अपनी यात्राओं एवं भ्रमण अनुभवों को दीर्घकालीन बनाने के लिए हम सदा वहाँ से कुछ ना कुछ स्मारिकायें अपने घर लाते हैं। अपनी पंजाब यात्रा से भी मैं अनेक वस्तुएं लेकर घर ले आयी थी। पंजाब से स्मारिकायें लेकर आना मेरे लिये अति विशेष है क्योंकि वे स्मारिकायें अपने साथ मेरी स्मृतियों का पिटारा लेकर आती हैं। उनमें से प्रत्येक वस्तु मेरे बाल्यकाल की किसी न किसी स्मृति से जुड़ी है, कुछ लोककथाएं, कुछ लोकगीत, ढेर सारे बालसुलभ आल्हाददायक क्षण!
इन्ही दिनों की गयी मेरी पटियाला यात्रा के समय, विशेषतः पटियाला की एतिहासिक धरोहर के शोध में पदभ्रमण करते हुए, नगर की प्राचीन गलियों में विचरण करते हुए, मार्ग की छोटी छोटी दुकानों में पंजाब के स्वादिष्ट व्यंजनों का आस्वाद लेते हुए मैं उन स्मृतियों से सराबोर हो गयी थी।
अब पंजाब से अपने साथ लाये उन विशेष उपहारों पर यह संस्करण लिखते समय, वे सभी स्मृतियाँ पुनः मेरे नेत्रों के समक्ष नृत्य करने लगी हैं। पुनः अपना बालपन जीते हुए ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो वह एक भिन्न जीवनकाल था। पंजाब की संस्कृति का सटीक प्रतिनिधित्व करते हैं, वहाँ का उत्कृष्ट भोजन एवं वहाँ के उत्कृष्ट परिधान। वहाँ से लायी स्मारिकाओं में पंजाब की ये संस्कृति स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है।
आप भी जब पंजाब जाएँ, तब इन उपहारों को अपने साथ अवश्य लायें । मुझे विश्वास है, पंजाब की इन आकर्षक वस्तुओं को लाकर अपने प्रियजनों को उपहार स्वरूप देने में आपको प्रसन्नता होगी व आनंद आयेगा।
पंजाब के उपहार
फुलकारी ओढ़नी
फुलकारी पंजाब की एक पारंपरिक कढ़ाई की शैली है जो चुनरी, ओढ़नी, साड़ियों आदि पर की जाती हैं। इसका शब्दशः अर्थ है, फूलों की कलाकारी। यह कढ़ाई सामान्यतः खद्दर जैसे मोटे सूती वस्त्र पर की जाती है जो सामान्यतः हलके भूरे रंग का होता है। कढ़ाई में प्रयुक्त रेशमी धागे उजले चटक रंगों के होते हैं, जैसे रानी, नारंगी, हरा, पीला, लाल आदि। मुझे स्मरण नहीं कि फुलकारी में काले अथवा गहरे नीले रंग का भी प्रयोग होता है।
फुलकारी में भी अनेक प्रकार होते हैं, जिनमें एक शैली है, बाग। कढ़ाई की इस शैली में सम्पूर्ण वस्त्र को रेशमी धागों द्वारा इस प्रकार आच्छादित कर दिया जाता है कि मूल वस्त्र दृश्यमान नहीं रहता। मैंने फुलकारी में अधिकांशतः ज्यामितीय आकृतियाँ ही देखी हैं।
अनेक पंजाबी गीतों में भी फुलकारी का उल्लेख होता है। कुछ लोगों का कहना है कि अविभाजित पंजाब के साहित्यिक लेखनों में भी फुलकारी का उल्लेख मिलता है किन्तु इसके सत्यापन का मेरे पास कोई प्रमाण नहीं है।
पंजाब में विवाह एवं अन्य मंगल कार्यों में स्त्रियाँ अत्यंत प्रेम से फुलकारी कढ़ाई किये गए परिधान धारण करती थीं। जब भी किसी परिवार में बालिका का जन्म होता था तो घर की महिलाएं फुलकारी कढ़ाई का कार्य आरम्भ कर देती थीं ताकि उसके विवाह के समय उपहार स्वरूप उसे दे सकें। ये ऐसी कलाकारी है जो मूलतः स्त्रियों के लिए स्त्रियों द्वारा की जाती है।
पारंपरिक रूप से फुलकारी कढ़ाई में केवल दुपट्टे बनाए जाते थे। अब फुलकारी कढ़ाई के दुपट्टे, साड़ियाँ, सलवार-कमीज आदि भी प्रचलन में हैं। यहाँ तक कि फुलकारी कढ़ाई की चादरें भी बनाई जाती हैं। मैंने अपने लिए फुलकारी की चादर का चुनाव किया था।
यदि आपसे कहा जाए कि पंजाब से एक स्मारिका लेकर आयें तो मेरा विश्वास है कि प्रथम चयन फुलकारी ही होगी!
