भारत में सड़क मार्ग द्वारा भ्रमण करना मेरा सर्वाधिक प्रिय यात्रा माध्यम है। सड़क मार्ग पर यात्राएं करते हुए आप भौगोलिक स्थानांतरण में निरंतर होते प्राकृतिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तनों को निकट से अनुभव कर सकते हैं। क्षेत्र परिवर्तित होते ही वहाँ की भौगोलिक अवस्थिति, जल सम्पदा, संस्कृति आदि में सूक्ष्म ही सही, परिवर्तन अवश्य होते हैं।
निजी वाहन हो अथवा किराए की टैक्सी, सड़क यात्रायें आपको अपनी गति से भ्रमण करने की स्वतंत्रता प्रदान करती हैं। आप थक जाएँ अथवा परिदृश्यों को कुछ क्षण अधिक निहारने की अभिलाषा उत्पन्न हो जाए या चाय-पकोड़ा, इडली-वडा, पोहा-जलेबी, लाल चा अथवा कुछ अन्य खाद्य पदार्थ खाने पीने की इच्छा हो जाए तो आप स्वेच्छा से अल्पविराम ले सकते हैं।
यद्यपि मेरे लिये सभी सड़क यात्राएं आनंददायी होती हैं, तथापि कुछ सड़क यात्राएं इतनी नयनाभिराम होती हैं कि गंतव्य पहुँचने के आनंद की तुलना में यात्रा का आनंद सर्वोपरि हो जाता है।
भारत की सर्वाधिक रमणीय सड़क यात्राएं
भारत की कुछ रमणीय सड़क यात्राएं जिनका आनंद मैंने प्राप्त किया है तथा वो जो भविष्य में प्राप्त करने के लिए मेरी इच्छा सूची में सम्मिलित हैं, आईये उनकी कुछ छटा आपको दिखाती हूँ।
शिमला से किन्नौर, स्पीति व लाहौल होते हुए मनाली तक
भारत के हिमाचल प्रदेश में विरली जनसँख्या के इस क्षेत्र में भ्रमण करना मेरी सर्वाधिक प्रिय यात्रा रही है। यात्रा का आरम्भ होता है, हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से। राजधानी होने के कारण यह अनेक गतिविधियों से परिपूर्ण नगर है। सेबों के क्षेत्रों से होते हुए हम किन्नौर पहुँचते हैं जहाँ की विशेषता है, हरे रंग की हिमाचली टोपी। चारों ओर आपको हरे रंग की विशेष टोपियों से सजे हिमाचली पुरुष दृष्टिगोचर होंगे।
वहाँ से आगे बढ़ते हुए स्पीति घाटी में पहुँचते हैं जहाँ की शीतलतम मरुभूमि अपनी नीरवता एवं चित्ताकर्षक परिदृश्यों से आपको स्तब्ध कर देगी। लाहौल से जाते हुए कुंजुम दर्रे एवं रोहतांग दर्रे के मध्य स्थित चंद्रताल सरोवर की लुभावनी सुन्दरता को अपने नैनो द्वारा अपने स्मृति में अमर कर लीजिये। अंततः मनाली में अपनी यात्रा का अंत करते हुए इस अनुभूति से प्रसन्न होईये कि आप पुनः अपनी चिरपरिचित सभ्यता में वापस आ गए हैं।
इस सड़क यात्रा के लिए जुलाई-अगस्त की कालावधि सर्वोत्तम है। इस कालावधि में कुंजुम दर्रा खुला रहता है।
मानसून में कोंकण क्षेत्र में सड़क यात्रा
कोंकण एवं मानसून एक प्रकार से एक दूसरे के पूरक कहलाते हैं। कोंकण क्षेत्रों में लगभग ६ मास वर्षा होती रहती है जिससे सम्पूर्ण क्षेत्र हरियाली के आवरण से ढँक जाता है। गोवा से सड़क मार्ग द्वारा रत्नागिरी एवं आसपास के क्षेत्रों तक की यात्रा आपको इस हरियाली का प्रत्यक्ष दर्शन करायेगी।
चारों ओर दृष्टि दौड़ाने पर धूसर रंग की संकरी सड़क के अतिरिक्त सम्पूर्ण परिदृश्य हरे रंग की भिन्न भिन्न छटाओं से आवरित दृष्टिगोचर होता है। क्षण क्षण में मार्ग के दोनों ओर झरने दिखाई पड़ जाते हैं। इस मार्ग पर स्थित अम्बोली घाट तो दूर-सुदूर से बड़ी संख्या में पर्यटकों, पर्वतारोहकों व रोमांचक पदभ्रमणकारियों को आकर्षित करता है। सावडाव एवं मार्लेश्वर झरने भी अत्यंत लोकप्रिय हैं।
