नवरात्रि उत्सव में सर्वोत्तम डांडिया रास एवं गरबा गीत

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नवरात्रि अपने साथ में गरबा व डांडिया रास ले कर आती है। यूँ तो नवरात्रि देश भर में भिन्न भिन्न रीति से मनायी जाती है, किन्तु उनमें सर्वाधिक लोकप्रिय है पारंपरिक गुजराती नवरात्रि। अपने घर में देवी माँ की पूजा-अर्चना कर हम संध्या की प्रतीक्षा करते हैं जब हमारे पग अनायास ही पारंपरिक गुजराती उत्सव पंडालों की ओर चल पड़ते हैं, जहां गरबा एवं डांडिया रास आयोजित किए जाते हैं। आरंभ में नवरात्रि के गरबे एवं डांडिया केवल गुजरात तक ही सीमित थे। गुजरात के बाहर भी केवल गुजराती समाज के लोग ही इस आयोजन में भाग लेते थे। किन्तु अब गरबा एवं डांडिया इस स्तर तक लोकप्रिय हो गए हैं कि ये केवल गुजरात अथवा भारत ही नहीं, अपितु विदेशों के अप्रवासी भारतीयों में भी प्रमुख आकर्षण बन गए हैं।

गरबा डांडिया रास गीत - नवरात्रि
गरबा डांडिया रास गीत के साथ नवरात्रि

रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधान धारण कर जब नर्तक व नर्तकियाँ, लोकप्रिय गरबा तथा डांडिया गीतों पर लहराते हुए नृत्य करते हैं तो वह दृश्य देखते ही बनाता है। इन गीतों में अनेक गीत ठेठ गुजराती भाषा में गाए गए पारंपरिक गीत होते हैं। इसमें मुंबई चित्रपट उद्योग कैसे पीछे रह सकता है? अनेक चित्रपटों में गरबा व डांडिया के दृश्य चित्रित किए गए हैं व उनके गीत अत्यंत लोकप्रिय भी हो गए हैं।

गरबा एवं डांडिया रास क्या हैं?

जैसा कि नाम से ही ज्ञात होता है, नवरात्रि देवी के नौ रात्रियों से संबंधित है। सम्पूर्ण भारत में नवरात्रि के नौ दिवस एवं रात्रि अपनी अपनी रीति से मनाए जाते हैं। बंगाल में दुर्गा पूजा मनाई जाती है तो तेलंगाना में बतुकम्मा, तमिलनाडु में गोलू सजाया जाता है तो उत्तर भारत शाकाहारी होकर उपवास करने लगता है। किन्तु इन सब में गुजरात का उत्सव सर्वाधिक रंगबिरंगा एवं जोशपूर्ण होता है जिसमें प्रमुख आकर्षण गरबा एवं डांडिया होते हैं।

गरबा गर्भ का द्योतक है जो प्रजनन क्षमता का प्रतीक है। मिट्टी के घट के भीतर दीप प्रज्ज्वलित कर, उसमें  देवी का आह्वान किया जाता है। इसे गरबा कहते हैं। घट के भीतर दीप प्रज्ज्वलित कर उनके भीतर देवी को आमंत्रित करने के लिए भक्तगण उसके चारों ओर नृत्य करते हैं। इस नृत्य को गरबा कहा जाने लगा। गरबा आरती से पूर्व किया जाता है। गरबा के चारों ओर नृत्य करते हुए भक्तगण लय में गोलाकार घूमते हैं जो हम  जैसे जीवों के लिए जीवन व मृत्यु के अनवरत चक्र का प्रतीक है। वहीं घट में विराजमान दीप, देवी सदृश, परम तत्व का द्योतक हैं। अतः गरबा की प्रकृति भक्तिभाव से परिपूर्ण है। इसमें गाए जाने वाले गीतों में देवी की स्तुति की जाती है।

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नवरात्रि समारोह

डांडिया रास साधारणतः आरती के पश्चात किया जाता है। कुछ सूत्रों के अनुसार आरंभ में डांडिया केवल पुरुषों द्वारा किया जाता था। किन्तु अब इसे स्त्री व पुरुष दोनों ही करते हैं। इस नृत्य में रंबबिरंगी डंडियों का प्रयोग किया जाता है तथा यह नृत्य जोड़े में किया जाता है।

