गोवा उत्सवों का देश है। एक ओर गणेश चतुर्थी, दिवाली तथा क्रिसमस जैसे उत्सव हैं जो भारत के अन्य स्थानों के सामान गोवा में भी मनाये जाते हैं। दूसरी ओर कई ऐसे अनोखे उत्सव हैं जो कदाचित केवल गोवा में ही मनाये जाते हैं। इनमें से कईयों के विषय में आपने सुना भी नहीं होगा।
आपको चिखल कालो के विषय में स्मरण ही होगा। यह अनोखा पर्व गोवा में वर्षा ऋतु के मध्य में मनाया जाता है। वहीं ककड़ी उत्सव है जहां हर ओर ककड़ी का प्रयोग किया जाता है। गोवा में ऐसे कई समारोह आयोजित किये हैं जहां मार्गों पर जीवंत संगीन बजाते हुए उत्सव मनाया जाता है। ऐसे मदमस्त करने वाले संगीत आपको नृत्य करने के लिए प्रेरित कर देते हैं। जी हाँ, गोवा के ऐसे कई अनोखे एवं मनोरंजक उत्सवों से भरा पिटारा आपके समक्ष खोलता है मेरा यह यात्रा संस्मरण।
गोवा के उत्सव – एक मार्गदर्शिका
आईये मैं आपको गोवा में वर्ष भर मनाये जाने वाले उत्सवों के विषय में जानकारी देती हूँ। इनमें कुछ उत्सव पारंपरिक हैं तो कुछ आधुनिक। ये उत्सव गोवा को तथा उसकी सांस्कृतिक धरोहर को जानने में अत्यंत सहायक होंगे।
१.नव वर्ष आगमन उत्सव
नव वर्ष आगमन उत्सव के लिए गोवा भारत का सर्वाधिक प्रिय गंतव्य स्थल है। दिसंबर के अंत से जनवरी आरम्भ की समयावधि गोवा के पर्यटन मौसम की चरम सीमा होती है। होटलों, अथितिगृहों एवं वायु परिवहन के मूल्य शिखर लांघने लगते हैं। सड़कें वाहनों से भर जाती हैं तथा समुद्र तटों पर पर्यटकों का तांता लग जाता है। इस समय गोवा में मौसम अत्यंत सुहाना रहता है। ना अधिक सर्दी, ना ही अधिक गर्मी, अत्यंत सुखकर एवं शीतल मौसम हो जाता है। बस गोवा की वायु उल्हास से परिपूर्ण हो जाती है।
अपने जीवन में कम से कम एक नव-वर्ष उत्सव आपने गोवा में मनाना चाहिए। गोवा में कहाँ दावत एवं भोज किया जाये इसकी योजना तो अवश्य बनाईये, साथ ही गोवा के सभी तटों पर नव-वर्ष के स्वागत में की जाने वाली आतिशबाजी देखना ना भूलें। इस समय आप क्रिसमस के उपलक्ष में जगह जगह सजाई गयी झांकियां भी अवश्य देखिये। पानी में तैरती झांकियों की छटा कुछ और ही होती है।
इस समय गोवा के शांत गाँवों में पदभ्रमण करने में भी अत्यंत आनंद आता है। हरे-भरे खेतों के मध्य रंगबिरंगे घरों को देख आपका मन प्रफुल्लित हो उठेगा। मेरे पसंद के गाँवों में दक्षिण गोवा का मोइरा तथा उत्तर गोवा के अल्दोना एवं असगाओ प्रमुख हैं।
कहाँ – सम्पूर्ण गोवा में, विशेषतः समुद्र तटों पर।
कब – दिसंबर के अंत से जनवरी आरम्भ तक।
समय – सम्पूर्ण दिवस, संध्या के पश्चात रोशनाई में गोवा जगमगाने लगता है।
२.लोकोत्सव – भारत के लोक संस्कृति का उत्सव