कोंकण क्षेत्रों के चित्ताकर्षक परिदृश्यों का आनंद आप रेल मार्ग द्वारा भी उठा सकते हैं। कोंकण रेलवे भी कोंकण क्षेत्रों के हरेभरे परिदृश्यों, घाटों एवं झरनों के अवलोकन का उत्तम अवसर प्रदान करती है।
अप्रतिम सौंदर्य से परिपूर्ण कोंकण क्षेत्र में सड़क यात्रा का आनंद उठाने का सर्वोत्तम समय मानसून काल है।
श्रीनगर से लेह तक सड़क यात्रा
डल सरोवर के चारों ओर बसा एक सुन्दर नगर, श्रीनगर। तैरती नौकाओं से भरा मनमोहक डल सरोवर इस सुन्दर पर्वतीय पर्यटन नगर को अद्वितीय आयाम प्रदान करता है। अनेक हिन्दी चलचित्रपटों में इन परिदृश्यों की पृष्ठभूमि में अविस्मरणीय प्रणय दृश्यों को चित्रित किया है। उस काल में प्रणय एवं श्रीनगर का एक अटूट सम्बन्ध सा बन गया था। श्रीनगर के राजनैतिक एवं सामाजिक परिवेशों में सकारात्मक परिवर्तन के साथ यह पुनः एक लोकप्रिय पर्यटन क्षेत्र बन रहा है।
सड़क मार्ग द्वारा लेह की ओर जाते हुए आप पहलगाम के मनोरम दृश्यों को देखेंगे। आकर्षक पर्वतीय परिवेश में घोड़ों पर भ्रमण करते अनगिनत प्रसन्न पर्यटक, यह एक सामान्य दृश्य होता है। यदि अमरनाथ तीर्थयात्रा का समय हो तो आप बालताल में अनेक विशाल शिविर देख सकते हैं जहाँ तीर्थयात्रियों की सुविधा के सभी प्रबन्ध किये जाते हैं। आकाश में उड़ान भरते कई हेलीकॉप्टर भी दिखेंगे जो तीर्थयात्रियों को पर्वतशिखर तक पहुँचते हैं।
जोजिला दर्रा एक नवीन परिदृश्य प्रस्तुत करता है। हरियाली एवं विविध रंगों से परिपूर्ण परिदृश्य अब लद्दाख के बीहड़ पर्वतों में परिवर्तित होने लगते हैं। मार्ग में द्रास युद्ध स्मारक एवं कारगिल में अवश्य भ्रमण करें। लामायुरू मठ के चन्द्रमा सदृश परिवेशों को अपनी स्मृति में अमर करें। अलची मठ में प्राचीन चित्रों का अवलोकन भी अवश्य करें।
लेह पहुँचते ही कुछ काल विश्राम अवश्य करें। ऊँचाई परिवर्तन एवं वायु की विरलता के लिए स्वयं को अभ्यस्त करना आवश्यक होता है।
इस सड़क यात्रा के लिए सर्वोत्तम अवधि ग्रीष्म काल है। मैंने ग्रीष्मकाल में इन क्षेत्रों का भ्रमण अवश्य किया है किन्तु मैंने शीत ऋतु के असहनीय वातावरण में भी लेह का भ्रमण किया है। वह भ्रमण भी अत्यंत रोमांचक था।
अरुणाचल के बोमडिला से होते हुए तवांग तक की सड़क यात्रा
यह सड़क यात्रा असम-अरुणांचल सीमा पर स्थित तेजपुर से आरम्भ की जा सकती है। यदि रोमांचक यात्रा का विचार हो तो अरुणांचल के भालुकपोंग से यात्रा आरम्भ की जा सकती है। आर्किड अभयारण्य में अवश्य विचरण करें किन्तु सड़क यात्रा करते हुए भी सड़क के दोनों ओर निहारना ना भूलें। चारों ओर आपको वनीय आर्किड दृष्टिगोचर होंगे। वृक्षों के तनों-शाखाओं पर चढ़े आर्किड बेलों से लटकते हुए अथवा झाड़ियों से झांकते हुए ये आपके रोम रोम को प्रफुल्लित कर देंगे।
अरुणांचल में हरियाली के आवरण से ढंके अनेक पर्वत एवं घाटियाँ हैं। टेंगा घाटी उन सब में सर्वाधिक आकर्षक घाटी है। यहाँ किवी के अनेक उद्यान हैं। अरुणांचल की सड़क यात्रा में बोमडिला का पड़ाव आवश्यक है।
