस खंड को और समृद्ध करूंगी।
अहमदाबाद
सत्याग्रह आश्रम कोचरब
१९१५ में दक्षिण अफ्रीका से भारत वापिस लौटने के पश्चात गाँधीजी जहां सर्वप्रथम निवास करने आए, वह था अहमदाबाद के कोचरब में बेरिस्टर जीवनलाल देसाई का बंगला। यह एक विशाल दुमंजिला बंगला था जिससे जुड़ा हुआ एक विशाल प्रांगण था। इसे अब सत्याग्रह आश्रम कहा जाता है। किन्तु यह एक संग्रहालय अधिक है। यहाँ गांधी जी से संबंधित साहित्यों से परिपूर्ण एक पुस्तकालय भी है।
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साबरमती आश्रम
साबरमती आश्रम गांधीजी से जुड़ा कदाचित सर्वाधिक लोकप्रिय तथा सर्वाधिक भ्रमण किया गया स्थल है। यह आश्रम साबरमती नदी के तट पर स्थित है। उस समय यह स्थान अहमदाबाद के बाहरी क्षेत्र में स्थित था, किन्तु आज यह अहमदाबाद नगर के लगभग मध्य आ गया है। इस निर्मल आश्रम का प्रत्येक भाग गांधीजी का स्मरण करता है जहां उन्होंने १९१७ से १९३० तक निवास किया था। भित्तियों पर उनके व्यक्तव्य उल्लेखित हैं।
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१९३० में गांधीजी का प्रसिद्ध नमक सत्याग्रह एवं दांडी यात्रा यहीं से आरंभ हुई थी। यहाँ स्थित संग्रहालय १९६० में वास्तुविद चार्ल्स कोरिया ने बनाया था। प्रातः एवं संध्या के समय यहाँ भजन गाए जाते हैं जिनका निर्मल आनंद आप अवश्य उठायें।
गुजरात विद्यापीठ
इस विद्यापीठ की स्थापना गांधीजी ने १९२० में राष्ट्रीय विद्यापीठ के रूप में की थी। उन्होंने जीवन के अंत तक यहाँ कुलाधिपति के रूप में सेवाएं प्रदान कीं। यह विद्यापीठ कोचरब में सत्याग्रह आश्रम के समीप स्थित है। मुझे यहाँ स्थित पुस्तक की दुकान अत्यन्त भा गई थी। भारतीय पुस्तकों का यहाँ अद्भुत भंडार है।
महाराष्ट्र में गांधी जी से संबंधित स्थल
वर्धा का मगनवाड़ी आश्रम
१९३० की घटनाओं के पश्चात गांधीजी ने वर्धा में एक आश्रम की स्थापना की थी। उसका नामकरण उन्होंने एक ग्रामीण वैज्ञानिक एवं परम मित्र मगन गांधी पर किया था। ग्रामीण उद्योगों एवं लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए यहाँ अखिल भारतीय ग्रामोद्योग संघ की भी स्थापना की गई।
इस संकुल में स्थित मगन संग्रहालय में खादी एवं अन्य ग्रामीण उद्योगों के उत्पादों का भी एक खंड है। एक प्रकार से आप इसे आधुनिक भारत की प्रथम उद्यमिता कह सकते हैं।
मुंबई का मणि भवन
गांधीजी ने जितना भ्रमण किया है, कदाचित हममें से कोई अनुमान भी नहीं लगा सकता। उन्होंने मुंबई में भी व्यापक भ्रमण किया था। मुंबई में रेवाशङ्कर जगजीवन झवेरी का बंगला उनका निवास स्थान बना। १९४२ में यहाँ उन्होंने अगस्त क्रांति मैदान से भारत छोड़ो आंदोलन एवं रोलेट ऐक्ट के विरुद्ध आंदोलन छेड़ा था। हम यही वास्तु ‘मणि भवन’ के नाम से जानते हैं।
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आज मणि भवन एक सुंदर संग्रहालय बन गया है। यहाँ गांधीजी से संबंधित साहित्यों, चित्रों एवं कलाकृतियों का अनमोल संग्रह है। चित्रावली की एक दीर्घा उनकी जीवनी को पुनर्जीवित करती है।
पुणे का आगा खान महल
आगा खान पैलिस अर्थात महल गांधीजी का कारागृह था। वे यहाँ कस्तूरबा, अपने सचिव एवं सहयोगी सुश्री सरोजिनी नायडू के संग बंदी थे। कस्तूरबा एवं सचिव का निधन भी यहीं हुआ था। इसी संकुल में उनकी समाधियां हैं।
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एक समय यह आगा खान द्वारा निर्मित महल था जो अब महात्मा को समर्पित संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है। यह एक विशाल महल है जो आधुनिक भी है। यहाँ के बगीचे में टहलते हुए मैं सोच रही थी कि क्या कारागृह ऐसे होते थे?