डांडिया नृत्य की डंडियाँ वास्तव में देवी के शस्त्रों का प्रतीक हैं जिनका प्रयोग कर देवी ने असुरों का वध किया था। डांडिया करते समय विभिन्न मुद्राओं में इन डंडियों को शस्त्रों जैसा मान दिया जाता है। इस नृत्य में प्रचुर मात्रा में उत्साह व ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

डांडिया का सर्वोत्तम आकर्षण है नर्तकों का परिधान। पुरुषों का पारंपरिक परिधान है, केडियु, कफ़नी पैजमा तथा पगड़ी। केडियु को कांच के टुकड़ों एवं बेल-बूटियों की कढ़ाई द्वारा सजाया जाता है। स्त्रियाँ कसीदाकारी युक्त रंगबिरंगे भव्य लहंगे, चोली एवं उससे भी अधिक चटक व अलंकृत ओढ़नियाँ धारण करती हैं। उन्हे देख ऐसा प्रतीत होता है मानो साक्षात देवी धरती पर अवतरित हुई हैं।

गुजरात में डांडिया पंडाल के दर्शन, रंगों के सर्वोत्तम सम्मिश्रण में घुल जाने जैसा होता है। क्यों ना हो? यह विश्व का विशालतम नृत्योत्सव जो है।

डांडिया रास के गरबा गीत

नवरात्रि के पारंपरिक गुजराती डांडिया व गरबा गीत

फाल्गुनी पाठक द्वारा – केसरियो रंग तने लाग्योल्या गरबा

यह विडिओ लोकप्रिय गायिका/कलाकार फाल्गुनी पाठक का है जो १८ अक्टोबर २०१२ के दिन, मुंबई के गोरेगांव स्पोर्ट्स क्लब में मंगल एंटरटेनमेंट द्वारा आयोजित मंगल नवरात्रि में सादर कर रही थी। देखिए उनके गाये दो लोकप्रिय गुजराती गीत, केसरियो रंग तने लाग्योल्या गरबा एवं हामु काका बाबा न पोरिया

के ओढनी ओढू ओढू ने उड़ी जाए   

गायिका अलका याग्निक एवं गायक प्रफुल देव द्वारा सादर किया गया ये गीत, के ओढनी ओढू ओढू ने उड़ी जाए सुनिए जो, सारेगामा इंडिया लिमिटेड के मेरु मालन अल्बम से लिया गया है। इसके गीतकार हैं, कान्ति अशोक तथा संगीतकार हैं, महेश-नरेश।

मेहंदी ते वावी – रंग गयो गुजरात

आईए सुनें यह नवरात्रि का विशेष डांडिया गरबा गीत जिसे अपने सुमधुर स्वरों में प्रस्तुत किया है, गरबा गीतों की महाराज्ञी व लोकप्रिय गायिका फाल्गुनी पाठक ने।

गुजराती भाषा में सर्वोत्तम डांडिया गरबा गीतों का अद्भुत सम्मिश्रण

गुजराती भाषा में गाये गए १० नवरात्रि-विशेष गरबा गीत, जिन्हे आप अवश्य देखिये। इनका आनंद उठाईये एवं उनके सुरों पर झूमकर नृत्य करिये।

  • नवरात्र नवेली बड़ी अलबेली
  • पडवेथि पेलु मानु नोरतु जीवे
  • रमतो भमतो जाय माँ नो गरबो रमतो जाय
  • हिचको अम्बा तानो संभालये
  • सोनानों गरबो रुपानो गरबो
  • अम्बे माँ नो घम्मर घड़ोलिओ
  • तरने तरने अमे मेले ज्ञाता
  • माँ तारो गरबो झाकमझोल
  • झूले खुले छे गबरनी माँ आंबा झूले छे
  • पत्णनि शहरणि नार पदमणि