लोकोत्सव अर्थात् लोक कला का उत्सव। लोकोत्सव कला, शिल्प, लोक जीवन तथा पारंपरिक संगीत व नृत्य का समागम है। यह प्रदर्शनी गोवा के पणजी में प्रत्येक वर्ष आयोजित की जाती है। यहाँ सम्पूर्ण भारत से कारीगर अपने नगर की रचनात्मक वस्तुएं लाते हैं एवं बिक्री करते हैं। सम्पूर्ण भारत से कलाकार आते हैं एवं अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। साथ ही भिन्न भिन्न राज्यों के रसोइये अपने राज्यों के विशेष व्यंजन भी बनाकर यहाँ बेचते हैं।
यह उत्सव सबके लिए खुला रहता है तथा प्रवेश शुल्क भी नहीं है। दुकानें सम्पूर्ण दिवस खुली रहती हैं। कला प्रदर्शन प्रत्येक संध्या ६ बजे के पश्चात किया जाता है। जनवरी के महीने में आयोजित यह उत्सव १० दिनों तक चलता है। गोवा वासी खरीददारी व मनोरंजन के लिए अधीरता से लोकोत्सव की प्रतीक्षा करते हैं। इन १० दिनों में यहाँ पर्यटकों का भी ताँता लगा रहता है।
कहाँ – पणजी में कला अकादमी से फुटबॉल मैदान तक।
कब – दिसंबर का लगभग दूसरा सप्ताह ।
समय – खरीददारी सम्पूर्ण दिवस, कला प्रदर्शन संध्या के समय।
३.वीवा कार्निवल
वीवा कार्निवल हर्षोल्हास एवं दावत-भोजों का त्यौहार है जो इसाईयों के व्रत-उपवास आरम्भ होने से पूर्व मनाया जाता है। राजा मोमो अपनी प्रजा को “खाओ, पियो एवं आनंद मनाओ’ का सन्देश देता है। आप भी ऐसे ही राजा की कामना कर रहे होंगे। किन्तु यह ३-४ दिनों का ही राजा है, वह भी केवल कार्निवल स्थल पर। लैटिन अमेरिका में आयिजित इस प्रकार के कार्निवल का ही यह छोटा रूपांतरण है।
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गोवा के सभी प्रमुख नगरों में भिन्न तिथियों पर कार्निवल का आयोजन होता है। यहाँ कलाकार गोवा के पारंपरिक एवं पाश्चात्य नृत्य संगीत का प्रदर्शन तो करते ही हैं। साथ ही कई सामाजिक मुद्दों पर आधारित झांकियां भी बनाकर सड़क पर परेड करते हैं।
दर्शक केवल मूक दर्शक ना रहकर, कार्निवल के रंग में सराबोर हो जाते हैं। संगीत की ताल पर झूमने लगते हैं। यहाँ बिकते कार्निवल के मुखोटे एवं सर की टोपियाँ डालकर छोटे-बड़े सभी कार्निवल का भाग बन जाते हैं। मेरे विचार से कभी कभी अति-उपदेशकारक झांकियां दर्शकों को गंभीर बना देती हैं तथा हर्षोल्हास लुप्त कर देती हैं। पर्याप्त संतुलन आवश्यक है। जो भी हो, कार्निवल गोवा का सर्वोत्तम लोकप्रिय उत्सव है जो सम्पूर्ण भारत में प्रसिद्ध है। कार्निवल में भाग लेने के लिए कई देशी-विदेशी पर्यटक गोवा आते है।
कहाँ – गोवा के सभी प्रमुख नगरों में भिन्न भिन्न तिथियों में आयोजित होता है । स्थानीय समाचार पत्र अथवा पर्यटन विभाग द्वारा सही तिथियों की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
कब – फरवरी/मार्च।
समय – संध्या ४ बजे से आरम्भ हो कर सूर्यास्त पर्यंत।
४.शिग्मो अथवा शिगमोत्सव