प्रतिकूल जलवायु के कारण मैं तवांग तक नहीं जा पायी थी। मुझे बताया गया कि तवांग तक की सड़क यात्रा अत्यंत चित्ताकर्षक है।
यद्यपि इन पर्वतीय क्षेत्रों में जलवायु सदा ही अतिशीतल रहता है, तथापि इस सड़क यात्रा के लिए ग्रीष्म ऋतु सर्वोत्तम समयावधि है।
जोधपुर से जैसलमेर की सड़क यात्रा
राजस्थान भारत का सर्वाधिक पर्यटन-अनुकूल राज्य है। राजस्थान में आप अनेक सुन्दर सड़क भ्रमण कर सकते हैं। मैंने ‘जयपुर के आसपास के स्थल- १० सर्वोत्कृष्ट एक-दिवसीय भ्रमण’, इस संस्करण में उनके विषय में विस्तार से उल्लेख किया है। उन सब में मेरी सर्वाधिक प्रिय यात्रा है, जोधपुर से जैसलमेर तक सड़क यात्रा। विस्तृत विशाल थार मरुस्थल को चीरती सीधी सड़क पर यात्रा करना स्वयं में एक अविस्मरणीय अनुभव है। चारों ओर स्वर्णिम बालू, यदा-कदा बालू के टापू, सूखे खेजड़ी के वृक्ष व अन्य झाड़ियाँ एक विलक्षण परिदृश्य प्रस्तुत करते हैं।
बालू के विस्तृत क्षेत्रों में रंगबिरंगे आवरणों एवं आभूषणों से अलंकृत ऊंट परिदृश्यों में रंग भर देते हैं। इस मार्ग पर परिवहन विरल रहता है। सम्पूर्ण परिवेश ऐसा प्रतीत होता है मानो आप अनंत की ओर यात्रा कर रहे हैं। महानगरों एवं नगरों में हमारी दृष्टि सदा बाधित होती रहती है। किन्तु इस परिदृश्य में हमारी अबाधित दृष्टि दूर दूर तक देख सकती है। जैसलमेर की मंत्रमुग्ध कर देने वाली सुन्दरता में ओतप्रोत हो जाईये। अथवा कुलधरा के रहस्यमयी गाँव में रोमांचित होईये। लोद्रवा के जैन मंदिरों की सुन्दरता को निहारिये।
इस सड़क यात्रा के लिए सर्वोत्तम समयावधि शीत ऋतु है।
तमिलनाडु के चोल मंदिरों के दर्शन – एक सड़क यात्रा
तमिलनाडु में स्थित पूर्वी तटीय मार्ग आपको चेन्नई से पोंडिचेरी ले जाती है। यह एक अप्रतिम सड़क यात्रा है। आप प्राचीन नगरी महाबलीपुरम में रूककर प्राचीन भव्य मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं। महाबलीपुरम अप्रतिम स्थापत्य शैली के मंदिरों एवं मनमोहक समुद्रतटों के लिए प्रसिद्ध है। आगे जाकर आप चिदंबरम का वैभवशाली नटराज मंदिर देख सकते हैं।
कुम्भकोणम की ओर एक लघु विमार्ग ले सकते हैं। आगे तमिलनाडु की सांस्कृतिक राजधानी तंजावुर जा सकते हैं। तंजावुर का बड़ा बृहदीश्वर मंदिर, गंगईकोंड चोलपुरम का बृहदीश्वर मंदिर, दारासुरम का ऐरावतेश्वर मंदिर जैसे वैभवशाली विशाल प्राचीन मंदिरों के दर्शन अवश्य करें।
कुछ दूर आगे आप तिरुचिरापल्ली जा सकते हैं। श्रीरंगम नामक द्वीप नगरी के दर्शन कर सकते हैं जो धार्मिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण व पवित्र स्थल है।
यह सम्पूर्ण सड़क मार्ग हमें ऐतिहासिक चोल मंदिरों से अवगत कराता है।
यद्यपि यह यात्रा वर्ष भर में कभी भी की जा सकती है, तथापि ग्रीष्म ऋतु किंचित कष्टकारक हो सकती है। यहाँ शीत ऋतु अत्यंत सुखकारक है।
सड़क यात्रा द्वारा मध्यप्रदेश की प्रसिद्ध रानियों से भेंट