पंजाबी जुत्ती
चमड़े के आकर्षक जूते जिन पर उजले चटक धागों से कढ़ाई की जाती है, उन्हें हम पंजाबी जुत्ती के नाम से जानते हैं। पंजाब में इन्हें पटियाला जुत्ती या कसूरी जुत्ती कहा जाता है। कसूर पंजाब के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित एक गाँव है। हाथों से बने ये जूते कड़क चमड़े के होते हैं। मैंने अपने महाविद्यालयीन काल में इन जुत्तियों का भरपूर उपयोग किया है। प्रारंभ में कड़क चमड़े के कारण ये जुत्तियाँ किंचित कष्ट पहुँचा सकती हैं। इसलिए सूती वस्त्र से पाँव को ढँक कर इन्हें पहनना पड़ सकता है।
पंजाबी जुत्तियाँ मूल चमड़े के रंग के भी होते हैं। इनमें गहरे एवं हलके दोनों रंग उपलब्ध होते हैं। ये जुत्तियाँ सामान्यतः पुरुध धारण करते हैं। स्त्रियों की जुत्तियाँ चटक रंगों में बनाई जाती हैं। कई महिलायें भिन्न भिन्न रंगों के वस्त्रों के साथ उन रंगों की जुत्तियाँ धारण करती हैं। आप कल्पना कर सकते हैं कि महिलाओं में ये जुत्तियाँ कितनी लोकप्रिय हैं।
पंजाबी सलवार कमीज
मेरे अनुमान से हमारे देश की लगभग सभी स्त्रियों ने सलवार कमीज धारण की होगी। वर्तमान काल में भारत के सभी सामाजिक स्तर पर कार्यरत स्त्रियों में सलवार कमीज एक मूलभूत परिधान बन चुका है। सलवार कमीज धारण करने वाली स्त्रियों से पंजाबी सलवार कमीज का वैशिष्ट्य छुपा नहीं है। पंजाबी सलवार कमीज क्रय करने के लिए अमृतसर अथवा पटियाला के बाजारों से उत्तम कौन सा स्थान होगा!