गोवा में जो उत्सव मुझे सबसे अधिक भाता है, वह है यह शिग्मो अथवा शिगमोत्सव! यदि मुझसे पूछें, तो एक उत्सव जिसके लिए आप को गोवा का भ्रमण करना चाहिए, वह है शिग्मो। रंगों से ओतप्रोत, उल्हास की चरमसीमा छूता, फिर भी गोवा की मूल संस्कृति दर्शाता, यह शिग्मो गोवा की शान है। यह सड़क पर एक भव्य सांस्कृतिक अतिरंजिका देखने जैसा अनुभव है। सडकों को पताकाओं से सजाया जाता है। मुख्य चौराहों पर झांकियाँ सजाई जाती हैं।
प्रत्येक मुख्य नगर में निश्चित किन्तु भिन्न दिवसों में नियोजित स्थान पर विशेष आयोजन किये जाते हैं। घोड़े मोड़नी तथा गोफ जैसे पारंपरिक नृत्य प्रदर्शित किये जाते हैं। ढोल के सुर आपका रोम रोम रोमांचित कर देते हैं। गोवा के गाँव गाँव से कलाकारों के समूह आते हैं एवं पारंपरिक नृत्य, संगीत एवं झांकियों की प्रतियोगिता में भाग लेते हैं।
प्रत्येक समूह में उनकी नाम पट्टिका के पीछे रंगबिरंगे पारंपरिक वस्त्र व साफे डाले नर्तक-नर्तकियां, हाथों में पारंपरिक पताकाएं लिये, एक पालकी में देव बिठाकर ढोल की संगीत में नृत्य करते जाते हैं। इन उत्सव के अंतिम चरण में विशाल चलित झांकियां निकलती हैं जिनमें मुख्य तत्व ऐतिहासिक एवं पौराणिक कथाओं पर आधारित होता है।
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कहाँ – गोवा के कई मुख्य नगरों में आयोजित किया जाता है। स्थानीय समाचार पत्र अथवा पर्यटन विभाग द्वारा सही तिथियों की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। पणजी में यह १८ जून मार्ग पर आयोजित की जाती है।
कब – मार्च
समय – संध्या ४ बजे से आरम्भ हो कर देर रात्री पर्यंत।
५.सांजाव
सांजाव एक मानसून उत्सव है। अर्थात यह वर्षा ऋतू के आगमन पर हर्षोल्हास की अभिव्यक्ति है। नदी, तालाब एवं कुएँ जल से लाबालब भरने की खुशी का पर्व है। आने वाली अच्छी फसल का उत्सव है। इसीलिए लोग अपने सर पर पुष्प एवं फलों से बने सुन्दर मुकुट पहनकर लबालब भरे कुओं में छलांग लगाते हैं। नए दामादों से विशेष अपेक्षा रहती है कि वे भी छलांग लगायें।
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कहाँ – गोवा में सभी स्थानों में। विशेषतः शिओली
कब – जून के अंतिम सप्ताह के आसपास
समय – सम्पूर्ण दिवस। शिओली का नौका उत्सव दोपहर में आयोजित किया जाता है।
६.चिक्कल कालो
चिक्कल कालो जैसा मनोरंजक उत्सव मैंने आज तक नहीं देखा। गाँव के सभी पुरुष गीली मिट्टी में लोटते हैं, ऐसे ऐसे खेल खेलते हैं जो आपको प्राचीन काल में ले जाते हैं। गाँव की सभी स्त्रियाँ घर से अनेक स्वादिष्ट पक्वान्न बनाकर लाती हैं तथा अपने हाथों से सबको बांटती हैं। ये केवल खेल नहीं हैं। यह मंदिर के समक्ष स्थित मैदान में खेला जाता है तथा इसका आरम्भ मंदिर में पूजा अर्चना से होता है।
इसे वर्षा ऋतू में खेला जाता है जब मैदान गीली माटी के गारे से भरा होता है। मिट्टी में खेलने का यही तो सर्वोत्तम समय है!