भ्रमण की दृष्टि से मध्य प्रदेश मेरे सर्वाधिक प्रिय राज्यों में से एक है। इस राज्य में अनेक सड़क यात्राएं आयोजित की जाती हैं। उनमें से एक प्रसिद्ध यात्रा है, नर्मदा परिक्रमा। मैं आपको जिस सड़क यात्रा के विषय में बताना चाहती हूँ, वह अपेक्षाकृत छोटी यात्रा है किन्तु अत्यंत अनोखी है। यह सड़क यात्रा उन नगरों में ले जाती है जो अपनी रानियों की कीर्ति से जाने जाते हैं। आप इंदौर से अपनी सड़क यात्रा आरम्भ कर मांडू तक जा सकते हैं।
मांडू का नाम लेते ही रानी रूपमती एवं उनकी लोकप्रिय कथाएं स्मृति पटल पर उभर कर आ जाती हैं। पहाड़ी पर बसे मांडू नगर में आप कहीं भी जाएँ, आपको रानी रूपमती की कथाएं सुनाई जायेंगी। मुझे रानी रूपमती के महल अत्यंत भाया जहाँ से वो नर्मदा नदी के दर्शन करती थीं। मांडू के प्राचीन महलों का अवलोकन करते समय आप उस काल के उत्कृष्ट जल प्रबंधन प्रणाली की प्रशंसा करने से स्वयं को रोक नहीं पायेंगे।
यहाँ से आगे जाते हुए आप महेश्वर पहुंचेंगे। महेश्वर की रचना मेरी सर्वप्रिय रानी अहिल्या बाई होलकर ने की थी। महेश्वर उनकी राजधानी भी थी। आज भारत में हम अनेक मंदिर देखते हैं जो अहिल्या बाई की ही देन हैं। महेश्वर में नर्मदा नदी के तट पर उनका सुन्दर महल है। इस तट पर एक सुन्दर घाट है। नर्मदा के तट पर स्थित यह सर्वाधिक सुन्दर घाट है। यहाँ आयोजित की गयी लिंगार्चना मेरी स्मृतियों में अब भी स्पष्ट है। इस अर्चना में एक लाख से भी अधिक शिवलिंगों की अर्चना की जाती है। आज भी यह अनुष्ठान अनवरत रूप से किया जाता है। महेश्वर में सुप्रसिद्ध माहेश्वरी साड़ियाँ क्रय करें। नर्मदा नदी में नौकायन का भी आनंद उठायें।
वाहन चलाते हुए यहाँ से आगे आप बुरहानपुर जाएँ। आपने मुमताज महल का नाम सुना होगा, जिनकी स्मृति में शाहजहाँ ने ताजमहल का निर्माण कराया था। मुमताज महल का देहांत बुरहानपुर में हुआ था। कुछ काल के लिए उन्हें बुरहानपुर में ही दफनाया गया था। यह एक प्राचीन नगर है जो उससे भी प्राचीन ताप्ति नदी के तट पर बसा है। मार्ग में आप ओंकारेश्वर रुक कर मंदिर में शिवलिंग के दर्शन कर सकते हैं जो एक ज्योतिर्लिंग है। महान संन्यासी आदि शंकराचार्य जी की अपने गुरु से प्रथम भेंट ओंकारेश्वर में ही हुई थी। यहीं पर उन्होंने अध्ययन व साधना की थी।
पटना-नालंदा-गया – बिहार की लोकप्रिय सड़क यात्रा
बिहार राज्य की यह लोकप्रिय सड़क यात्रा वैश्विक धरोहर नालंदा तथा नालंदा जिले में स्थित राजगीर से होकर जाती है। यह आपको गया, बोधगया तथा बराबर गुफाओं का भी भ्रमण कराती है। सड़क मार्ग द्वारा बिहार का भ्रमण करते हुए आप बिहार के स्वादिष्ट व्यंजनों का भी आस्वाद ले सकते हैं, जैसे खाजा तथा लाइ।
यदि आप चाहें तो आप इस चक्र में वैशाली को भी सम्मिलित कर सकते हैं। मैंने इस सड़क यात्रा का सुझाव आपके समक्ष इसलिए रखा क्योंकि इस सड़क यात्रा के माध्यम से आप यहाँ के ग्रामीण क्षेत्रों के सादगी पूर्ण जीवन को निकट से अनुभव कर सकते हैं। आप प्राचीन कालीन बिहार के परिवेश को जान व समझ सकते हैं। मैंने यहाँ के स्वच्छ गाँव एवं सरल निवासियों से परिपूर्ण कुछ अप्रतिम परिदृश्य देखे जो अति-औद्योगीकरण की मलिनता से अछूते हैं।
गुवाहाटी से शिलांग