आप जब भी पंजाब भ्रमण के लिए जाएँ तो अमृतसर अथवा पटियाला के बाजारों में अवश्य भ्रमण करें। वहाँ सलवार कमीजों के भिन्न भिन्न प्रकार देख विस्मय से आपकी आँखें चौड़ी हो जायेंगी।
पटियाला में पंजाबी सूट क्रय करने के लिए अदालत बाजार या AC मार्केट अवश्य जाएँ। अमृतसर में आप कपड़ा बाजार जा सकते हैं। आपको यहाँ खरीददारी का आनंद अवश्य आएगा। विशेषतः दुकानदारों की कला-कौशल देख आप दंग रह जायेंगे। वे बड़े प्रेम से आप जो चाहें, वो परिधान दिखाने के लिए तत्पर रहते हैं। आपके परिधान देखकर एवं आपके चुनाव देखकर आपकी पसंद का अनुमान लगाते हैं तथा उसी प्रकार के वस्त्र दिखाते हैं।
पंजाबी परांदे
महिलायें जब चोटियाँ बनाती हैं तो विशेष अवसरों पर उन चोटियों के अंत में रंग-बिरंगे लटकन लटकाती हैं। उन्हें परांदा कहते हैं। ये एक ऐसी वस्तु है जो पूर्व काल में अत्यंत लोकप्रिय हुआ करती थी किन्तु आधुनिकता के चलते अब यह प्रासंगिकता खोती जा रही है। अपनी परम्पराओं को जीवंत रखते हुए विशेष अवसरों पर इनका प्रयोग किया जा सकता है। पटियाला एवं अमृतसर के बाजारों में विविध प्रकार के आकर्षक परांदे उपलब्ध हैं।
मुझे इन परान्दों को एक स्मारिका के रूप में लाना अवश्य भायेगा। ये बाजारों से पूर्णतः लुप्त हो जाएँ, इससे पूर्व आप कम से कम एक परांदा अवश्य लाना चाहेंगे।
पंजाबी पगड़ी
पंजाबी पगड़ी सिक्खों की शान होती है। यह एक लम्बा सूती वस्त्र होता है जो विविध रंगों में उपलब्ध होता है। श्वेत अथवा हलके रंग की पगड़ियां बहुधा वृद्ध पंजाबी पुरुष धारण करते हैं, वहीं युवा पुरुष चटक रंग की पगड़ियां धारण करते हैं।
जो सिख धर्म से सम्बन्ध नहीं रखते, वे इन पगड़ियों को दैनिक जीवन में भले ही ना पहने, किन्तु विशेष आयोजनों में इन्हें धारण कर सकते है।
पंजाबी पंखी
पंखी, जिसे पंजाब में पखी भी कहा जाता है, यह एक छोटा पंखा होता है जिसे हाथ से झुलाया जाता है। पूर्वकाल में महिलायें अपने पंखी स्वयं बनाकर उन पर कसीदाकारी करती थीं। अपने कला-कौशल एवं रूचि के अनुसार महिलायें ये पंखी बनाकर उनका प्रयोग करती थीं।
पुराना बाजार में आप अब भी ये पंखी देख सकते हैं। मैंने पटियाला में भी ऐसे पंखी देखे थे। मुझे विश्वास है कि अमृतसर, जालंधर तथा लुधियाना में भी ये पंखी अवश्य मिलते होंगे।
ऊनी वस्त्र
लुधियाना हाथ से बुने हुए तथा कालांतर में यंत्रों पर बुने हुए ऊनी वस्त्रों के लिए प्रसिद्ध है। शीत ऋतु के लिए यंत्रों पर बुने परिधान आपको फिर भी अन्यत्र मिल जायेंगे किन्तु हाथों से बुने हुए ऊनी परिधानों के लिए लुधियाना से उत्तम कोई अन्य स्थान नहीं है। आप यहाँ से ऊनी स्वेटर, दस्ताने, शाल, गुलबंद, कम्बल, कालीन आदि क्रय कर सकते हैं।
अमृतसर में आप हॉल बाजार से ऊनी परिधान ले सकते हैं।
उपहार स्वरूप पंजाब के व्यंजन
पापड़ वड़ियाँ