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हमारी तीव्र अनुशंसा है कि आप गोवा के चिक्कल कालो में अवश्य भाग लें। मेरी जानकारी के अनुसार, हमारे देश में इस प्रकार का उत्सव अन्य किसी भी स्थान में नहीं आयोजित किया जाता।
कहाँ – मुख्यतः देवकी कृष्ण मंदिर, मार्सेल, गोवा
कब – आषाड़ मास की द्वादशी को, जो लगभग जुलाई के मध्य में पड़ती है।
समय – प्रातः ११ बजे आरम्भ होकर २-३ घंटों तक रहता है। ।
७.तौशाचे सण अथवा ककड़ी का उत्सव
यह गोवा का अनोखा उत्सव है। तलावली गाँव के सेंट ऐन गिरिजाघर में लोग ककड़ी का अर्पण करते हैं। गिरिजाघर की ओर आते समय आप इसके समक्ष ककड़ी के ढेर देखेंगे। भीतर पहुंचकर आप लोगों को अन्य अनुष्टानों के साथ ककडी का अर्पण करते भी देखेंगे। बताया जाता है कि इस गिरिजाघर के संरक्षक संत को ४० वर्षों के उपरांत संतान सुख की प्राप्ति हुई थी। अतः ऐसा माना जाने लगा कि ककड़ी अर्पण करने पर मातृत्व तथा संतान सुख प्राप्त होता है।
आश्चर्य नहीं कि यह उत्सव नवविवाहित जोड़ों में अधिक प्रचलित है।
कहाँ – तलावली गाँव के सेंट ऐन गिरिजाघर
कब –जुलाई के अंत में
समय – प्रातः ११ बजे
८.बोंडेरम
यह उत्सव गोवा के एक छोटे से उप-द्वीप, दीवार द्वीप पर मनाया जाता है। यह एक ध्वजोत्सव है जहां गाँववासी एक बार पुनः क्षेत्रीय युद्ध अभिनीत करते हैं जो किसी काल में दीवार द्वीप पर किया गया था।
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यह उत्सव विवा कार्निवल से अधिक भिन्न नहीं है जहां द्वीप का संस्कृति एवं लोकाचार परेड द्वारा दर्शाया जाता है।
कहाँ – मांडवी नदी पर दीवार उपद्वीप पर
कब – अगस्त का तीसरा सप्ताह
समय – संध्या ५ बजे जाकर २-३ घंटों तक रहने की तैयारी रखें।
९.गणेश उत्सव
हम गणेश उत्सव को बहुधा महाराष्ट्र राज्य से मानते हैं। गोवा में भी गणेश उत्सव उतने ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है। गोवा के गणेश उत्सव की अपनी एक विशेषता है। गणेश मूर्ति के ऊपर छत्र के रूप में माटोली सजाई जाती है जिसे आप गणेश पंडाल के साथ साथ घरों में स्थापित गणेश की मूर्ति के ऊपर भी देख सकते हैं।
माटोली में जंगल की औषधिक वनस्पतियों के साथ, बाग़ एवं खेतों की पैदावार को गणेश को अर्पित करते हुए उनसे मनमोहक छत्र बनाया जाता है तथा मूर्ति के ऊपर लटकाया जाता है। वनस्पतियों, फलों एवं पुष्पों द्वारा अद्भुत कलाकारी का प्रदर्शन करते हुए ये माटोली सजाई जाती है। कुछ पारंपरिक माटोली में ४०० से भी अधिक विभिन्न वस्तुएं लगाई जाती हैं।
कहाँ – सम्पूर्ण गोवा
कब – गणेश चतुर्थी
समय – गणेश उत्सव पंडाल।
१०.नरकासुर चतुर्दशी
अपने पड़ोसी राज्य कर्नाटक के सामान गोवा में भी दिवाली के एक दिवस पूर्व नरकासुर चतुर्दशी मनाई जाती है। गोवा के गली गली में नरकासुर के विशाल पुतले बनाए जाते हैं। इसके लिए बच्चे घर घर जाकर चन्दा एकत्र करते हैं। एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते हुए अपनी सम्पूर्ण कलाकारी इस पर उड़ेल देते हैं।
दिवाली की पिछली संध्या को आप इन पुतलों के दर्शन के लिए गली गली घूम सकते हैं। संगीत की धुन आपको इनके समीप खींच लायेगी। दिवाली के दिन, सूर्योदय से पूर्व, इन्हें अग्नि को समर्पित किया जाता है। इसके भीतर भरे पटाखे आपको नींद से जगाकर यहाँ खींच ही ले आयेंगे।
कहाँ – सम्पूर्ण गोवा
कब – दिवाली से एक दिवस पूर्व
समय – दिवाली से एक दिवस पूर्व, संध्या से रात्रि तक नरकासुर दर्शन तथा दूसरे दिन सूर्योदय से पूर्व नरकासुर दहन
११.देव दीपावली अथवा त्रिपुरारी पूर्णिमा
दिवाली के ठीक पंद्रह दिवस पश्चात कार्तिक पूर्णिमा पड़ती है। इस दिवस को वाराणसी में देव दीपावली के रूप में, देश के अन्य भागों में कार्तिक पूर्णिमा के रूप में, सिक्खों द्वारा गुरु पूरब अथवा गुरु नानक जयन्ती के रूप में तथा गोवा में त्रिपुरारी पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।