ये सभी गीत राघव म्यूजिक कंपनी द्वारा प्रकाशित गरबा गीत झंकारो एलबम से लिए गए हैं। इन गीतों के गीतकार हैं, मनुभाई रबारी धनुदास ने तथा इन्हे अपने स्वरों से सजाया है, कविता, जयदीप एवं दीपक ने।

बॉलीवुड के गरबा गीत

अब हिन्दी भाषा में कुछ चुने हुए गरबा गीतों की सूची प्रस्तुत है जिनमें कुछ पारंपरिक गीत हैं तथा कुछ बॉलीवुड चित्रपटों में प्रदर्शित किए गए गीत हैं।

सबसे बड़ा तेरा नाम रे

हे नाम रे सबसे बड़ा तेरा नाम ओ शेरोवाली, ऊँचे डेरों वाली, बिगड़े बना दे मेरे काम, माँ शेरावाली की स्तुति में प्रस्तुत इस भक्तिगीत का विडिओ सुनें व देखें। इसके लिए निम्न वेब स्थल पर जाएँ।

He Naam Re Sabse Bada Tera Naam – Sherawali Mata, Devotional Song

ओ शेरोंवाली गीत – चित्रपट-सुहाग

सुहाग चित्रपट का यह गीत, ओ शेरोंवाली सुनिए। इस चित्रपट के नायक-नायिका अमिताभ बच्चन एवं रेखा हैं। इस गीत के रचयिता आनंद बक्शी हैं तथा लक्ष्मीकांत प्यारेलाल इसके संगीतकार हैं। इसे गाया है, आशा भोसले एवं मोहम्मद रफी ने। इस गीत का विडिओ देखने के लिए निम्न वेबस्थल पर जाएँ।

O Sheronwali | Amitabh Bachchan | Rekha | Suhaag 1979 Songs | Asha Bhosle | Mohd Rafi

मैं तो भूल चली बाबुल का देश – चित्रपट-सरस्वतीचंद्र

१९६८ में निर्मित चित्रपट, सरस्वतीचंद्र में मुख्य भूमिका नूतन, मनीष, विजय चौधरी एवं डॉ रमेश देव ने निभायी है। इस चित्रपट को गोविंद सरैया ने निर्देशित किया है। मैं तो भूल चली बाबुल का देश, पिया का घर प्यारा लगे, इस गीत को सुरों से सजाया है, कल्याणजी आनंदजी ने व इस गीत को अपने स्वर प्रदान किए, लता मंगेशकर ने। इस गीत का आनंद उठाने के लिए निम्न वेबस्थल पर जाएँ।

Main To Bhool Chali Babul Ka Des

ढोली तारो ढोल बाजे – चित्रपट-हम दिल दे चुके सनम

चित्रपट हम दिल दे चुके सनम का एक लोकप्रिय गीत है, ढोली तारो ढोल बाजे। इसके संगीतकार हैं, इस्माइल मर्चेन्ट एवं इसे हरिहरण एवं कविता कृष्णमूर्ति ने गाया है। इस चित्रपट के निर्माता व निर्देशक संजय लीला भंसाली हैं एवं इसके कलाकार सलमान खान, ऐश्वर्या राय एवं अजय देवगन हैं।

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राधा कैसे ना जले – चित्रपट-लगान

लगान चित्रपट में चित्रित इस मधुर गीत में कृष्ण राधा को छेड़ रहे हैं। आमिर खान एवं ग्रेसी सिंग पर चित्रित इस गीत के बोल जावेद अख्तर ने लिखे हैं तथा उसे संगीतबद्ध किया है, ए. आर. रहमान ने। सोनी म्यूजिक एंटेरटैनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के अंतर्गत इस गीत को आशा भोसले एवं उदित ने गाया है।

नगाड़ा संग ढोल बाजे – चित्रपट-गलियों की रासलीला राम-लीला

नगाड़ा संग ढोल बाजे, गलियों की रासलीला राम-लीला चित्रपट में चित्रित इस गीत के साथ नवरात्रि का आनंद उठाइए। इस चित्रपट में मुख्य भूमिका दीपिका पादुकोण एवं रणवीर सिंग की है। श्रेया घोषाल एवं ओसमान मीर द्वारा गाए गए इस गीत के रचयिता सिद्धार्थ-गरिमा एवं संगीतकार संजय लीला भंसाली हैं।