दिल्ली में महात्मा गाँधी से जुड़े स्थान
गांधी स्मृति अर्थात बिड़ला हाउस दिल्ली
नई दिल्ली के तीस जनवरी मार्ग पर स्थित बिड़ला हाउस में गांधीजी ने अपने जीवन के अंतिम १४४ दिवस बिताए थे। ‘हे राम’ कहते हुए यहीं उन्होंने अपना अंतिम श्वास लिया था। यह इमारत बिड़ला परिवार की थी जिसे घनश्यामदास बिड़ला ने १९२८ में बनवाया था। संग्रहालय के लिए प्रारंभ में बिड़ला परिवार इस इमारत पर से अपना स्वामित्व त्यागने का इच्छुक नहीं था। कालांतर में १९७३ में उन्होंने इस इमारत का त्याग किया। तत्पश्चात यहाँ गांधीजी को समर्पित एक बहुमाध्यम संग्रहालय निर्मित किया गया।
राज घाट
गांधीजी से संबंधित अंतिम स्थान है उनका समाधि स्थल। यह एक सादा स्मारक है जो घास के बड़े मैदानों से घिरा हुआ है। हम सभी ने इस स्थान को प्रत्यक्ष रूप से भले ही ना देखा हो, किन्तु दूरदर्शन पर इसे अवश्य देखा है जब गणमान्य व्यक्ति यहाँ आकर गांधीजी की समाधि पर पुष्प-हार चढ़ाते हैं। यह दिल्ली का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन गया है।
भारत के अन्य स्थानों में स्थित महात्मा गांधी स्मारक
मोतीहारी, बिहार में गांधी संग्रहालय
१९१७ में किया गया चंपारण सत्याग्रह गांधीजी के जीवन की सर्वोच्च उपलब्धि थी। ब्रिटिश सरकार द्वारा बलपूर्वक उगायी गई नील की खेती के विरुद्ध उन्होंने प्रथम आंदोलन का प्रतिनिधित्व किया था। गांधी संग्रहालय में १९१७ की इसी घटना का चित्रों द्वारा उत्सव मनाया गया है। जिस स्थान पर गांधीजी की न्यायालय में प्रस्तुति हुई थी, उस स्थान पर अब गांधी स्मारक स्तंभ खड़ा है।
सामान्य ज्ञान – ‘Animal farm and 1984’ द्वारा प्रसिद्धि प्राप्त जॉर्ज ऑरवेल का जन्म मोतीहारी में हुआ था।
कन्याकुमारी का गांधी स्मारक मंडपम
समुद्र किनारे स्थित कन्याकुमारी मंदिर के एक ओर गांधीजी का स्मारक है। गांधीजी १९२५ एवं १९३७ में, दो बार कन्याकुमारी आए थे। यह स्मारक उनकी इन्ही यात्राओं की स्मृति में है। उनकी मृत्यु के पश्चात उनकी अस्थि अवशेष का एक भाग यहाँ जनता के दर्शनार्थ रखा गया था। तत्पश्चात समुद्र में उसका विसर्जन किया गया था।
१९५६ में निर्मित इस स्मारक के वास्तुशिल्प की विशेषता यह है कि २ ऑक्टोबर के दिन सूर्य की किरणें ठीक उस स्थान पर पड़ती हैं जहां गांधीजी के अस्थि अवशेष रखे गए थे। छत पर बने एक छिद्र द्वारा सूर्य की किरणें भीतर पहुँचती हैं। इस स्मारक की ७९ फुट की ऊंचाई गांधीजी के ७९ वर्षों की आयु दर्शाती है।
मदुरै का गांधी संग्रहालय
गांधीजी के जीवन में मदुरै का विशेष महत्व है। यह वही स्थान है जहां उन्होंने अपने सदैव के वस्त्रों का त्याग कर शेष जीवन इकलौती धोती धारक का अवतार ग्रहण किया था। गांधीजी की मृत्यु के समय जो रक्त रंजित वस्त्र उन्होंने धारण किए थे, उनकी स्मृति में उनके वे वस्त्र यहाँ सहेज कर रखे गए हैं। इस संग्रहालय में महात्मा की जीवनी पर आधारित एक दृश्य-श्रव्य पुस्तकालय भी है।
साबरमती आश्रम, मणि भवन, सत्याग्रह आश्रम, बिड़ला भवन इत्यादि उनसे संबंधित सभी स्थानों में उनका कक्ष एक समान ही प्रदर्शित किया गया है। एक सर्वसाधारण कक्ष जहां उनका करघा, उनकी खड़ाऊ, उनका गोलाकार चश्मा एवं कुछ पुस्तकें रखी हुई हैं। मैं सोचने पर बाध्य हो जाती हूँ कि क्या वास्तव में उनका कक्ष ऐसा ही होता था अथवा निर्माता प्रत्येक संग्रहालय में एक ही ढांचे का पालन करते थे?
मैंने अब तक दक्षिण अफ्रीका का भ्रमण नहीं किया है। आशा है वहाँ स्थित गांधीजी की धरोहरों के भी शीघ्र दर्शन कर सकूँ।
क्या आप भारत में स्थित व गांधीजी से संबंधित अन्य स्थानों के विषय में जानते हैं जिनका उल्लेख करने से मैं चूक गई हूँ तो मुझे अवश्य बताएं। प्रतीक्षारत।