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यूँ तो तारकासुर राक्षस वध की कथाएं सम्पूर्ण भारत में प्रचलित है। तथापि गोवा में इसे मनाने की अपनी अनोखी रीत है। उत्तर गोवा के साखली गाँव में स्थित विट्ठल मंदिर एवं इसके किनारे से बहती वालवंटी नदी पर यह उत्सव मध्य रात्री नौका उत्सव के रूप में मनाई जाती है। एक ओर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। मैंने वहां कुछ नर्तकियों को लावनी नृत्य प्रस्तुत करते देखा। इ
स अवसर पर छोटी बड़ी नौकाओं की सज्जा पर स्पर्धा भी आयोजित की जाती है। सर्वाधिक उत्कृष्ट संरचना एवं सजावट को देखकर पुरस्कार घोषित किया जाता है। मंदिर के प्रांगण में इन नौकाओं को प्रदर्शित करने के पश्चात इन्हें नदी में तैराया जाता है। हरे भरे नारियल के वृक्षों की पृष्ठभूमि पर पूर्णिमा के चंद्रमाँ की रोशनी में, चमचमाती नदी में जगमगाती नौकाएं, एक अद्भुत दृश्य होता है।
कहाँ – उत्तर गोवा के साखली गाँव में स्थित विट्ठल मंदिर
कब – दिवाली के ठीक पंद्रह दिवस पश्चात कार्तिक पूर्णिमा को
समय – सूर्यास्त के पश्चात मंदिर प्रांगण में नौकाओं के प्रदर्शन के पश्चात मध्य रात्री में नौकाओं को नदी में तैराया जाता है।
१२.भारत का अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव
क्या आप जानते हैं, भारत के सम्मानित अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के लिए गोवा एक स्थायी स्थल है? प्रत्येक वर्ष, नवम्बर मास आरम्भ होते से ही पणजी नगरी दुल्हन के सामान सजने लगती है। फ़िल्मी दुनिया की जानी-मानी हस्तियों के स्वागतार्थ पणजी सज्ज हो जाती है। गोवा के फिल्म प्रेमी उन दस दिनों के लिए अपना समय पहले से ही निर्धारित कर देते हैं तथा महोत्सव की आतुरता से प्रतीक्षा करने लगते हैं। यहाँ विश्व भर की, उस वर्ष प्रदर्शित प्रसिद्ध फ़िल्में दिखाई जाती हैं तथा सर्वोत्तम फिल्म एवं कलाकारों को पुरस्कृत किया जाता है। यह गोवा का एक और आधुनिक उत्सव है।
यदि आप भी विश्व भर की अच्छी फ़िल्में देखने की चाहत रखते हैं तो इस समय गोवा भ्रमण की योजना बनाएं।
कहाँ – पणजी में कई स्थानों पर, विशेषतः INOX सिनेमाघर एवं कला अकादमी
कब – नवम्बर के अंतिम दो सप्ताह, इफ्फी के वेबस्थल पर सही तिथियाँ जांच लें
समय – सम्पूर्ण दिवस
१३.गोवा कला एवं साहित्य उत्सव
हमारे भारत देश के कई नगरों के सामान गोवा में भी इसका अपना साहित्य उत्सव है। इसे गोवा कला एवं साहित्य उत्सव कहा जाता है। इस उत्सव का उद्देश्य है, कलाकृतियों के प्रदर्शन के साथ साथ लेखकों, प्रकाशकों एवं पुस्तकप्रेमियों को एक मंच पर लाना ताकि विचारों के आदान प्रदान हो सके।
यदि आप पुस्तक प्रेमी हैं तथा आप दिसम्बर मास में गोवा में हैं तो अपने प्रिय लेखकों से भेंट करने एवं उनसे वार्तालाप करने का यह उत्तम संयोग होगा।
कहाँ – दोना पौला का इंटरनेशनल सेण्टर
कब – दिसम्बर के प्रथम सप्ताह के आसपास
समय – ३ से ४ दिवस,
१४.सेरेन्डिपिटी कला उत्सव
पणजी में आयोजित, सेरेन्डिपिटी कला उत्सव गोवा में अपेक्षाकृत नवीन उत्सव होते हुए भी अत्याधुनिक उत्सव है। पणजी के विभिन्न स्थानों को कला दीर्घा में परिवर्तित कर दिया जाता है तथा विभिन्न स्थलों पर कई नवीन सार्वजनिक कलाकृतियाँ खड़ी की जाती है। भिन्न भिन्न क्षेत्रों के विभिन्न कलाविदों को अपनी कला के प्रदर्शन का उत्तम मंच इस उत्सव में प्राप्त होता है।
केवल गोवावासी ही नहीं, हमें कई पर्यटक भी कलाकृतियों का आनंद उठाते तथा इस कला उत्सव के रंग में सराबोर होते दिखाई पड़ते हैं। यह गोवा के आधुनिक उत्सवों में से एक है।