अमृतसर के पापड़ एवं दाल की वड़ियाँ अत्यंत लोकप्रिय हैं। पंजाबी भाषा में अनेक लोकगीतों में भी इनका उल्लेख किया गया है। जिन्हें पंजाबी भोजन प्रिय है, उनके लिए ये प्रिय उपहार सर्वोपरि हैं। पंजाबी व्यंजन किसी को ना भायें, ऐसा क्वचित ही होता है।
पंजाब में पापड़ बहुधा उड़द दाल के बने हुए होते हैं। वे भिन्न भिन्न स्वादों में उपलब्ध है। उनमें काली मिर्च का स्वाद सर्वाधिक लोकप्रिय है। वड़ियाँ भी विविध आकारों एवं स्वादों में उपलब्ध होती हैं। आप उनसे अनेक प्रकार के व्यंजन बना सकते हैं।
अमृतसर में आप पापड़ एवं वड़ियाँ क्रय करना चाहें तो आप पापड़ वड़ियाँ बाजार जा सकते हैं या मंजीत मंडी से भी ले सकते हैं।
सूखे मेवे वाला गुड़ तथा सादा स्थानीय गुड़
पंजाब में गन्नों के खेतों के आसपास अनेक लघु उद्योग हैं जहाँ गुड़ बनाया जाता है। गुड़ पंजाबी भोजन का एक अभिन्न अंग है। एक सर्व सामान्य पंजाबी प्रत्येक भोजन के उपरान्त गुड़ का एक टुकड़ा मुंह में अवश्य डालता है। इससे कंठ स्वच्छ एवं अनवरुद्ध हो जाता है।
पटियाला में मुझे सूखे मेवे युक्त गुड़ मिला। इस प्रकार के गुड़ में अनेक प्रकार के सूखे मेवे मिलाये जाते हैं। मुझे यह अत्यंत भा गया। आप सूखे मेवे वाला गुड़ अवश्य ले जाएँ। यह अत्यंत स्वादिष्ट एवं पौष्टिक होता है। यह पंजाब का एक पूर्णतः स्थानीय उपहार है।
पंजाबी अचार
मेरा जन्म पंजाब में हुआ किन्तु अब व्यावसायिक कारणों से पंजाब से दूर घर बसाया हुआ है। यहाँ मुझे पंजाब के गुठली वाले आम के अचार की कमी खलती हैं। मैं जब भी पंजाब जाकर आती हूँ, पंजाबी अचार मेरे साथ अवश्य आता है। पंजाब की सौगात के रूप में सदाबहार अचार हैं, आम का अचार, भरी हुई लाल मिर्चों का अचार तथा नींबू का अचार।
शीत ऋतु में आप फूलगोभी का अचार तथा गाजर का अचार भी ले सकते हैं जो इसी ऋतु में उपलब्ध होते हैं।
अचार एक ऐसी खाद्य वस्तु है जो अत्यंत स्थानिक है। भारतीय अचार जैसी कोई संकल्पना सही नहीं है। प्रत्येक क्षेत्र में अचार बनाने की अत्यंत स्थानीय विधि होती होती है। उन सब में पंजाबी अचार का अपना एक विशेष स्थान है। यह आपके स्वयं के लिए तथा आपके अपनों के लिए एक अनुपम सौगात सिद्ध होगी।
अमृतसरी कुलचा
यदि आप अमृतसर से अधिक दूर नहीं रहते तो आप अपने साथ अपने परिवार के अन्य सदस्यों के लिए कुछ कुलचे ले जा सकते हैं। वे अवश्य आनंदित होंगे।
सूत के लड्डू
ये पटियाला की विशेष सौगात हैं। ये मेरा भी प्रिय व्यंजन भी है। किन्तु पंजाब के बाहर इसे लोग क्वचित ही जानते हैं। आप इनका आस्वाद लें तथा अपने प्रियजनों के लिए भी अवश्य ले जाएँ।
आध्यात्मिक उपहार
