बहुचरा माता- मेहसाणा गुजरात का शक्तिपीठ
गुजरात में तीन शक्तिपीठ हैं जिनमें बहुचरा जी एक हैं। अन्य दो शक्तिपीठ हैं, आबू पर्वत के निकट अम्बा जी तथा पावागढ़ पर्वत के ऊपर कालिका देवी। मैं इससे पूर्व चंपानेर पावागढ़ की यात्रा...
संखेड़ा के रंगीन गृह सज्जा सामग्री बनाने वाला कला ग्राम
संखेड़ा, वडोदरा से दक्षिण-पूर्वीय दिशा में लगभग 45 कि.मी. की दूरी पर बसा हुआ एक छोटा सा गाँव है। यह भारत का एक सामान्य सा गुजराती गाँव है, जहाँ पर रहनेवाले अधिकतर परिवार लकड़ी...
लक्ष्मी विलास महल – वड़ोदरा स्थित गायकवाड वंश की शोभा
वडोदरा की यात्रा पर जाते वक्त सबसे पहले आपको लक्ष्मी विलास महल के दर्शन करने के लिए जरूर कहा जाएगा। इस शहर में घूमते हुए हमने बहुत बार इस महल की कुछ-कुछ झलकियाँ जरूर...
नवरात्रि उत्सव में सर्वोत्तम डांडिया रास एवं गरबा गीत
नवरात्रि अपने साथ में गरबा व डांडिया रास ले कर आती है। यूँ तो नवरात्रि देश भर में भिन्न भिन्न रीति से मनायी जाती है, किन्तु उनमें सर्वाधिक लोकप्रिय है पारंपरिक गुजराती नवरात्रि। अपने...
एकता की प्रतिमा – लौह पुरुष सरदार पटेल को एक श्रद्धांजलि
नवीन युग की प्रतिमाओं में सर्वोत्तम मानी जानी वाली प्रतिमा निःसन्देह एकता की प्रतिमा अर्थात् स्टैचू ऑफ यूनिटी है। भव्य अधिरचना से युक्त, १८२ मीटर ऊंची यह अद्वितीय प्रतिमा विश्व की सर्वाधिक ऊंची प्रतिमा...
द्वारका गुजरात के आसपास बिखरे प्राचीन तीर्थ स्थान
स्कन्द पुराण के अनुसार द्वारका नगरी को ऐतिहासिक रूप से प्रभास क्षेत्र का ही एक भाग माना जाता है। प्रभास एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है, दीप्तिवान, ज्योतिर्मय, प्रकाशवान, अर्थात जो प्रकाश उत्पन्न...
गुजरात में श्री कृष्ण की स्वर्णिम द्वारका नगरी के १५ अद्भुत पर्यटक स्थल
द्वारका नगरी से कदाचित ही कोई अनभिज्ञ होगा। यह एक प्राचीन नगरी है जो पौराणिक कथाओं से परिपूर्ण है। द्वारका में आप जहां भी जाएँ, ये सब कथाएं आपके समक्ष पुनः पुनः सजीव होती...
अहमदाबाद धरोहर यात्रा – प्राचीन नगर से एक परिचय
दिल्ली और हैदराबाद की तरह अहमदाबाद में भी एक प्राचीन नगर बसा हुआ है, जो आज भी पुरातन काल के उसी दौर में जी रहा है। ये प्राचीन जगहें आपको वापिस पुराने जमाने में...
पोरबंदर- सुदामा व गांधी की जन्मस्थली
पोरबंदर – यह शब्द मेरे कानों में सर्वप्रथम तब पड़ा जब प्राथमिक शाला में हमें महात्मा गांधी पर निबंध लिखने कहा गया था। पोरबंदर की तो छोड़िये, चंडीगड़ में पढ़ रही मुझ जैसी नन्ही...
रुक्मिणी मंदिर – द्वारका की रानी से एक साक्षात्कार
बालपन से ही हमने पढ़ा व सुना था कि श्री कृष्ण की पहली रानी रुक्मिणी थी। कहने का अर्थ है कि उन्होंने सर्वप्रथम रुक्मिणी से विवाह किया था। तत्पश्चात आयीं सत्यभामा, जाम्बवती तथा अन्य।...