कहाँ – पणजी में कई स्थानों पर, विशेषतः आदिल शाह पैलेस में
कब – लगभग दिसम्बर के मध्य सप्ताह में
समय – ८से ९ दिनों तक, दिवस भर
१५.क्रिसमस
गोवा में बड़ी संख्या में निवासी ईसाई धर्म का पालन करने वाले है। गोवा की धरती गिरिजाघरों से भरी हुई है। अतः इसमें शंका नहीं कि गोवा में क्रिसमस भी बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है। गिरिजाघर रोशनाई के प्रकाश में जगमगाने लगते हैं तथा उसके प्रांगण में ईसामसीह से सम्बंधित मनभावन झांकियां सजाई जाती हैं। पणजी का गिरिजाघर पर्यटकों का प्रिय स्थान है। इसकी सुन्दरता में क्रिसमस के समय चार चाँद लग जाते हैं।
कहाँ – सम्पूर्ण गोवा में
कब – २५ दिसम्बर
इनके सिवाय भी कई छोटे-बड़े उत्सव हैं जिन्हें गोवा में धूमधाम से मनाया जाता है, विशेषतः गोवा के गाँवों में। हम उन सब से आपको शनैः शनैः अवगत करायेंगे।
Nehru called Goans Anokhe Log,which is “weird people”.What Nehru meant was that,the Goan breed was
Indian,by DNA,but loved the Portugese ! Which means,that they were traitors – for 400 years !
What did Nehru mean ?
Even Today,Goan Christians owe their fealty to the Portugese,and do not HIDE it.
Not only that,Goans are happy to TAKE Portugese Passports,even if they lose Indian Citizenship – just to get a
Toilet cleaners job,in London.Some Goans also Clean Camel Shit in Saudi Arabia
Goans have always been a race of servile slaves and traitors – even in Africa – where they worked as Portugese spies and sympathisers,
even after the Portugese quit.The HK Chinese and the Chinese,per se,are loyal to every nation,that they are resident in – even in
the face of,virulent Anti-Chinese Riots.
Source – Book Title – Yesterday in Paradise: 1950-1974
By Cyprian Fernandes
The Speech of a Kenyan PM in the Kenyan Parliament
“Indeed there are goans in this country who wish to be loyal to Portugal,then I say you have no business being in Kenya,If that it what
the Goan Community in this country wants to be,let them know from now on,they will have no place in this country…”
Why is the land of the Konkani Ghatis a land of corruption,rapes,paedos, drugs, pimps, matka ,incest , illicit drugs , bootleggers ..
The Konkan Ghateee rats from the land of Manhar Parrikar ?
The Konkan Ghatis are filth fit to be culled.
They are only fit to clean camel shit in Saudia?
http://www.navhindtimes.in/goan-youth-trapped-in-saudi-desert-village-as-a-camel-herder/
Or is it the education system in the land of the Konkaneee Ghateee Black skinned niggers ?
Sample the worth of these Konkani Ghatis – 100% failures ! It is a world record ! THIS IS NOT A ACADEMIC EXAM – IT IS A PROFESSIONAL JOB SELECTION EXAM !
Even the GSPC Chairman is on record to state that Goans “lack in analytical reasoning, knowledge of scientific application and general knowledge including current affairs”
o http://www.navhindtimes.in/goa-youth-lack-ability-to-reason-out-gpsc-chief/ MATHS AND SCIENCES IS NOT FOR THE GOAN
KONKANEEE GHATE – THEY FAIL EVEN IN GRADUATE COURSES – 80% FAIL RATE ·
Even in the GU, the students dong post graduate courses in maths had a 75% failure rate
They are only fit to pimp their women and daughters to Nigerians Let us pray they are bombed by ISIS or Qaeda or killed in Kashmir