मेरे जीवन में में ट्रैवल फोटोग्राफी का आगमन बहुत बाद में हुआ। मुझे तो बचपन से ही फोटोग्राफी का बहुत शौक था। मेरे एक ताऊजी थे, जिनके पास दुनिया भर के नवीनतम कैमरा हुआ करते थे, और उनके फोटोशूट के लिए हमेशा मैं ही उनकी मॉडल हुआ करती थी। कैमरों से मेरा परिचय उन्हीं के जरिये हुआ था। आगे चलकर जब मैंने काम करना और पैसे कमाना शुरू किया तो मैंने अपनी पहली कमाई से अपने लिए एक याशिका कैमरा खरीद लिया, यह 1995 की बात है। उसके बाद यू.के. में 2003 के दौरान मैंने 2 मेगा पिक्सेल वाला निकॉन डिजिटल कैमरा खरीदा, जो काफी अच्छा-खासा चल रहा था। इसके बाद 2006 में ह्यूस्टन में मैंने 7 मेगा पिक्सेल वाला सोनी का कैमरा खरीदा, जो आज भी मेरा पसंदीदा कैमरा है। यात्रा लेखन के चलते, आवश्यकता हुई एक द्स्ल्र कैमरे की तो मैंने निकॉन D7000 चुना जिसके बारे में मैं आज भी नयी-नयी बातें सीख रही हूँ। यह कैमरा मैंने 2011 में हैदराबाद में लिया था।
वैसे दोस्तों की सलाह पर मैंने DSLR कैमरा ले तो लिया, लेकिन 4 सालों तक उसे अपने साथ लेकर घूमने के बाद मैंने फिर से पॉइंट अँड शूट वाले कैमरा को चुनना ही ठीक समझा। इसलिए मैंने निकॉन P600 लिया जो गोवा में खरीदा गया था। जब से मैंने पॉइंट अँड शूट वाले कैमरा का इस्तेमाल करना शुरू किया था, तब से लेकर अब तक इन कैमरों में बहुत सारे सुधार हुए हैं, जो आपकी फोटोग्राफी को और भी खास बनाते हैं। सामान्य तौर पर मुझे आज भी अपना निकॉन D7000 बहुत पसंद है, लेकिन ट्रैवल फोटोग्राफी के लिए मैं अपने नए निकॉन P600 को ही अधिक प्रयोग करती हूँ। और इसके पीछे भी कुछ खास कारण हैं।
ट्रैवल फोटोग्राफी – यात्रा या फोटोग्राफी
ट्रैवल फोटोग्राफी को तब तक फोटोग्राफी नहीं कहा जा सकता जब तक कि आपकी यात्रा का मूल उद्देश ही फोटोग्राफी न हो। जब आप किसी यात्रा पर जाते हैं, तो एक यात्री के रूप में आपका ज़्यादातर समय यात्रा संबंधी कार्यक्रमों में ही गुजर जाता है। ऐसे में आपको फोटोग्राफी के लिए अधिक समय नहीं मिल पाता और आपको कुछ ही महत्वपूर्ण तस्वीरों के साथ लौटना पड़ता है। यात्रा के दौरान खींची गयी ये तस्वीरें मेरे यात्रा वृत्तांतों को परिपूर्ण करने में सहायक होती हैं। मेरे लिए यात्रा करना, ब्लॉगिंग और फोटोग्राफी से भी पहले आता है।
फोटोग्राफी के लिए सही समय
मैं बहुत से स्मारकों और संग्रहालयों में जाती रहती हूँ, जो दिन के समय ही खुले होते हैं। यानी ऐसे में मुझे फोटोग्राफी करने का अच्छा और सही समय नहीं मिल पाता और मैं अपने मन मुताबिक तस्वीरें नहीं खींच पाती। कभी रोशनी साथ नहीं देती तो कभी समय का साथ नहीं मिल पाता। आम तौर पर ऐसी जगहों पर सवेरे-सवेरे या फिर शाम को देर से जाने की अनुमति भी नहीं होती, जिससे कि आप एकांत में उन नज़ारों के साथ फोटोग्राफी का मजा ले सके। इसके अलावा रास्ते में भी आपको ऐसे बहुत से परिदृश्य और नज़ारे मिलते हैं जो वाकई में बहुत सुंदर होते हैं और आपके कैमरे में कैद होना चाहते हैं। लेकिन जैसा कि मैंने कहा था हर बार समय और रोशनी आपका साथ दे ये जरूरी तो नहीं।
तस्वीरों का दस्तावेजीकरण