मेघालय भ्रमण के लिए आये लगभग सभी यात्रियों का यही मार्ग होता है जब वे इसकी राजधानी शिलांग तक जाना चाहते हैं। सम्पूर्ण मार्ग मनोरम परिदृश्यों से परिपूर्ण है। विशेषतः उमियम सरोवर की स्मृतियाँ मेरे मन को अब भी आनंदित कर देती हैं। पहाड़ियों एवं पर्वतों से घिरे इस सरोवर पर जब मेघों की परछाई पड़ती है तो ऐसा प्रतीत होता है मानो इस सरोवर ने मेघों को अपने अंक में समाहित कर लिया है।
चाय के उद्यानों से जाती सड़कों पर भ्रमण
भारत में उत्तर से लेकर दक्षिण तक अनेक चाय के उद्यान हैं। उनमें मेरे सर्वाधिक प्रिय दो उद्यान भारत के दो छोरों पर हैं। एक है टेमी चाय उद्यान में भ्रमण जिसे आप सिक्किम में गंगटोक यात्रा के समय कर सकते हैं। हिमालय पर्वत श्रंखलाओं में भ्रमण करते हुए आप पहाड़ियों की ढलानों पर चाय के हरे-भरे उद्यान देख सकते हैं।
दूसरा है, मुन्नार सड़क भ्रमण। मुन्नार में भ्रमण करते हुए आप अक्षरशः चाय के उद्यानों के मध्य से जाते हैं। टाटा चाय संग्रहालय ने मेरे मानस पटल पर अमिट छाप छोड़ी है। उस अनुभव को मैं भूल नहीं सकती।
असम के चाय उद्यान भी सुन्दर हैं किन्तु अधिकाँश उद्यान समतल क्षेत्रों पर हैं।
भारत में मेरी भावी सड़क यात्राएं – एक इच्छा सूची
इस इच्छा सूची में प्रथम नाम है, कश्मीर से कन्याकुमारी तक सड़क यात्रा। इस सड़क यात्रा के लिए शक्ति, अभ्यास एवं धीरज की आवश्यकता होती है। मेरी अभिलाषा है कि मैं एक ना एक दिवस यह यात्रा अवश्य करूँ।
दूसरी इच्छा है, नर्मदा परिक्रमा। सड़क मार्ग द्वारा इस परिक्रमा को पूर्ण करने के लिए लगभग १५ दिवस आवश्यक हैं। वस्तुतः, यह यात्रा मेरे लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भावी यात्रा है।
मैं प्राचीन व्यापार मार्गों पर भी जाना चाहती हूँ। इनमें एक है, उत्तरपथ जिसके कुछ भाग भारत में हैं। दूसरा है, दक्षिणपथ जो पूर्णतः भारत में है।
मैंने अभी तक भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों की सड़कें भी नापी नहीं हैं। यह कार्य भी मैं शीघ्र पूर्ण करना चाहती हूँ।
सड़क यात्राओं के लिए कुछ सुझाव
- सड़क यात्रा की अवधि आपकी समय सारिणी, आपकी रूचि तथा अवलोकन की गहराई पर निर्भर करती है। अतः सड़क यात्राओं का नियोजन करते समय इन बिन्दुओं को ध्यान में रख कर यात्रा का नियोजन करें।
- यद्यपि खाने-पीने की सामग्री सदा साथ रखने का सुझाव दे रही हूँ, तथापि यह भी आग्रह कर रही हूँ कि जहाँ जहाँ भी संभव हो, स्थानीय व्यंजनों का आस्वाद अवश्य लें। विशेषतः महामार्गों पर स्थित ढाबों एवं जलपानगृहों में अवश्य भेंट दें।
- मार्ग में जहाँ जहाँ से भी उत्तम परिदृश्यों का अवलोकन संभव हो, आप वहाँ अवश्य रुकें। अंततः, सड़क मार्ग द्वारा भ्रमण का यही तो सर्वाधिक लाभदायक तत्व है। मार्ग में स्थित स्थानीय हाटों में भी जाएँ। स्थानीय लोगों से भेंट करें। स्मृति चिन्ह क्रय करें।
- अपने वाहन के रखरखाव पर विशेष ध्यान दें। स्थानीय वाहन चालकों की सहायता लें जिन्हें उस स्थान एवं वहाँ उपलब्ध सुविधाओं की पूर्ण जानकारी होती है।
- जहाँ तक संभव हो, सूर्यास्त तक ही वाहन चलायें। प्रातःकालीन शीतल वातावरण सड़क मार्ग द्वारा भ्रमण के लिए सर्वोपयुक्त होता है।
अनुवाद: मधुमिता ताम्हणे