छोगाड़ा तारा – चित्रपट-लवयात्री

बॉलीवुड चित्रपट लवयात्री का यह गीत, छोगाड़ा तारा, गरबा नृत्य करने के लिए नवीन एवं लोकप्रिय गीत है। इस चित्रपट में आयुष शर्मा एवं वारीना हुसैन मुख्य भूमिका में हैं तथा इसका निर्देशन अभिराज मिनावाला ने किया है। इस लोकप्रिय गीत को दर्शन रावल एवं असीस कौर ने गाया है। इस गीत के बोल दर्शन रावल ने लिखे हैं जिसमें शब्बीर अहमद ने भी सहयोग किया है। इसके संगीतकार लीलो जॉर्ज तथा डीजे चेतस हैं। यह गीत अविनाश व्यास द्वारा रचित व संगीतबद्ध गीत, ‘हे रंगालो’ पर आधारित है।

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कमरिया – चित्रपट-मित्रों

मित्रों चित्रपट का यह ऊर्जा भर गीत प्रस्तुत है। इस चित्रपट में जॅकी भगनानी एवं कृतिका कामरा ने मुख्य भूमिका निभाई है। कमरिया, यह गीत नृत्य समारोहों का प्रिय गीत है। दर्शन रावल द्वारा गाये इस गीत को संगीतबद्ध किया है, लीलो जॉर्ज तथा डीजे चेतस ने तथा इसके बोल लिखे हैं, कुमार गायकों ने।

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तो, इनमें से आपके प्रिय गरबा डांडिया गीत कौन से हैं?

अनुवाद: मधुमिता ताम्हणे  

4 COMMENTS

  1. अनुराधा जी एवं मीताजी
    आपके द्वारा नवरात्री उत्सव के विषय में बहुत ही सुंदर लेख प्रस्तुत किया गया.लेख में नवरात्री अब सिर्फ गुजरात में ही संपूर्ण भारतभर एवं विदेशों में भी उत्साह से मनाया जाता है जानकर गर्व मेहसुस होता है.
    रास एवं डांडिया में स्त्री पुरुष उत्साह से भाग लेते है एवं देवीकी आराधना करते है. बोलिवुड के विभिन्न गरबा नृत्योकी प्रस्तुती बहुत ही सुंदर लगी.
    माहिती पुर्ण लेख के लिये धन्यवाद.

  2. नवरात्रि उत्सव में सर्वोत्तम डांडिया रास एवं गरबा गीत,
    आपने हमेशा की तरह बहुत ही सुंदर तरीके से इस रंगारंग त्यौहार का वर्णन किया है सभी अच्छे गाने व वीडियो भी लोड किये है पर एक प्रसिद्ध गाना छोड़ दिया ‘पंखिड़ा ओ पंखिड़ा’ जो काफी बजाया जाता है।
    वैसे मुझे यह देखना व सुनना बेहद ही पसंद है। सन 1980 के आसपास इंदौर में नवरात्रि में सार्वजनिक रूप से काफी जगह होने लगा था और हम दोस्त लोग अपनी साइकल पर अर्धरात्रि तक पूरे नवरात्र में इंदौर में घूमकर इस गरबा पूरा आनंद लेते थे, इसी शोक के चलते में नवरात्रि में अहमदाबाद भी जाता था, वहाँ तो पूरी रात गरबा चलता था, वहाँ तो 1990 में हमने 50 रुपये में टिकिट लेकर भी गरबा देखा है, हमारे गुजरातियों में तो घर पर कोई भी खुशी का कार्यक्रम होता है, तो गरबा तो उसमें होता ही है भले ही 5 लोग हो वह गरबा कर लेते है। अब गरबे के दिन शुरू होने वाले है, हम सभी इसका आनंद ले। धन्यवाद। ????????

    • हमारे उत्सव हैं ही इतने उत्साहपूर्ण की किसी को भी अपनी और आकर्षित कर लेते हैं, वैसे नवरात्री तो भारत के कोने कोने में मनाई जाती है.

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