मैं दस्तावेजीकरण हेतु बहुत सी तस्वीरें खींचती रहती हूँ, जो कभी भी किसी व्याख्यान के लिए उपयोगी पड़ सकती हैं। या तो ये तस्वीरें वास्तुकला की बारीकियों को समझाने के लिए उपयोगी होती हैं या फिर मेरे लेखन के लिए भी सहायक सिद्ध होती हैं। अर्थात मैं अपनी यात्रा के दौरान बहुत सारी तस्वीरें खींचती रहती हूँ और DSLR से फोटो खींचना यानी कैमरा में एक्सट्रा मेमरी की जरूरत। इन तस्वीरों में बहुत सी तस्वीरें ऐसी होती हैं जिन्हें मेरे अलावा और कोई नहीं देखता। यकीन मानिए, मेरे परिवार वाले भी इन तस्वीरों को नहीं देखते।
फोटोग्राफी पर प्रतिबंध
अधिकतर संग्रहालयों और स्मारकों में, खासकर धार्मिक जगहों पर ज्यादा तस्वीरें खींचने की अनुमति नहीं होती। तो कुछ जगहों पर आपको अपने साथ कैमरा भी ले जाने की अनुमति नहीं होती। ऐसी जगहों पर या तो आप दूर से ही उनकी तस्वीरें ले सकते हैं या फिर आपको सिर्फ बाहरी भागों की ही तस्वीरें लेनी की अनुमति होती है। आंतरिक भागों की तस्वीरें लेने के लिए सख्त मनाई होती है। ऐसे में अगर मैं आधा दिन भी इन स्मारकों और संग्रहालयों में घूमने जाऊ, तो मैं अपना कैमरा ऐसे ही अपने साथ लेकर घूमती रहती हूँ। या फिर उसे वहां के लॉकर में रखकर उसकी सुरक्षा की चिंता में खोयी रहती हूँ।
बेवजह का भार
मेरा पॉइंट अँड शूट कैमरा लगभग 500 ग्राम का है जिसे मैं आसानी से अपने साथ लेकर घूम सकती हूँ। लेकिन DSLR को साथ लेकर घूमना थोड़ा कठिन है। अपने आप में तो वह भारी है ही, साथ में उसके कुछ लेन्सिस भी होते हैं और उसका वह भारी-भरकम बैग भी, जो कुलमिलाकर लगभग 3-4 कीलो के होंगे। और जब आपको इतना सारा भार साथ लेकर घूमना पड़ता है, तो आपकी ताकत जल्द ही जवाब दे जाती है।
ज़ूम इन
मेरे नए पॉइंट अँड शूट कैमरा में 60X तक का ज़ूम उपलब्ध है, जिससे आप दूर स्थित किसी चीज की ज़ूम इन के जरिये आसानी से तस्वीर ले सकते हैं। लेकिन DSLR पर मुझे इतना ज़ूम करने के लिए कम से कम 3-4 लेन्सिस बदलने पड़ते हैं। और तो और उन्हें बदलने में भी काफी समय लगता है और उतने में जिस वस्तु की आप तस्वीर खींचना चाहते थे वह भी आपके हाथ से छूट जाती है। जैसे कि, अगर आप दूर किसी पेड़ पर बैठे हुए पक्षी की तस्वीर लेना चाहते हैं, तो जब तक आप अपने DSLR से उसकी फोटो खींचने के लिए तैयार होते हैं, तब तक वह उड़ चुका होता है। यही नहीं, अगर आप के पास DSLR है तो आपको उसके लेन्सिस को भी संभालना पड़ता है। हाँ, अब तो पॉइंट अँड शूट कैमरा इससे भी ज्यादा ज़ूम इन की सुविधा के साथ उपलब्ध हैं।
खो देने का भय
हम सभी के कोई न कोई ऐसे दोस्त जरूर होंगे जिनके कैमरा किसी यात्रा के दौरान खो गए हो। वास्तव में जितना बड़ा और महंगा आपका कैमरा होता है, उसके खो जाने या चोरी होने की संभावना उतनी ही ज्यादा होती है। जब भी मैं सड़क के किनारे खड़ी किसी चाय की दुकान पर चाय पीने के लिए ठहरूँ तो मैं आसानी से अपना छोटा सा कैमरा अपनी गर्दन में टांग सकती हूँ, या फिर उसे अपने बैग में भी रख सकती हूँ। लेकिन जब मैं DSLR कैमरा लेकर घूमती हूँ तो मुझे उसे उसके भारी-भरकम बैग में डाल कर अपने से अलग मेज पर रखना पड़ता है। जिससे उसकी चोरी होने की या खो जाने की संभावना बढ़ जाती है। शायद मेरी किस्मत अच्छी है, कि आज तक मेरे साथ ऐसी कोई घटना नहीं हुई है।
गुण-दोष
इन दोनों कैमरों से ली गयी तस्वीरों की गुणवत्ता तुलनीय है। लेकिन मेरा निकॉन P600 RAW में शूट नहीं करता, पर कैनन के कुछ पॉइंट अँड शूट कैमरा ऐसे भी हैं, जो RAW में भी शूट कर सकते हैं।
स्मार्टफोन का जमाना