पंजाब पंजाबियों का प्रदेश है, विशेषतः सिख धर्म का पालन करने वालों का। इसलिए आपको यहाँ चारों ओर अनेक गुरूद्वारे दृष्टिगोचर होंगे। आपकी पंजाब यात्रा कैसे पूर्ण होगी यदि आप गुरूद्वारा ना जाएँ! इन गुरुद्वारों के बाहर आपको अनेक दुकानें दृष्टिगोचर होंगी जहाँ वे सभी वस्तुएँ रखी रहती हैं जिन्हें धारण करना एक सिख के लिए अनिवार्य होता है। उनमें से आप कुछ वस्तुएं आप पंजाब की स्मारिकाओं के रूप में अवश्य ला सकते हैं।
कड़ा
यह लोहे अथवा स्टील का एक ठोस कड़ा होता है जिसे एक सिख अपनी कलाई में अवश्य धारण करता है। जो भी गुरूद्वारे की पावन उर्जा से स्वयं को प्रभावित जानते हैं अथवा उससे सम्बंधित मानते हैं, उनके लिए यह एक उत्तम आध्यात्मिक उपहार है। इन्हें अपने साथ ले जाना भी आसान है। जो सिख नहीं हैं, वे भी इसे धारण कर सकते हैं। यह कलाइयों पर आकर्षक प्रतीत होता है। साथ ही ऐसी मान्यता है कि यह सभी विपदाओं से रक्षण करता है।
खंडा अथवा कंडा
कंडा सिख धर्म के अनुयायियों का एक पावन चिन्ह है। इसे आप लॉकेट के रूप में गले में धारण कर सकते हैं। अन्यथा इसे अपने घर में शुभ चिन्ह के रूप में रख सकते हैं। पाँच नदियों की भूमि पंजाब की यह विशेष स्मारिका है तथा यह आपको सदा आपके पंजाब भ्रमण का स्मरण कराती रहेगी।
धार्मिक पुस्तकें
यदि मेरे समान आपको भी पुस्तकों में रूचि है, तो आप छोटे आकार की धार्मिक पुस्तकें ले सकते हैं। इन्हें गुटका पुस्तक कहते हैं। इनमें दनंदिनी प्रार्थनाएं तथा स्तुतियाँ होती हैं। इनमें कुछ पुस्तकें हैं, नितनेम गुरबाणी, सुखमनी साहिब तथा जपुजी साहिब। आप यहाँ से गुरु ग्रन्थ साहिब की प्रति भी ले सकते हैं जो इन सभी स्मारिकाओं में सर्वाधिक पावन सौगात है। किन्तु गुरु ग्रन्थ साहिब सामान्यतः गुरुमुखी लिपि में ही उपलब्ध होती है जो पंजाबी भाषा की लिखित लिपि है।
लघु तलवारें एवं कटारें
आपको यहाँ उत्कृष्ट रूप से उत्कीर्णित छोटी छोटी तलवारें एवं कटारें भी मिल जायेंगी। तलवारें एवं कटारें पंजाबियों की पावन वस्तुओं में से एक हैं। किन्तु ये छोटी छोटी तलवारें एवं कटारें केवल दिखावे की होती हैं।
आधुनिक उपहार
1469(१४६९) के आधुनिक एवं आकर्षक उत्पाद
१४६९ एक आधुनिक समकालीन कंपनी है जो पंजाब से सम्बंधित विशेष वस्तुओं की विक्री करती है। १४६९ वास्तव में गुरु नानक देवजी के जन्म का वर्ष है। उन्हें सिख धर्म का संस्थापक माना जाता है।
मुझे उनकी कार्यशाला में भ्रमण करने में अत्यंत आनंद आया। वहाँ अनेक प्रकार की आकर्षक व आधुनिक वस्तुएं प्रदर्शित की हुई हैं। उनमें आधुनिकता एवं परंपरा का अद्भुत सम्मिश्रण देखा जा सकता है। उनका स्टोर पंजाब में नहीं अपितु दिल्ली के जनपथ पर स्थित है। इसके अतिरिक्त भी यदि उनकी कार्यशाला अथवा स्टोर कहीं हो तो मुझे उसकी जानकारी नहीं है।
यहाँ से आप ऐसे टीशर्ट ले सकते हैं जिन पर गुरुमुखी भाषा में सद्वचन लिखे होते हैं।
तो आप अपने आगामी पंजाब भ्रमण से इनमें से कौन सी स्मारिका अपने साथ लायेंगे?