अब तो स्मार्टफोन का जमाना आ गया है, और मेरा स्मार्टफोन मेरे लिए एक उचित कैमरे का भी काम करता है। अगर मैं अपने फोन के मेमरी कार्ड में काफी जगह बचा सकु, तो यह एक अच्छा बैकअप कैमरा भी हो सकता है। मैं अपने फोन से सोशयल मीडिया के लिए भी तस्वीरें ले सकती हूँ और अगर जरूरत पड़े तो बैकअप के रूप में किसी महत्वपूर्ण वस्तु की तस्वीरें भी ले सकती हूँ। मेरे बहुत से दस्तों ने मुझे iPhone लेने की भी सलाह दी है, जो उनके अनुसार किसी कैमरा से कम नहीं है।
पेनोरमा शॉट्स
जब मैं DSLR कैमरा लेकर घूमती थी, तो मैं हमेशा एक पेनोरमा शॉट खींचना चाहती थी। लेकिन DSLR के साथ यह मुमकिन नहीं था। लेकिन पॉइंट अँड शूट कैमरा के साथ मेरी यह इच्छा भी पूरी हो गाय। अब मेरी चाह मेरे सबसे पसंदीदा शॉट्स में बदल गयी है। ये एक्सट्रा वाइड-एंगल शॉट्स लेने में मुझे बहुत मजा आता है। खासकर प्रकृति की तस्वीरें खींचने में आप एक अलग ही अनुभव महसूस करते हैं। मैं जानती हूँ कि DSLR से आप मल्टिपल शॉट्स लेकर बाद में उन्हें एक साथ पिरो सकते हैं। लेकिन यह बहुत मेहनत का काम है, जो मैं सिर्फ प्रदत्त फोटोग्राफी उपक्रम हेतु करती। मेरे यात्रा ब्लॉग और मुद्रण प्रकाशन के लिए, पॉइंट अँड शूट कैमरा और स्मार्टफोन से लिए गए पेनोरमा शॉट्स काफी अच्छे होते हैं। इससे समय की भी बचत होती है, जो मेरे लिए तो बहुत महत्वपूर्ण है। इसका और एक फायदा यह है कि मैं जब चाहूँ, तुरंत उनका प्रयोग भी कर सकती हूँ।
चार्जिंग की सुविधा
मैं अपना निकॉन P600 कार चार्जर से भी चार्ज कर सकती हूँ। सड़क यात्राओं के समय और पहाड़ी क्षेत्रों की यात्रा करते समय, जहां पर बहुत कम चार्जिंग पॉइंट उपलब्ध होते हैं, यह सुविधा बहुत फायदेमंद है। चंद्रताल से वापस लौटते समय, अगर यह कार चार्जिंग की सुविधा नहीं होती तो शायद मैं रोहतंग दर्रे के विस्तार की इतनी सुंदर तस्वीरें कभी नहीं खींच पाती। लद्दाख की सड़क यात्रा के दौरान तो मैंने अपने कैमरा को अपने पावर बैंक से चार्ज किया था।
इस सब के बावजूद भी मुझे कभी कभी अपने DSLR की कमी भी महसूस होती है। खास कर इन स्थितियों में :
- जब चलती हुई गाड़ी से मुझे किसी की तस्वीर खिंचनी होती है, क्योंकि, कोई भी पॉइंट अँड शूट कैमरा इस प्रकार की उत्तम तस्वीर नहीं ले सकता।
- निकॉन D7000 झट से चालू हो जाता है, लेकिन P600 चालू होने में थोड़ा समय लेता है, जो कि कभी कभार मुझे बहुत ज्यादा लगता है।
- जब किसी पक्षी की तस्वीर लेनी होती है, तो मैं अपने DSLR के बर्स्ट शॉट्स को बहुत ज्यादा याद करती हूँ।
जब आपको अपनी दो सबसे पसंदीदा चीजों में से किसी एक को चुनना पड़ता है, तब यह चुनाव करना बहुत कठिन होता है।
ट्रैवल फोटोग्राफी के लिए 4 सालों तक DSLR कैमरा का उपयोग करने के बाद, वापस पॉइंट अँड शूट कैमरा का चुनाव करने के अपने कारणों को मैं आपके साथ साझा कर चुकी हूँ। यद्यपि मेरा यह निर्णय सिर्फ ट्रैवल फोटोग्राही के सबंध में ही है ना कि सामान्य फोटोग्राफी के संबंध में। वास्तव में मुझे आज भी गोवा की सैर करना और अपने DSLR से आस-पास की तस्वीरें खींचना बहुत पसंद है। जब मेरे पति मेरे साथ यात्रा कर रहे होते हैं, तो मैं अपना DSLR कैमरा जरूर लेती हूँ। ऐसे में हम बारी-बारी से उसका भार भी उठा सकते हैं।
लेकिन मुझे कहना पड़ेगा कि मेरे यात्रा जीवन में कुछ पड़ाव ऐसे भी आए हैं, जब मैंने बिना कैमरा के यात्राएं की हैं। लेकिन ये कहानियाँ मैं आपको किसी और दिन बताऊँगी।